अचंभित कर देगा अयोध्या का श्री राम मंदिर निर्माण
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Ayodhya Ram Mandir Nirman : भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में उनके जन्मस्थान पर लगभग 5 शताब्दियों के पश्चात ऐसा पल आने वाला है, जिसका साक्षी संपूर्ण देश बनेगा। राममंदिर के भूतल की छत का कार्य पूर्ण हो चुका है। अब राममंदिर के फर्श निर्माण की तैयारी तीव्र गति से संचालित हैं। इसके लिए फर्श की मैपिंग की जा रही है। राममंदिर की फर्श मकराना के संगमरमर से सजेगी। फर्श में कुल 95,300 वर्गफीट संगमरमर का प्रयोग किया जाएगा।
बताया गया कि फर्श में जो संगमरमर लगेगा उसकी मोटाई 35 एमएम होगी। फर्श में विभिन्न आकार के संगमरमर लगेंगे, जिसके लिए इंजीनियर मैपिंग करने में जुटे हैं। संगमरमर की सुंदरता बढ़ाने के लिए इस पर इन-ले-वर्क किया जा रहा है।
बता दें कि इन-ले-वर्क में मार्बल की खोदाई कर उसमें कलर स्टोन लगाया जाता है। कलर स्टोन से फूल पत्तियों व रंग-बिरंगी चित्रकारी को सफेद मार्बल पर उकेरा जाता है। फर्श पर जड़ने के पश्चात यह किसी भी इमारत की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देती है।
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राममंदिर ट्रस्ट के अनुसार मंदिर की फर्श के लिए लगभग 95300 वर्गफीट संगमरमर की आपूर्ति हो चुकी है। तथा भूतल का काम पूरा हो चुका है। शीघ्र ही फर्श का काम आरंभ होगा। वहीं प्रथम तल के गुंबद आदि के निर्माण की भी तैयारी आरंभ हो चुकी हैं।
इस वर्ष के अंत तक अर्थात कि 31 दिसंबर तक मंदिर के भूतल का कार्य समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए कार्य तीव्र गति से संचालित है। भगवान राम के इस मंदिर को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए विभिन्न राज्य के कारीगर लगे हुए है।
मंदिर निर्माण के लिए देशभर से आये कारीगरश्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे इस भव्य मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होते ही विश्व के सबसे बड़े तीन मंदिर की लिस्ट में इस मंदिर का नाम शुमार हो जायेगा। मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर के माध्यम से संपूर्ण भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोया जा रहा है।
बता दें कि रामलला की मूर्ति निर्माण के लिए पत्थर को कर्नाटक व राजस्थान लाया गया है। मंदिर के भवन में लगने वाले पत्थरों पर खूबसूरत नक्काशी का काम राजस्थान के कारीगर कर रहे हैं, वहीं दरवाजे व खिड़कियों के लिए लकड़ियां मराठा भूमि महाराष्ट्र से मंगवाई गई। इसके अतिरिक्त लकड़ी का काम हैदराबाद के कारीगरों द्वारा किया जाएगा। अभी जो पहले फ्लोर और नींव लगाने से लेकर पिलर खड़े करने का कार्य तमिलनाडु के कारीगरों के सहयोग से हो रहा है।
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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार संपूर्ण विश्व को दो वर्ष पश्चात यह पता लगेगा कि इस मंदिर में संपूर्ण भारत के सभी राज्यों का किसी ना किसी प्रकार से योगदान रहा।
इसके अतिरिक्त हम आपको मंदिर के छत का निर्माण कार्य की जानकारी देने हेतु बता दें कि ट्रस्ट के अनुसार इस समय तक मंदिर के प्रथम तल और छत का निर्माण का कार्य पूरा हो गया है। अब खम्भों व दीवारों पर मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
इस वर्ष के अंत तक निर्माणाधीन मंदिर की फिनिशिंग से लेकर मंदिर की छत ढलाई तक सभी कार्य पूरा होना है। इसके साथ ही पूरा फोकस मंदिर के खम्भों पर मूर्तियों को उकेरने को लेकर है। मंदिर में हर खम्भे पर ऊपर से लेकर नीचे तक 3600 देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी जाएगी। इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी भी की जानी है।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि खम्भे पर बनने वाली हर मूर्ति को अंतिम स्वरूप देने में लगता है 45 दिन का समय। जी हां, प्रत्येक खम्भे पर बनने वाली हर मूर्ति को फाइनल स्वरूप देने के लिए एक कारीगर को लगभग 45 दिन का समय लगता है। इसलिए मंदिर निर्माण समिति के सदस्य नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में कार्य की हर माह की आखिरी गुरुवार और शुक्रवार को समीक्षा होती है ताकि वर्ष 2024 के जनवरी महीने तक रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के सभी कार्य पूरे हो सके।
