CM योगी की वृन्दावन धाम को बहुत बड़ी सौगात Banke Bihari Corridor
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Mathura: भारतवर्ष में धार्मिक पुनरुत्थान के युग में वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर के पश्चात अब मोदी योगी राज में वृन्दावन में भी बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर (Banke bihari corridor Vrindavan) बनाया जाएगा। जिसपर अब कार्य का शुभारंभ भी हो गया है।
मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं कोई भी देश अपने इतिहास और अस्तित्व पर गर्व किए बिना भविष्य का गौरवपूर्ण निर्माण नहीं कर सकता। और अपने संस्कृति का उत्कर्ष होता भला किसे नहीं भाता।
सांस्कृतिक आधार व धार्मिक तीर्थों के महत्व को समझते हुए वर्तमान सरकार भारतीय संस्कृति को उत्कर्ष पर पहुंचाने के लिए कई धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण करवा रही है जिसमे की काशी उज्जैन केदारनाथ जैसे नाम सम्मिलित हैं। तथा अयोध्या का श्रीराम मंदिर निर्माण की जानकारी तो हम आपको निरंतर देते ही रहते हैं। इसी क्रम में आज हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विंध्याचल कॉरिडोर के पश्चात अब श्री बांके बिहारी कॉरिडोर को भी मूर्त रूप देने की तैयारी में हैं।
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उत्तर प्रदेश सरकार ब्रज तीर्थ का वैभव बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। योगी सरकार आते ही ब्रज में श्री कृष्ण के लीला स्थल और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों का कायाकल्प करने का खाका तैयार किया गया। करोड़ों रुपये की योजनाओं से ब्रज भूमि पर विकास कार्य संचालित हैं और कई कार्य पूरे भी हो चुके हैं। जिससे पूरे ब्रज क्षेत्र में श्रद्धालुओं की संख्या में भी लगातार बढ़ौतरी हो रही है। और मंदिरों में क्षमता से अधिक श्रद्धालु दर्शन को पहुंच रहे है।
वृंदावन में लगभग 500 छोटे- बड़े मंदिर है। कहा जा सकता है कि हर घर में मंदिर बना हुआ है। ब्रज की इन धरोहरों पुनर्प्रतिष्ठा के उद्देश्य से ही योगी सरकार ने 2018 में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन किया। 2018 से 2022 तक सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की लगभग 95 योजनाएं स्वीकृत की गई। इनमें से 75 फीसद योजनाओं का कार्य पूरा हो चुका हैं।
आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि कैसा होगा श्री बांके बिहारी कॉरिडोर और किस प्रकार की मिलेंगी यहां सुविधाएं तो आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के ही प्रकार से श्री बांके बिहारी मंदिर में भी कॉरिडोर बनाया जाएगा। बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए मंदिर के आसपास पांच एकड़ भूमि की पहचान की जाएगी। मंदिर के तीन ओर 25-25 मीटर का गलियारा बनेगा, जुगलघाट से मंदिर तक 100 फुटा रोड होगा और मंदिर से लेकर विद्यापीठ चौराहे तक का मार्ग भी चौड़ा होगा।
यही नहीं कार्ययोजना में मंदिर पहुंच मार्ग, सड़क चौड़ीकरण, दुकानों की व्यवस्था, जूते चप्पल रखने के स्थान, सीसीटीवी कैमरे, बैरियर, जन सुविधाएं, परिक्रमा पथ, यात्री सुविधा केंद्र, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपज हॉल जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। तथा यमुना पार क्षेत्र में मल्टी लेवल पार्किंग बनेगी तथा वहां से इस पार आने के लिए यमुना पर बनेंगे दो सस्पेंशन पुल। इसके अतिरिक्त वृंदावन के श्री बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर के साथ इसके संचालन के लिए श्राइन बोर्ड के गठन की भी तैयारी की जा रही है।
