इतना सुन्दर है भारत का सबसे आधुनिक घाट, जानें कब होगा उद्घाटन
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कोई नगर अपने इतिहास व विरासत के साथ आधुनिकता को कैसे धारण कर सकता है यह विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर काशी से सीखा जा सकता है।
आज हम आपको बताने वाले हैं कि कैसे धर्म अध्यात्म व कला-संगीत की नगरी काशी में पर्यटन का क्षेत्र अब बढ़ रहा है। तथा स्मार्ट होती काशी में नित्य ऐसे स्थान जुड़ रहे हैं जो नगर की प्राचीन छवि को जीवंत तो कर ही रहे हैं तथा देश व विदेश से आने वाले लोगों के लिए नवीन पर्यटन स्थल भी बन रहे हैं।
बनारस का नाम जब आता है तो सामने काशी के घाट की ही छवि सबसे पहले दिमाग मे आती है, और बनारस के घाटों में सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं अस्सी घाट और दशाश्वमेध घाट जहाँ पर देश ही नहीं अपितु विदेश के लोग भी घूमने आते हैं। बनारस की सुबह पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और हो भी क्यों न, जहां गंगा नदी के किनारे सुबह की छटा अनोखी और निराली दिखती है। इसे देखने के लिए विदेशी यात्री खींचे चले आते हैं। बता दें की वाराणसी में ऐसे तो 80 से अधिक घाट हैं और सभी घाटों की अपना इतिहास एवं विशेषताएँ हैं जिनमें की संत रवि दास घाट से लेकर आदीकेशव तक के घाट आते हैं जिनमें से कुछ अति प्रसिद्ध एवं सुंदर घाट हैं तो कुछ कम प्रसिद्ध एवं उपेक्षित अवस्था में। इन्हीं घाटों में से एक है खिड़किया घाट जहाँ पर पर्यटक प्रसिद्ध घाटों से तुलनात्मक दृष्टि से कम संख्या में आते हैं। परंतु काशी का यह घाट अब ऐसा बन रहा है जो अस्सी घाट और दशाश्वमेध समेत सभी 84 घाटों से खूबसूरत ही नहीं दिखने वाला अपितु अत्याधुनिक सुविधाओं व कनेक्टिविटी के आधार यह देश का सबसे आधुनिक घाट होगा। जी हाँ हम बात कर रहे हैं खिड़किया घाट की, जहां देश-विदेश के पर्यटकों के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध होंगी। खिड़किया घाट के गुमनाम पड़ी इस विरासत को अब देश एवं दुनिया देख पाएगी। इस उद्देश्य के साथ इस विशेष क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन सुविधाओं के आधार पर विकसित किया जा रहा है।
इसके लिए यहाँ पर फेरी सर्विसेज की सुविधा, हेलीपोर्ट, क्रूज़, आॅडिटोरियम, CNG स्टेशन, पार्किंग स्टैंड, Children Park, ओपन एयर थिएटर इत्यादि बनेंगे जोकी इस घाट को नवीन जीवन प्रदान करेंगे। आज हम आपको खिड़कीया घाट के पहले व दूसरे चरण के अंतर्गत होने वाले कार्यों की विस्तृत जानकारी के साथ दिन व रात की भी अद्भुत दृश्य दिखाने जा रहे हैं।
इस प्रोजेक्ट की अधिक जानकारी के लिए आपको बता दें की वाराणसी की स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत लगभग 46 करोड़ रुपये की लागत से 11.5 एकड़ क्षेत्र में 600 मीटर पक्काघाट का निर्माण कर इस खिड़कीया घाट के माॅडल घाट का निर्माण कार्य भारत सरकार की नवरत्न कंपनियों में से एक नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारोपोरेशन (एनबीसीसी) कर रही है।
