Exclusive : विश्व में सबसे अद्भुत होगा Ayodhya Shri Ram Mandir
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Ayodhya Shri Ram Mandir : सनातन धर्म का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल श्री राम जन्मभूमि का 500 वर्षों पश्चात ऐसा पल आने वाला है, जिसका साक्षी संपूर्ण विश्व बनेगा। अयोध्या में बन रहा भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अत्यंत अद्भुत है। विश्व भर में फैले करोड़ों रामभक्तों को प्रतीक्षा है कि वह कब रामलला के दरबार में हाजिरी लगा सकेंगे।
Ayodhya Shri Ram Mandir : बता दें कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं और गर्भगृह से लेकर भूतल तक लगभग तैयार हो चुका है। अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर लगने वाला ध्वज दंड भी अयोध्या पहुंच चुका है। यह ध्वज दंड राम मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर लगाया जाएगा।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 44 फीट का ध्वज दंड भूमि से 220 फीट ऊंचाई पर लहराएगा। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ध्वज दंड में धर्म ध्वजा लगाएंगे। अहमदाबाद की अंबिका इंजीनियरिंग कंपनी ने 9 महीने में इस ध्वज दंड को तैयार किया है। इसका वजन 5.5 टन है। इसे 45 कारीगरों ने नौ माह में तैयार किया है। इसके साथ ही परकोटे में बनने वाले छह मंदिरों पर 20 फीट ध्वज दंड लगाए जाएंगे।
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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की अनुमति के पश्चात एलएनटी ने इस ध्वज दंड का निर्माण कराया है। 5 जनवरी को गुजरात के मुख्यमंत्री ने अहमदाबाद से हरी झंडी दिखाकर इसे रवाना किया था। जिसकी जानकारी हमने आपको पहले भी दिया था।
निर्माण कार्य की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि राम जन्मभूमि पथ पर भी कैनोपी लगाने का काम पूरा हो चुका है। यह कैनोपी श्रद्धालुओं को धूप और वर्षा से बचाएगी।
इसके अतिरिक्त आधुनिक सुरक्षा उपकरणों के माध्यम से श्रद्धालुओं की सुरक्षा की व्यवस्था किए जा रहे हैं। राम मंदिर के भूतल का काम लगभग लगभग पूरा हो चुका है। 32 सीढ़ियां चढ़ने के पश्चात भक्तों को रामलला के दर्शन प्राप्त होंगे। जो भी थोड़े बहुत काम बचे हैं वह एक सप्ताह के भीतर पूरे हो जाएंगे।
राम मंदिर में लगाने के लिए 14 स्वर्ण जड़ित द्वार सोमवार को रामनगरी पहुंच गए। जिन्हें मंदिर परिसर में सीसी टीवी कैमरे और कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। इन द्वारों को 15 जनवरी से लगाने का काम शुरू होगा। ट्रस्ट का दावा है कि सभी काम प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले पूरे कर लिए जाएंगे।
अयोध्या में राम मंदिर विश्व का सबसे सुंदर और अनोखा होगा। जिसमे मंदिर का गर्भगृह में भगवान का सिंघासन और मुख्यद्वार भी स्वर्णजड़ित होंगे। इस कार्य का दायित्व दिल्ली के एक ज्वेलर्स फर्म को दिया गया था।
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बताते चले कि इसके लिए सागौन की लकड़ी के द्वार पर पहले अयोध्या में ही 22 गेज के ताम्बे की परत चढ़ाई गई, फिर उसे दिल्ली भेजा गया था। जो अब स्वर्ण जड़ित होकर वापस राम मंदिर में पहुंच चुके हैं।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह की जानकारी देते हुए बता दें कि अस्थायी मंदिर में विराजमान रामलला 21 जनवरी को नए मंदिर में पहुंच जाएंगे। इस दिन भक्तों को दर्शन नहीं मिल पाएंगे। इसकी सूचना ट्रस्ट की ओर से भक्तों को दी जाएगी। अचल मूर्ति को सोने के सिंहासन पर कमल के आसन पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। इसके ठीक सामने सोने के सिंहासन पर विराजमान रामलला चारों भाइयों के साथ विराजित रहेंगे। प्रतिदिन दोनों मूर्तियों की पूजा होगी। रामलला पंचकोसी परिक्रमा करेंगे। प्रमुख मंदिरों के दर्शन भी करेंगे। विभिन्न नदियों के जल से स्नान कराया जाएगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा है कि पूजा नियम के जो भी अनुशासन हैं वह मानेंगे। यदि उन्हें व्रत रखने को कहा जाएगा तो व्रत भी रहेंगे। मंदिर में पांच मंडप हैं। तीन मंडपों में साधु-संतों के बैठने की व्यवस्था होगी। दो मंडप में कुर्सी लगाई जाएगी। परकोटा के प्रवेश द्वार पर खाली स्थान पर लगभग सात हजार कुर्सियां लगाई जाएंगी। गर्भगृह में पूजन के पश्चात पीएम जैसे ही बाहर निकलेंगे वह अतिथियों से मिलेंगे।
