श्री राम भक्तों को राम वन गमन मार्ग की बड़ी सौगात, निर्माण हुआ शुरू
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अयोध्याजी की पावन धरा पर भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है जो समस्त सनातनीयों के लिए किसी स्वप्न के पूरे होने जैसा है। तथा अब अयोध्या से लेकर चित्रकूट (Ayodhya to Chitrakoot) तक भगवान राम के वन गमन मार्ग (Ram Van Gaman Marg) के दिन भी बहुरने लगे हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, अयोध्याजी की पावन धरा कितनी महत्वपूर्ण है तथा भगवान श्री राम चंद्र की जन्मस्थली अयोध्याजी से ही श्री राम ने वनवास की कठोर यात्रा का आरंभ भी किया था एवं संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोया था। इसलिए भगवान श्री राम ने जिस मार्ग से अपने वनवास काल की यात्रा की थी वह संपूर्ण मार्ग राम वन गमन मार्ग कहलाता है। एवं इस मार्ग में अनेक ऐतिहासिक, धार्मिक व पौराणिक महत्व के अनेक साक्ष्य व स्थान उपलब्ध हैं। जो इस राम वन गमन मार्ग की महत्ता को परिभाषित करते हैं। जिसे की अत्याधुनिक फोरलेन मार्ग में परिवर्तित किया जा रहा है।
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आइए अब हम आपको इस परियोजना की जानकारी देते हैं। बता दें कि अयोध्या से वन गमन को चले भगवान श्रीराम के पग जहां-जहां पड़े थे, अब वहां राम वन गमन पथ बनाया जाएगा। इतिहास के अनुसार अयोध्या से श्रीलंका तक की 14 वर्ष की यात्रा में श्रीराम ने लगभग 3000 किमी की यात्रा किया। इस समयावधि में लगभग 248 ऐसे प्रमुख स्थल थे जहां उन्होंने या तो विश्राम किया या फिर उनसे उनका कोई संबंध जुड़ा। आज यह स्थान धार्मिक रूप में राम की वन यात्रा के रूप में स्मरण किए जाते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि यह योजना अर्थात राम वन गमन पथ बनाने की योजना लगभग डेढ़ दशक पुरानी है। उस समय प्रयागराज को बौद्ध और सिख सर्किट से जोड़ने की योजना थी। जिसमें कि राम वन गमन पथ तीसरा सर्किट था। तथा राम वन गमन पथ पर सस्ती सरकारी टूरिस्ट बस चलाने की योजना बनी थी। इसके पश्चात वर्ष 2015 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने रामायण सर्किट विकसित करने की घोषणा की था। जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार का प्रयास है कि श्रीलंका तक यह मार्ग बनाया जाए। वैसे उत्तर प्रदेश से पहले मध्य प्रदेश में राम वन गमन मार्ग का निर्माण कर दिया गया है।
अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश की तथा इस परियोजना की वर्तमान परिस्थिति की तो आपको बता दें कि चुनाव से पहले लोक निर्माण विभाग के नेशनल हाईवे खंड ने 177 किलोमीटर के फोर लेन राम वन गमन मार्ग का खाका तैयार कर लिया था। एवं अब उस पर कार्य आरंभ हो गया है। इस मार्ग के पहले फेज का कार्य 265 करोड़ में प्रतापगढ़ के मोहनगंज से औतारपुर तक 35 किलोमीटर का होगा। दूसरे फेज में 699 करोड़ की लागत से प्रयागराज के औतारपुर से सिंगरौर उपरहार तक 14 किलोमीटर की सड़क बनेगी। तीसरे फेज का काम 1125 करोड़ रुपये में होगा।
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इसी फेज में कौशांबी में 471 किसानों से 74.877 हेक्टेयर भूमि लेनी है, इसलिए यहीं से भूमि के अधिग्रहण का आरंभ किया गया है। यह भाग लगभग 30 किलोमीटर का है। इसी में श्रृंगवेरपुर में गंगा पर छह लेन का 12 सौ मीटर का पुल भी बनेगा। इस पुल काे पार करते ही कौशांबी जिला आरंभ हो जाएगा। तीसरे फेज का भाग कौशांबी में रोही गांव तक रहेगा। उसके पश्चात चौथे फेज में रोही से रम्पुरिया अव्वल तक सड़क का निर्माण होगा। पांचवें फेज में कौशांबी के रंपुरिया अव्वल से चित्रकूट जिले के चकला राजरानी तक और फिर आखिरी चरण में कामतानाथ पर्वत के निकट रैपुरा तक निर्माण होगा।
