यूपी के राजधानी लखनऊ का अब होगा जबरदस्त कायापलट
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल में यूपी को देश में नंबर एक बनाने का लक्ष्य तय किया है। और वे जानते हैं कि इसको मूर्तरूप देने में एक्सप्रेसवेज़ तथा प्रदेश के आधारभूत संरचनाओं का अत्याधुनिक होना कितना महत्वपूर्ण है।
भाजपा ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में एक्सप्रेसवे तथा अत्याधुनिक विकास के निर्माण को प्राथमिकता पर रखा था। ये एक्सप्रेस वे केवल आवागमन का माध्यम नहीं, अपितु प्रदेश के विकास की जीवन रेखा बनेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में निरंतर प्रयास किए हैं, जिसका परिणाम यह है कि आज उत्तर प्रदेश विकास के पथ पर अग्रसर है। योगी सरकार कनेक्टिविटी को अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आवश्यक मानते हुए अपने पहले कार्यकाल में ही एक्सप्रेस वे के निर्माण को गति प्रदान की।
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देश के 10 सबसे तेजी से बढ़ रहे नगरों में सम्मिलित लखनऊ की आवश्यकताएं भी बढ़ रही हैं। इन्हें पूरा करने के लिए लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे (Lucknow Kanpur Expressway) पर नया अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाया जाएगा। वहीं, वर्तमान में उपलब्ध चौधरी चरण सिंह हवाईअड्डे (Lucknow Airport) को माल आवागमन (कार्गो) के लिए प्रयोग किया जाएगा। एलडीए ने नए एयरपोर्ट की आवश्यकता के प्रस्ताव के साथ विजन डॉक्यूमेंट के रूप में बने सिटी डेवलपमेंट प्लान (CDP) को भी अनुमोदन के लिए शासन के पास भेजा है। अब इसे आधार बनाकर नगर का विकास किया जाएगा। अर्थात आने वाले समय में प्रदेश की राजधानी लखनऊ का कायापलट होने वाला है और यह किन परियोजनाओं से होगा आइए समझते हैं।
बता दें कि सीडीपी के अनुसार वर्तमान में उपलब्ध एयरपोर्ट की क्षमता पूरी होने के पश्चात वर्ष 2037 तक नया एयरपोर्ट आरंभ करना आवश्यक हो जाएगा। और इसके लिए 11,520 करोड़ रुपये खर्च कर नया एयरपोर्ट बनाने के लिए लगभग छह हजार एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी, जो लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे पर मिल सकती है।
इस प्रस्ताव के अनुसार 1187 एकड़ में बने वर्तमान के एयरपोर्ट के टर्मिनल एक से अंतरराष्ट्रीय व टर्मिनल दो से घरेलू उड़ानें रवाना होती हैं। सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि रनवे की लंबाई बढ़ाने तक के लिए भूमि नहीं मिल रही है। तथा वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए रनवे का न्यूनतम मानक 4.7 किमी है। जिसे कि पुराना रनवे पूरा नहीं कर रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि, लखनऊ में इसकी लंबाई 2.7 किमी ही है। इतना ही नहीं इसे अधिकतम 3.3 किमी तक ही और विस्तारित किया जा सकता है। तथा इसका प्रोजेक्ट भी अटका है। भूमि की कमी से जहां वायु यात्रा करने वालों की सुविधाएं नहीं बढ़ रहीं तो लखनऊ के पर्यटन, उद्योग आदि की संभावनाओं को भी पंख नहीं लग पा रहे हैं। विश्वस्तरीय सुविधाओं वाला एयरपोर्ट बनने से कानपुर को भी फायदा होगा। तथा यह नया एयरपोर्ट उन्नाव के पास बनाया जा सकता है।
जानकारी के लिए बता दें कि आने वाले 30 वर्षों में लखनऊ का विकास (Lucknow Development) कैसा हो, इसके लिए सीडीपी में विजन डॉक्यूमेंट है। इसमें नगर की भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार प्रोजेक्टों के प्रस्ताव सम्मिलित हैं। सभी विभागों को अपने प्रोजेक्टों के अनुसार डीपीआर अलग से तैयार करना होगा।
अयोध्या की तर्ज पर 13 नगरों के सीडीपी बनने हैं। एलडीए ने सबसे पहले प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दी है, जिसे अरिनेम कंसल्टेंसी ने तैयार किया है।
इस प्रस्ताव के अनुसार जो परियोजनाओं पर कार्य होने हैं वो कुछ इस प्रकार से हैं।
1. सेंट्रल कैपिटल कॉम्प्लेक्स : जिसमें कि विधानसभा के आसपास के क्षेत्र को दोबारा विकसित कर यहां 100 मीटर तक ऊंची इमारतें बनाई जाएं।
2. स्टेट कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर : बड़े आयोजन व कांफ्रेंस के लिए लखनऊ में बड़े ऑडिटोरियम की आवश्यकता है। जिसमें कि पांच से दस हजार की क्षमता वाले ऑडिटोरियम व अन्य स्पेस, होटल आदि इसमें रहेंगे।
3. इनोवेशन हब : इसके अंतर्गत युवाओं और उद्योगों की आवश्यकता के लिए इनोवेशन हब बने। इसमें डाटा सेंटर की भी आवश्यकता होगी।