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सबसे बड़ी बात है कि प्रदेश सरकार पांच एकड़ क्षेत्र में वहां भव्य और दिव्य परिसर तैयार कराएगी। नए परिसर में परिक्रमा मार्ग स्थित जुगल घाट से मुख्य प्रवेश द्वार होगा। परिसर का स्वरूप ऐसा तैयार किया गया है कि उसके अंदर प्रवेश करते ही आराध्य की छवि श्रद्धालु निहार लेंगे।
मुख्य द्वार को इस प्रकार से बनाया जाएगा कि बिहारी जी सीधे यमुना को निहार सकेंगे, क्योंकि यमुना के किनारे बन रहे यमुना रिवर फ्रंट से ही गलियारा के लिए मार्ग जाएगा। मंदिर परिसर बहुत भव्य और दिव्य होगा। प्रस्तावित योजना के अनुसार परिसर में दो तल होंगे। दूसरा तल निचले तल से साढ़े तीन मीटर ऊंचा बनाया जाएगा। ठाकुर बांकेबिहारी ऊपरी तल पर विराजमान होंगे।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि कॉरिडोर योजना में बिहारी जी की गलियों को नौ मीटर तक चौड़ा किया जाएगा। इसमें विद्यापीठ चौराहा मार्ग को 18 मीटर चौड़ा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त बिहारी मंदिर को केंद्र बिंदु रखते हुए 150 फीट चौड़ा परिक्रमा मार्ग भी बनाए जाने की योजना है। मंदिर के ढांचे में किसी प्रकार का परिवर्तन फिलहाल नहीं होगा। अंदर आंगन की सीमा बढ़ाया जाना है।
मंदिर के गेट नंबर दो, तीन और पांच के मध्य स्थित ऊंचे चबूतरे का उपयोग भक्तों की सहूलियत के लिए किया जाएगा। कॉरिडोर की सीमा विद्यापीठ चौराहा से लेकर सूरजघाट तक होगा। वीआईपी मार्ग को 500 मीटर के सीमा में 100 फुटा चौड़ा बनाया जाएगा जबकि विद्यापीठ मार्ग 60 फुट में बदल जाएगा।
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यह तो हुई परियोजना की बात की कैसा बनेगा यह कॉरिडोर, अब हम आपको इस परियोजना की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि वर्तमान समय में यहां पर सर्वे व चिन्हांकन की प्रक्रिया संचालित है। इस सर्वे की आठ सदस्यीय कमेटी में नगर आयुक्त के अतिरिक्त मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण के सचिव, एडीएम फाइनेंस, पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के अतिरिक्त पुलिस विभाग के अधिकारी भी सम्मिलित हैं।
इस टीम का काम बांके बिहारी मंदिर के आस-पास वर्तमान में उपस्थित पांच एकड़ क्षेत्र में चारों ओर अधिग्रहण किए जाने वाली गलियों में दुकानों और मकानों को चिह्नित करना है। साथ ही यहां विकसित की जाने वाली सुविधाओं का प्लान भी पेश करेगी। पूरी रिपोर्ट तैयार करने के पश्चात टीम अपनी रिपोर्ट को डीएम को सौंपेगी।
सर्वे की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि मंदिर का फ्रंट छोड़कर शेष तीनों ओर परिक्रमा पथ का चिह्नाकंन किया गया। तीनों ओर 25-25 मीटर पर निशान लगाए गए। इसके पश्चात समिति ने बांके बिहारी पुलिस चौकी से लेकर विद्यापीठ चौराहे के मुख्य मार्ग का भी सर्वे किया, जिसमें सड़क चौड़ीकरण के लिए कार्ययोजना बनाई गई। इस तरह टुकड़ों में मंदिर के चारों ओर चौड़ा मार्ग से लेकर मंदिर परिक्रमा पथ सहित विभिन्न स्थल, जो पांच एकड़ में आते हैं। उन सभी का चिह्नांकन किया गया।
मंदिर के चारों ओर कौन से वे स्थान हैं, जो पांच एकड़ की कार्ययोजना में सम्मिलित होने हैं। इसके लिए हम आपको बता दें कि एडीएम फाइनेंस ने स्पष्ट किया कि 25 मीटर का ही सर्वे होगा। यदि किसी का आधा मकान हिस्से में आ रहा है तो उससे अधिक नहीं लिया जाएगा। अभी तक पांच एकड़ में प्रस्तावित गलियारे की सीमा में आने वाले भवनों की संख्या 317 है और यह संख्या आगे परिवर्तित हो सकती है।
