भोजशाला हिन्दू मंदिर नहीं, ASI सर्वे पश्चात् हिन्दुओं की बढ़ी मुश्किलें
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Bhojshala ASI Survey News : अपने अयोध्या झांकी है काशी मथुरा अभी बाकी है का स्लोगन तो बहुत सुना होगा। साथ ही पिछले 2 वर्षों से काशी के ज्ञानवापी में सर्वे और चल रहे विवाद का प्रकरण भी जबरदस्त हाईलाइट होते हुए देखा है। इसी क्रम में अब मध्य प्रदेश स्थित भोजशाला ने अपना स्थान भी बना लिया है क्या है भोजशाला का विवाद कहां से उत्पन्न हुआ है यह सभी प्रकरण, भोजशाला का इतिहास से लेकर के वर्तमान तक की सभी जानकारी आपको हम इस वीडियो में देंगे, तो चलिए वीडियो को आगे बढ़ाते हैं।
Bhojshala ASI Survey News: मध्य प्रदेश के धार जिले की भोजशाला का विवाद फिर से चर्चा में है। मार्च माह से आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया एएसआई ने यहां पर सर्वे का कार्य आरंभ कर दिया है। इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के पश्चात यहां पर सर्वे का आरंभ हुआ है। इस सर्वे के आधार पर ही तय होगा कि यहां पर पूजा होगी अथवा नमाज का अधिकार दिया जाएगा। हालांकि सर्वे को रोकने के लिए मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कड़ी सुरक्षा के बीच सर्वे अब हो चुका है। आखिर क्या है भोजशाला और क्यों हो रहा है इस पर विवाद? क्यों हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला और क्यों हुआ सर्वे, जानिए विस्तार से सब कुछ।
वर्तमान में भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन ASI का संरक्षित स्मारक है। आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसे लेकर अप्रैल 2003 में एक आदेश भी जारी किया था। इसके अनुसार, हिंदुओं को हर मंगलवार को भोजशाला परिसर के अंदर पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को हर शुक्रवार को यहां नमाज अदा करने की अनुमति है। परिसर के अधिकार को लेकर धार्मिक संगठनों में मतभेद होता रहता है। हिंदू संगठन चाहते हैं कि इस साइट का नाम बदलकर सरस्वती सदन हो जाए। इस पूरे विवाद समझने के लिए भोजशाला का इतिहास जानना अत्यंत आवश्यक है।
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बता दें कि धार जिले की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार, भोजशाला मंदिर को राजा भोज ने बनवाया था। राजा भोज परमार वंश के सबसे महान राजा थे, जिन्होंने 1000 से 1055 ईस्वी तक राज किया। इस समयावधि में उन्होंने वर्ष 1034 में एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में भोजशाला नाम से जाना गया। दूर-दूर से छात्र यहां पढ़ने आया करते थे। इसी काॅलेज में देवी सरस्वती का मंदिर भी था। हिंदू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि मंदिर बहुत भव्य था। सरस्वती मंदिर का उल्लेख शाही कवि मदन ने अपने नाटक में भी किया था। नाटक को कोकरपुरमंजरी कहा जाता है और यह अर्जुनवर्मा देव (1299-10 से 1215-18 ई.) के सम्मान में है।
14वीं सदी में आता है इस इतिहास में पहला मोड़ जब 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर हमला कर दिया था, जिसके पश्चात से इस स्थान की शक्ल बदलती गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1401 ईस्वी में दिलवार खान गौरी ने भोजशाला के एक भाग में और 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे भाग में मस्जिद बनवा दी। 19वीं शताब्दी में एक बार फिर इस स्थान पर बड़ी घटना हुई। जब उस समय खुदाई के समयावधि में सरस्वती देवी के प्रतिमा मिली थी। उस प्रतिमा को अंग्रेज अपने साथ ले गए और वर्तमान में वह प्रतिमा लंदन संग्रहालय में है। प्रतिमा को भारत वापस लाए जाने की मांग भी की जाती रही है।
