काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के द्वितीय चरण में ऐसे हो रहा है भारत निर्माण
Getting your Trinity Audio player ready...
|
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य-दिव्य स्वरूप के भव्य लोकार्पण के पश्चात अब भारत का इतिहास भी हो रहा पुनः रचित।
भारतवर्ष में जन्म लेना तो अनमोल है ही परंतु उत्तर प्रदेश के हैं तो आप उन तीर्थ स्थल अयोध्या, मथुरा और काशी के प्रदेश का भाग हैं जो सनातन धर्म के संपूर्ण संदेश को बांचती है। उत्तर प्रदेश वालों का यह सौभाग्य है कि ये तीनों पुण्य-भूमि इसी प्रदेश का भाग हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से काशी में बाबा धाम को गंगधार से एकाकार करने का उपक्रम ऐसा ही एक युगांतरकारी अवसर है, जो काशी व बाबा विश्वनाथ को विश्व पटल पुनः उनके उचित स्तर को प्रदान करने का प्रयास है।
गंगा द्वार के बाहरी ओर सीढ़ीयों को बनाने का कार्य संचालित है। गंगा नदी किनारे ललिता घाट से लेकर यह निर्माण कार्य मणिकर्णिका घाट तक के क्षेत्र में चल रहा है।
बता दें की यह मुगल आर्किटेक्चर नहीं है यह भारतीय वास्तुकला ही है जिसमें कि इस गंगा द्वार का भी निर्माण हो रहा है तथा द्वार के ऊपर के गुंबद को मुख्य मंदिर के ऊपर के गुंबद के जैसे ही बनाने का प्रयास किया गया है।
इसके अतिरिक्त आपको हम इस द्वार की अधिक जानकारी के लिए बता दें की इस द्वार की ऊँचाई 35 फीट है तथा यह 60 फिट चौड़ा है। गंगा तट से यहां तक वृद्धजन व दिव्यांगों के आने के लिए रैैंप भी बनाया गया है जिसपर चलकर मोदी जी भी आए थे स्मरण तो होगा ही आपको।
इसके पश्चात चौक गेट तक जाने के लिए स्वचालित सीढिय़ों की व्यवस्था की जाएगी। जैसे ही यह स्टेप बनकर पूरा होगा उसके पश्चात गंगा के रास्ते 80 सीढ़ियों को पार कर श्रद्धालु सीधे बाबा धाम में पहुंचेंगे। बता दें कि प्रवेश द्वार उतनी ऊंचाई पर है जहां से बाढ़ का पानी परिसर में पहुंच ना सके।
बता दें की यहाँगंगा द्वार के एक ओर रैंप भवन होगा ताकि वृद्धजन व असहायों को व्हील चेयर से कारिडोर में ले जाया जा सके। रैंप का यह भाग मणिकर्णिकाघाट से लगा हुआ होगा। तथा दूसरी ओर बने कैफेटेरिया से गंगा की छटा निहारी जा सकेगी।
बता दें की कारिडोर के गंगा छोर के इन तीनों घाटों की चौड़ाई कर्व अनुसार 10 से 20 मीटर तक बढ़ाई गई है। इसके लिए लगभग 200 मीटर लंबाई में डायाफ्राम वाॅल भूमि में नदी के नीचे डाली गई है।
आइए अब हम इस गंगा द्वार के विस्तृत जानकारी के पश्चात आपको गंगा द्वार के भीतर के विभिन्न स्थानों और क्षेत्रों की जानकारी देते हैं। बता दें की द्वार के भीतर सबसे पहले आपको भारत माता की प्रतिमा का दर्शन होगा जो की पुरानी मंदिर के निकट ही है।
यहाँ इस क्षेत्र से लेकर मुख्य मंदिर तक के मार्ग में दोनों ओर कई सारे भवन श्रद्धालुओं के सुविधाओं को ध्यान में रखकर विकसित किए गए हैं। इनमें बनारस गैलरी, विश्रामालय, संग्रहालय, वैदिक केंद्र, वाचनालय, दर्शनार्थी सुविधा केंद्र, व्यावसायिक केंद्र, पुलिस एवं प्रशासनिक भवन, वृद्ध एवं दिव्यांग के लिये एक्सीलेटर एवं मोक्ष भवन इत्यादि सम्मिलित हैं। यह पूरा कॉरिडोर लगभग सवा 5 लाख वर्ग फिट के क्षेत्रफल में बना है।
