देखें अलौकिक अयोध्या के भव्य श्री राम मंदिर का अद्भुत निर्माण कार्य
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अयोध्याजी (ayodhya) की पावन धरा पर भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण कार्य ने समस्त भारतवर्ष तथा समस्त सनातनीयों के भीतर जोश भर रहा है, और ऐसा हो भी क्यों ना भगवान रामलला अपने मंदिर में 500 वर्षों पश्चात जो पधारने वाले हैं।
अयोध्याजी के श्रीराम जन्मभूमि में राममंदिर निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। राममंदिर के नींव के दूसरे चरण के अंतर्गत अभी राममंदिर के चबूतरे (प्लिंथ) का निर्माण संचालित है। तथा इस नींव के ऊपर 21 फीट ऊंचे चबूतरे का निर्माण सात लेयर में होना है।
आप यदि यह जानने के उत्सुक हैं कि चबुतरा अबतक कितना बना तो आपको बता दें कि चबूतरा अब तक छह फीट ऊंचा बन चुका है, दो लेयर ढाली जा चुकी है। जबकि अब तीसरी लेयर ढालने का कार्य संचालित है। अर्थात 21 फिर में से 6 फिट ऊंचा करने का कार्य पूर्ण हो चुका है। तथा चबूतरे का निर्माण कार्य जून तक पूरा करने का लक्ष्य है। कार्य में अधिक तीव्रता लाने के लिए ट्रस्ट ने श्रमिकों व मशीनों की संख्या बढ़ा दी है।
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जानकारी हेतु बता दें कि राममंदिर की 50 फीट गहरी नींव के ऊपर सबसे पहले इंजिनियर्ड फिल्ड मैटिरियल की लगभग 45 लेयर एक एक फुट की ढाली गई थी तत्पश्चात राफ्ट ढाली गई। और अब इस राफ्ट के ऊपर 21 फीट ऊंचा चबूतरा बनाया जा रहा है। इसी चबूतरे पर राममंदिर का गर्भगृह आकार लेगा। चबूतरा सात लेयरों में बनाया जाना है अब तक दो लेयर का काम पूरा हो चुका है।
यह भी बता दें कि इस चबूतरे पर ग्रेनाइट के पत्थरों की लेयर इसलिए बिछाई जा रही है। यह पत्थर पानी के रिसाव को सोखने में सक्षम होते हैं साथ ही मजबूत भी होते हैं। ऐसे में इन पत्थरों की सात लेयर रॉफ्ट के ऊपर ढाली जानी है। अब तक छह फीट ऊंची लेयर ढाली जा चुकी है। और एक लेयर तीन फीट ऊंची है।
पत्थरों को उठाकर रखने में चार टॉवर क्रेन का प्रयोग किया जा रहा है। ट्रस्ट का कहना है कि जून माह तक प्लिंथ निर्माण अर्थात चबूतरे का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके पश्चात गर्भगृह को आकार देने का कार्य आरंभ होगा। ऐसे में जुलाई माह से गर्भगृह को आकार देने का काम आरंभ हो सकता है।
जानकारी के लिए बता दें की गर्भगृह राजस्थान के वंशीपहाड़पुर के पत्थरों से बनेगा। गर्भगृह के लिए वंशीपहाड़पुर से पत्थरों की आपूर्ति भी आरंभ हो चुकी है। और अब तक 10 ट्रक पत्थर अर्थात लगभग 20 हजार घनफुट पत्थर आ चुके हैं, आपूर्ति का क्रम लगातार जारी है।
बता दें कि जून-जुुलाई से मानसून का महीना आरंभ हो जाएगा। ऐसे में राममंदिर के पश्चिम दिशा से आरंभ हुआ रिटेनिंग वॉल निर्माण का कार्य भी वर्षा से पहले पूूर्ण करने का लक्ष्य है। राममंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए 12 मीटर गहरी रिटेनिंग वॉल बनाई जा रही है। यह वॉल मंदिर के पश्चिम, दक्षिण व पूर्व तीन दिशा में बनेगी। अभी पश्चिम दिशा में काम चल रहा है जो कि पूरा होने वाला है।
जानकारी हेतु बता दें कि राममंदिर के निर्माण के लिए पत्थर तो परिसर पहुंच रहे है इसके साथ साथ पत्थर को तांबे से जोड़ा जाएगा। जिसके लिए लगभग 27 टन कॉपर की प्लेट मंदिर पहुंच गई है। क्योंकि राममंदिर के पत्थरों को आपस मे जोड़ने के लिए किसी मसाले का प्रयोग नहीं किया जाएगा। अपितु इन्हें कॉपर अर्थात तांबे से जोड़ा जाएगा। निर्माण एजेंसी का मानना है तांबे में जंग नहीं लगती और इसकी आयु भी लंबी होती है। इसलिए हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड से 35,360 तांबे की प्लेट जिसका कुल वजन 27 टन है। उसे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंगा कर रख लिया है। पत्थरों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए 70 हजार प्लेटें लगेगीं। यह सभी प्लेटें उड़ीसा से मंगाई गई है। जिसकी जानकारी हमने आपको पहले दिये थे।
