ऐसे होंगे अयोध्या में रामलला, श्री राम मंदिर की आई शुभ घड़ी
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Ayodhya Ram Mandir Nirman : 500 वर्षों की प्रतीक्षा का फल स्वरूप श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण हो रहा है। यूपी के अयोध्या जी में प्रभु राम का दिव्य और भव्य मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए बनकर तैयार है।
Ayodhya Ram Mandir Nirman : अगले वर्ष आने में कुछ ही दिन शेष है और वो दिन दूर नहीं जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे। 22 जनवरी, 2024 का दिन देशवासियों के लिए अत्यंत ही विशेष रहेगा।
रामनगरी अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर के भूतल का निर्माण इस वर्ष 31 दिसंबर तक पूरा करने के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कारीगरों की संख्या में बढ़ोतरी किया है। अब तक 2500 कारीगर मंदिर निर्माण कार्य में लगे थे। तीर्थ क्षेत्र के इस निर्णय के पश्चात अब कारीगरों की संख्या एक हजार और बढ़ गई है। अब 3500 कारीगर दिन रात तीन पालियों में इस मंदिर निर्माण कार्य को पूरा करने में जुटे हैं।
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भूतल के साथ ही प्रथम तल का भी काम साथ में चल रहा है। भवन निर्माण समिति दोनों तलों के निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य ले कर चल रही है। दर्शनार्थियों को 22 जनवरी के पश्चात केवल भूतल के गर्भगृह में स्थापित होने वाले रामलला तक जाने की ही अनुमति रहेगी। इसलिए समिति के निर्देश पर कार्यदाई संस्था एलएंडटी युद्ध स्तर पर भूतल के काम को अंतिम रूप देने में जुटी है।
बता दें कि 71 एकड़ क्षेत्र में विस्तारित राममंदिर के विभिन्न कार्यों में देश के पांच राज्यों के कलाकार कारीगर लगे हैं। भूतल के 166 स्तंभों पर उकेरी जाने वाली धार्मिक मूर्तियों-आकृतियों को उड़ीसा के कलाकार गढ़ रहे हैं। वहीं बड़े बड़े कई कई टन के पत्थरों के संयोजन में राजस्थान के विशेषज्ञ कारीगर दिन रात काम कर रहे हैं। इसी प्रकार से अन्य अलग अलग विशेषज्ञताओं के साथ यूपी के सहारनपुर महाराष्ट्र व गुजरात के श्रमिक भी इसमें दिन रात एक किए हुए हैं।
यह भी बता दें कि 15 दिसंबर तक तैयार हो जाएंगे तीनों विग्रह। जी हां, रामलला के तीन विग्रह बनाए जा रहे हैं। एक उड़ीसा से व दो कनार्टक के पत्थरों से बनाए जा रहे हैं। कारसेवकपुरम में अत्यंत कड़ी सुरक्षा के मध्य इन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। बताया जाता है कि ये लगभग बन कर तैयार हो गए हैं। थोड़ा बहुत बचा हुआ काम 15 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। वैज्ञानिकों के कड़े परीक्षण के पश्चात चयनित किए शिलाओं से यह मूर्तियां तैयार कराई जा रही हैं। पानी व कार्बन का अवशोषण न करने वाले पत्थरों से पिछले दो महीनो से निर्माण कार्य चल रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ रॉक मैकेनिक्स के वैज्ञानिकों के परीक्षण के पश्चात तीन शिलाओं से ये बनकर तैयार हुए हैं।
बता दें कि राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर पूरे सप्ताह रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समेत कई धार्मिक अनुष्ठान होंगे। वहीं, प्राण स्थापना दिवस के अवसर पर लगभग 6 हजार अतिथियों को निमंत्रण भेजा जा चुका है। इस बीच राम मंदिर के लिए 7 ध्वज स्तंभों का निर्माण अहमदाबाद में चल रहा है।
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जी हां, राम मंदिर (Ram Temple) के लिए 7 ध्वज स्तंभों का निर्माण अहमदाबाद में चल रहा है। ध्वज स्तंभों के निर्माण का कार्य श्री अंबिका इंजीनियरिंग वर्क्स कंपनी को सौंपा गया है। बता दें कि एक मुख्य ध्वज स्तंभ सहित सात ध्वज स्तंभ का वजन लगभग 5500 किलोग्राम है।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें कि प्रदेश को अगले दो महीने तक पूरी तरह राममय करने की तैयारी आरंभ हो गई है। अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य श्रीराम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर संस्कृति विभाग की ओर से प्रदेश भर में विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
