अयोध्या के विकास ने पकड़ी रफ़्तार, ऐसे होगा अद्भुत कायाकल्प
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आजादी के सौवें वर्ष अर्थात 2047 में अयोध्या को विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बनाना केवल कल्पना नहीं है अपितु इस दिशा में सरकार ने गंभीर प्रयास भी आरंभ हो दिए हैं, और अयोध्या नगर को अब तक की सबसे बड़ी सौगात मिली है।
जैसा की हम सभी जानते हैं कि वर्तमान समय में अयोध्याजी की पावन धरा पर भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य हो रहा है जोकी केवल अयोध्या ही नहीं अपितु समस्त भारतवर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक विकास कार्य है, तथा इसके साथ ही अयोध्या भी वर्तमान काल के अपने अब तक के सबसे बड़े परिवर्तन की साक्षी बन रही है।
बता दें की अयोध्याजी की पावनता, पवित्रता व भव्यता को दुनिया देखे, इसके लिए भी केंद्र की मोदी सरकार तथा यूपी की योगी सरकार कई कार्य कर रही है। अयोध्या का संपूर्ण विकास कैसी हो इसके लिए विजन डॉक्यूमेंट भी तैयार किया गया है। यही नहीं अयोध्या में आवास विकास परिषद ने नई योजना बनाई है और इस योजना के अंतर्गत 1200 एकड़ में नव्य अयोध्या बनाने की तैयारी की जा रही है।
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परंतु इस दिशा में एक और कड़ी जुड़ गई है। और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अयोध्या को विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बनाने की परिकल्पना को साकार करने में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सबसे बड़ी पहल की है।
उन्होंने अपने विभाग से ही अकेले 20 हजार करोड़ की परियोजनाओं का प्रस्ताव तैयार करा दिया है। इन परियोजनाओं को शीघ्र धरातल पर उतारने में प्रशासन जुट गया है।
यही कारण है कि 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को न केवल राष्ट्रीय राजमार्ग की उपाधि मिली अपितु चार हजार करोड़ की लागत से 275 किलोमीटर के हाईवे के निर्माण को भी स्वीकृति मिल गयी है। इसके अतिरिक्त दस हजार करोड़ की लागत से वाया अयोध्या होकर गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग को छह लेन बनाने की परियोजना को भी हरी झंडी मिल गयी। इसके भी अतिरिक्त छह हजार करोड़ की लागत से लगभग 70 किलोमीटर लंबे रिंग रोड जिसे अब बाईपास रोड़ नाम दे दिया गया उसको तो केवल स्वीकृति ही नहीं मिली अपितु केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी छह जनवरी को इसकी आधारशिला भी रखेंगे।
बता दें की अयोध्या रिंग रोड अर्थात बाईपास रोड तीन जिलों अयोध्या, बस्ती और गोंडा से होकर गुजरेगी। तथा सबसे महत्वपूर्ण है कि इसका डीपीआर अहमदाबाद की कंपनी की ओर से तैयार भी कर लिया गया है जिसमें अधिग्रहीत भूमि की क्षतिपूर्ति भी सम्मिलित है।
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इसमें और अधिक जानकारी के लिए बता दें की एनएचआई के महाप्रबंधक ने तीनों जिलों के जिलाधिकारियों से क्षतिपूर्ति निर्धारित कराने को कहा है।
अयोध्या रिंग रोड अर्थात बाईपास रोड परियोजना की अधिक जानकारी के लिए बता दें की इसमें चार रेलवे ओवरब्रिज, सरयू नदी पर दो पुल और कुल पांच प्रमुख मार्गों पर निर्माण होने हैं।
रामनगरी के आउटर क्षेत्र से होकर बनने वाला रिंग रोड केवल यातायात सुविधा ही नहीं देगा, अपितु लखनऊ, गोरखपुर, आजमगढ़, प्रयागराज, रायबरेली और गोंडा जाने वाले हाईवे से जहां-जहां जुड़ेगा, उन छह स्थानों पर भव्य सुविधायुक्त आर्थिक जोन विकसित होगा।
इससे क्षेत्रों में तरक्की के साथ सरकार की ओर से आठ लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का भी लक्ष्य तय किया गया है। लखनऊ-गोरखपुर हाईवे पर यह स्थान घाटमपुर, रायबरेली हाईवे पर मऊयदुवंशपुर, प्रयागराज हाईवे पर मैनुद्दीनपुर, आजगमगढ़ हाईवे पर दशरथ समाधि स्थल के निकट, गोंडा जनपद के कटरा के नए पुल के निकट व रौनाही से गोंडा जाने वाले नए पुल के निकट इस स्थान को चिह्नित किया गया है।
इन सभी स्थानों को कामर्शियल जोन के रूप में विकसित किया जाएगा। लक्ष्य यह है कि इन सभी स्थानों पर अप्रत्यक्ष रूप से आठ लाख लोगों को रोजगार से जोड़ा जाएगा। सभी स्थानों पर भव्य गेट के साथ धर्मशालाएं भी बनाई जाएगी।
