इस दिवाली CM योगी देंगे अयोध्या को अंतर्राष्ट्रीय सौगात

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अयोध्या को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार विकसित करने का वर्तमान सरकार पूरा प्रयास कर रही है जिसके अंतर्गत रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस स्टैंड, सड़क चौड़ीकरण, मल्टिलेवल पार्किंग आदि पर कार्य संचालित है तथा तीर्थ व दार्शनिक स्थलों पर भी सरकार का ध्यान केन्द्रित है जिसमें से एक है अयोध्या का क्वीन हो मेमोरियल पार्क जिसे की आम भाषा में कोरियन पार्क भी कहते हैं।

आरंभ करते हैं भारत और कोरिया के इतिहास व संबध से। बता दें की कोरिया और भारत की मित्रता 2000 वर्ष पहले से ही आरंभ होती है। हम ये तो जानते हैं कि अयोध्या श्रीराम से जुड़ी हुई है परंतु इसी नगर की एक राजकुमारी थीं सुरीरत्ना, जो 2000 वर्ष पूर्व दक्षिण कोरिया गईं और वहीं बस गईं थीं। इसका उल्लेख भारतीय, चीनी और कोरियाई दस्तावेजों में मिलता है।

बता दें की चीन के कुछ पौराणिक दस्तावेजों के अनुसार राजकुमारी सुरीरत्ना के पिता के सपने में स्वयं भगवान आए थे। जिनके दिखाए मार्ग पर राजकुमारी के पिता ने अपनी पुत्री को कोरिया के लिए रवाना किया। पौराणिक दस्तावेजों के अनुसार राजकुमारी सुरीरत्ना धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए अयोध्या से जलमार्ग से कोरिया गई थीं। वहाँ उनकी मुलाकात तत्कालीन राजा किम सोरो से हुई और दोनों को प्रेम हो गया। तत्पश्चात उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में राजा से विवाह कर लिया थी।
बता दें की कोरिया में वैसे तो कई रानियों का वर्णन है, परंतु रानी सुरीरत्ना को सबसे अधिक स्नेह मिला है। इसका एक कारण यह माना जाता है कि वह श्रीराम की नगरी अयोध्या से जुड़ी हैं। कोरिया की पुरातन इतिहास कथा ‘सामकुक यूसा’ के अनुसार प्राचीन कोरियाई करक राज्य के संस्थापक राजा सूरो की धर्मपत्नी, रानी हौ को जन्म अयोध्या नगर में हुआ था।

पार्क

कोरिया के पौराणिक इतिहास में यह बात दर्ज है कि नाव से अयोध्या राजकुमारी कोरिया पहुंची थीं। तथा वह नाव कोरिया ने 2000 वर्षों पश्चात भी संभाल कर रखी है। साथ ही, उन्होंने वह पत्थर भी रखें हैं, जिसे राजकुमारी ने नाव का संतुलन बनाने के लिए प्रयोग किया था।

कोरिया में अयोध्या राजकुमारी ने उस समय के राजा किम सोरो से विवाह किया जिसके पश्चात भारत-कोरिया की मित्रता और प्रगाढ़ हो गई। इतना कि कोरिया ने अयोध्या में सरयू नदी के तट पर ‘रानी हो’ का स्मारक बनवाया। चूंकि बड़ी संख्या में कोरियाई लोग स्वयं को रानी सुरीरत्ना जो बाद में हू ह्वांग-ओक के नाम से जानी गईं उनका वंश ही मानते हैं, इसलिए प्रत्येक वर्ष फरवरी-मार्च के मध्य में कोरियन लोग अयोध्या आकर ‘रानी हो’ को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

पार्क

अब आगे बढ़ते हैं और आपको कोरियन पार्क के काल चक्र की जानकारी देते हैं। बता दें की 1 जनवरी वर्ष 2001 में कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने अयोध्या के नयाघाट स्थान पर स्मारक पत्थर का उद्घाटन किया। जिसमें कि कोरियाई और अंग्रेजी में पत्थर के स्मारक पर रानी हीओ की कथा खुदी हुई है। स्मारक के चारों ओर का क्षेत्र कोरिया पार्क कहलाता है। स्मारक कोरियाई पारंपरिक शैली में बनाया गया था, जिसमें कोरिया से भेजे गए 3 मीटर ऊंचे और 7,500 किलोग्राम भारी पत्थर का उपयोग किया गया था।

