Ayodhya Ram Mandir पर 500 वर्षों पश्चात आई वो शुभ घड़ी
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Ayodhya Ram Mandir: अयोध्याजी में राम मंदिर का निर्माण कार्य जोरों पर है। यहां भूतल का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। तीन तलीय राम मंदिर के निर्माण के लिए दिन रात कार्य संचालित है। ट्रस्ट का कहना है कि ग्राउंड फ्लोर का कार्य अक्टूबर तक पूर्ण हो जाएगा।
यही नहीं मंदिर के रामलला की गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसे लेकर जानकारी सामने आई है कि 2024 में मकर संक्रांति के पश्चात राम मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा। जी हां, 500 वर्षों की प्रतीक्षा व सैकड़ों लोगों का बलीदान व अरबों लोगों की आस्था का फलस्वरूप अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला विराजमान होने जा रहे हैं। जिनकी पूजा को लेकर राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से पीएम मोदी को न्योता भेजा गया है। और अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अभी से तैयारियां आरंभ हो चुकी हैं।
बता दें कि राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरे देश में मनाया जाएगा। अयोध्या के अतिरिक्त देशभर के सभी मंदिरों को सजाया जाएगा। इतना ही नहीं कई मंदिरों में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को वर्चुअल तरीके से देश के विभिन्न स्थानों पर भी दिखाया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समयावधि में वास्तु पूजा से लेकर विभिन्न अनुष्ठान और पूजन भी किए जाएंगे। ये कार्यक्रम लगभग सात दिनों तक चलेगा।
श्रीराम जन्मभूमि में निर्माणाधीन दिव्य मंदिर में विराजित होने वाले रामलला के सप्त दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ सांस्कृतिक उत्सव के आयोजन की भी योजना बनाई गयी है। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के बोर्ड आफ ट्रस्टीज की ओर से इस सांस्कृतिक उत्सव में सम्मिलित करने विश्वभर के 122 देशों के कलाकारों को भी आमंत्रित किया जा रहा है।
मंदिर निर्माण कार्य की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि वर्तमान समय में मुख्य रूप से राममंदिर में रामलला के गर्भगृह के ऊपरी भाग पर निर्माण कार्य चल रहा है। अक्टूबर 2023 तक राम मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार हो जाएगा। गर्भगृह के अतिरिक्त, मंदिर में पांच मंडप – गुड मंडप, रंग मंडप, नृत्य मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप हैं। इनका भी निर्माण हो रहा है। पांच मंडपों के गुंबद का आकार 34 फुट चौड़ा और 32 फुट लंबा और आंगन से ऊंचाई 69 फुट से 111 फुट तक है। मंदिर की लंबाई 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और और यह प्रांगण से 161 फुट ऊंचा है।
बता दें कि मंदिर की नींव में 1.30 लाख क्यूबिक मीटर इंजीनियरिंग भराव, राफ्ट में 9,500 क्यूबिक मीटर कॉम्पैक्ट कंक्रीट और प्लिंथ में 6.16 लाख क्यूबिक फीट ग्रेनाइट, मंदिर की ऊपरी संरचना में 4.74 लाख क्यूबिक फीट बंसी-पहाड़पुर पत्थर, 14,132 क्यूबिक फीट नक्काशीदार मकराना संगमरमर सम्मिलित हैं। खंभे में पत्थर और दीवार आदि पर 76,219 वर्ग फुट उच्च गुणवत्ता वाले मकराना संगमरमर का प्रयोग है।
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अब हम आपको भगवान राम लला की प्रतिमा निर्माण की जानकारी देने हेतु बता दें कि अयोध्या में रामलला की तीन मूर्तियों को तराशने का कार्य किया जा रहा है। एक मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा जबकि दो अतिरिक्त मूर्तियों को मंदिर में ही उचित स्थान पर स्थापित किया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि उन मूर्तियों की पवित्रता बनी रहे। अयोध्या में तराशी जा रही रामलला की तीन मूर्तियों में से सर्वश्रेष्ठ को ही मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। ट्रस्ट के सदस्य के अनुसार, मंदिर की पहली और दूसरी मंजिल पर एक-एक मूर्ति स्थापित की जा सकती है।