यहाँ पर एक भवन हैं वह फल फुल प्रसाद आदि के दुकानों के लिए बना व्यवसायिक केंद्र है। तथा इसके आगे महारानी अहिल्या बाई होलकर की प्रतिमा भी स्थापित किया गया है।
जानकारी के लिए बता दें की ऐतिहासिक रूप से इस मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा वर्ष 1780 में कराया गया था।
Also Read
वाराणसी में बन रहा है पूर्वी भारत का गेटवे, कार्य तीव्र गति से संचालित
वाराणसी के सिग्नेचर ब्रिज ने पकड़ी रफ़्तार
इसके आगे आपको यहाँ पर आदिगुरू शंकराचार्य जी की प्रतिमा भी मिलेगी। बता दें की इतिहास में काशी विश्वेश्वर मंदिर की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा ही किया गया था। तथा जब मुस्लिम आक्रांता आंरगजेब द्वारा ज्ञानवापी स्थित काशी विश्वेश्वर मंदिर को तोड़ा गया था उसके निकट ही काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना महारानी अहिल्या बाई होलकर ने करवाया था।
आईए अब इतिहास से वर्तमान में आते हैं और जानकारी के लिए बता दें की पूरब में गंगा द्वार से मंदिर चौक, मंदिर परिसर होते हुए धाम के पश्चिमी छोर तक कुल 108 पेड़ व वनस्पतियां लगाई जाएंगी। पेड़ों में रुद्राक्ष, अशोक और शमी को प्रमुखता दी जाएगी। निर्धारित दूरी पर पेड़ लगाने के लिए लगभग दो फुट व्यास के गड्ढे बनाए गए हैं। इनमें मिट्टी भी भरी जा चुकी है।
बता दें कि मंदिर चौक, कॉरिडोर में सबसे बड़ा क्षेत्र है। यहीं पर मोदी जी ने उद्घाटन समारोह के समयावधि में अपना ऐतिहासिक स्पीच भी दिया था। आपको इस मंदिर चौक से मुख्य मंदिर के दर्शन भी होंगे और बगल में ज्ञानवापी का विवादित ढांचा भी। आपको यहाँ पर दोनों प्रवेशद्वार के मध्य में सभी हरियाली व किनारे की ओर के सभी भवन भी एक सार में दिखेंगे।
इसके पश्चात मंदिर चौक के प्रवेश द्वार के भीतर स्वयं बाबा भोलेनाथ विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के बनने के पश्चात मंदिर परिक्षेत्र भी वृहद् हुआ है। पहले जहाँ पर खड़ा होना भी कठिन था आज वहाँ उस स्थान की विहंगम दृश्य आपके समक्ष प्रस्तुत हैं।
बता दें की विश्वनाथ मंदिर के मुख्य गर्भगृह में नक्काशीदार खंभों के पीछे की दीवार पर साहित्य और पाषाण शिल्प का अनूठा संगम दिखेगा। गैलरी के पूर्वी भाग में शिव महिम्न स्तोत्र और संध्या वंदन का विधान, काशी की महीमा, संगमरमर के पत्थर पर उकेरा गया है। व गैलरी के दक्षिणी भाग में संगमरमर से उकेरी गई थ्रीडी आकृतियों में बाबा विश्वनाथ और माता गंगा से जुड़े प्रसंगों को दर्शाया गया है।
Also Read
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कुछ यूँ बदल रहा है सोमनाथ मंदिर तीर्थ स्थल
अयोध्या श्री राम मंदिर के नींव निर्माण में तृतीय चरण का हुआ शुभारंभ
