अयोध्या श्री राम मंदिर निर्माण का सबसे मुश्किल समय

श्री राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए राफ्ट बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है जो की तापमान और वतावातरण के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण है।

श्री राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए राफ्ट बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है मंदिर निर्माण के लिए निर्माण स्थल पर बने 400 फुट लंबे 300 फुट चौड़े क्षेत्र में इंजीनियरिंग फील्ड मैटीरियल से 48 लेयरों को चट्टान की ढलाई कर नींव का निर्माण किया गया है जिस पर की राफ्ट का निर्माण अब लगभग 17 भागों में बांट कर किया जाना है। जिसके लिए पहले प्लाई के टुकड़ों से प्रत्येक ब्लाॅक के शटरिंग का कार्य किया जाता है तत्पश्चात उसमें ढलाई होती है। तथा बता दें की ढलाई का कार्य सबसे पहले गर्भगृह की दिशा से किया जा रहा। क्योंकि वह सबसे महत्वपूर्ण है।

जानकारी के लिए बता दें की श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रहे राफ्ट की ढलाई बीते 1 अक्टूबर से आरंभ हुई है तथा यह कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है अब तक मंदिर निर्माण के लिए तैयार किए गए फाउंडेशन पर 17 ब्लॉक में विभक्त कर इस कार्य को बड़ी मशीनों की सहायता लेकर ढलाई की जा रही है जिसमें अब तक 7 ब्लॉक की ढलाई का कार्य पूरा कर लिया गया है। मौसम की अनुकूलता को देखते हुए यह कार्य रात्रि में ही किया जा रहा है। एक राफ्ट से दूसरे राफ्ट की ढलाई के लिए 2 दिन का समय लग रहा है। जिसे की 15 नवंबर तक पूरा किए जाने की तैयारी है।

मंदिर निर्माण

बता दें की वर्तमान समय में श्री राम जन्मभूमि मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण और जटिल कार्य किया जा रहा है जिसमें मौसम और तापमान की बड़ी भूमिका होती है. इस समय राफ्टिंग का कार्य चल रहा है इसको 17 हिस्सों में बांटा गया है. सबसे कठिन यह है कि दिन में काम नहीं हो पाता है। क्योंकि इस कार्य के लिए 25 डिग्री सेल्सियस से कम का तापमान होनी चाहिए जो रात्रि में ही मिल पाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सूर्य की किरणों को सीधे राफ्ट पर पड़ने नहीं दिया जा सकता। बताया गया कि अपनाई जा रही विधि से राफ्ट के मसाले का 25 डिग्री सेल्सियस तापमान बरकरार रहेगा और बाद में राफ्ट में दरार आने का खतरा भी नहीं रहेगा। इसके अतिरिक्त राम मंदिर निर्माण स्थल पर उत्खनित क्षेत्र में इंजीनियर फिल्ड मटेरियल से निर्मित चट्टान के चारों ओर मिट्टी भराई का काम चल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भविष्य में इस क्षेत्र में लैंडस्केप इत्यादि का निर्माण कर ब्यूटीफिकेशन किया जाएगा। वर्तमान में ब्यूटीफिकेशन की प्रक्रिया मंदिर निर्माण के बाद होगी। क्योंकि प्लिंथ निर्माण के समयावधि में पत्थरों की ढुलाई क्रेन के माध्यम से होगी। और उस समय उत्खनित क्षेत्र के चारों ओर क्रेन संचालित करने के लिए इस क्षेत्र को पाथ- वे के रुप में प्रयोग किया जाएगा। इसके कारण मिट्टी पटाई कर रोलर चलाकर उसे भी ठोस बनाने की प्रक्रिया चल रही है।

बता दें की राफ्ट की फाउंडेशन का काम अक्‍टूबर-नवंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्‍य है। तथा नवंबर 2021 तीसरे चरण के अंतर्गत मंदिर के बेस प्लिंथ का काम पत्‍थरों से आरंभ किया जाएगा। तथा बेस प्लिंथ की ऊंचाई लगभग 15 फुट की होगी।

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इसी के पश्चात मंदिर की 6 फीट ऊंची फर्श का कार्य आरंभ होगा. इसके लिए पहले मंदिर के चारों ओर ग्रेनाइट की 6 फीट ऊंची दीवार खड़ी की जाएगी जो बलुआ पत्थरों के अपेक्षाकृत अधिक ठोस और डेंसिटी अधिक होती है। दीवार खड़ी होने के पश्चात उसके अंदर मिर्जापुर के पत्थर भरे जाएंगे जिससे राम मंदिर की फर्श का पूरा फाउंडेशन तैयार किया जाएगा। इसके पश्चात मूल मंदिर का निर्माण अप्रैल 2022 से आरंभ हो जाएगा। 2023 में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का कार्य पूरा हो जाएगा और श्रद्धालुओं के लिए दर्शन पूजन भी आरंभ हो जाएगा जबकि 2025 में भव्य और दिव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा और उस समय तक अयोध्या की छवि और भाग्य दोनों ही परिवर्तित हो जाएगा।

