खुशखबरी : प्रयागराज रोपवे परियोजना ने पकड़ी रफ़्तार
Prayagraj Ropeway : प्रयागराज भारत के सबसे पुराने नगरों में से एक है। यह प्राचीन ग्रंथों में ‘प्रयाग’ अथवा ‘तीर्थराज’ के नाम से जाना जाता है और इसे भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। इस नगर को संगम नगरी भी कहा जाता है क्योंकि यह तीन नदियों- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित है। प्रयागराज में इस धरती पर सबसे बड़े मेले महाकुंभ का आयोजन भी होता है।

इन्हीं महत्ता को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महाकुंभ 2025 के पहले संगम क्षेत्र में रोप-वे का निर्माण करने जा रही है। जिसपर अब कार्य ने गति पकड़ ली है।
आइए अब हम आपको प्रयागराज रोपवे परियोजना की विस्तृत जानकारी देते हैं। बता दें कि धर्म नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 से पहले रोप वे बनेगा। इसके लिए तैयारियां आरंभ कर दी गई है। संगम आने वाले पर्यटकों को इसके माध्यम से इस बार रमणीय और अलौकिक दृश्य देखने को मिलेंगे।
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बता दें कि दिल्ली से आई टीम ने रोपवे के लिए फीजिबिलिटी टेस्ट किया, जिसमें चार किलोमीटर से अधिक लंबा रोपवे बनाने का निर्णय लिया गया। सबसे पहले त्रिवेणी बांध स्थित शंकर विमान मंडपम से अरैल तक इसे बनाया जाएगा। महाकुंभ से पहले इसको चालू करने की योजना है।
इस काम को करने के लिए नेशनल हाईवेज लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) की टीम को चुना गया है। परियोजना पर सर्वे तथा डीपीआर बनाया जा चुका है।
रोप-वे का निर्माण होने से संगम क्षेत्र से अरैल तक की यात्रा मात्र पांच मिनट में पूरी हो जाएगी। वर्तमान समय में संगम क्षेत्र से नैनी की ओर जाने में कम से कम आधा घंटा से अधिक का समय लगता है।

प्रयागराज रोपवे परियोजना (Prayagraj Ropeway Project) की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इसके लिए झूंसी से अरैल के मध्य तीन रोपवे स्टेशन बनाए जाएंगे। और इस योजना पर लगभग 251 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
पर्यटन विभाग की ओर से इसका खाका प्रस्तुत किया गया है। इसके अनुसार झूंसी में उल्टा किला, अरैल में त्रिवेणी पुष्प परिसर के अतिरिक्त सोमेश्वर महादेव के पास रोपवे स्टेशन बनाए जाएंगे। परंतु सबसे पहले त्रिवेणी बांध स्थित शंकर विमान मंडपम से अरैल तक इसे बनाया जाएगा।
पर्यटन विभाग की इस योजना के अंतर्गत केबल कार से एक बार में 20-25 यात्री संगम दर्शन कर सकेंगे। इन स्टेशनों से मात्र 10 से 15 मिनट के भीतर पर्यटक संगम दर्शन कर सकेंगे। पीपीपी मॉडल पर तैयार होने वाली इस योजना के संचालन के लिए चुनिंदा और अनुभवी रोपवे संचालक कंपनियों से संपर्क किया गया है।
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परियोजना से जुड़े अधिकारियों की मानें तो इसे सीएम योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में देखा जा रहा है। पर्यटन विभाग की ओर से इसका पूरा खाका तैयार किया गया है। इस बार प्रयागराज आने वाले श्रद्धालु अब केबल कार के माध्यम से संगम, अक्षयवट व सरस्वती कूप सहित माघ मेला और कुंभ मेला का दर्शन कर सकेंगे।
परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 251 करोड़ की लागत से प्रयागराज रोपवे का अति शीघ्र होगी टेंडर प्रक्रिया। शंकर विमान मंडपम से त्रिवेणी पुष्प तक संगम क्षेत्र में रोप-वे के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात निर्माण आरंभ हो जाएगा। संगम क्षेत्र में 2200 मीटर रोपवे लंबाई रहेगी। इसके लिए 251 करोड़ रुपये का बजट खर्च किया जाएगा।
टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होने और कार्य आवंटित होने के 18 माह में रोप-वे का निर्माण पूरा किया जाएगा। निर्माण करने वाली एजेंसी नेशनल हाईवेज लाजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड एनएचएलएमएल के की ओर से टेंडर निकाल दिया गया है।