रात के मनमोहक दृश्य दिखाते हुए आपको इस विशेष प्रोजेक्ट की विशेषताओं की जानकारी देते हैं। बता दें की इस प्रोजेक्ट की विशेषता यह है कि घाट कटाव वाले इस क्षेत्र में जेबियान व जियोसिंथेटिक टेक्नोलाजी से निर्माण किया जा रहा है। इसमें सीमेंट का कम से कम उपयोग किया जाएगा और पत्थरों को करीने से सहेज कर तार की जाली से मजबूती से बांधा जाता है। इससे पूरा ढांचा कटाव व वर्षा से पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा।
वही दूसरी ओर इस घाट को विस्तार देते हुए इसका सौंदर्यीकरण किया गया है और इसे मिनी टर्मिनल का रूप दिया गया है। यहां पर कई फ्लोटिंग जेटी भी लगाई गई है। इसमें एक गेल को दी गई है जहां सीएनजी फिलिंग स्टेशन बन चुका है जोकी सबसे विशेष है क्योंकि काशी के गंगा नदी में जो डीजल चालित नाव हैं उनको मॉडिफाई अर्थात परिवर्तित कर के सीएनसी से चलाने के लिए क्रमबद्ध तरीके से डीजल चलित नावों परिवर्तित किया जा रहा है जिससे की वाराणसी के वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी।
यही नहीं यहाँ घाट पर ओपन एयर थिएटर और सोवेनियर प्लाजा भी विशेष होगा। थिएटर में नित्य संध्या बनारस की धरोहर व संगीत की प्रस्तुतियां होंगी। जिसका मंच गंगा की ओर बनाया गया है। जहाँ पर 200 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। यह अपनी प्रकार का एक माॅडल ओपेन थिएटर होगा जिसका निर्माण भी पूर्ण हो चुका है, यहाँ पर सांस्कृतिक आयोजनों के लिये एक बेहतर स्थान उपलब्ध होगा।
इसके अतिरिक्त इस घाट पर ओपन पार्क में पाथवे भी बनाया जा रहा है जिसका निर्माण चल रहा है। इसे गंगा किनारे मालवीय पुल के नीचे खिड़किया घाट से भैंसासुर घाट के बीच बनाया जा रहा है जिसमें कि वर्तमान समय में कंक्रीट की सतह ढाली जा रही है जोकि राजघाट से ढालते हुए पुल के नीचे से होते हुए अब खिड़कीया घाट तक आ रहा है। पहले इन दोनों राजघाट और भैसासुर घाटों की खिड़किया घाट से कनेक्टिविटी नहीं थी, परंतु इसके सौंदर्यीकरण के पश्चात अब इन तीनों घाटों की कनेक्टिविटी एक दूसरे से हो जाएगी, जिससे घाट लंबा और खूबसूरत दिख रहा है।
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आपको बता दें की यहाँ पर एक सोविनियर प्लाजा भी होगा जहाँ पर दुकानों में बनारस की हस्त शिल्प प्रदर्शित होगा। आसपास की स्थानीय दुकानदारों को आधुनिक स्टाॅल बनाकर दिये जाएंगे, इसके अतिरिक्त यहाँ पर फूड कोर्ट का निर्माण भी पूर्ण हो चुका है, यहाँ पर इसके अंतर्गत चार दुकानें बन चुके हैं जिनके निकटतम दृश्य हम आपको दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। आपको हम इन दुकानों के निर्माण की वर्तमान परिस्थिति का दृश्य दिखाते हुए बता दें की इनका निर्माण भी लगभग पूर्ण हो चुका है। तथा इसके पीछे के दृश्य दिखाएं तो यहाँ पर एक आधुनिक शौचालय का निर्माण भी हो चुका है।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें की गंगा किनारे म्यूजिकल फव्वारा, चिल्ड्रेन पार्क, व रेस्टोरेंट भी बनाया जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण है कि यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए इस घाट पर वाहन की कठिनाइयों से मुक्त हो सके इसके लिए यहाँ पर टू व्हीलर पार्किंग व एक फोर व्हीलर पार्किंग भी बनाई जाएगी। यही नहीं घाट पर सीएनजी स्टेशन भी लगाया गया है, एक तो गंगा नदी में जेटी पर है दूसरा स्थाई CNG फिलिंग पंप ऊपर बना हुआ है। बता दें की नीचे जेटी वाले CNG पंप पर गंगा नदी में चलने वाली सीएनजीयुक्त नावों में सीएनजी गैस भरने का काम किया जाएगा।
