ऐसा है नव्य अयोध्या का पहला परिवर्तन – Common Building Code Ayodhya
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मित्रों आपने कॉमन सिविल कोड के बारे में अवश्य ही सुना होगा जिस पर की वाद विवाद होता ही रहता है। परंतु आज हम आपको कॉमन बिल्डिंग कोड (Common Building Code Ayodhya) के बारे में बताने वाले हैं जो कि श्री राम जन्म भूमि पर CM योगी आदित्यनाथ ने लागू कर दिया है।
आपने कई बार देखा होगा कि कुछ नगर एक विशेष स्वरुप में दिखाई देते हैं अथवा कुछ विशेष क्षेत्र एक रंग के दिखते हैं या उनकी संरचना कभी-कभी एक जैसी होती है। कभी-कभी हम किसी एक बाजार में जाते हैं तो उनके साइन बोर्ड, दुकानों के रंग आदि एक प्रकार के होते हैं, उदाहरण के लिए दिल्ली का कनाॅट प्लेस, लखनऊ का हजरतगंज व वाराणसी का गोदौलिया दशाश्वमेध मार्केट इत्यादि। जो उस स्थान की विशिष्ट अनुभव आपको कराते हैं।
बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को एक मॉडल नगर के तौर पर विकसित करने के लिए महायोजना-2031 के लिए प्लान तैयार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के आस-पास के क्षेत्रों में कॉमन बिल्डिंग कोड लागू करने को भी कहा है। महायोजना के अंतर्गत अयोध्या को इको फ्रेंडली और सोलर नगर के रूप में विकसित किया जाएगा।
महायोजना 2031 की जानकारी देने से पहले हम आपको कॉमन बिल्डिंग कोड की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि रामजन्मभूमि के साथ-साथ उसके आसपास का क्षेत्र भी भव्यता की प्रतीक होगा। कॉमन बिल्डिंग कोड के लिए जन्मभूमि स तीन सौ मीटर के क्षेत्र तक 7.5 मीटर से 15.5 मीटर ऊंचे भवन ही निर्मित किए जा सकेंगे।
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अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह के अनुसार अयोध्या का राममंदिर राष्ट्रीय धरोहर के रूप में जाना जाएगा। इसी के चलते राममंदिर के आस पास मंदिर व पर्यटकों की सुरक्षा के लिए नई नियमावली बनाई जा रही है। रामजन्मभूमि के आसपास के 300 मीटर क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू रहेगी। यहां कोई नया निर्माण नहीं हो सकेगा। इस क्षेत्र के सभी भवन एक रंग व एक ही आकृति में होंगे।
रामजन्मभूमि परिसर की अंतिम सीमा से 300 मीटर तक की दूरी को निषिद्ध व नियंत्रित सीमा के बीच में बांटा गया है। मंदिर की अंतिम सीमा के पश्चात 100 मीटर की परिधि निषिद्ध क्षेत्र कहलाएगी। 100 मीटर के पश्चात का 200 मीटर का क्षेत्रफल नियंत्रित सीमा कहलाएगा।यहां कॉमन बिल्डिंग कोड भी लागू होगा। इन भवनों का अग्रभाग एक जैसा होगा।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस प्रथम 100 मीटर की परिधि में किसी भी प्रकार का नया निर्माण नहीं हो सकेगा। यहां जो भी भवन होंगे उनकी अधिकतम ऊंचाई 7.5 मीटर होगी। इसके पश्चात के 200 मीटर में भवनों की अधिकतम ऊंचाई 15.5 मीटर होगी। इस सीमा में जो भी भवन होंगे उन सबकी डिजाइन एक प्रकार की ही होगी।
भवन व आश्रम की वास्तुकला को भी समान रूप प्रदान किया जाएगा। सभी को एक रंग में रंगा जाएगा। इन भवनों में भव्य नक्काशी भी की जाएगी। इनके अग्रभाग को इस प्रकार से सजाया जाएगा कि इन्हें देखते ही रामायण युग का अनुभव हो।
बता दें कि श्रीराममंदिर का क्षेत्रफल अभी 70 एकड़ में है। ट्रस्ट मंदिर परिसर के विस्तार की भी तैयारी कर रहा है। ऐसे में ट्रस्ट की ओर से श्रीराममंदिर का क्षेत्रफल मिलने के पश्चात चारों ओर से अंतिम सीमा का निर्धारण हो जाएगा। अंतिम सीमा फाइनल होते ही नई नियमावली पर कार्य आरंभ हो जाएगा।
आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा की कैसी होगी यह नई नियमावली तो आपको हम बता दें कि -रामजन्मभूमि परिसर के बाहर 100 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार के नए निर्माण की अनुमति नहीं होगी।-100 मीटर के पश्चात अगले 200 मीटर के क्षेत्र को निषेधाज्ञा के सीमा में लाकर नियंत्रित क्षेत्र घोषित किया जाएगा।-निषेधाज्ञा का क्षेत्र रामजन्मभूमि परिसर से 300 मीटर तक होगा।
