देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना ने पकड़ी भयंकर रफ़्तार
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मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना (Mumbai Ahmedabad Bullet Train project) को लेकर वर्तमान सरकारें अत्यंत तीव्रता के साथ कार्य कर रही है। सबसे पहले बात करेंगे बुलेट ट्रेन परियाेजना में प्राप्त की गई उपलब्धियों की।
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Mumbai Ahmedabad Bullet Train: भारत के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के पहले फेज का काम तेजी से जारी है। इसमें 100 किमी का पुल तैयार हो चुका है। 250 किमी तक पिलर खड़े किए जा चुके हैं। देश की पहली बुलेट ट्रेन मुंबई से कर्णावती के मध्य चलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी PM शिंजो आबे ने 14 सितंबर 2017 को कर्णावती में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। इस प्रोजेक्ट का नाम मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर रखा गया है।
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निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ( NHSRCL) के अनुसार बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के अंतर्गत 40 मीटर लंबे फुल स्पैन बॉक्स गर्डर्स और सेगमेंट गर्डर्स को जोड़कर 100 किमी तक वायडक्ट (Viaduct) का निर्माण किया जा चुका है।
बता दें कि वायडक्ट एक पुल जैसा स्ट्रक्चर होता है, जो दो पिलर को आपस में जोड़ता है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत गुजरात की 6 नदियों पार (वलसाड जिला), पूर्णा (नवसारी जिला), मिंधोला (नवसारी जिला), अंबिका (नवसारी जिला), औरंगा (वलसाड जिला) और वेंगानिया (नवसारी जिला) पर पुल का निर्माण हो रहा है।
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यही नहीं गुजरात के वलसाड जिले में 350 मीटर की पहली पहाड़ी सुरंग को तोड़ने का काम पूरा हो चुका है। 70 मीटर लंबाई का पहला स्टील पुल गुजरात के सूरत जिले में बनाया गया है। यह उन 28 स्टील पुलों में से पहला है, जो मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर (MAHSR) का भाग होगा।
मुंबई-कर्णावत के मध्य चलने वाली बुलेट ट्रेन 508 किमी की यात्रा तीन घंटे में तय करेगी। अभी दुरंतो दोनों नगरों के मध्य की यात्रा साढ़े पांच घंटे में तय करती है।
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बता दें कि मुंबई-अहमदाबाद रूट पर बुलेट ट्रेन की अधिकतम गति 350 किमी/घंटा होगी। अभी मुंबई-अहमदाबाद के मध्य साधारण रेल से दूरी 7-8 घंटे की है। परंतु यदि बुलेट ट्रेन 12 स्टेशनों पर रुकेगी तो 3 घंटे में 508 किमी की यात्रा पूरी करेगी। अर्थात औसत गति 170 किमी/घंटा होगी।
स्टेशनों की जानकारी देने हेतु बता दें कि इस रूट पर 12 स्टेशन मुंबई, ठाणे, विरार, भोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वड़ोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती हो सकते हैं। इनमें मुंबई स्टेशन अंडरग्राउंड होगा।
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यही नहीं सबसे महत्वपूर्ण है कि 508 किमी के रूट में से 351 किमी भाग गुजरात और 157 किमी भाग महाराष्ट्र से गुजरेगा। कुल 92% अर्थात 468 किमी लंबा ट्रैक एलिवेटेड रहेगा। और मुंबई में 7 किमी का भाग समुद्र के भीतर होगा। कुल 25 किमी का रूट सुरंग से गुजरेगा। जिसमें 13 किमी भाग भूमि पर होगा। बुलेट ट्रेन 70 हाईवे, 21 नदियां पार करेगी। 173 बड़े और 201 छोटे ब्रिज बनेंगे।
आरंभ में 10 कोच वाली 35 बुलेट ट्रेनों से होगी। ये ट्रेनें प्रतिदिन 70 फेरे लगाएंगी। एक बुलेट ट्रेन में 750 लोग बैठ सकेंगे। तत्पश्चात में 1200 लोगों के लिए 16 कोच हो जाएंगे। 2050 तक इन ट्रेनों की संख्या बढ़ाकर 105 करने की योजना है।
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यह भी बता दें कि पहले बुलेट ट्रेन साल 2022 तक चलाए जाने का टारगेट था। फिर इसे बढ़ाकर 2023 किया गया। इसके बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अब 2026 तक इसके चालू होने की आशा है। इस प्रोजेक्ट में भारत को जापान से सहायता मिल रही है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, सूरत से बिलिमोरा के बीच पहली बुलेट ट्रेन चलाने का टारगेट रखा गया है। ऐसा होते ही भारत 15 देशों के एलीट क्लब में सम्मिलित हो जाएगा, जिनके पास हाईस्पीड ट्रेन नेटवर्क है।