यह भी बता दें कि राधावल्लभ मंदिर की सीढ़ियों से छेड़छाड़ नहीं होगी। अपितु दूसरी ओर रास्ते को बढ़ाया जाएगा। पुलिस चौकी के सामने दो नंबर गली का भी चौड़ीकरण होगा। यहां दोनों ओर से 15-15 मीटर की सीमा तय की गई है। इसके अतिरिक्त विद्यापीठ चौराहा पर मंदिर की ओर आने वाले रास्ते पर विशाल प्रवेशद्वार बनाया जाना भी प्रस्तावित है। गलियारा के सीमा में कुल 317 भवन शामिल हैं। श्री बांके बिहारी मंदिर के गलियारा के क्षेत्र में आ रहे प्राचीन मदनमोहन मंदिर, अष्टसखी मंदिर समेत प्राचीन महत्व वाले मंदिरों से छेड़छाड़ नहीं होगी। जबकि नए मंदिर, भवन, गेस्टहाउसों को ध्वस्त करने की योजना सम्मिलित है।
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जानकारी हेतु बता दें कि श्री बांके बिहारी मंदिर यूपी के मथुरा जिले के वृंदावन धाम में रमण रेती पर स्थित है। ये भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। वृंदावन धाम में वर्तमान के बांके बिहारी मंदिर को सन् 1864 में स्वामी हरिदास ने करवाया था। स्वामी हरिदास श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की मूर्ति स्वयंभू है।
भगवान श्री कृष्ण एवं श्री राधा रानी की लीलास्थली रहे पवित्र ब्रज भूमि को श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की आस्था का केन्द्र माना जाता है। वर्षभर यहां देशी-विदेशी पर्यटकों का आगमन रहता है। इसमें ब्रज क्षेत्र के आठ (वृन्दावन, बरसाना, नंदगांव, गोवर्धन, राधाकुण्ड, गोकुल, बल्देव एवं मथुरा) स्थल धार्मिक लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण एवं प्रमुख हैं।
महत्वपूर्ण है कि श्री बांके बिहारी मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन को आते है। महत्वपूर्ण तिथियों पर यह संख्या पांच लाख तक पहुंच जाती है, ऐसे में यदि बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनता है तो मंदिर के स्वरूप में निखार आयेगा। श्री बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर के निर्माण से यहां पर श्रद्धालुओं के लिए जन सुविधाओं में भी बढ़ोतरी होगी।
वर्तमान में भीड़ का दबाव अधिक होने के कारण श्रद्धालुओं के मोबाइल, जंजीर, पर्स आदि की चोरी हो जाती है। मंदिर में मूलभूत सुविधाओं के अभाव को लेकर इसी वर्ष 29 लोगों ने आईजीआरएस के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई है।
यह भी बता दें कि वर्तमान में मंदिर का क्षेत्रफल 680 वर्ग मीटर है। और अभी एक बार में लगभग 800 श्रद्धालु ही मंदिर में दर्शन कर पाते हैं, परंतु कॉरिडोर के पश्चात 10000 श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। तथा श्रद्धालु यमुना में डुबकी लगाने के पश्चात इस कॉरिडोर के माध्यम से सीधे मंदिर तक पहुंच भी सकेंगें। क्योंकि कॉरिडोर के माध्यम से मंदिर और यमुना नदी को आपस में जोड़ा जाएगा। जैसे कि काशी में भी हुआ है गंगा नदी और काशी विश्वनाथ मंदिर को जोड़कर।
लागत की जानकारी देने हेतु बता दें कि श्री बांके बिहारी कॉरिडोर की लागत लगभग 506 करोड़ रुपये है। तथा कॉरिडोर पर खर्च के लिए श्री बांकेबिहारी मंदिर के खजाने में उपलब्ध 248 करोड़ रुपये के उपयोग करने का भी सुझाव है।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री बांके बिहारी कॉरिडोर की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री कृष्ण अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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