किसी एयरपोर्ट से कम नहीं है PM मोदी के वाराणसी में बना बनारस रेलवे स्टेशन

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जो रेलवे स्टेशन 3 प्लेटफार्म के साथ वर्ष 2013 तक कुछ ऐसा दिखता था आज वहाँ पर 8 प्लेटफार्म ही नहीं हैं अपितु यह किसी एयरपोर्ट से कम नहीं है।

मित्रों जैसा की आप जानते हैं कि श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में वाराणसी में सैकड़ों विकास परियोजनाओं पर कार्य हो रहे हैं। तथा मोदी जी समय समय पर इन परियोजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन भी करते रहते हैं जैसे की अभी ही उन्होंने बीते 13 दिसंबर काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का भव्य लोकार्पण किया है। जो उद्घाटन न केवल वाराणसी के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण है अपितु भारतवर्ष में नवीन स्वर्णयुग का मुख्य आधार भी सिद्ध होगा।

स्टेशन प्रवेश

आगरा के पश्चात उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक रेल यात्री वाराणसी अर्थात काशी की ही यात्रा करते हैं। इस कारण से वाराणसी में रेलवे यात्रीयों की बड़ी संख्या को संभालने की क्षमता का होना तो आवश्यक है ही साथ ही चुकी काशी भारत की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक राजधानी है तो इस नगर के प्रवेश द्वार को वैश्विक मानकों के अनुरूप आधुनिक और सर्व सुविधायुक्त भी होना चाहिए। परंतु पहले ऐसा नहीं था, तथा वाराणसी के सांसद जब से नरेंद्र मोदी बने हैं उसके बाद से ही संपूर्ण वाराणसी नगर का ही कायाकल्प हो गया है जिसमें कि वाराणसी के रेलवे स्टेशन भी सम्मिलित हैं।

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बता दें की वाराणसी कैंट स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ कम करने के लिए मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन को सेटेलाइट स्टेशन के तौर पर तैयार किया गया है। मंडुवाडीह स्टेशन पहले तीन प्लेटफार्मों का ही था जिसमें की वर्ष 2015 से पांच और प्लेटफार्म को जोड़ने का कार्य किया गया है। इसके लिए स्टेशन के पीछे की ओर में 25 करोड़ों रुपये द्वितीय प्रवेश द्वार बना है। तथा सभी प्लेटफार्म के साथ एंट्री और एग्जिट गेट पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, इस स्टेशन को विकसित करने के लिए पिछले 6 वर्षों में लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

तथा अब यह सेकेण्ड इंट्री गेट अर्थात द्वितीय प्रवेश द्वार जनता के पसंदीदा स्थान में सम्मिलित ही नहीं अपितु वाराणसी की पहचान भी बन गया है। जिसकी सुंदरता आपको यहाँ पर बैठकर समय व्यतीत करने को विवश कर देगी यहाँ बाहर में ही पुराने पोखरे को सुंदर तालाब में परिवर्तित कर उसमें फव्वारे भी लगाए गए हैं जहां नगर के स्थानीय लोग भी घूमने बैठने आदि के लिए आते हैं। यहीं बाहर में ही भारतीय रेलवे की पहचान रेलवे इंजन को भी स्थापित किया है तथा भारत का राष्ट्रीय ध्वज भी शान से लहराता है। एवं डिस्प्ले बोर्ड भी यात्रीयों की सुविधा के लिए लगा है। आइए अब यहाँ से भीतर चलते हैं और आपको भीतर में बने सबसे पहल स्टेशन कंपाउंड को दिखाते हैं जो की सबसे आकर्षक है। यहाँ पर एक ओर रेलवे टिकट काउंटर है तथा मध्य में प्लेटफार्म की ओर जाने का मार्ग है तथा दूसरी ओर यात्रीयों के बैठने के लिए कुर्सीयां लगी हुई हैं जीसपर की कई यात्री अपनी ट्रेन के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं साथ ही उनके मनोरंजन व जानकारी के लिए TV भी लगा हुआ है। यही नहीं यहाँ पर इतनी साफ सफाई है की फर्श भी आईने जैसा चमक रहा है एवं कूड़ा इधर उधर ना लोग फेंके इस लिए सभी स्थान पर कूड़ेदानी भी रखी हुई है।