यह भी बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले हनुमानगढ़ी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। परिसर की निगरानी 25 सीसीटीवी कैमरों से हो रही है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की अब चेकिंग भी होने लगी है। पुरुष व महिला श्रद्धालुओं को अलग-अलग कतार में दर्शन कराया जा रहा है। हनुमानगढ़ी के प्रवेश द्वार पर जांच के लिए आधुनिक मशीनें भी लगाई गई हैं। सिविल पुलिस के साथ पीएसी सुरक्षा बल की तैनाती की गई है। रामनगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ का सर्वाधिक दवाब सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में रहता है। अयोध्या में हनुमान जी राजा के रूप में पूजे जाते हैं, इसलिए यहां जो आता है सबसे पहले हनुमान जी के दरबार में हाजिरी लगाता है।
प्रतिमा की जानकारी देने हेतु बता दें कि कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगिराज द्वारा बनाई गई ‘राम लला’ की मूर्ति अयोध्या में भव्य राम मंदिर में विराजमान होगी। मैसुरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति को अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है।
यह भी बता दें कि कर्नाटक का भगवान राम से गहरा संबंध है, क्योंकि किष्किंधा इसी राज्य में स्थित है। किष्किंधा में ही भगवान राम के परम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था।
अध्यात्म से समृद्ध राम नगरी अब आर्थिक क्षेत्र में भी सफलता का नया अध्याय लिख रही है। योगी सरकार के कुशल नेतृत्व में ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में उत्तर प्रदेश को 40 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसके साथ ही आर्थिक रूप से भी अयोध्या विकास की नई सीढ़ी चढ़ रही है। 2021-22 में अयोध्या से विभिन्न क्षेत्रों में 110 करोड़ का निर्यात हुआ, जो 2022-23 में बढ़कर 254 करोड़ हो गया है।
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सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रयासों ने अयोध्या को आर्थिक रूप से भी काफी समृद्ध किया है। एक तरफ अयोध्या को जहां सोलर सिटी के रूप में नई पहचान दी जा रही है, वहीं निर्यात के रूप में भी अयोध्या ने अलग उड़ान भरी है। भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े के आधार पर नजर दौड़ाएं तो 2022-23 में रामनगरी से राइस पारब्वायल्ड (एक्सक्लूडिंग बासमती राइस) का 2.76 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि राम मंदिर की सुरक्षा के लिए सरयू की लहरों पर अत्याधुनिक तकनीक वाले सर्विलांस रूम बनेंगे। इनके माध्यम से चौधरी चरण सिंह घाट से गुप्तार घाट तक नदी की निगरानी की जाएगी। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से पहले राम की पैड़ी के पास आरती घाट पर एक कक्ष बनकर तैयार हो जाएगा। अन्य का निर्माण चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा।
भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के पश्चात इसके सुरक्षा घेरे को और विस्तार देने की तैयारी है। सरयू नदी भी इसका माध्यम बनेगी। नदी के रास्ते अयोध्या में कोई अवांछनीय तत्व आतंकी गतिविधियों के इरादे से प्रवेश न करने पाए, इसके लिए उच्च स्तर की तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।
महत्वपूर्ण है कि 22 जनवरी को आयोजित प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पश्चात श्री राम मंदिर को सभी भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा।
मित्रों यदि दी हुई श्री राम मंदिर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री राम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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