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बता दें कि मुम्बई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कोरिडोर देश के पश्चिमी भाग में तटीय क्षेत्रों से होकर गुजरेगा, जहां कुछ क्षेत्रों में हवा की गति विशेष रूप से अधिक रहती है। इन तेज हवाओं का प्रभाव ट्रेन परिचालन पर पड़ सकता है। इस समस्या के निवारण के लिये 14 स्थानों पर (गुजरात में 09 एवं महराष्ट्र में 05) स्थित पुलों पर एनेमोमीटर लगाने के लिये चिन्ह्ति किया गया है।
नदी पर बने पुलों तथा अचानक और तेज हवा की संभावना वाले क्षेत्रों पर ये उपकरण (डिवाइस) विशेष रूप से हवा के गति की निगरानी करेंगे। ये स्थान गुजरात के दमन गंगा नदी, पार नदी, नवसरीसुबर्ब, तापी नदी, नर्मदा नदी, भरोच-बड़ोदरा रेल खंड के मध्य में माही नदी, बरेजा, साबरमती नदी तथा महाराष्ट्र में देसाई खादी, उल्हास नदी, बंगला पाड़ा, वैतरना नदी एवं दहनुसुवर्व में चिन्ह्ति किये गये है।
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एनेमोमीटर एक प्रकार की आपदा निवारण प्रणाली है, जिसे जीरो से 360 डिग्री तक जीरो से 252 किमी. प्रतिघंटा की सीमा के अन्दर वास्तविक समय में हवा की गति का डेटा प्रदान करने के लिये तैयार किया गया है। यदि हवा की गति 72 से 130 किमी. प्रतिघंटा होती है, तो तद्नुसार ट्रेन की गति निर्धारित की जायेगी। विभिन्न स्थानों पर स्थापित एनेमोमीटर के माध्यम से आपरेशन कंट्रोल सेन्टर हवा की निगरानी करेगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने का है कि यह प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है। मुंबई से कर्णावती तक का पहला बुलेट ट्रेन कॉरिडोर अर्थव्यवस्था के एकीकरण में सहायता करेगा। रेल मंत्री ने कहा कि बुलेट ट्रेन आरंभ होने के बाद मुंबई, ठाणे, वापी, बड़ोदा, सूरत, आनंद और अहमदाबाद की अर्थव्यवस्था एक हो जाएगी।
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बुलेट ट्रेन के किराए को लेकर रेल मंत्री ने कहा कि, विश्व में जहां-जहां बुलेट ट्रेनें चल रही हैं, वहां 90 प्रतिशत लोग दूर की यात्रा के लिए बुलेट ट्रेन का प्रयोग कर रहे हैं। इसका अर्थ है कि बुलेट ट्रेन का किराया हवाई किराए से बहुत सस्ता होगा। बता दें कि मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर पर नवंबर 2021 में काम शुरू हुआ था और यह लगातार चल रहा है। पहले एक किलोमीटर के वायडक्ट का काम 6 महीने में पूरा हुआ था परंतु उसके बाद अप्रैल 2023 तक 50 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका था।
इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 1,08 लाख करोड़ रुपये है। इसमें से 10 हजार करोड़ केंद्र सरकार खर्च कर रही है। महाराष्ट्र और गुजरात की सरकार 5-5 हजार करोड़ का योगदान देगी। बाकी की फंडिंग से लोन लेकर हो रही है। इसका इंटरेस्ट रेट केवल 0.1 पसेंट है।
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बता दें कि देश में बुलेट ट्रेन की प्रतीक्षा लंबे समय से हो रही है। परंतु अब यह प्रतीक्षा शीघ्र ही समाप्त होने वाली है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि वर्ष 2026 में गुजरात के सूरत से बिलीमोरा तक बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
रेल मंत्री ने दावा किया कि अन्य देशों में 500 किलोमीटर के बीच बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 20 वर्ष लग जाते हैं, परंतु भारत में यह काम आठ से 10 वर्ष में ही पूरा कर लिया जाएगा।
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भारत इसके लिए इस महीने के आखिरी तक जापान से ई5 सीरीज की छह बुलेट ट्रेनों की क्रय की जाएगी। यात्रा को 100 प्रतिशत सुरक्षित बनाने के लिए तकनीक को अपडेट कर ऑटोमेशन ट्रेन प्रोटेक्शन का तेजी से विस्तार किया जा रहा है।
यही नहीं मुंबई में देश की पहली हाई स्पीड ट्रेन के लिए टनल बोरिंग मशीन का कार्य भी आरंभ हो चुका है। जिससे मुंबई में 21 किमी भाग का टनल बनेगा तथा इसमें 7 किमी का वो भी सेक्शन है, जो समंदर से गुजरेगा। यह इस परियोजना का सबसे गहराई वाला भाग होगा। यहां भूमि से लगभग 50 मीटर गहराई में टीबीएम से बोरिंग आरंभ हो रही है। मुंबई में कुल तीन स्थानों पर शाफ्ट बनाकर टीबीएम से ड्रिलिंग आरंभ होगी। पहली टीबीएम दिसंबर, 2024 से बोरिंग का काम आरंभ करेगी। बताया जा रहा है कि केवल ड्रिलिंग के काम में लगभग 6 वर्षों का समय लगेगा।
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बता दें कि अगस्त 2026 तक बिलिमोरा से सूरत के मध्य में 48 किमी रूट पर बुलेट ट्रेन चलाना आरंभ होगा। ये सेक्शन पब्लिक के लिए उपलब्ध होगा। तत्पश्चात अन्य सेक्शन चरणबद्ध तरीके से आरंभ कर दिए जाएंगे परंतु मुंबई तक पूरे रूट पर बुलेट ट्रेन चलाने के लिए 6 से 7 वर्ष तक प्रतीक्षा करना होगा।
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