स्टेशन बाहरी दृश्य

यही नहीं स्टेशन परिसर में वाराणसी की पहचान में सम्मिलित उन सभी चीजों की पेंटिंग व तस्वीर को यहाँ की दीवार व पिलर आदी पर भली भाँति लगाया गया है ताकि जनता को भी पता चले की यह स्थान क्यों प्रसिद्ध है जैसे की बनारस की गंगा आरती, काशी विश्वनाथ मंदिर, सारनाथ, काशी हिंदू विश्वविद्यालय का विश्वनाथ मंदिर व वाराणसी के कई प्रसिद्ध हस्तीयों के भी चित्र को यहाँ की दीवारों उचित स्थान दिया गया है।

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जैसा की हम सभी जानते हैं कि काशी विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर है एवं यह नगर विभिन्न काल खण्डों में भिन्न भिन्न नामों से जाना गया तथा सबसे महत्वपूर्ण काशी, वाराणसी व बनारस से आज भी इस नगर को जाना जाता है।
इसी के साथ आपको बता दें कि इस स्टेशन का पहले नाम मण्डुआडीह हुआ करता था परंतु वाराणसी में ऐसे तो कई रेलवे स्टेशन हैं परंतु नगर के नाम से यदि देखा जाए तो यहां पहले से वाराणसी जंक्शन, काशी स्टेशन और वाराणसी सिटी के नाम से तीन स्टेशन उपस्थित हैं। परंतु बनारस के नाम से कोई स्टेशन नहीं था। तथा मण्डुआडीह नाम को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने के चलते यात्री और पर्यटकों को कठिनाई का सामना करना पड़ता था। सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी काशी में होने के पश्चात भी अंतराष्ट्रीय पटल पर लोग मंडुवाडीह स्टेशन के नाम से अनभिज्ञ थे। नाम को लेकर भ्रमवश यात्रियों को इधर-उधर भटकना पड़ता था। इसलिए अब जनपद के समानांतर मंडुवाडीह स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस रेलवे स्टेशन कर दिया गया है। एवं नाम परिवर्तित कर के अब बनारस स्टेशन रखा गया है जोकी अब इस स्टेशन को नई पहचान है। परंतु विशेष यह है कि बनारस रेलवे स्टेशन का नाम अब हिंदी अंग्रेजी व उर्दू के साथ संस्कृत में भी लिखा गया है। बनारसः रेलवे स्टेशन के नाम के नवीन शिलापट व नेम बोर्ड अब प्लेटफॉर्म पर लगा दिए गये है। जिसमें की स्टेशन का नाम हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू में लिखा गया है। तथा 15 जुलाई 2021 के मध्यरात्रि 12 बजे से इस स्टेशन से जारी होने वाले टिकटों पर भी स्टेशन का नाम बनारस स्टेशन कोड BSBS अंकित होकर जारी हो रहा है।

बता दें की जब से मोदी जी वाराणसी के सांसद बने हैं तब नगर का प्रतिदिन कायाकल्प हो रहा है जिसमें की वाराणसी के मण्डुआडीह स्थान पर स्थित बनारस रेलवे स्टेशन भी है। तथा 2014 के पश्चात इस स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने का विस्तार आरंभ हुआ।