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वर्तमान समय में यात्री सुविधा केंद्र का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इसकी पहली छत भी पड़ गई है। राम मंदिर की खिड़कियों और दरवाजों का निर्माण महाराष्ट्र की सागौन की लकड़ी से आरंभ हो गया है। द्वारों पर सुंदर नक्काशी का कार्य तमिलनाडु से आई कारीगरों की टीम कर रही है। दरवाजे के निर्माण की दायित्व हैदराबाद की कंपनी अनुराधा टिंबर को सौंपा गया है। कंपनी ने प्रारंभिक तौर पर कार्य आरंभ कर दिया है।
यह भी बता दें कि मंदिर के 70 एकड़ परिसर में लगभग 2 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करवाया जाएगा। इसके निर्माण और इस पर लगने वाली सुंदर लाइटिंग के बारे में भी फाइनल निर्णय किया गया है।
यही नहीं, रामनगरी अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर के अतिरिक्त भी कई आकर्षण के केंद्र दूर-दूर से आन वाले भक्तों के लिए सज्ज किए जाएंगे। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सत्तर एकड़ परिक्षेत्र में भक्तों के पूजा अर्चना, कर्मकांड, ध्यान, ज्ञानार्जन के साथ ही आराम का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। मुख्य मंदिर के निर्माण पूरा होने के पश्चात ही इस पर कार्य आरंभ होगा।
54 हजार वर्ग फिट क्षेत्र में बन रहे राममंदिर के गर्भगृह का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। गर्भगृह की छत के पश्चात अब अंदर की फर्श का कार्य आरंभ होने वाला है। अगले वर्ष जनवरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी। मंदिर के परकोटे के छह स्थान पर मंदिरों की स्थापना की जाएगी। दर्शन आरंभ हो जाने के पश्चात इनके निर्माण की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। तथा 2025 तक सभी निर्माण पूरे करने का लक्ष्य है।
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इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि प्रशासन लोकार्पण के पहले श्री राममंदिर और आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा पुख्ता करने की रणनीति पर काम कर रहा है। मंदिर को हवाई हमले से सुरक्षित रखने सहित सरयू नदी और भूमि से सुरक्षा का खाका खींचा गया है। बता दें कि मंदिर के बाहर की सुरक्षा का दायित्व प्रशासन का है। रामलला के मंदिर के अंदर की व्यवस्था ट्रस्ट देखेगा। प्रशासन के अफसर अंदर की सुरक्षा में भी समन्वय करेंगे।
मंदिर के बाहर अर्धसैनिक बलों (सीआरपीएफ) सहित अन्य फोर्स की तैनाती होगी। हवाई सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक संयंत्र और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। फायर सेफ्टी, बोलार्ट, बुलेट प्रूफ जैकेट, सर्च लाइट लगाई जाएगी। राममंदिर के पास से बहने वाली सरयू नदी की तरफ से भी सुरक्षा पर फोकस है। रामलला के मंदिर की सुरक्षा प्लान पर लगभग 38 करोड़ रुपये खर्च होंगे। धनराशि स्वीकृत हो गई है।
जैसा कि आप जानते हैं कि 5 अगस्त 2020 को पूरे देश में एलईडी स्क्रीन के माध्यम से रामलला के मंदिर निर्माण की आधारशिला को दिखाया गया था। वहीं अब रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को पूरे देश में एलईडी स्क्रीन के माध्यम से सीधा प्रसारण दिखाया जाएगा।
हर घर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का प्रसाद बांटा जाएगा। इतना ही नहीं पूरे देश के 5 लाख मठ मंदिरों में 10 दिन पहले से ही भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को प्रारंभ कर दिया जाएगा। देश के हर राम भक्तों के घर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का प्रसाद वितरित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समयावधि में अयेाध्या में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भी लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। उनके ठहरने और भोजन की व्यवस्था भी मंदिर ट्रस्ट की ओर से तैयारी चल रही है।
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