इतिहास की जानकारी देने के पश्चात अब बात करते हैं कि मंदिर-मस्जिद विवाद पर क्या कहती है ASI की रिपोर्ट? तो हम आपको बता दें कि आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया भोपाल सर्किल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद के ढांचे में मूल सरस्वती मंदिर की संरचना के प्रमाण मिलते हैं। धार जिले की ऑफिशियल वेबसाइट पर कहा गया है कि विवादित स्थल में ऐसी टाइल मिली हैं जिनमें संस्कृत और प्राकृत भाषा की साहित्यिक रचनाएं गढ़ी हुई हैं। इन शिलालेख में जो अक्षर दिखाई देते हैं वो 11वीं-12वीं शताब्दी समय के हैं। परिसर में ऐसी बातें भी लिखी मिली हैं जो हिंदू संगठन के दावे को मजबूत करते हैं। यहां पाई गई एक रचना में परमार राजाओं- उदयादित्य और नरवर्मन – की प्रशंसा की गई है जो राजा भोज के तुरंत बाद उत्तराधिकारी बने। दूसरी रचना में कहा गया है कि उदयादित्य ने स्तंभ पर शिलालेख को गढ़वाया था।
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ASI सर्वे की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस संबंध में हिंदू पक्ष ने याचिका डाली हुई है कि भोजशाला उनकी माँ वाग्देवी का मंदिर है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे अपना मजहबी स्थल बताकर सर्वे के खिलाफ बोल रहे हैं। इस मामले में 11 मार्च 2024 को इंदौर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सर्वे की अनमुति दी थी। 22 मार्च से सर्वे आरंभ हुआ, 1 अप्रैल को मुस्लिम पक्ष इसे रोकने सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, 29 अप्रैल को एएसआई के आवेदन पर सर्वे की समयसीमा और बढ़ाई गई, और अब इस मामले में ASI ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है।
परंतु यह मामला अब केवल हिंदू मुस्लिम का नहीं रह गया है क्योंकि मध्यप्रदेश के धार की भोजशाला पर हिंदू और मुस्लिम समाज के पश्चात अब जैन समाज ने भी दावा किया है। जैन समाज ने बीते 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर समाज को तीसरी पार्टी के रूप में सम्मिलित करने की अपील की है।
याचिका में कहा गया है, ‘सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जैन समाज का पक्ष भी सुने क्योंकि ब्रिटिश म्यूजियम में जो मूर्ति है, वह जैन धर्म की देवी अंबिका की है, वाग्देवी (सरस्वती) की नहीं। भोजशाला में ASI के वैज्ञानिक सर्वे में भी बहुत सी मूर्तियां निकली हैं, वह भी जैन धर्म से संबंधित हैं।’
बता दें कि भोजशाला विवाद पर हाईकोर्ट में मई 2022 से सुनवाई चल रही है। 21 मार्च, 2024 को हाईकोर्ट ने ASI से सर्वे कराने का आदेश दिया। यह सर्वे 100 दिन चला। 15 जुलाई को ASI ने सर्वे रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी।
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हिंदू पक्ष ने कोर्ट को बताया कि उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा दी गई है। इसमें ASI रिपोर्ट का हवाला देकर भोजशाला हिंदू पक्ष को देने की मांग की गई। इस पर 30 जुलाई को सुनवाई होनी है। इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक सभी को प्रतीक्षा करना होगा।
जैन समाज के याचिकाकर्ता सलेकचंद्र जैन ने कहा कि भोजशाला जैन समाज की है। समाज को पूजा का अधिकार मिले और इसे समाज को सौंपा जाए। उन्होंने कहा कि 1875 में खुदाई के दौरान भोजशाला से वाग्देवी की मूर्ति निकली थी, परंतु वह जैन धर्म की देवी अंबिका की मूर्ति है।
अब बात करते हैं ASI सर्वे में सामने आए 7 प्रमुख तथ्य की जो हैं-
1. गर्भगृह का पिछला हिस्साः यहां अंदर 27 फीट तक खुदाई की गई है, जहां दीवार का ढांचा मिला है।
2. सीढ़ियों के नीचे का बंद कमराः यहां से वाग्देवी, मां सरस्वती, हनुमानजी, गणेशजी समेत अन्य देवी प्रतिमा, शंख, चक्र सहित 79 अवशेष मिले हैं।
3. उत्तर-पूर्वी कोना व दरगाह का पश्चिमी हिस्साः यहां से श्रीकृष्ण, वासुकी नाग और शिवजी की प्रतिमा मिली है।
4. उत्तर-दक्षिणी कोनाः स्तंभ, तलवार, दीवारों के 150 नक्काशी वाले अवशेष मिले हैं।
5. यज्ञशाला के पासः सनातनी आकृतियों वाले पत्थर मिले हैं।
6. दरगाह: अंडरग्राउंड अक्कल कुइया चिह्नित हुई।
7. स्तंभों परः केमिकल ट्रीटमेंट के पश्चात सीता-राम, ओम नमः शिवाय की आकृतियां चिह्नित हुई हैं।
मित्र अब हम आप पर निर्णय को छोड़ते हैं। हमने आपको सभी जानकारियां दी इतिहास के साथ-साथ वर्तमान तथा विवाद से लेकर के एएसआई के सर्वे में प्राप्त उपलब्धियां एवं मूर्तियां तक कि। आपका क्या मानना है की यह भोजशाला एक मंदिर था या मस्जिद इस पर आप अपने राय हमें कमेंट बॉक्स में लिख करके अवश्य बताएं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-