जानकारी के लिए बता दें की गंगा में डीजल और पेट्रोल से संचालित होने वाली नाव पर रोक लगाने से पहले नगर निगम की ओर से पंजीकृत बोट को सीएनजी आधारित किया जा रहा है। गंगा घाट पर बने पहले सीएनजी पंप से ही उन्हें ईंधन की आपूर्ति की जाएगी।
इसपर और अधिक जानकारी के लिए बता दें की इन नावों को इकोफ्रेंडली बनाने के लिए आईआईटी कानपुर ने गंगा नदी में तैरता हुआ सीएनजी स्टेशन अर्थात Floating CNG Station को तैयार किया है। देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में यह अपने आप में विश्व का अनोखा स्टेशन तैयार किया गया है।
आईआईटी की इंक्यूबेटेड कंपनी एक्वॉफ्रंट इंफ्रास्ट्रक्चर ने जो स्ट्रक्चर तैयार किया है वो काफी एडवांस है। पर्यावरण के अनुकूल नावों के लिए विश्व का पहला फ्लोटिंग सीएनजी फिलिंग स्टेशन बनाने के लिए एक पेटेंट तकनीक सेल्फ एडजस्टिंग फिक्स्ड टाइप जेट्टी का प्रयोग किया गया है। जेट्टी की विशेषता यह है कि बाढ़ के समय या पानी के तेज बहाव में भी यह अपनी पोजिशनिंग एडजस्ट करता रहेगा।
इसपर और अधिक जानकारी के लिए बता दें की इस हाईटेक सीएनजी स्टेशन से गंगा पुत्र गंगा के पानी में ही नावों में सीएनजी भरवा सकेंगे। वाराणसी में लगा ये फिलिंग स्टेशन अब काम भी करने भी लगा है। इस फ्लोटिंग स्टेशन तक आने वाले गैस की पाइप लाइन को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि बाढ़ के वक्त जैसे-जैसे जेटी और तैयार स्टेशन ऊपर आएगा वैसे वैसे पाइप लाइन भी ऊपर उठती जाएगी।
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जानकारी के लिए बता दें की इस हाईटेक सीएनजी स्टेशन को बनाने में 3 करोड़ 62 लाख की लागत आई है। तथा पांच महीने में इस हाईटेक स्टेशन को तैयार किया गया है. यही नहीं खिड़कियां घाट के अतिरिक्त भविष्य में वाराणसी के रविदास घाट पर भी ऐसा ही एक और सीएनजी स्टेशन तैयार किया जाएगा।
बता दें की पर्यटक अब तक राजघाट की ओर केवल लाल खां रौजा देखने या नाव पर बैठने के लिए जाते थे। इसी के विस्तार की दृष्टि से घाट को विकसित करके लाल खां रौजा, वाराणसी उत्खनन स्थल, खिड़किया घाट, राजघाट और काशी का पहला घाट आदिशकेव घाट को एक कर दिया जाएगा। जोकी पर्यटकों को आकर्षित भी करेगा। तथा यह अभी ही जनता अत्यंत पसंद आ रहा है जिसका प्रमाण यहाँ पर उपस्थित जनता की भारी संख्या है।
महत्वपूर्ण यह भी है कि अभी तक गंगा किनारे पर्यटकों का आगमन केवल दशाश्वमेध से लेकर अस्सी घाट के मध्य ही होता है जिसके कारण उन घाटों पर दबाव भी बढ़ गया है। परंतु जीटी रोड से जुड़े इस खिड़कीया घाट के विकसित हो जाने से पर्यटक बिना भीड़ के वाहन से यहां तक सीधा पहुँच सकते हैं।
यह तो हुई इस घाट को सड़क व जल मार्ग से जोड़ने की बात अब आपको हम बता दें की इसी खिड़कीया घाट पर यात्रीयों की सुविधा के लिए यहाँ पर 2 हेलीपोर्ट अथवा हेलीपैड का भी निर्माण हो रहा है। जिसके पश्चात यह जल थल के साथ नभ अर्थात वायु मार्ग से भी जुड़ जाएगा.