दीवार पर संगममर के 42 पैनलों के माध्यम से शिव और काशी की कहानी सुनाई जाएगी। इसमे 20 पैनल चित्रात्मक अर्थात पिक्टोरियल हैं। इसके माध्यम से बताया गया है कि कैसे शिव काशी आए, फिर ढुंढिराज गणेश ने कैसे स्तुति गाई। यही नहीं, मां पार्वती के साथ कैलाश वास और मोक्षनगरी काशी में कैसे शिव तारक मंत्र देकर जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्ति दिलाते हैं, सभी का शास्त्र पुराण के पन्नों के अनुसार वर्णन किया गया है।
बता दें की पूरी मणिमाला में अष्ट भैरव, 56 विनायक और 64 योगिनियों तक के दर्शन और उनका प्रसंग सहेजा गया है। विश्वास मानिए कि जब आप श्रीकाशी विश्वनाथ के दर्शन कर गर्भगृह से निकलेंगे तो इस गलियारे में जाकर काशी की महिमा स्वयं गुनगुनाने लगेंगे।
इसके अतिरिक्त आपको एक और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए बता दें की काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भव्य निर्माण के पश्चात अब मंदिर के इतिहास में शीघ्र ही एक और अध्याय जुड़ने जा रहा है। जिसमें कि मंदिर में गर्भगृह की भीतर की दीवार भी स्वर्णजड़ित (Gold Plated) होगी। मंदिर दर्शन करने आए दक्षिणी भारत के एक स्वर्ण व्यवसायी ने सोना दान करने की इच्छा जताई है। व्यवसायी की पहल पर मंदिर प्रशासन ने स्वर्ण पत्र जड़ने के संबंध में प्रस्ताव तैयार कराना आरंभ भी कर दिया है।
बता दें की विश्वनाथ मंदिर के शिखर पर महाराजा रणजीत सिंह ने स्वर्ण पत्र लगवाया है। यहां वर्षों पहले लगे स्वर्ण पत्र धूमिल हो गए थे। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पूर्व विशेषज्ञ कारीगरों की सहायता से सोने की सफाई करायी गई थी। जिसके पश्चात अब मंदिर के स्वर्ण शिखर की चमक आने वाले श्रद्धालुओं को मोहित कर रही है। तथा अब मंदिर प्रशासन गर्भगृह की दीवारों को भी स्वर्ण मंडित करने की सोच को मूर्त रूप देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
Also Read
अयोध्या ही नहीं, इस मुल्सिम देश में बन रहा है पहला हिन्दू मंदिर
काशी को अति शीघ्र मिलने वाली है नई पहचान
बता दें कि लगभग 800 करोड़ रुपये की लागत से बने श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट का शिलान्यास 8 मार्च 2019 को देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद नरेन्द्र मोदी ने किया था। एवं इसके प्रथम चरण का उद्घाटन स्वयं मोदी जी नें 13 दिसंबर को किया था तथा द्वितीय चरण के अंतर्गत 55 करोड़ की लागत से कारिडोर के विस्तारित नौ छोटे कार्य आगे भी किए जा रहे हैं। इनमें ललिता घाट का पुनर्विकास, कैफे भवन, रैंप भवन आदि सम्मिलित हैं।
महारानी अहिल्या बाई होलकर द्वारा विश्वनाथ मंदिर के जिर्णोद्धार के लगभग 241 वर्षों के पश्चात श्री काशी विश्वनाथ धाम मूर्त रूप ले रहा है। कॉरिडोर निमार्ण के पश्चात श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रति वर्ष आने वाले करोड़ों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं का आवागम एवं दर्शन-पूजन करना पहले की अपेक्षा लाख गुना सुगमता हो रही है।
मित्रों यदि आपको उपरोक्त काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण कार्य की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो हर हर महादेव कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें: