CM योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्यवासिनी धाम कॉरिडोर प्रोजेक्ट अपने सुपर स्पीड में
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वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की सौगात के पश्चात अति शीघ्र अब काशी क्षेत्र में ही श्रद्धालुओं को CM योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्याचल धाम कॉरिडोर (Vindhyachal Corridor) की सौगात मिलने वाली है।
विंध्याचल धाम की महत्ता बताने के लिए आपको बता दें कि मार्कंडेय पुराण के अनुसार राक्षस महिषासुर का वध माता ने यहीं किया था तथा इस स्थान से होकर गंगा नदी ही नहीं बहती अपितु भारतीय मानक समय अर्थात IST भी होकर के गुजरती है। एवं विंध्य पर्वत श्रृंखला का यह सबसे महत्वपूर्ण स्थान भी है।
विंध्य कॉरिडोर परियोजना की जानकारी देने हेतु बता दें कि 30 अक्टूबर 2020 को योगी कैबिनेट ने इसे स्वीकृति दी थी और नवंबर 2020 में अधिग्रहण और ध्वस्तीकरण का काम आरंभ हो गया था। 1 अगस्त 2021 में गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिलान्यास किया था। तथा इस प्रोजेक्ट की लागत है लगभग 331 करोड़ रुपये जिसका उद्देश्य है विंध्याचल मंदिर का चहुमुखी विकास एवं श्रद्धालुओं को सुविधा के साथ पर्यटन को बढ़ावा देना।
इस परियोजना में यहाँ के गंगा तट व विंध्यवासिनी मंदिर से लेकर विंध्य पर्वत तक का विकास सम्मिलित है। जिसमें की विंध्यवासिनी मंदिर के चारों ओर परिक्रमा पथ के निर्माण के अतिरिक्त मंदिर तक आने वाले सभी मार्गों को संवारा जाना है तथा गंगा घाटों का निर्माण आदि भी सम्मिलित है।
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आपको हम बता दें कि वर्ष 2020 से पहले तक यह मंदिर चारों ओर से निजी मकानों से घिरा हुआ था तथा यहां आने के लिए भी 5 से 8 फिट सकरी गलियां ही उपलब्ध थीं। परंतु CM योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत अब यहां 35-40 फिट के होंगे सभी मार्ग तथा 50 फिट चौड़े मंदिर परकोटा अर्थात परिक्रमा पथ का निर्माण व गंगा नदी से मंदिर का सुगम दर्शन भी सुनिश्चित है।
परियोजना की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि इस समय निर्माण कार्य तीव्र गति से संचालित है जिसकी आपको हम जानकारी देते हैं। विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर के चारों ओर विंध्य कॉरिडोर के निर्माण के अंतर्गत पिलर आदि बनाने के लिए गड्ढे खोदे गए हैं। एवं उसमें तीव्र गति से खंबों के लिए आधार का निर्माण जारी है जिनमें से कई सारे हो भी चुके हैं।
इस समय यहां पर जेसीबी मशीन की सहायता से भी कार्य किया जा रहा है वहीं गड्ढे में भी श्रमिकों की सहायता से कार्य संचालित है। दूसरी ओर यहां ऊपर में कई पिलर लग चुके हैं जिनपर की पानी डालकर पक्का भी किया जा रहा है। तथा आपको हम इन पत्थरों पर ऊंकेरी गई आकृति को भी दर्शाते हैं। तथा इन सभी पत्थरों को निर्माण काल के समयावधि में किसी भी प्रकार कि हानी से बचाने हेतु इन्हें प्लास्टिक से ढककर रखा गया है।
आपको हम मंदिर की पूरब की ओर हो रहे निर्माण कार्य जानकारी देते हैं। यहां पर इस ओर आवश्यक सभी पिलरों को भूमि पर स्थापित किया जा चुका है। तथा अब इनके ऊपर कलाकृत किए हुए पत्थरों को बिठाया जा रहा है। जिसमें की श्रमिकों व जेसीबी मशीन की सहायता ली जा रही है।
इन पत्थरों की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि विंध्य कॉरिडोर का निर्माण अहरौरा के गुलाबी पत्थरों से किया जा रहा है, जिसे राजस्थान के जयपुर के कुशल कारीगर इन पत्थरों को तराशने का काम कर रहें हैं। इसके अंतर्गत पत्थर की शिलाओं को मीरजापुर से पहले राजस्थान भेजा जा रहा है, वहां जयपुर में पत्थर को तराशने के पश्चात फिर इन्हें मीरजापुर वापस लाया जा रहा है।
