क्या है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर आई अफवाह की सच्चाई?

काशी विश्वनाथ धाम हिंदूओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। तथा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर वाराणसी के सांसद व भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टस में से एक है। इन्हीं कारणों से देश व धर्म के विरोधी भी सनातन धर्म के इस महत्वपूर्ण केंद्र के महत्ता को धूमिल करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते।

कॉरिडोर टॉप व्यू

सबसे पहले हम आपको श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की संक्षिप्त जानकारी देते हुए बता दें की PM नरेंद्र मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ धाम का शिलान्यास मार्च 2019 में हुआ था जिसमें से लगभग 14,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण व समतलीकरण के पश्चात निर्माण कार्य जनवरी 2020 से आरंभ है। तथा कॉरिडोर में कुल 24 भवन बनाने की योजना 5 लाख वर्ग फुट क्षेत्रफल में बनी थी। जो कि गंगा नदी किनारे मणिकर्णिकि व ललिता घाट से लेकर ज्ञानवापी तक विस्तारित है। इस परियोजना को वास्तुकार बिमल पटेल द्वारा डिजाइन किया गया है जो नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के भी प्रभारी हैं। परियोजना की लागत की जानकारी दें तो बता दें की अब तक कॉरिडोर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में 400 करोड़ रुपए और निर्माण कार्य में 339 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। परंतु इसमें समयानुसार व आवश्यकतानुसार कई परिवर्तन हुए जैसे कि अधिग्रहित भवनों के भीतर से मिलने वाले लगभग 63 मंदिर तथा कुछ और भवनों को कॉरिडोर में समाहित करना इत्यादि जिसने कॉरिडोर के महत्व, क्षेत्रफल व लागत सभी को बढ़ा दिया है। परंतु कॉरिडोर का निर्माण किसी भी समय व विपदा में नहीं रूका तथा वर्तमान समय में भी 2000 से अधिक श्रमिक विश्वनाथ धाम कॉरिडोर को पूर्ण करने में दिन रात जुटे हुए हैं।

अधिक जानकारी के लिए बता दें की काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण दो चरणों में कराने की तैयारी चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 दिसंबर को पहले चरण का लोकार्पण कर सकते हैं। बता दें की गंगा में दो बार बाढ़ के चलते मणिकर्णिका प्रवेशद्वार, सीढ़ियों और नीलकंठ पवेलियन का कार्य बाधित हुआ है। उनके कारण से सुरक्षा कार्यालय का भी कार्य प्रभावित है। क्योंकि इसी स्थल पर सामानों व वाहनों की आवाजाही हो रही है। जिस कारण से, दूसरे चरण में सम्मिलित यह सभी कार्य 30 दिसंबर से पहले पूरा होते नहीं दिख रहे हैं। 

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सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन शेष कार्यों का दूसरे चरण में शुभारम्भ किया जाएगा। क्योंकि धाम की डीपीआर में मणिकर्णिका प्रवेश द्वार, सीढ़ियां, चहारदीवारी और नये अधिग्रहित क्षेत्र अत्यंत विलंब से सम्मिलित हुए थे। प्रवेश द्वार के कारण से भूमिगत सीवेज पंपिंग स्टेशन के डिजाइन में परिवर्तन किया गया। अब तक यह पंपिंग स्टेशन जलासेन घाट पर था। वहीं, इन सभी भवनों को जाने वाले मार्ग पर नीलकंठ पवेलियन भवन का काम अभी ही आरंभ हुआ है। 

कॉरिडोर टॉप व्यू


वर्तमान में सुरक्षा कार्यालय के लिए बन रहा चार मंजिला भवन का पहला तल ही पूरा हो पाया है। यह कार्य भी 15 दिसंबर तक पूरा होता नहीं दिख रहा है। घाट किनारे के कार्य पूरा करने के लिए गंगा का जलस्तर 60 मीटर के नीचे होना चाहिए। जबकि वर्तमान में भी 62-63 मीटर पर है। लगभग एक हफ्ते पूर्व जलस्तर 65 मीटर पर पहुंच गया था। इस कारण घाट किनारे चल रहे कार्य बंद करने पड़े थे। अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। फिर भी सप्ताहभर का समय लग सकता है। अर्थात यह सभी कार्य शेष रहेंगे जिनका द्वितीय चरण में उद्घाटन होगा।