इन छह इकोनामिक जोन पर लगभग 1800 कमरों का यात्री निवास बनाए जाने का लक्ष्य है। साथ ही इन स्थानों को व्यावसायिक दृष्टि से अयोध्या विकास प्राधिकरण विकसित करेगा।
इसमें हाईवे व रिंग रोड को क्रास करने वाले स्थान को पूरी तरह से कॉमर्शियल बनाया जाना है। इसमें बड़े कारोबारियों से लेकर लघु व सूक्ष्म उद्योगों को स्थापित करने के साथ छोटे-छोटे दुकानदारों के लिए भी स्थान निर्धारित किया जाएगा। इन सबके अतिरिक्त प्राधिकरण अपनी आवासीय कॉलोनी भी विकसित करेगा।
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बता दें की अयोध्या के विकास का विजन डॉक्यूमेंट भी बनकर तैयार है। अयोध्या को सिर्फ विकसित ही नहीं किया जाना है, अपितु प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 12 लाख लोगों को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित है। इसमें चार लाख लोगों को सीधे तौर पर नौकरियां दी जानी है, जबकि आठ लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से कारोबार व रोजगार से जोड़ा जाना है। इसके लिए विजन डॉक्यूमेेंट में पूरा खाका तैयार किया गया है।
आउटर रिंग रोड के माध्यम से अयोध्या की सबसे बड़ी समस्या, भूमि की कमी को पूरा करने की तैयारी की गई है। रिंग रोड अयोध्या के चारों ओर 70 किमी. का होगी। रिंग रोड के आसपास के क्षेत्रों को दिल्ली की रोहिणी कॉलोनी के तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
जिस स्थान पर रिंग रोड नगर के अंदर आने वाले हाईवे गोरखपुर, लखनऊ, आजमगढ़, प्रयागराज, रायबरेली सहित गोंडा व बस्ती के क्षेत्रों को क्रॉस करेगी। उस स्थान को इकोनामिक जोन के रूप में विकसित किया जाएगा।
अयोध्या में राममंदिर का निर्माण पूर्ण होने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या दर्शन-पूजन को आएंगे। इसके लिए विजन डॉक्यूमेंट में पूरी तरह से व्यवस्था का निर्धारण किया गया है। तीन लाख श्रद्धालु व पर्यटकों के प्रतिदिन आने के आधार पर पूरा खाका तैैयार किया जा रहा है।
प्रतिदिन तीन लाख लोगों के आने से अयोध्या में व्यापार व रोजगार भी बढ़ेगा। इसको सुनियोजित ढंग से किए जाने पर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैैं।
विजन डॉक्यूमेंट में रिंग रोड के इलाके को पूरी तरह से रोजगार व व्यापार से जोड़ने का सुझाव दिया गया है। इन क्षेत्रों में इनोवेशन, मीडिया, हेल्थ व पर्यटन बिजनेस से जुड़े कार्यों की बात कही गई है।
इसके अतिरिक्त अब आपको 84 कोसी परिक्रमा मार्ग परियोजना की जानकारी के लिए बता दें की 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के लिए पीडब्ल्यूडी की एनएच विंग ने सर्वे पूरा कर लिया है। इस मार्ग से पौराणिक महत्व के 51 तीर्थ स्थल जुड़ेंगे। तथा इसकी लागत लगभग चार हजार करोड़ रुपए की होगी एवं इस परियोजना के लिए भूमि लेने का काम दिसंबर 2022 तक तय है। वर्तमान समय में अयोध्या, अम्बेडकरनगर, गोंडा, बाराबंकी और बस्ती से गुजरने वाला यह परिक्रमा मार्ग लगभग 233 किमी लंबा है। परंतु केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से बनाए जाने वाला नया परिक्रमा मार्ग 275 किमी लंबा होगा। इस नए मार्ग से पुरानी परिक्रमा मार्ग पर स्थित न केवल सभी तीर्थस्थल जोड़े जाएंगे, अपितु पुराने परिक्रमा मार्गों को भी ठीक किया जाएगा। इसके लिए चौड़ाई में 45 मीटर भूमि ली जाएगी।
सभी का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के पश्चात अयोध्या को प्राचीन गौरव वापस दिलाने का अभियान आरंभ हुआ है जो अब अपना रंग दिखाने लगा है। अयोध्या का भव्य दीपोत्सव हो, मंदिरों का जीर्णोद्धार हो या फिर गुप्तार घाट से ब्रह्म कुंड गुरुद्वारे तक सरयू नदी के किनारे पूरे क्षेत्र को आधुनिकता, वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता के संगम के रूप में विकसित करने की योजना हो, सभी कुछ इस प्रकार से हो रहा है कि अयोध्या की पुरानी भव्यता की झलक भी मिलेगी और श्रद्धालुओं को आधुनिक सुविधाओं से युक्त वातावरण भी मिल सकेगा।
मित्रों यदि उपरोक्त अयोध्या के विकास की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो जय श्री राम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।
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