बता दें की राम जन्म भूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए तीसरे चरण का कार्य नवंबर माह से प्रारंभ कर दिया जाएगा तीसरे चरण में मंदिर के प्लिंथ व बेस निर्माण कार्य किया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार पत्थरों की आपूर्ति का कार्य आरंभ कर दिया गया है प्लींथ निर्माण के लिए मिर्जापुर के 4 फुट लंबी और 2 फुट चौड़ी पत्थरों की 30 हजार ब्लाक लगाए जाएंगे। और बेस निर्माण के लिए 4500 स्क्वायर फुट में 10000 से अधिक पत्थरों को लगाए जाने के लिए जसवंतपुर बैंग्लोर से ट्रकों के माध्यम से आपूर्ति की जा रही है।

जानकारी के लिए बता दें की मंदिर परिसर के 70 एकड़ में भी काम को मंदिर के पूरे निर्माण के साथ 2025 तक पूरा करने का लक्ष्‍य है। मंदिर के पूरे निर्माण में कुल 12 लाख घनफुट पत्‍थर लगेंगे। तथा कार्यशाला में लगभग 45 हजार घनफुट पत्‍थर पहले से तराशे जा चुके हैं। शेष पत्‍थरों को तराशने के काम में तेजी लाने के लिए मशीनों का प्रयोग भी होगा। मंदिर निर्माण में मिर्जापुर और राजस्‍थान के पत्‍थरों के अतिरिक्त संगमरमर और ग्रेनाइट का भी प्रयोग होगा। एवं नदी के प्रवाह से बचाने के लिए मंदिर के किनारे मजबूत दीवार अर्थात परकोटा का भी निर्माण किया जाएगा।

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जानकारी के लिए बता दें की जिस स्थान पर यह सभी कार्य हो रहे हैं वहाँ पर मिट्टी की मजबूती कर दी गई है इसे नीव का पहला चरण कहते हैं। सही में यह लैंड इंप्रूवमेंट है जिसमें लगभग 1 लाख 80 हजार घनफुट क्षेत्र में 50 फुट गहरे गड्ढा करके पुरानी मिट्टी को हटाकर प्लेन कंक्रीट भरी गयी है तथा उसको सड़क पर चलने वाले रोलर से दबाया गया है। एवं 98 प्रतिशत डेंसिटी निकाली ली गई। यह बहुत ही उच्च कोटि कंक्रीट है। ऊपर पानी डाल देंगे तो पानी अंदर नहीं जाएगा। धूप के कारण वापस चला जाएगा। साथ ही अन्य प्राकृतिक आपदा एवं भूकंप की स्थिति में भी राममंदिर सुरक्षित रहेगा।

श्रीराम जन्‍म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, 2023 तक ग्राउंड फ्लोर तैयार करने के लिए सभी तरह के निर्माण कार्य को समयसीमा में बांधकर तेजी से काम पूरा करवाया जा रहा है। अप्रैल 2022 में मुख्‍य मंदिर का काम राजस्‍थान के वंशी पहाड़पुर के पत्‍थरों से शुरू होगा।

मंदिर के राफ्ट की नींव पर फाउंडेशन को 5 फुट ऊंचाई तक ले जाना है। जबसे मंदिर ट्रस्‍ट ने राम लला को मंदिर में स्‍थापित करने की समय सीमा तय कर दी है, तब से निर्माण कार्य मे तेजी आई है। वर्तमान में मंदिर निर्माण में मशीनो की संख्‍या बढ़ाकर एक दर्जन कर दी गई है। अब विशाल मशीनों से भी काम लिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्‍त 2020 को अयेाध्‍या पहुंच कर भूमि पूजन किया था। उसके बाद ट्रस्‍ट ने मंदिर निर्माण की समीक्षा समय-समय पर की। ट्रस्‍ट ने जून 2021 की बैठक में मंदिर के ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा करने की समयसीमा दिसंबर 2023 तय करने का ऐलान किया। इसके साथ ही इसी माह के अंतिम सप्‍ताह से गर्भगृह में राम लला को विराजमान कर दर्शन आरंभ करने की भी घोषणा कर दी।

जैसे ही ग्राउंड फ्लोर तैयार हो जाएगा, रामलला को भूतल पर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान कर दिया जाएगा। तब श्रद्धालु मंदिर मे ही रामलला के दर्शन कर सकेंगे। इस बीच मंदिर की ऊपर की मंजिलों का काम चलता रहेगा।

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