इतना भव्य बन रहा है अयोध्या में श्रीराम मंदिर का महापीठ
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अयोध्या (Ayodhya) में श्रीराम जन्मभूमि परिसर पर राम मंदिर निर्माण के लिए कार्य तेजी से जारी है। सबसे पहले आपको हम बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि में निर्माणाधीन राममंदिर (Ram Mandir) का लगभग 37 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। इस समय मंदिर निर्माण का तीसरा चरण संचालित है। इसमें रामलला के गर्भगृह को आकार देने का कार्य संचालित है।
गर्भगृह के साथ-साथ प्लिंथ व रिटेनिंग वाल का भी कार्य संचालित है। ट्रस्ट ने दिसंबर 2023 तक रामलला के गर्भगृह निर्माण का कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है।
बता दें कि नामी तकनीकी एजेंसियों के निर्देशन में बड़ी-बड़ी मशीनों के माध्यम से मंदिर निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। मंदिर निर्माण के दो चरण अब तक पूूरे हो चुके हैं। पहले चरण में राममंदिर की 50 फीट गहरी नींव तैयार हुई। दूसरे चरण में मंदिर की रॉफ्ट का काम पूरा हुआ। तथा अब तीसरे चरण में रामलला के घर निर्माण का काम संचालित है। इस प्रकार से मंदिर निर्माण का अब तक 37 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ.अनिल मिश्र के अनुसार प्लिंथ का कार्य सितंबर तक पूरा होगा। 21 फीट ऊंची मंदिर की प्लिंथ में ग्रेनाइट के कुल 17 हजार पत्थर लगने हैं। जिसमें से अब तक सात हजार से अधिक पत्थर लग चुके हैं। वहीं गर्भगृह में अभी महापीठ का निर्माण हो रहा है।
जानकारी हेतु बता दें कि जहां रामलला विराजमान होंगे उस भाग को महापीठ कहा जाता है। महापीठ निर्माण में अब तक 45 शिलाएं बिछाई जा चुकी हैं।
वहीं दूसरी ओर मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए बन रही सुरक्षा दीवार की नींव का काम पूरा होने के पश्चात अब पश्चिम दिशा में दीवार खड़ी करने का कार्य आरंभ हो चुका है। बता दें कि गर्भगृह के महापीठ जहां रामलला चारों भाईयों के साथ विराजमान होंगे। मंदिर के प्रथम तल पर ठीक महापीठ के ऊपर ही रामदरबार की स्थापना की जाएगी। राममंदिर के गर्भगृह में कुल 14 द्वार होंगे। दूसरे तल को अभी खाली छोड़ने का निर्णय लिया गया है।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें कि गोपुरम की तर्ज पर बनेगा मंदिर का मुख्य द्वार। जी हां राममंदिर का मुख्य द्वारा गोपुरम की तर्ज पर बनेगा। ऐसा हमारे कई दर्शकों ने भी मंशा रखी थी और अब वैसा ही होने वाला है।
बता दें कि यह मुख्य प्रवेश द्वारा पूर्व दिशा में होगा। गोपुुुरम दक्षिण शैली के मंदिरों में बनाए जाते हैं। दक्षिण के मंदिरों के प्रवेश द्वार को गोपुरम कहा जाता है। यह पिरामिड के आकार का होता है। राममंदिर का प्रवेश द्वार भी इसी शैली में बनाया जाएगा उत्तर भारत में इन्हें सिंहद्वार कहा जाता है। राममंदिर के प्रवेश द्वार में बेहतरीन शिल्पकारी व नक्काशी देखने को मिलेगी।
निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि अभी राममंदिर की प्लिंथ अर्थात चबूतरे का निर्माण कार्य लगभग 55% पूरा हो चुका है। तथा गर्भगृह व रिटेनिंग वाल का निर्माण चल रहा है। प्लिंथ में रोजाना 160 पत्थर लगाए जा रहे हैं। अगस्त के अंत तक प्लिंथ का काम पूरा हो जाएगा। वहीं गर्भगृह में अब तक 45 से अधिक पत्थर बिछाए जा चुके हैं जबकि रिटेनिंग वाल का निर्माण भी अंतिम चरण में है। पश्चिम दिशा में काम पूरा हो चुका है जबकि उत्तर व दक्षिण दिशा में अभी आधा काम हुआ है।
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अयोध्या श्री राम मंदिर के लिए बना नया मार्ग
