Exclusive : Badrinath Dham Redevelopment Project Update
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Badrinath Dham Redevelopment : धरती का बैकुंठ कहे जाने वाले बद्रीनाथ में, प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं। 3,133 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह कस्बा उत्तराखंड के चमोली जिले में पड़ता है। नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में, अलकनंदा नदी के बायीं ओर बसे आदितीर्थ बद्रीनाथ धाम श्रद्धा व आस्था का अटूट केंद्र है। यह तीर्थ हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है।
Badrinath Dham Redevelopment : यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर एवं नारायण की तपोभूमि है। इस धाम के बारे में कहावत है कि-“जो जाए बद्री, वो न आए ओदरी” अर्थात जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे माता के गर्भ में दोबारा नहीं आना पड़ता। प्राणी जन्म और मृत्यु के चक्र से छूट जाता है।
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भारतवर्ष में चार धाम यात्रा की महत्व को समझते व श्रद्धालुओं को सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से उत्तराखंड एवं केंद्र सरकार का यह प्रयास है कि श्रद्धालुओं के इस तीर्थ यात्रा को सुविधापूर्ण बनाया जा सके। क्योंकि उत्तराखंड की यह संपूर्ण परिक्षेत्र ऊंची व दुर्गम पहाड़ियों, चट्टानों तथा वादियों से घिरी हुई है।
आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पवित्र धाम बद्रीनाथ की महत्वाकांक्षी पुनर्विकास परियोजना के बारे में।
ये वो परियोजना है जो बद्रीनाथ धाम को न केवल भव्य रूप देने वाली है, अपितु यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को सुगम और सुविधाजनक बनाने वाली है।
पहले तो ये जानते हैं कि ये पुनर्विकास परियोजना क्यों आवश्यक है। देखिए, बद्रीनाथ धाम हिमालय की गोद में बसा हुआ एक धार्मिक स्थल है। प्रत्येक वर्ष यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। परंतु, धीरे-धीरे बढ़ती हुई श्रद्धालुओं की संख्या के कारण यहां आधारभूत सुविधाओं पर भार पड़ने लगा था। इस परियोजना का उद्देश्य यही है कि बद्रीनाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
अब हम आपको यहाँ पर हो रहे विकास कार्यों की एक्सक्लूसिव दृश्य प्रदर्शित करते हुए परियोजना की विस्तृत जानकारी देते हैं। बता दें की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ की तर्ज पर बदरीनाथ धाम को विकसित करने के ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत 424 करोड़ का मास्टर प्लान तैयार किया गया है। तीन चरणों में बदरीनाथ में सुविधाओं के लिए आधारभूत संरचना का विकास किया जाएगा।
प्रस्तावित मास्टर प्लान के अंतर्गत बदरीनाथ धाम में पहले चरण में शेष नेत्र व बद्रीश झील का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। दूसरे चरण में बदरीनाथ मुख्य मंदिर व उसके आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। वहीं, अंतिम चरण में मंदिर से शेष नेत्र झील को जोड़ने वाले आस्था पथ का निर्माण कार्य प्रस्तावित है।
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बदरीनाथ धाम में तालाबों के सौंदर्यीकरण, स्ट्रीट स्कैपिंग, क्यू मैनेजमेंट, मंदिर एवं घाट सौंदर्यीकरण, बद्रीश वन, पार्किंग फैसिलिटी, सड़क एवं रिवर फ्रंट डेवलपमेंट आदि निर्माण कार्य मास्टर प्लान के अंतर्गत चरणबद्ध ढंग से प्रस्तावित किए गए हैं।
बता दें, केदारनाथ और बदरीनाथ को मास्टर प्लान में सम्मिलित किया गया था। यहां पर करोड़ों रुपये की लागत से यात्री निवास, अफसरों के निवास, भोग मंडी आदि का निर्माण किया जाना है।
इस परियोजना के अंतर्गत, बद्रीनाथ मंदिर परिसर का विस्तार किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए अधिक स्थान मिल सकेगी। पवित्र अलकनंदा नदी के तट का भी विकास किया जाएगा। यहां श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे और साथ ही साथ ये क्षेत्र आकर्षक भी लगेगा। श्रद्धालुओं के लिए बेहतर शौचालय, स्नानघर और विश्राम गृह बनाए जाएंगे। साथ ही, सामान रखने के लिए क्लोक रूम आदि कि निर्माण।