अब यदि आपको प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी दें तो बता दें की इस प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य आरंभ हुआ था अगस्त 2020 को तथा इसी वर्ष दिसंबर तक इसके प्रथम चरण का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाना है तथा वर्तमान समय तक 98% से अधिक कार्य पूर्ण भी हो चुका है तथा शीघ्र ही खिड़किया घाट का लोकार्पण PM मोदी अगामी 8 जनवरी को अपने नव वर्ष के आगमन में करेंगे।
इसके अतिरिक्त हम आपको यदि दूसरे चरण की जानकारी दें तो बता दें कि यहाँ पर 1.6 एकड़ में यहां एक बहुउद्देशीय प्लेटफार्म बनना है, जिसपर दो हेलीकाप्टर उतर सकते हैं।
इस दूसरे चरण में हेलीपैड निर्माण, पार्किंग, फसाड डेवलपमेंट सहित आधा दर्जन कार्य अगले वर्ष मार्च तक पूरे हो जाएंगे।
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जल थल और नभ से जुड़ने वाला ये मल्टी मॉडल, मिनी टर्मिनल देव दीपावली जैसे अवसरों में क्राउड मैनेजमेंट में भी उपयोगी होगा। इसके अतिरिक्त राजघाट और भैंसासुर घाट का भी जीर्णोद्धार किया जा रहा है, जो इस खिड़किया घाट से जुड़ जायेगा।
इस अत्याधुनिक माॅडल घाट की कुछ और विशेषताओं की जानकारी के लिए बता दें की खिड़किया घाट पर पर्यटन सुविधाएं विकसित होने से चंदौली और बिहार की ओर से आने वाले लोग यहां अपने वाहन खड़े कर नौकायन करते हुए बाबा विश्वनाथ के धाम और दशाश्वमेध घाट की विश्व विख्यात गंगा आरती देखने जा सकेंगे।
खिड़किया घाट पर वॉटर स्पोर्ट्स, लाइब्रेरी, मार्निंग वॉक और व्यायाम की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त यहां फूड प्लाजा के साथ ही आरओ प्लांट भी होगा।
घाट के आसपास हरियाली की भी पर्याप्त व्यवस्था है और यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली होगा।
खिड़किया घाट पर पर्यटकों के लिए साइनेज बोर्ड भी लगाए गए हैं। इन साइनेज बोर्ड में काशी के महत्वपूर्ण स्थानों, घाटों और पर्यटन स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। जिसके दृश्य हम आपको दिखा रहे हैं।
खिड़किया घाट का काम पूरा होने के बाद इसे काशी के उत्तरी छोर के सबसे पहले घाट आदिकेशव से जोड़ा जाएगा। खिड़किया घाट पर डेडिकेटेड ई-रिक्शा कॉरिडोर की कनेक्टिविटी भी दी जाएगी।
तथा सबसे महत्वपूर्ण इस घाट पर बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांगों की सुविधाओं का भी पूरा ध्यान रखा गया है। और रैंप का भी निर्माण किया गया है।
महत्वपूर्ण है कि राजघाट स्थिति इस खिड़कीया घाट पर इण्टर माॅडल स्टेशन प्रोजेक्ट के पूर्ण हो जाने से जहाँ एक ओर इस क्षेत्र का विकास होगा एवं पर्यटन को बढ़ावा व पर्यटकों को विशेष लाभ तथा सुविधा मिलेगी तो वहीं दूसरी ओर वाराणसी के नाम एक आधुनिक स्मार्ट घाट के होने का गौरव भी प्राप्त होगा जोकी काशी की छवि को वैश्वीक स्तर पर ऊँचा कर देश की धर्म नगरी होने के नाते भारत के सम्मान में भी वृद्धि करेगी।
मित्रों यदि आपको उपरोक्त दी हुई वाराणसी के पहले मॉडल घाट की जानकारी पसंद आई हो तो हर हर महादेव कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं, इसके अतिरिक्त यदि आप नए दर्शक हैं अथवा अभी आपने चैनल सब्सक्राइब नहीं किया है तो चैनल सब्सक्राइब कर हमें कृतग्य अवश्य करें।
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