बता दें कि रामजन्मभूमि परिसर में प्रवेश करते ही भक्तों को त्रेतायुग का अनुभूति हो इसकी व्यवस्था की जा रही है। रामकथा व देवी-देवताओं के चित्र द्वार की भव्यता बढ़ाएंगे। मंदिर परिसर के लैंड स्कैपिंग के लिए डिजाइनर बुलाए गये हैं।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण (ram mandir construction) के साथ जिस प्रकार से श्रद्धालुओं की संख्या में प्रतीदिन बढ़ोतरी हो रही है उसे देखते हुए श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंदिर परिसर में प्रतीदिन 5 लाख की श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर प्लान सज्ज कर रहा है। मंदिर में यात्री सुविधाओं का ले-आउट तैयार किया जा चुका है। एक साथ 25 हजार लोगों के लिए बैठने से लेकर पेयजल, प्रकाश आदि की व्यवस्था की जाएगी। इन सबके निर्माण कार्य के लिए शीघ्र ही विकास प्राधिकरण में मानचित्र पास कराने के लिए आवेदन किया जाएगा। यूपी की योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) सरकार भी कनेक्टिविटी को मानक के अनुरूप सुविधाजनक बनाने के लिए प्लान तैयार कर, उन पर कार्य आरंभ कर रही है।
इसके अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण जानकारी हेतु बता दें कि अयोध्या Ayodhya में बन रहे श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए काम में आने वाले बंशीपहाड़पुर के गुलाबी-लाल पत्थर का वैध खनन आरंभ हो गया हैं। इसके साथ ही बंशीपहाड़पुर के 37 मंशापत्रधारकोें को स्टेट एंवारयरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट कमेटी ने एनवायरमेंट क्लीयरेंस जारी कर दिया है। गुलाबी पत्थर का लगभग 26 वर्ष पश्चात वैध खनन आरंभ हुआ है। इससे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा वहीं नए निवेश की मार्ग भी प्रशस्त होगा।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इसी माह क्षेत्र में 3 खानों में गुलाबी और लाल पत्थर का वैध खनन कार्य आरंभ हो गया है। जुलाई के पहले पखवाड़े तक बंशीपहाड़पुर की शेष 34 मंशापत्र धारकों की ओर से भी खनन आरंभ कर दिया जाएगा। राजस्थान में खनिज क्षेत्र मेें यह बड़ी उपलब्धि है। इससे अब राज्य सरकार को राजस्व, नया निवेश और रोजगार के अवसर बढेंगे।
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बता दें कि बंशीपहाड़पुर में वैध खनन कार्य आरंभ कराना सरकार के लिए चुनौती भरा कार्य था। क्यों कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से दिसंबर 1996 से बिना डायवर्जन के गैर वानिकी कार्य प्रतिबंधित किए जाने से उक्त क्षेत्र में वैध खनन बंद हो गया था। देश विदेश में बंशीपहाड़पुर के पत्थर की मांग को देखते हुए क्षेत्र मेें अवैध खनन होने और आए दिन कानून व्यवस्था बाधित हो रही थी। जिसर अनके अथक प्रयासों से पहले अतिसंवेदनशील बंशीपहाड़पुर खनन क्षेत्र ब्लॉक ए व बी क्षेत्र को बंध बारेठा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र से बाहर करवाया गया और उसके पश्चात केन्द्र सरकार के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन भूमि के डायवर्जन की स्वीकृति जारी कराई गई।
भारत सरकार की स्वीकृति के साथ ही राज्य के माइंस विभाग ने बंशीपहाड़पुर में खनन ब्लॉक तैयार कर इनके ऑकशन की तैयारी आरंभ की गई। राज्य सरकार ने बंशीपहाड़पुर में 41 प्लॉट तैयार कर भारत सरकार के ई पोर्टल के माध्यम से ईनीलामी के पश्चात पहले कलस्टर क्लीयरेंस प्राप्त की गई। जिसके पश्चात अब 4 को छोड़कर सभी धारकों को स्टेट एन्वारयरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट कमेटी ने क्लीयरेंस जारी कर दी।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री राम मंदिर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री राम अवश्य लिखें।
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