इसके अतिरिक्त आपको बता दें की कनाडा से आ रही मां अन्नपूर्णा की मूर्ति मंदिर गर्भगृह के ईशान कोण पर स्थापित होंगी। और यह ईशान कोण नंदी के पास स्थित प्रवेश द्वार से पूरब किनारे स्थित है। मूर्ति स्थापना के दिन साधु संत महात्मा व विद्वतजन भी आमंत्रित रहेंगे, जो इस भव्य कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। इसके साथ ही मंदिर परिसर में अन्य विग्रहों की भी स्थापना करने की तैयारी कर ली गई है। जिनकी जानकारी हमने आपको पिछली वीडियो में दी थी।


कॉरिडोर परियोजना में नवीन परिवर्तनों की जानकारी के लिए बता दें की काशी विश्वनाथ धाम में 67 करोड़ रुपये से प्रस्तावित कैफेटेरिया, तीन रैम्प, बाउंड्रीवॉल, नए अधिगृहित क्षेत्र में विकास कार्य के लिए बनी डीपीआर पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद ने मुहर लगा दी है।


काशी विश्वनाथ धाम के नए भवनों में लगने वाले फर्नीचर को लगाने का दायित्व लोक निर्माण विभाग को दिया गया है। इस पर लगभग 9 करोड़ रुपये खर्च होंगे। तथा धाम में सुरक्षा उपकरण पुलिस विभाग लगाएगा। वहीं धाम परिसर में 17 मंदिरों के जीर्णोद्धार का दायित्व आरईएस को सौंपी गया है। इस पर लगभग 3.06 करोड़ रुपये खर्च प्रस्तावित है।


इसके साथ ब्रिटेन की कम्पनी ‘इन्सर्ट एंड यंग को कॉरिडोर के संचालन की भी स्वीकृति दी गई। तथा इसी अफवाह पर हम आपको वास्तविक जानकारी के लिए बता दें कुछ मीडिया व चैनल द्वारा भ्रम फैलाने व सरकार व मंदिर प्रशासन की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर अब आकार लेने लगा है तथा अधिकांश बनकर तैयार भी हो चुका है। इसे 15 दिसंबर तक पूरा होना है। फलस्वरूप, इतने बड़े कॉरिडोर का संचालन अपने आप में बड़ी चुनौती है। इसी के अंतर्गत एक ब्रिटिश कंस्लटिंग कंपनी अर्नस्ट एंड यंग (Ernst and young) को कंस्लटेंसी के रुप में हायर किया है।

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इस कंस्‍लटेंसी का काम कॉरिडोर संचालन नहीं अपितु संचालन के लिए अच्छे वेंडरों को ढूंढना, वेंडर को जोड़ने की सारी कागजी कार्रवाई, भीड़ प्रबंधन के लिए सॉफ्टवेयर निर्माण से लेकर काफी कुछ है। परंतु यह कंपनी केवल ऑपरेटर लाने और उनकी प्रोसेसिंग कराएगी, न कि कॉरिडोर का संचालन करेगी। वाराणसी के मंडलायुक्‍त दीपक अग्रवाल ने भी साफ किया कि यह कंपनी किसी भी बिल्डिंग को संचालित नहीं करेगी।


बता दें की काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम अब अंतिम चरण में है और अब इसके संचालन की व्यवस्था की जा रही है। जिसमें कि सबसे महत्वपूर्ण काशी विश्वनाथ मंदिर और उसके सहयोगी भवन जैसे भोगशाला काशी विश्वनाथ न्यास की ओर से ही संचालित होगी। परंतु यहाँ बहुत सारी ऐसी और बिल्डिंग हैं जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में बन रही है।


इन बिल्डिंग के रखरखाव और संचालन के लिए स्पेशलाइज्ड एजेंसी की आवश्यकता होगी। जैसे म्यूजियम, वाराणसी गैलरी और मुमुक्षु भवन के संचालन के लिए ऑपरेटर की आवश्यकता पड़ेगी, इसी कारण से एक कंसलटिंग कंपनी रखा गया है। जो इन सारी चीजों की रूपरेखा बनाकर देगी। इसके पश्चात एक टेंडर बनेगा। तथा डॉक्यूमेंट बनाकर एग्रीमेंट बनाना और अभिलेख बनाना भी इसी कंपनी का कार्य होगा।