इस राम वन गमन मार्ग परियोजना की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी हेतु बता दें कि अयोध्या से चित्रकूट तक बनने वाले राम वन गमन मार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। कुछ महीनों पश्चात किसानों को इसकी क्षतिपूर्ति दिया जाएगा। क्षतिपूर्ति देने के पश्चात गंगा पर ब्रिज का निर्माण आरंभ हो जाएगा। 177 किलोमीटर के बनने वाले इस पथ के निर्माण में 4219 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
अब यदि इस परियोजना के पूर्ण होने की जानकारी दें तो आपको बता दें कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के अनुसार अभी अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ हुई है और दो वर्ष में राम वन गमन परियोजना का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
अब यदि इस परियोजना में होने वाले भूमि अधिग्रहण की अधिक जानकारी दें तो आपको बता दें कि भगवान राम वन जाते समय श्रृंगवेरपुर से गंगा पार करके काैशांबी के कुरई घाट पहुंचे थे। अब वहां जो पुल बनाया जाएगा, वह कुरई गांव के उत्तर में नदी किनारे मोहिद्दीनपुर गौस के क्षेत्र में गिरेगा। फिर वहां से राम वन गमन आरंभ होकर गंगा किनारे-किनारे आदमपुर नादिरअली, बसेढ़ी कछार, बसेढ़ी उपरहार, पट्टी नरवर, इब्राहिमपुर नौगीरा, पल्हाना उपरहार, धन्नी, सकाढ़ा उपरहार, सैंता से होते हुए असदउल्लापुर रोही में हाईवे पर यह मार्ग मिल जाएगा।
कौशांबी में श्रृंगवेरपुर का पुल जहां पर समाप्त होगा, वह गंगा का बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। इसके पश्चात मार्ग जिन गांवों से गुजरेगा, वह क्षेत्र भी प्रति वर्ष जलमग्न होता है। पीडब्ल्यूडी को यहां पर काफी ऊंचाई पर सड़क बनानी हाेगी और मिट्टी की भराई भी करानी होगी। सबसे महत्वपूर्ण है कि मोहिद्दीनपुर गौस से पल्हाना तक यह रोड बांध का काम करेगी।
अयोध्या से चित्रकूट के मध्य में राम वन गमन मार्ग पर पड़ने वाले कुछ प्रमुख स्थानों की जानकारी हेतु बता दें कि अयोध्या से 20 किमी दूर महादेवा घाट से दराबगंज तक वन-गमन यात्रा का 35 किलोमीटर है। यहां पहला पड़ाव रामचौरा पर श्री राम ने रात्रि विश्राम किया था। यूपी सरकार ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है।
तत्पश्चात गोमती नदी पार कर प्रयागराज से 20-22 किमी दूरी पर श्रृंगवेरपुर आता है। जो निषादराज गुह का राज्य है। श्रृंगवेरपुर को अब सिंगरौर भी कहते हैं।
इसके पश्चात सिंगरौर के निकट गंगा उस पार कुरई नामक स्थान है। यहां एक मंदिर है जिसमें राम, लक्ष्मण और सीताजी ने कुछ देर विश्राम किया था।
कुरई से आगे भगवान राम प्रयाग पहुंचे थे। संगम के समीप यमुना नदी पार कर यहां से वे चित्रकूट पहुंचे। यहां वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप आदि भी हैं।
इसके पश्चात चित्रकूट में श्रीराम के दुर्लभ प्रमाण हैं। यहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचे थे। यहीं से वह राम की चरण पादुका लेकर लौटे थे। एवं यहां पर भगवान राम ने साढ़े ग्यारह वर्ष प्रवास किया था। तथा वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश की यही सीमा है इसके पश्चात सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होते हुए भगवान श्री राम दंडकारण्य चले गये थे।
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छत्तीसगढ़ का बड़ा भाग ही प्राचीन समय का दंडकारण्य माना जाता है। अब उन स्थानों को भी नई सुविधाओं के साथ विकसित किया जा रहा है।
महत्वपूर्ण है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण आरंभ हो गया है। इसी के साथ ही भगवान राम के वन गमन मार्ग के निर्माण के लिए भी कार्य आरंभ हो गया है। सरकार अयोध्या से चित्रकूट तक मार्ग बनाएगी। छह चरणों में 177 किलोमीटर का फोरलेन राम वन गमन पथ का निर्माण (Ram Van Gaman Marg Project) किया जाना है। इस पर 4319 करोड़ रुपये की लागत आएगी। लोक निर्माण विभाग का नेशनल हाईवे खंड इसका निर्माण करेगा। इस मार्ग के बनने से धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
प्रयागराज में श्रृंगरपुर धाम से इस सड़क के निर्माण के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसी वर्ष जनवरी में आधारशिला रखी है।
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