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यही नहीं राममंदिर से सटे क्षेत्रों को प्रदूषण मुक्त बनाने की भी योजना है और इसके लिए रामनगरी के वातावरण को शुद्ध रखने पर भी फोकस है। राममंदिर के आस-पास त्रिस्तरीय हरियाली विकसित की जाएगी। मंदिर का क्षेत्र प्रदूषण मुक्त हो ऐसी योजना है। सरयू घाटों से लेकर पूरे अयोध्या में सॉलिड और लिक्विड वेस्ट को ट्रीट करने वाली तकनीक का प्रयोग किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त रामकथा पार्क से इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। जो श्रद्धालुओं को रामलला सहित रामनगरी के अन्य पौराणिक मठ-मंदिरों व स्थलों तक ले जाएंगी। प्रयास होगा कि रामनगरी में अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएं।
इसके अतिरिक्त रामनगरी को विश्वस्तरीय आध्यात्मिक मेगा सिटी बनाने के लिए प्रस्तावित प्रवेश द्वार योजना को धरातल पर उतारने की तैयारी आरंभ हो गई है। अयोध्या को जोड़ने वाले सभी छह हाईवे पर भव्य प्रवेश द्वार बनेंगे। हर एक हाईवे पर पांच एकड़ भूमि चिह्नित की जा चुकी है। इसके लिए 25 करोड़ रुपये अवमुक्त भी हो चुके हैं।
रामनगरी अयोध्या की सीमा में प्रवेश करते ही भक्तों को रामजन्मभूमि की भव्यता का अनुभव हो इस मंशा से अयोध्या को जोड़ने वाले सभी छह हाईवे पर विशेष प्रवेश द्वार बनाए जाने हैं। योजना के अनुरूप प्रवेश द्वार के निकट यात्री सुविधा केंद्र, पार्किंग स्थल सहित अन्य निर्माण कार्यों को किया जाना है।
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इन प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए शासन से 67 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसमें से 25 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। रीजनल टूरिज्म विभाग के अनुसार भूमि क्रय की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। निर्धारित छह हाईवे पर 30 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होना है। इसके लिए भूस्वामियों से सहमति प्राप्त करने का काम तेजी से चल रहा है।
आपको हम बता दें कि किस हाईवे पर कहां बनेंगे प्रवेश द्वार-इनमें पहला है – लखनऊ हाईवे पर मुमताज नगर व घाटमपुर के पास।दूसरा है -रायबरेली हाईवे पर मऊयदुवंशपुर के पास।तीसरा है -प्रयागराज हाईवे पर मैनुद्दीनपुर के पास।चौथा है-आजमगढ़ हाईवे पर दशरथ समाधिस्थल के पास।पांचवां है -गोंडा मार्ग पर कटरा के पास। तथाछठा है -गोरखपुर मार्ग पर लोलपुर के पास।
आपको हम बता दें कि अयोध्या नगर आयुक्त के अनुसार सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के पश्चात कॉमन बिल्डिंग कोड को लागू करने के लिए एडीए फसाड़ कंट्रोल गाइडलाइन पर कार्य कर रहा है।
अब मंदिर की परिधि और तीनों दर्शन मार्गो को भव्य रूप देने की तैयारी की जा रही है ।अयोध्या को मॉडल नगर र के रूप में विकसित करने के लिए 133 वर्ग किमी का मास्टर प्लान बनाया गया है। एनआरएससी हैदराबाद ने इसे तैयार किया है।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को सुनियोजित नगर के रूप में विकसित करने के लिए ईज ऑफ लिविंग के अंतर्गत दूसरे जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं-पर्यटकों की सुविधा के लिए उनके वाहनों को ऑफ सीजन में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर से अधिकतम 2 किमी पहले और पर्व-त्योहारों के अवसर पर अधिकतम 5 किमी पहले ही पार्किंग की व्यवस्था करने को कहा है। इसके पश्चात शटल बस, इलेक्ट्रिक वाहन की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको कॉमन बिल्डिंग कोड की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री राम अवश्य लिखें।
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