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बता दें कि भूतल के पत्थर श्री राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला में काफी दिन पहले तराशे जा चुके है। तथा मंदिर का विस्तार होने के कारण शेष तल के पत्थर राजस्थान की कार्यशाला में तराशे जा रहे हैं। एवं उनमें से जितने पत्थरों की नक्काशी पूरी होती जा रही है उन्हें मंगा लिया जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि सुरक्षा के दृष्टि से तराशे गए मंदिर के पत्थर कंटेनर में बंद करके मंगाए जा रहे हैं। कुछ दिन पूर्व 12 कंटेनर तराशे हुए पत्थर राम जन्मभूमि परिसर पहुंचे थे। यह सभी पत्थर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से आ रहे हैं। इनकी विशेषता यह है कि यह सभी गुलाबी रंग के हैं। जैसे ही नींव का काम पूरा हो जाएगा। तुरंत इन पत्थरों को लगाने का कार्य आरंभ हो जाएगा।
श्री राम मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से भी सुरक्षित रखा जा सके इसलिए इसके लिए वैज्ञानिक पद्धति और नीतियों का भी प्रयोग भलिभांत दिखाई दे रहा है भूमि के नीचे से मंदिर की रक्षा के लिए एक मोटी दीवार बनाई जा रही है जिसे रिटेनिंग वाल कहा जाता है तो वही आकाश से गिरने वाली बिजलियों से सुरक्षा मिले इसलिए मंदिर निर्माण में तांबे का भी प्रयोग किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि तांबे की छड़ों के कारण गिरने वाले आकाशीय बिजली का प्रभाव कम हो जाता है। इसके कारण हानी की भी आशंका कम होती हैं।
यदि आपको हम राममंदिर की मुख्य संरचना की जानकारी दें तो बता दें कि इसका कुल क्षेत्र फल 2.7 एकड़ है।
– कुल निर्मित क्षेत्र 57400 स्क्वायर फीट
– मंदिर की लंबाई 360 फीट
– मंदिर की चौड़ाई 235 फीट
– मंदिर की ऊंचाई 161 फीट
– कुल तलों की संख्या 03 है
– प्रत्येक तल की ऊंचाई 20 फीट
– मंदिर के भूतल के स्तंभों की संख्या 160
– मंदिर के प्रथम तल में स्तंभों की संख्या 132
– मंदिर के दूसरे तल में स्तंभों की संख्या 74
– मंदिर में शिखर एवं मंडपों की संख्या 05
– मंदिर में द्वारों की संख्या 12 है
बता दें कि मंदिर के सामने के प्रवेश द्वार को सिंहद्वार कहा जाएगा। जहां पर से 32 सीढ़ियां चढ़ने के पश्चात रामलला के दर्शन होंगे।
– गर्भगृह में बाल रूप में श्रीराम विराजमान होंगे
– प्रथम तल पर रामदरबार स्थापित किया जाएगा
– दूसरा तल अभी खाली छोड़ा गया है।
– गर्भगृह के शिखर के पीछे सीता रसाई में रामलला का भोग प्रसाद बनेगा
– प्रवेश द्वार के दाहिने गणेश जी का मंदिर
– प्रवेश द्वार के बाएं हनुमान जी का मंदिर
– मुख्य मंदिर के पीछे के बांए व दाहिने शिखर पर भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न विराजेंगे
– मंदिर के किनारे मुख्य भवन के अंदर-बाहर प्रदक्षिणा पथ होगा।
– प्रदक्षिण पथ पर एक साथ पांच हजार भक्त परिक्रमा कर सकेंगे
– मुख्य मंदिर के पिछले भाग में परिसर के भीतर शेषावतार मंदिर होगा
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इसके अतिरिक्त यह भी बता दें कि राममंदिर परिसर का निर्माण लौहरहित है। अर्थात इसके निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं है। अपितु प्राकृतिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग हो रहा है।
तथा आने वाले समय में मंदिर में अपशिष्ट पदार्थ का समुचित प्रबंध होगा, मंदिर में हाईटेक प्रकाश व्यवस्था होगी इसके अतिरिक्त भूमिगत जल प्रबंधन, त्रि-स्तरीय वृक्षारोपण, पुष्पवाटिका और नक्षत्रवाटिका भी होगा।
सुविधा व व्यवस्था हेतु सुरक्षा प्रबंधन संकुल, बहुतलीय वाहन पार्किंग, सुरक्षित अमानती घर, स्वाचालित सीढ़ियां, लिफ्ट, आपातकालीन चिकित्सा सहायता केंद्र, बैंक, एटीएम आदि भी रहेंगे।
तथा मंदिर के अतिरिक्त बहुआयामी चलचित्र शाला, आदर्श गोशाला, यज्ञशाला, तीर्थयात्री वृहद अन्नक्षेत्र, रामलीला केंद्र, 360 डिग्री थियेटर, प्रोजेक्शन थियेटर आदि भी बनेंगे।
ट्रस्ट की योजना दिसंबर 2023 तक श्री राम जन्मभूमि मंदिर की पहली मंजिल तैयार कर रामलला को गर्भगृह में स्थापित करने की है। जिसके पश्चात दर्शनार्थियों के लिए मंदिर खोल दिया जाएगा और 2025 तक राम जन्मभूमि परिसर में भव्य और दिव्य राम मंदिर पुर्ण रूप से बनकर तैयार हो जाएगा।
मित्रों यदि आपको उपरोक्त अयोध्या के श्री राम मंदिर निर्माण की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो जय श्री राम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।
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