4. पीआरटी सिस्टम – नगर के पुराने श्रेत्र जैसे अमीनाबाद, हजरतगंज आदि को जोड़ते हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर किया जाएगा। इसमें शेयरिंग बाइक, साइकिल से मेट्रो जैसे सिस्टम जुड़ेंगे। पैदल चलने वालों के लिए भी व्यापक स्तर पर पुल बनेंगे।
5. लखनऊ आई : लंदन आई की तर्ज पर लखनऊ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 165 मीटर ऊंचा लखनऊ आई झूला बनेगा। इससे पूरे नगर का दृश्य देखने को मिलेगा।
6. हैदर कैनाल रोड : 11.5 लंबी हैदर कैनाल पर एलीवेटेड रूट बनाकर मोहान रोड से सीधे लोहिया पथ पर रोड नेटवर्क तैयार होगा।
7. लॉजिस्टिक पार्क : शॉर्ट टर्म प्रोजेक्ट में नगर के बाहर से माल के आवागमन को आसान बनाने के लिए 2000 करोड़ रुपये खर्च कर लॉजिस्टिक पार्क बनाए जाएंगे।
8. स्टेट ओडीओपी सेंटर : प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ओडीओपी को प्रोत्साहन देने के लिए एक्सपो सेंटर बनेगा, जिसमें पूरे प्रदेश के उत्पाद की प्रदर्शनी और बिक्री केंद्र बन सकें।
9. राह-ए-अवध : गोमती किनारे रोड नेटवर्क तैयार कर इसके आसपास सांस्कृतिक व जन उपयोगी स्थल विकसित हों। यहां लोग शाम का आनंद ले सकें।
10. मार्केट्स ऑन द स्काई : राजधानी में पुराने क्षेत्र जैसे हुसैनाबाद में पैदल चलने वालों के लिए स्काई-वे बने। यहां वेंडिंग जोन भी बनाए जाएं।
यदि आप यह सभी परियोजनाओं के बारे में जानकार प्रसन्न हैं तो आपको बता दें कि इसमें केवल इतना ही नहीं है। जी हां उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नयी नयी चीजें विकसित की जाएंगी और सुविधाएं भी बढ़ेंगी।
ऐतिहासिक लक्ष्मणपुरी आने वाले पर्यटकों को अब ट्राम में बैठ कर एतहासिक स्थलों को घूमने का आनंद मिलेगा। उत्तर प्रदेश की राजधानी लक्ष्मणपुरी में गोमती नदी के किनारों को कर्णावती अर्थात वर्तमान के अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
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प्रदेश सरकार की योजना के अनुसार ट्राम का संचालन लखनऊ के हेरिटेज क्षेत्र में किया जाएगा और केवल पर्यटकों के लिए इसे चलाया जाएगा। लखनऊ में इसे पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद से ला मार्टिनियर कॉलेज तक चलाने की तैयारी है। हुसैनाबाद में ही लखनऊ की मशहूर इमारतें बड़ा व छोटा इमामबाड़ा के सात ही रूमी द्वार, घंटाघर और सतखंडा आदि स्थित हैं। पर्यटकों के लिए लखनऊ को आकर्षक बनाने के लिए और ग्रीन कॉरिडोर परियोजना के काम को आगे बढ़ाने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने एक उच्च स्तरीय बैठक में कई निर्णय लिए हैं।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि प्राधिकरण अधिकारियों ने रिवर फ्रंट को विकसित करने और ग्रीन कारीडोर के काम में तेजी लाने के लिए प्रदेश के सलाहकार व गुजरात में साबरमती रिवरफ्रंट विकसित करने वाले पूर्व आईएएस केशव वर्मा के साथ बैठक की है।
ज्ञातव्य है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण अपने सिटी डेवलपमेंट प्लान में ट्राम चलाने की योजना को पहले ही सम्मिलित कर चुका है।
इसके साथ ही विकास प्राधिकरण राजधानी लखनऊ में आईआईएम रोड से किसान पथ तक गोमती नदी के दोनों किनारों पर ग्रीन कॉरिडोर विकसित करने जा रहा है। पहले प्राधिकरण की योजना गोमती नदी के किनारे केवल चार चार लेन की रोड बनाने की योजना थी। परंतु अब इस परियोजना में बड़ा परिवर्तन करते हुए कई चीजें सम्मिलित की जाएंगी। जिसमें कि साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर इसमें तमाम नई चीजें जोड़ने का सुझाव है।
बता दें कि ग्रीन कारीडोर बनाने से नगर भी सुंदर होगा और पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी व सरकार को राजस्व मिलेगा। तथा स्थानीय लोगों का आकर्षण होगा तो नदी को साफ करने में भी सहायता मिलेगी।
योजना के अंतर्गत ग्रीन कॉरिडोर से जगह-जगह नदी की ओर उतरने के लिए मार्ग बनाए जाएंगे। नदी के किनारे जगह-जगह पाथवे, योगा सेंटर सहित यूटिलिटी पार्क बनाया जाएगा। प्राधिकरण ने ग्रीन कारीडोर में प्रदूषण मुक्त उद्योगों की स्थापना की भी संभावना रखी है। लखनऊ के पारंपरिक उद्योगों को इसके लिए स्थान दिया जाएगा।
मित्रों यदि आपको उपरोक्त दी हुई लक्ष्मणपुरी मेगा डेवलपमेंट की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो अपने गांव अथवा जिले का नाम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।
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