बता दें कि राजसी शंकर विमान मंडपम, जिसे शंकराचार्य मंदिर के नाम से जाना जाता है, यह प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम के उत्तर में स्थित है।
दक्षिण भारतीय शैली में बने चार मंजिलों वाले 130 फीट ऊंचे मंदिर में कुमारिल भट्ट, जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कामाक्षी देवी, तिरूपति बालाजी और सहस्त्रयोग लिंग की मूर्तियां हैं। जबकि त्रिवेणी पुष्प एक सुरम्य पर्यटक आकर्षण है जो प्रयागराज के नैनी में अरैल में यमुना के तट पर स्थित है।
चार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले त्रिवेणी पुष्प में त्रिवेणी संगम के संगम से दक्षिण-पूर्व दिशा में एक शानदार टॉवर वास्तुकला दिखाई देती है, जो 12 छोटे लॉन से घिरा हुआ है। त्रिवेणी पुष्प एक दर्शनीय स्थल और एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है, जहां कुंभ के समयावधि में लगभग सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल, यात्री और तीर्थयात्री आते हैं।
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बता दें कि रोपवे परियोजना केंद्र सरकार की पर्वतमाला योजना के अंतर्गत चलाई जा रही है, जो एक राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम है और पारंपरिक सड़कों के पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में कार्य करेगी। और एनएचएलएमएल को देश में योजना के अंतर्गत रोपवे परियोजनाएं विकसित करने का काम सौंपा गया है।
विशेष रूप से, यह उत्तर प्रदेश में पर्वतमाला योजना के अंतर्गत विकसित होने वाली दूसरी रोपवे परियोजना होगी।
पहली है (Varanasi Ropeway) वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन और गोदौलिया चौक के मध्य 3.8 किलोमीटर लंबा रोपवे, जो वर्तमान में निर्माणाधीन है। 645 करोड़ रुपये की वाराणसी रोपवे परियोजना को पूरा करने की समय सीमा 18 महीने है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष 24 मार्च को इस महत्वाकांक्षी परियोजना की नींव रखी थी। जिसकी जानकारी हमारे चैनल पर उपलब्ध है।

प्रयागराज रोपवे परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि एनएचएलएमएल ने इस संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र सुरक्षित करने के लिए सेना, सिंचाई विभाग और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को भी पत्र भेजा है।
प्रयागराज, महाकुंभ-2025 में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए रोपवे की सवारी सुनिश्चित करने के लिए, नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) ने रोपवे के विकास, संचालन और रखरखाव के लिए एक निविदा जारी की है।
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दोनों स्थानों को जोड़ने वाले 2.2 किलोमीटर लंबे रोपवे का निर्माण हाइब्रिड वार्षिकी मोड (एचएएम) के अंतर्गत ₹251.05 करोड़ की लागत से किया जाएगा।
योजना के अनुसार, रोपवे राजसी शंकर विमान मंडपम के निकट से आरंभ होगा जो त्रिवेणी संगम – गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के पवित्र संगम के निकट स्थित है। दूसरी ओर रोपवे संगम नगरी के नैनी क्षेत्र के अरैल में यमुना के तट पर स्थित सुरम्य पर्यटक आकर्षण त्रिवेणी पुष्प के पास समाप्त होगा।

जानकारी हेतु बता दें कि बीते कुंभ में 113 देशों से श्रद्धालु यहां आए थे। और मुख्यमंत्री ने वर्ष 2025 के महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई है।
महत्वपूर्ण है कि महाकुंभ का धार्मिक आयोजन जिसे कि हम महाकुंभ मेले नाम से भी जानते हैं। इसकी मान्यता बहुत ही अधिक है और महाकुंभ मेले के अवसर पर प्रत्येक सनातनी प्रयागराज पहुंचकर संगम में स्नान करना चाहता है। तथा महाकुंभ आयोजन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दृष्टि सदैव बनी रहती है और वे इसके भव्य व सुविधाजनक आयोजन के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इसी कारण से योगी राज में यह धार्मिक आयोजन प्रत्येक वर्ष अपने विराट व भव्य स्वरूप में सभी अभिलाषीयों के आस्था का निर्वाहन करने में सक्षम होता है।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई प्रयागराज रोपवे परियोजना की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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