रेलवे प्लेटफॉर्म्स

जानकारी के लिए बता दें की पहले जो स्टेशन मात्र तीन प्लेटफार्मों का साधारण भारतीय रेलवे स्टेशन था आज वहाँ पर आठ प्लेटफार्म बन गए हैं। मंडुवाडीह स्टेशन को किसी हवाई अड्डे की तरह बनाया गया है। नव-पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन किसी बड़े प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट कार्यालय की तरह दिखाई देता है। केवल देखने में ही नहीं अपितु यात्री सुविधाएं भी इसे अलग दिखाती हैं। प्लेटफार्म तक कार व अन्य वाहनों को ले जाने की भी सुविधा है।

ट्रेन

बनारस रेलवे स्टेशन की विशेषताओं की अधिक जानकारी के लिए बता दें की इस नए रूपांतरित स्टेशन में विशाल प्रतिक्षालय क्षेत्र, विभिन्न श्रेणियों के प्रतीक्षालय, उच्च श्रेणी यात्री विश्रामालय, एस्केलेटर सीढियां, लिफ्ट्स, फूड प्लाजा, कैफेटेरिया, वी आई पी लाउन्ज, पार्किंग, सेल्फी पॉइंट, राष्ट्रीय ध्वज, धरोहर के रूप में छोटी लाइन का इंजन, विस्तृत ग्रीन और स्वच्छ सर्कुलेटिंग एरिया, आधुनिक बुकिंग आरक्षण कार्यालय, फूड कोर्ट, सभी सुविधाओं से परिपूर्ण वेटिंग रूम और भी बहुत कुछ है। स्टेशन में एसी लाउंज, गैर-एसी रिटायरिंग रूम और डॉर्मिटरी भी हैं। स्टेशन परिसर की वास्तुकला काशी की आस्था को दर्शाती है।

बता दें की इस स्टेशन को उन्नत यात्री सुविधाओं के रख-रखाव के लिए आई एस ओ सर्टिफिकेशन एवं साफ- सफाई एवं कुशल प्रबंधन के लिए 5 एस सर्टिफिकेशन भी प्राप्त है।

यही नहीं यहाँ पर यात्रीयों की सुविधा के लिए Foot over bridge पर चढ़ने उतरने के लिए सीढ़ीयों के साथ साथ Escalator भी लगे हुए हैं। सभी स्थान इकदम साफ सुथरे हैं इस Foot over bridge पर भी कूड़ेदान रखे हुए हैं और डिस्प्ले बोर्ड भी लगे हुए हैं। साथ ही साथ यहाँ पर प्लेटफार्म संख्या 8 की ओर एक लिफ्ट को भी लगाया जाना है जिसके लिए कार्य संचालित है, इस लिफ्ट के लग जाने से और भी सुविधा बढ़ जाएगी।

रेलवे ट्रैक भी साफ सुथरा है एवं यहाँ पर भी washable apron लगे हुए हैं। कुछ ही देर में इसी प्लेटफार्म पर ट्रेन आने वाली है

रेलवे प्लेटफार्म

महत्वपूर्ण है कि काशी अर्थात वाराणसी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है तथा यह नगर धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र भी है। जिसको ध्यान में रखकर केंद्र सरकार द्वारा नगर को विश्वस्तरीय सुविधाओं को प्रदान करने व धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्य भी किए जा रहे हैं।

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एवं अब स्टेशन के नाम को नगर के नाम से जोड़ने के साथ ही संस्कृत भाषा में लिखने से यह प्राचीन व पौराणिक नगरी वाराणसी जहाँ एक ओर अपनी संस्कृति को धारण करती प्रतीत होगी तो वहीं दूसरी ओर यह अत्याधुनिक बनारस रेलवे स्टेशन भारत की धार्मिक राजधानी काशी की छवि को वैश्वीक स्तर पर ऊँचा कर देश की धर्म नगरी होने के नाते भारत के सम्मान में भी वृद्धि करेगी।

मित्रों आपको हमारी यह विशेष प्रस्तुति कैसी लगी, हमें कमेंट बाॅक्स में लिखकर अवश्य बताएं और स्टेशन की जानकारी पसंद आई हो तो हर हर महादेव कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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