वर्ष 2001 में ही औपचारिक कोरियाई सरकारी अनुमोदन के आधार पर, भारत में “अयोध्या” शहर के मेयर और दक्षिण कोरिया में “गिम्हे” शहर ने भी संबंधों को औपचारिक रूप देने और सांस्कृतिक और पारस्परिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय “सिस्टर सिटी” बांड पर हस्ताक्षर किए हैं। अर्थात वर्तमान में कोरिया के गिम्हे नगर और भारत के अयोध्या के मध्य में सिस्टर सिटी का संबंध है।

बताते चलें कि कोरिया की महारानी हौ की स्मृति में वर्ष 2001 में अयोध्या में कोरियाई पार्क का निर्माण कराया गया था। तभी से इसके विस्तार पर योजना बनाई जा रही थी। परंतु कोरियाई टीम को भूमि पसंद ना आने के कारण से इसमें विलंब हुआ और दो-दो बार निर्णय परिवर्तन के पश्चात तीसरी बार में चिह्नित स्थल कोरियाई शिष्टमंडल को भी पसंद आया है। जो कि पर्यटन विभाग का साकेत तीर्थ यात्री केन्द्र ही था। सरयू तट पर स्थित कोरियाई महारानी ‘हौ’ के स्मारक के विस्तारीकरण एवं सुन्दरीकरण के लिए मई 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति मून-जे-इन के मध्य हुए एमओयू के अनुपालन में अतिरिक्त भूमि प्रदान करने के निर्णय पर उत्तर प्रदेश शासन ने अंतिम रूप से मुहर लगा दी थी।

नांव

मार्च 2016 में, 38 सदस्यीय दक्षिण कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने स्मारक को और विकसित करने का प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया। जुलाई 2016 में, दोनों देशों ने राजकुमारी सुरिरत्ना की स्मृति में तत्कालीन स्मारक के उन्नयन और विस्तार की सुविधा के लिए रानी सुरिरत्ना स्मारक परियोजना के संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। एवं भारत के क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय ने स्मारक के विकास के लिए ₹3 करोड़ जारी किए। तथा यह निर्णय लिया गया कि दक्षिण कोरियाई आर्किटेक्ट भूमि का सर्वेक्षण करेंगे और एक कार्य योजना तैयार करेंगे। मई 2017 में, भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सियोल यात्रा के समयावधि में, भारत और दक्षिण कोरिया के बीच एक संयुक्त परियोजना के रूप में स्मारक को अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया। 6 नवंबर, 2018 को दीपावली उत्सव की पूर्व संध्या पर, दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जंग-सूक ने इस स्मारक के विस्तार और सौंदर्यीकरण की आधारशिला रखी थी। जिसे की 4 चरणों में बनना था।

मंडप

अब हम आपको इस कोरियन पार्क की विशेषताओं की जानकारी देते हैं। बता दें की सरयू नदी के तट पर बने भारत और कोरिया के ऐतिहासिक संबंधों का साक्षी कोरियाई पार्क अब पर्यटन का केंद्र बनेगा। इसके विस्तारीकरण का काम अब अंतिम चरण में है।

ढाई एकड़ में लगभग 25 करोड़ रुपये की लागत से यह कोरियाई पार्क का स्वरूप निखर रहा है। बता दें की विस्तारीकरण के चलते नया घाट स्थित साकेत तीर्थ यात्री केंद्र के बस अड्डे का अस्तित्व समाप्त हो चुका है एवं अब यह पार्क में ही समाहित हो चुका है।