जानकारी के लिए बता दें की काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रतिदिन 20000 से 25000 श्रद्धालु आते हैं। यह संख्या आने वाले दिनों में कई गुना अधिक बढ़ने की आशा है। लोगों को किसी प्रकार की कठिनाई ना आने पाए, यही कारण है कि निविदा के अंतर्गत एक कंसलटिंग कंपनी को हायर किया गया है। तथा इस कार्य के लिए भी टेंडर अगस्त माह से निकाला गया था, एवं चार बार टेंडर निकाला गया और चारों बार एक सिंगल सिंगल ही आवेदन आए थे। उसके पश्चात ही इस कंपनी को हायर किया गया है। अर्नस्ट एंड यंग कंपनी का हेडक्‍वार्टर गुड़गांव में है और वही से उसने अप्लाई किया था। वाराणसी गैलरी, सिटी म्यूजियम, मल्टीपरपज हॉल, जलपान गृह या यात्री सुविधा केंद्र इनको सुव्यवस्थित ढंग से कौन प्रबंधन कर सकता है? उसका टेंडर डॉक्युमेंट यही कंपनी बनाएगी। यह कंपनी लोगों के मूवमेंट प्लान और एक ऐसा सॉफ्टवेयर भी बना रही है। जिससे लोगों को उनका वेटिंग टाइम पता चल जाएगा और दर्शन के लिए स्‍लॉट मिल सकेगा। परंतु किसी भी भवन के संचालन से इसका कोई लेना देना नहीं होगा।


इसके अतिरिक्त 15 दिसंबर तक पूरे होने वाले कार्यों की जानकारी के लिए बता दें की इसमें 23 भवन 100% तक पूर्ण हो जाएंगे काशीपुराधिपति के धाम की भव्यता अब खुलकर श्रद्धालुओं के सामने आ चुकी है। बाबा धाम के विस्तारीकरण का काम अब पूरा होने की ओर अग्रसर है। वर्तमान में धाम का 80 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो चुका है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के स्वीकृत भवनों का काम भी लगभग पूरा हो चुका है और फिनिशिंग का काम तेजी से चल रहा है। काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश के लिए चार प्रवेश द्वार बनाए जा चुके हैं। तीन यात्री सुविधा केंद्र का निर्माण पूरा हो चुका है।

मंदिर परिसर


इसके अतिरिक्त मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी, यात्री सुविधा केंद्र, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक भवन, जलपान केंद्र, अन्न क्षेत्र और दुकानें भी बनकर तैयार हैं। काशी विश्वनाथ का धाम अब सीधे गंगा तट से जुड़ चुका है। धाम आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान या आचमन करके सीधे मंदिर क्षेत्र में आ सकेंगे।
मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा पथ तैयार किया गया है। काशी विश्वनाथ धाम को सात तरह के पत्थरों से भव्य रूप दिया जा रहा है। कॉरिडोर में अब सुंदरीकरण का कार्य ही शेष है। जिसके लिए 22 सौ श्रमिक वर्तमान समय में लगातार काम कर रहे हैं। तथा काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का सड़क मार्ग से मुख्य प्रवेश द्वार गोदौलिया गेट बनकर तैयार हो चुका है। मंदिर के मुख्य परिसर का पूर्वी द्वार तैयार हो चुका है। 


मंदिर चौक पर तो चुनार के पत्थरों का काम पूरा भी हो चुका है। परिसर का मंदिर चौक, कॉरिडोर में सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसमें श्रद्धालु सुविधाएं विकसित की गई हैं। इसमें ही बनारस गैलरी होगी जहां बनारस से संबंधित हस्तशिल्प और साहित्य उपलब्ध होंगे। 800 करोड़ की लागत से बन रहे इस प्रोजेक्ट का 80%  से अधिक काम पूरा हो चुका है। एवं तराशे गए मकराना मार्बल से लेकर सात प्रकार के पत्थरों से कॉरिडोर को भव्य रूप दिया जा रहा है। पूरा कॉरिडोर अब 5,27,730 वर्ग फीट भूमि पर बन रहा है। 30 महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। इसके लिए 314 भवनों का अधिग्रहण किया गया है। निर्माण के पश्चात इस विशाल गलियारे में 2 लाख श्रद्धालु आ सकेंगे। जहाँ पर पहले 5 हजार वर्ग फीट भूमि भी मिलना कठिन था। कार्य पूर्ण होने के पश्चात दर्शनार्थी कॉरिडोर के बाहरी भाग में टेरेस पर खड़े होकर गंगा नदी के साथ ही मणिकर्णिका और ललिता घाट काे भी निहार सकेंगे।

अधिक जानकारी के लिए विडियो देखें :

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