जानकारी हेतु बता दें कि श्री बद्रीनाथ धाम जो कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में 10300 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है। देवदर्शनी से माणा और मातामूर्ति तक स्थित यह अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है, जिसकी लंबाई लगभग चार-पांच किलोमीटर और चौड़ाई एक किलोमीटर से अधिक है। सर्दियों में यह क्षेत्र 10 से 20 फीट बर्फ से ढका रहता है। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार यह घाटी यू आकार के मोरेन से बनी है। यहां कभी-कभी हिमस्खलन और बर्फीले तूफान आते रहते हैं। अतीत में ऐसी घटनाओं के कई उदाहरण हैं। 1930 में अलकनंदा में आई विनाशकारी बाढ़ में नदी का जल स्तर 30 फीट तक बढ़ गया था, तब रामानुज कोट आदि सहित कई घर नष्ट हो गये थे। 2007 में अलकनंदा की बाढ़ में माणा गांव के पास स्थित पैदल पुल बह गया था। उस बाढ़ के चिन्ह आज भी केशव प्रयाग के आसपास दिखाई देते हैं।
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यही नहीं, बद्रीनाथ की वर्तमान स्थिति में कई मुद्दे हैं, जैसे अनियंत्रित और अनियोजित विकास और निर्माण गतिविधि जिसके कारण अपर्याप्त आधारभूत सुविधाओं, भीड़भाड़ वाली सड़कें, अपर्याप्त सार्वजनिक क्षेत्र और पार्किंग सुविधाएं, तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर में कतार लगाने और घाटों पर अनुष्ठान करने के लिए अपर्याप्त स्थान।
उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा बद्रीनाथ के पुनर्विकास की परियोजना के अंतर्गत इन और अन्य मुद्दों जैसे कि एक सुविधाजनक पर्यटक/तीर्थयात्री नेटवर्क बनाने के लिए पर्यटन महत्व के अन्य आस-पास के स्थानों को एकीकृत करना सम्मिलित है। यह बद्रीनाथ पुनर्विकास परियोजना, INI द्वारा आरंभ की गई थी जिसमें वर्तमान स्थितियों और मुद्दों का दृश्य और विस्तृत मूल्यांकन और अध्ययन, और एक चरणबद्ध कार्यान्वयन योजना में मजबूत भौतिक और सामाजिक आधारभूत संरचना के प्रावधानों सहित वर्तमान नगर के पुनर्विकास के लिए एक मास्टर प्लान तैयार करना सम्मिलित था।
बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान के अनुसार इसमें 85 हेक्टेयर क्षेत्र लिया गया है। वहां देवदर्शिनी स्थल विकसित किया जाएगा। एक संग्रहालय व आर्ट गैलेरी भी बनाई जाएगी। ऑडियो विजुअल माध्यम से दशावतार के बारे में जानकारी दी जाएगी। बद्रीनाथ मास्टर प्लान को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मास्टर प्लान को पर्वतीय परिवेश के अनुकूल बनाया गया है।
वर्तमान समय में सरकार ने बद्रीनाथ मंदिर के लगभग 75 मीटर के दायरे में सभी निर्माण हटा दिए हैं। ताकि मंदिर की भव्यता सभी को दिखाई दे। अलकनंदा रिवर फ्रंट और मंदिर के पास प्लाजा बनाने पर कार्य संचालित है। जिसके हम आपको एक्सक्लूसिव छवि दर्शा रहे हैं। सरकार का कहना है कि इससे बद्रीनाथ धाम की सूरत बदल जाएगी।
हालांकि धामी ने मास्टर प्लान का बजट 250 करोड़ रुपए बताया था, परंतु खर्च को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। किंतु चमोली के जिलाधिकारी के अनुसार मास्टर प्लान के अंतर्गत बद्रीनाथ में चरणबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है और खर्च का हिसाब उसी के अनुसार लगाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार यह बजट 600 करोड़ रुपए से अधिक हो सकता है।
योजना में मंदिर के पास अलकनंदा रिवर फ्रंट और प्लाजा बनाने का कार्य संचालित है। साथ ही सामुदायिक क्लॉक रूम, तीर्थयात्रियों के लिए कतार व्यवस्था, झीलों, सड़कों का सौंदर्यीकरण और पार्किंग की व्यवस्था भी की जाएगी।
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सरकार का कहना है कि इससे बद्रीनाथ अधिक ‘व्यवस्थित और सुंदर’ बनेगा तथा इसे ‘स्मार्ट आध्यात्मिक पर्वतीय नगर’ में परिवर्तित किया जा सकेगा।
हिंदू धर्म के चार धामों में सबसे ऊँचाई पर स्थित बद्रीनाथ धाम जैसे प्रमुख केंद्र का पुनर्विकास श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में संचालित है। परियोजना के पूर्ण होने के पश्चात यह हिंदू तीर्थस्थलों के विकास के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करेगा जिसमें परंपराओं, पवित्रता और प्रकृति का ध्यान रखा गया होगा।
मित्रों यदि दी हुई श्री बद्रीनाथ धाम के पुनर्विकास परियोजना की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री बद्रीनाथ अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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