पार्क

इस स्थान पर नया पार्क प्लाजा, मेडिटेशन सेंटर सहित अन्य आधुनिक सुविधाएं भी होंगी।

ढाई एकड़ में बनने वाले पार्क में दोनों देशों की वास्तुकलाओं का संगम दिख रहा है। यह पार्क देशी एवं विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हो, ऐसा प्रयास है। कोरियाई पार्क अब किंग पवेलियन, क्वीन पवेलियन, मेडिटेशन सेंटर, पाथ-वे, पार्किंग सहित अन्य सुविधाओं से युक्त हो रहा है। पार्क में बनने वाला किंग व क्वीन पवेलियन भव्यता का पर्याय होगा। इस पार्क में बुद्ध भगवान की प्रतिमा को नतमस्तक करती हुई रानी हो व राजा की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र होगी। किंग व क्वीन पवेलियन के माध्यम से अयोध्या की राजकुमारी की नदी व समुद्र से कोरिया की यात्रा की गाथा को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया जाएगा। जिसके लिए यहाँ पर उस नाँव की प्रतिकृति भी बनाई गई है

ता दें की वर्ष 2018 दीपोत्सव में कोरिया गणराज्य की प्रथम महिला व यूपी के मुख्यमंत्री ने शिलान्यास किया था तथा एक वर्ष के भीतर ही इस पार्क का विस्तारीकरण का आरंभ हो चुका था। सबसे महत्वपूर्ण की कोरियाई पार्क के विस्तार योजना में कोरियाई सरकार भी लगभग आठ करोड़ का अंशदान दिया है। शेष धनराशि के व्यय का दायित्व भारत सरकार ने लिया है।

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यहां बनीं दीवारों पर इटालियन पत्थर लगाकर उसकी सुंदरता अत्यधिक बढ़ा दिया है। यहां पर कोरियन और इंडियन पैटर्न की डिजाइन बना कर दोनों सभ्यताओं को दिखाया जा रहा है। कोरियाई लकड़ी और काले रंग का खपड़ैल कोरिया से लाकर उससे सुंदर मण्डप बनाया गया है। जिसपर की वर्तमान समय में फिनिशिंग का कार्य चल रहा है बता दें की इस मण्डप के लिए लकड़ीयाँ भी दक्षिण कोरिया के आर्किटेक्ट ही अपने साथ अयोध्या लेकर आए थे यह लगभग एक हजार पीस थीं इसे आपस में समायोजित कर बनाया गया है जिसकी किमत लगभग 3 करोड़ की बताई जा रही है।

बता दें की चार भागों में बनने वाले इस पार्क का प्रमुख भाग मेमोरियल प्लाजा होगा। मेमोरियल हाल में रानी हौ के बारे में जानकारी देने के लिए कई माध्यमों का प्रयोग किया जायेगा। इस पार्क में दोनों देशों के कई ऐतिहासिक वृक्षों को भी रोपण भी किया गया है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर दो हजार लोगों की क्षमता का ओपेन थियेटर बन रहा है। इसी के माध्यम से दो हजार वर्ष पुरानी अयोध्या व कोरिया की साझी विरासत का दर्शन हो सकेगा।

महत्वपूर्ण है कि इस पार्क के बचे हुए कार्यों को तीव्रता के साथ संपन्न करवाया जा रहा है। पार्क में किंग पवेलियन क्वीन पवेलियन के मध्य में एक पुल पानी के ऊपर बना रहेगा जो उस समय के क्षण को जीवंत करेगा इस पुल के माध्यम से पर्यटक रानी हो पार्क का अवलोकन भी कर सकेंगे। तथा पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं के लिए तमाम सुविधाएं रहेंगे।

तथा सबसे महत्वपूर्ण है कि मेमोरियल स्थापना के लगभग 21 वर्षों पश्चात अब इसी वर्ष दिवाली के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व में इस कोरियन पार्क का उद्घाटन किया जाएगा जिसमें कि कुछ ही दिन शेष हैं। अर्थात दिवाली के अवसर पर यूपी सरकार इस पार्क का उद्धाटन करने जा रही है।

महत्वपूर्ण हैं कि भव्य हुए कोरियन पार्क का स्वरूप अब न केवल भारत-कोरिया के संबंधों की गौरव गाथा बयां करेगा अपितु अयोध्या आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनेगा।

हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह विशेष प्रस्तुति व Exclusive Ground Report पसंद आई होगी।

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One thought on “इस दिवाली CM योगी देंगे अयोध्या को अंतर्राष्ट्रीय सौगात

  • November 2, 2021 at 3:08 pm
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    Aapki yah vishesh jankari hamein bahut bahut pasand ayi.

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