यह भी बता दें कि राम जन्मभूमि परिसर में बने अस्थाई मंदिर में विराजमान राम लला की चढ़ावा राशि में लगातार वृद्धि हो रही है। राम मंदिर का निर्माण जिस तीव्रता से हो रहा है, उसके कारण श्रद्धालुओं की भीड़ भी प्रतीदिन 50 हजार के आस पास पहुंच गई है। मंदिर ट्रस्ट को आशा है कि जब रामलला जनवरी 2024 में भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे, तो प्रतीदिन दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या लाख के ऊपर पहुंच जाएगी। इसके साथ ही चढ़ावा राशि भी उसी के अनुपात में बढ जाएगी।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के आनुसार राम मंदिर के निधि समर्पण अभियान में 3400 करोड़ रुपये की राशि जमा की गई थी। मंदिर निर्माण में धन की कमी बाधक नहीं होगी, क्योंकि देशभर से अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओ से ही हर महीने डेढ़ करोड़ की धनराशि जमा हो रही है। उन्होंने बताया कि इस समय दानपात्र में लगभग 70 लाख रुपये का चढ़ावा हर माह जमा हो रहा है। इन पैसों की गिनती के लिए 11 लोगों की टीम पूरे महीनेभर लगी रहती हैं। प्रतीदिन प्रातः 10 बजे से बैंक के अधिकारियो की टीम जिसमें 10 कर्मचारी होते हैं वे नोटों और सिक्को की गिनती आरंभ करती है जो संध्या तक चलती रहती है।
राम मंदिर के अतिरिक्त श्रीरामजन्म भूमि परिसर में स्थित कुबेर नवरत्न टीला के सौन्दर्यीकरण की दिशा में भी पहल आरंभ हो गयी है। इसके लिए सबसे पहले मार्ग का निर्माण आरंभ कराया गया है। टीले पर आवागमन के लिए जेसीबी लगाकर मिट्टी की खुदाई कराई जा रही है। इस टीले पर राम मंदिर की नींव से निकाली गयी दो लाख क्यूबिक फीट मिटी का बड़ा भाग डाल दिया गया था जिससे उसकी ऊंचाई बढ़ गयी थी। फिलहाल अब उसी मिट्टी को हटाने का काम हो रहा है। यहां पहले से एक शिव मंदिर बहुत जर्जर अवस्था में था। इस शिव मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ ही यहां जटायु राज का भी मंदिर बनना है।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि दिसंबर माह तक मंदिर के भूतल का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। चूंकि निर्धारित समयावधि में मात्र छह माह शेष हैं, इसलिए कार्य में तेजी आ गई है। मंदिर निर्माण की दृष्टि से जून माह अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी माह में मंदिर के फर्श पर मार्बल लगाने व जून माह से ही द्वार बनने आरंभ होने हैं। वहीं दूसरी ओर मंदिर की छत का 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है। शेष कार्य जून में ही पूरा करने का लक्ष्य है।
बता दें कि राम मंदिर की छत में एक पत्थर को दूसरे पत्थर से जोड़ने के लिए तांबे की पट्टी का प्रयोग किया जा रहा है। तांबा हजारों वर्ष यथास्थिति रहता है। ऐसे स्थित में यदि कभी भूकंप आता है तो मंदिर की छत में लगे पत्थर एक-दूसरे से नहीं टकराएंगे। इससे मंदिर सुरक्षित रहेगा।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि जून में 44 द्वार निर्मित होने हैं। इसके लिए महाराष्ट्र से सागौन की लकड़ी लाई जा रही है। हैदराबाद से दस कारीगर पहुंच चुके हैं। दरवाजे मंदिर परिसर में ही निर्मित होंगे। छत तैयार होने के साथ ही मंदिर के फर्श पर सफेद मार्बल लगाने का कार्य भी आरंभ होगा। मार्बल की आपूर्ति हो रही है। इसके पहले मंदिर के भवन में बिजली की वायरिंग के साथ ही अंतिम चरण के कार्य संपन्न होंगे।
मंदिर परिसर में यात्री सुविधा केंद्र निर्मित किया जा रहा है। इसके लिए बिजली, शौचालय का स्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। यात्री सुविधा केंद्र के बेसमेंट की छत ढाली जा चुकी है।
छत निर्मित किए जाने के साथ-साथ गर्भगृह में रामलला के विग्रह तक सूर्य की किरणों को पहुंचाने के लिए स्पेस तैयार किया जा चुका है। इसे अंतरिक्ष विज्ञानियों की निगरानी में छत निर्मित करते समय तैयार किया गया। इसी में पाइप लगाई जानी है, जिसके माध्यम से सूर्य की किरणें गर्भगृह में निर्धारित लक्ष्य पर भेजी जाएंगी, जहां लगे लेंस के माध्यम से किरणों को रामलला के ललाट पर प्रक्षेपित किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष रामनवमी को दोपहर 12 बजे रामलला के ललाट पर पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी।
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