यही नहीं 1111 शंखों के नाद का बनेगा विश्व रिकॉर्ड। जी हां, मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रभु श्रीराम से जुड़ी हुई मूर्ति एवं शिल्पकलाओं की कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रभु श्रीराम के आदर्श स्वरूपों को दर्शाने वाले 108 चित्रों का चिंत्रांकन उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी द्वारा ख्याति प्राप्त चित्रकारों के माध्यम से किया जाएगा। यही नहीं श्रीराम जन्मभूमि पर 1111 शंखों के वादन के माध्यम से विश्व रिकॉर्ड बनाने की भी तैयारी है। साथ ही साथ ड्रोन शो और 2500 महिलाओं द्वारा तलवार रास कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा।
बता दें कि अयोध्या के भव्य राम मंदिर का परिसर लगभग 70 एकड़ में विस्तारित है। जिसमें 8 एकड़ में केवल राम मंदिर बन रहा है शेष परिसर में यात्री सुविधा केंद्र के अतिरिक्त विभिन्न और मंदिर बनाए जाएंगे।
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राम मंदिर में दूसरे तल पर लगभग 12 फीट स्तंभ को लगा दिया गया है। पहले चरण का काम अब लगभग पूरा हो गया है परंतु इसके पश्चात भी मंदिर का निर्माण तीव्र गति के साथ हो रहा है।
जनवरी 2024 में भगवान राम अपने भव्य महल में विराजमान होंगे। उसके पश्चात मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहेगा। मंदिर को नागर शैली पर बनाया जा रहा है। मंदिर में अद्भुत नक्काशी का प्रयोग किया गया है।
यही नहीं रामजन्मभूमि निर्माणाधीन परिसर में 33 केवीए के सब स्टेशन को कनेक्शन भी मिल गया। इसके अतिरिक्त राममंदिर की सभी 32 सीढि़यां बनकर तैयार हो चुकी हैं। सीढि़यों की रेलिंग भी बन गई है। इसके अतिरिक्त गर्भगृह में जहां रामलला प्राणप्रतिष्ठित होंगे उसका फाउंडेशन भी सजाया जा रहा है। बिजली व्यवस्था के लिए वहां पंजाब से आई विशेष ईंटे लगाई जा रही हैं, जिनमें से लाइटिंग के लिए वायर लगाए जाएंगे।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि कुबेर टीले के सुंदरीकरण का भी काम तेजी से चल रहा है। मंदिर में कई झरोखे भी बनाए गए हैं, जिन पर अद्भुत नक्काशी की गई है। रामजन्मभूमि परिसर में बन रहे तीर्थयात्री केंद्र के भूतल का काम पूरा हो चुका है। प्रथम तल का काम मंदिर के उद्घाटन के पश्चात आरंभ होगा।
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परंतु आज की सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर के गर्भगृह में आधार आसन (पेडेस्टल) का निर्माण भी आरंभ हो गया है। भूतल में कमल दल स्वरूप में निर्माणाधीन इसी आसन पर रामलला विराजमान होंगे। लगभग चार फुट के इस आधार आसन के ऊपर 51 इंच के रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा अगले वर्ष 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होनी है।
23 जनवरी से पांच वर्ष के बाल रूप का निर्माणाधीन विग्रह का दर्शन रामभक्त लगभग 35 फुट की दूरी से कर पाएंगे। फर्श से रामलला के माथे तक की कुल ऊंचाई लगभग 8 फिट की रहेगी। दर्शनार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए परीक्षण के पश्चात यह दूरी श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने तय की है।
यह भी बता दें कि राममंदिर का गर्भगृह भी पूरी तरह से बनकर तैयार है। छह विशेष स्तंभों वाले गर्भगृह को भी अलग अलग कारीगरों ने अपनी विशेषज्ञता से सुसज्जित किया है। भूतल के अन्य भागों में बंशी पहाड़पुर के लाल पत्थरों का प्रयोग किया गया है। परंतु इससे अलग गर्भगृह पूरी तरह से मकराना मार्बल से तैयार किया गया है। खूबसूरत बारीक नक्काशी से युक्त गर्भगृह अष्टकोणीय है। गर्भगृह का आकार, पत्थर व रोशनी को तय करने से पहले भी विशेषज्ञों की सलाह को आधार बनाया गया। ताकि रामलला के दर्शन के लिए पहुंचने वाले भक्तों को दिव्य अनुभूति हो सके।
गर्भगृह में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात पुजारी के अतिरिक्त किसी का भी प्रवेश वर्जित रहेगा। बताया जाता है कि इसके लिए मंदिर की खास नियमावली तैयार की गई है। इस नियम के अंतर्गत आने वाले वर्षो तक यह व्यवस्था रहेगी। पुजारियों की भर्ती के लिए विशेष साक्षातकार भी जारी है। 23 जनवरी से इन नियमों का सख्ती से पालन आरंभ हो जाएगा।
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