ये है अयोध्या श्री राम मंदिर निर्माण का असली कारखाना
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आज हम आपको अयोध्या की वो जानकारी देंगे जो प्रभु श्री राम के मंदिर से तो दूर है परंतु इसके बिना मंदिर का निर्माण नहीं हो सकता।
Ayodhya : अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर में लगने वाले पत्थरों को मंदिर प्रांगण से हटकर तराशा जा रहा है। जो कि अयोध्या के रामसेवकपुरम क्षेत्र में स्थित कार्यशाला (Ayodhya Ram Mandir Nirman Karyashala) में संचालित है जहां पर महीन व सुंदर नक्काशी किया जा रहा है। तथा इसके अतिरिक्त यहां से कुछ दूरी पर भी रामघाट के कार्यशाला में बड़े पत्थरों को तराशने का कार्य भी संचालित है।
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बता दें कि राममंदिर निर्माण को लेकर मंदिर आंदोलन के साथ पत्थर तराशी का कार्य सितंबर 1990 में दो कारीगरों ने प्रारंभ किया था। उस समय मंदिर आंदोलन उभार पर तो था किंतु मंदिर निर्माण की संभावना दूर की कौड़ी थी।
परंतु अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए काम तेजी से चल रहा है। इसी के साथ पत्थरों को तराशने के लिए 20 वर्षों के लंबे अंतराल के पश्चात यह कार्यशाला अब तीव्रता से अपना योगदान दे रहा है।
बता दें कि यहां पर कई सारे लगभग 100 से अधिक कर्मचारीयों द्वारा नक्काशी का कार्य किया जा रहा है। साढ़े दस फुट लंबे, ढाई फुट चौड़े और ढाई फुट मोटे आकार के लगभग 70 पीस पत्थर कार्यशाला में रखे थे। पहले उन्हीं के कटिंग और तराशने का कार्य आरंभ हुआ था।
आपको हम बता दें कि रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के निर्माणाधीन मंदिर में विभिन्न प्रकार के कुल पत्थरों को मिलाकर लगभग 12 लाख घनफुट पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा। रामलला का मूल मंदिर अर्थात तकनीकी भाषा में सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण राजस्थान के बंशीपहाड़पुर के लाल बलुआ पत्थरों से ही होना पूर्व निर्धारित है जो कि हो भी रहा है। राम मंदिर आंदोलन के समय ही इस पत्थर का न केवल चयन किया गया अपितु सवा लाख घनफुट पत्थरों को तराश कर पहली मंजिल के मंदिर निर्माण की तैयारी भी हो गयी थी।
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श्रीरामलला के स्थाई भव्य राममंदिर के निर्माण की तैयारी जोरों पर है। राम भक्तों के 500 वर्षों के लंबी प्रतीक्षा के पश्चात श्री रामलला के स्थाई महल के कमरे का पिलर पिछले वर्ष 1 जून से खड़ा होने लगा है। श्री रामलला मंदिर निर्माण में 318 स्तंभो, एक मुख्य शिखर व 5 उप शिखर एवं 161 फीट ऊॅचे, 360 फीट लम्बे व 235 फीट चौड़े मंदिर के लिए शिलाओ की तराशी होनी है। रामलला के मंदिर के अष्ट कोणीय गर्भगृह में मकराना के आठ खंभे लगेंगे जिनकी ऊंचाई लगभग 20 फिट होगी। यह गर्भगृह पूरी तरह से मकराना के श्वेत मार्बल से ही निर्मित होंगे। और शेष खंबे लाल पत्थर के होंगे।
रामसेवकपुरम व रामघाट स्थित कार्यशाला जो कि वर्ष 2000 से बंद पड़ी थी यहीं पर लगभग एक लाख घनफुट अनगढ़े पत्थर सहेजकर रखे गये थे जिनपर वर्तमान समय में नक्काशी किया जा रहा है।
मंदिर निर्माण में लगने वाले कुल पत्थरों की आपको हम संक्षिप्त जानकारी देते हुए बता दें कि मुख्य रूप से 4 प्रकार के पत्थर लगने हैं जो हैं:राम मंदिर परियोजना में परकोटा (नक्काशीदार) के लिए उपयोग किए बलुआ पत्थर जिनकी मात्रा लगभग 8 से 9 लाख क्यूबिक फीट है।इसके पश्चात 6.37 लाख घन फीट बिना नक्काशी वाला ग्रेनाइट प्लिंथ के लिए जिन्हें कर्नाटक से लाकर के लगाया जा चुका है।
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इनके अतिरिक्त नक्काशीदार राजस्थान के भरतपुर जिले में बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों से गुलाबी बलुआ पत्थर, यह लगभग 4.70 लाख क्यूबिक फीट हैं।इसके पश्चात 13,300 घन फीट मकराना सफेद नक्काशीदार संगमरमर गर्भगृह के फर्श आदि निर्माण के लिए है।
परकोटा-बाहरी परिक्रमा मार्ग-मंदिर निर्माण क्षेत्र और उसके प्रांगण के क्षेत्र सहित कुल 8 एकड़ भूमि को घेरते हुए एक आयताकार दो मंजिला परिक्रमा मार्ग परकोटा बनेगा। इसे भी बलुआ पत्थर से बनाया जाएगा। यह परकोटा भीतरी भूतल से 18 फीट ऊंचा है, चौड़ाई में 14 फीट होगा। इस परकोटा में भी 8 से 9 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग होगा। जिसका निर्माण कार्य तीव्र गति से संचालित है।
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