बता दें कि मां विंध्यवासिनी मंदिर के सुंदरीकरण के लिए 331 करोड़ रुपये की विंध्य कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। तथा निर्माण कार्य पूर्ण होने पर मां विंध्यवासिनी मंदिर भी काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रकार से भव्य हो जाएगा। इन दिनों विकास कार्य जोरों पर है। कहीं पिलर बनाए जा रहे हैं तो कहीं गड्ढे खोदे जा रहे हैं। कुछ स्थान पर चट्टानें भी काटी जा रही हैं।
बता दें कि विंध्याचल में पूरी भूमि ही चट्टानी है। चाहे मंदिर के आसपास का क्षेत्र हो अथवा कहीं और का। ऊपर की सतह को छोड़कर लगभग एक मीटर के पश्चात से चट्टानें ही मिलने लगती हैं। कॉरिडोर के निर्माण के लिए कहीं मशीन से खोदाई हो रही है तो कहीं श्रमिकों से कार्य कराया जाता है।
चूंकि मां विंध्यवासिनी का मंदिर है तो श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आने के कारण पूरा मार्ग बंद नहीं किया जा सकता है। इसलिए सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य संचालित है।
जानकारी हेतु बता दें कि निर्माण कार्य के प्रथम चरण के अंतर्गत मंदिर परिसर और परिक्रमा पथ के साथ मंदिर की ओर जाने वाली गलियों को चौड़ा करने के लिए मार्ग मे पड़ने वाले मकान और दुकान को अधिग्रहण कर उनको तोड़ दिया गया है। जिसमें की ्भवन स्वामीयों को उसका क्षतिपूर्ति भी दे दिया गया है। 100 करोड़ रुपए से अधिक की क्षतिपूर्ति दिया भी जा चुका है। विंध्य कॉरिडोर के निर्माण को पूरा करने के लिए यहां पर 671 मकानों और 92 दुकानों को तोड़ा गया है। तथा अबतक परियोजना का लगभग 25% कार्य पूर्ण भी हो चुका है।
आपको हम लागत की अधिक जानकारी के लिए बता दें कि विंध्य कॉरिडोर परियोजना की कुल लागत 331 करोड़ रुपए है, परंतु अब कॉरिडोर के अंतर्गत काली खोह और अष्टभुजा मंदिर का निर्माण भी किया जाना है। वाहन पार्किंग और विश्रामालय बनाया जाएगा। इससे लागत बढ़ कर लगभग 500 करोड़ रुपए हो जाएगी।इस योजना में विंध्याचल धाम के चारों ओर 50 फीट चौड़ा अष्टकोणीय विंध्य परिक्रमा परिपथ बनाया जा रहा है। परिक्रमा पथ की लागत 19 करोड़ 41 लाख रुपए है।
धाम को जोड़ने वाले 4 मार्गों कोतवाली रोड, न्यू वीआईपी गली, पुरानी वीआईपी गली, गंगा घाट मार्गो को चौड़ा किया गया है। जिसमें की न्यू वीआईपी गली 35 फीट चौड़ी बनाई जा रही है, जिसकी अनुमानित लागत 6 करोड़ 62 लाख रुपए है।
पुरानी वीआईपी गली 40 फीट चौड़ी बनाई जा रही है, जिसकी लागत 15 करोड़ 67 लाख है। कोतवाली गली को 35 फीट चौड़ा किया जा रहा है, जिसकी लागत 2 करोड़ 35 लाख है।पक्का घाट की गली को 35 फीट चौड़ा किया जा रहा है, जिसकी लागत 9 करोड़ 2 लाख रुपए है।
यह निर्माण कार्य तीन चरणों मे पूरा होगा। निर्माण कार्य के लिए कुल 128 करोड़ की लागत वर्तमान की आंकी गई है। इसमें से पहली किश्त के रूप में 15 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए। पहले चरण के निर्माण के तहत न्यू वीआईपी सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है। पुरानी वीआईपी का भी लगभग 70 प्रतिशत का कार्य भी पूरा हो चुका है।
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आप यदि यह सोच रहे हैं कि यह परियोजना पूर्ण कबतक होगी तो हम आपको बता दें कि इसके पूर्ण होने की निर्धारित जो समय है, वह है दिसंबर 2023 अर्थात विंध्य कॉरिडोर का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य अगले वर्ष के अंत को रखा गया है। पहले यह तिथी 2022 का शारदीय नवरात्र था परंतु कोरोना काल के चलते कॉरिडोर के निर्माण में विलंब हुआ है।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री विंध्याचल कॉरिडोर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय मां विंध्यवासिनी अवश्य लिखें।
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