अयोध्या के श्री राम मंदिर में अत्यंत सुन्दर हो रहा है महापीठ का निर्माण
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Ayodhya Ram Mandir Nirman : भगवान राम के जन्म स्थान के रूप में पूरे विश्व में पहचानी जाने वाली सरयू नदी किनारे बसी राम की नगरी अयोध्याजी में इन दिनों विकास की गंगा बह रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब से सीएम पद की शपथ ली है। तब से अयोध्या उनकी प्राथमिकताओं में रहती है। यही कारण है कि अपने पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगभग 40 से अधिक बार अयोध्या आ चुके हैं। वहीं अपने दूसरे कार्यकाल में भी अब तक 5 बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं। जब भी मुख्यमंत्री योगी अयोध्या आते हैं तो विकास कार्यों की समीक्षा बैठक के साथ ही कुछ ना कुछ नई सौगात अवश्य देते हैं।
यही कारण है की संत समाज से लेकर आम जनता तक अयोध्या के विकास को देखकर मुख्यमंत्री योगी को धन्यवाद करता है। चाहे वह भगवान राम का भव्य मंदिर निर्माण कार्य हो अथवा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट। मुख्यमंत्री योगी की मंशा है कि अयोध्या को उसकी गरिमा के अनुरूप विकसित किया जाए।
आपको हम श्री राम मंदिर निर्माण कार्य की जानकारी देने हेतु बता दें कि राम जन्मभूमि परिसर में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। मंदिर निर्माण के लिए प्लिंथ का कार्य पूरा हो चुका है। तो वहीं अब सुपरस्ट्रक्चर के निर्माण का कार्य, गर्भग्रह व ग्रह मंडप के निर्माण का कार्य भी आरंभ हो गया है।
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इसके साथ ही राजस्थान के तराशे गए पत्थरों को लगाया जा रहा है। निर्माण कार्य की प्रगति को और तेजी किया जा सके। इसके लिए कार्यशाला में रखे पत्थरों पहुंचाए जाने के साथ कार्यशाला में कारीगरों की संख्या को भी बढा दिया गया है। बता दें कि अयोध्या के कारसेवकपुरम में चल रहे कार्यशाला में अब लगभग 100 से अधिक कारीगर काम कर रहे हैं।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि राम जन्मभूमि परिसर में चल रहे मंदिर निर्माण को लेकर 1 जून को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा गर्भग्रह पर शिला रखे जाने के पश्चात निर्माण कार्य को आरंभ कर दिया गया है। ग्रेनाइट पत्थरों की प्लिंथ सात लेयर में 21 फूट ऊंची है। 15 फुट ऊंचाई हो जाने के पश्चात मंदिर के बंसी पहाड़पुर के हल्के गुलाबी रंग वाले बलुआ पत्थर जो नक्काशी दार हैं जिसे मंदिर के नक्काशी वाले पत्थर कहेंगे उनको लगाना प्रारंभ हो चुका है। 1 जून से आज संपूर्ण जून, जुलाई और अगस्त बीत चुके हैं। अर्थात कुल 90 दिन में नक्काशी दार पत्थरों में बहुत ही प्रगति हुई है।
मंदिर की भाषा में एक शब्द है महापीठ। आपको हम बता दें कि महापीठ के लगभग 250 पत्थर लगाए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त एक मंडप है गर्भग्रह के साथ सटा हुआ पूर्व दिशा में उसे गृह मंडप कहते हैं उस मंडप में कुल 80 पत्थर लगाए जाने हैं जिसमें 30 लगाए जा चुके हैं। यही नहीं गर्भ ग्रह की दीवारें जिसे मंडोवर कहेंगे उस मंडोवर के 35 पत्थर लगाए जा चुके हैं।
बता दें कि मंदिर निर्माण का कार्य लगभग 45 प्रतिशत पूरा हो चुका है। मंदिर ट्रस्ट का प्रयास है कि वर्ष 2024 में मकर संक्राति के अवसर पर रामलला को गर्भ गृह में स्थापित किया जाए।
आपको हम बता दें कि राम मंदिर का प्रदक्षिणा पथ एक किलोमीटर लंबा होगा। अगले कुछ महीने में परकोटा और प्रदक्षिणा पथ का निर्माण कार्य भी आरंभ हो जाएगा। जिस पर छाया दार परिक्रमा मार्ग मंदिर के चारों और बनेगा। इसकी लंबाई एक किमी होगी। पूरे बेस प्लिंथ पर मुख्य मंदिर के निर्माण की अगले चरण में तैयारी है। इस बीच राम जन्मभूमि के अस्थाई मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
वर्तमान में मंदिर निर्माण को लेकर लगातार दिन और रात कार्य संचालित है। कारीगरों के साथ मजदूरों की भी संख्या में बढ़ोतरी की गई है। भव्य मंदिर निर्माण के लिए बेंगलुरू और राजस्थान से ग्रेनाइट पहुंच रहे है। पिंक सैंड स्टोन को गर्भगृह और अन्य भागों में लगाया जा रहा है।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि अयोध्या में बन रहे रामलला के भव्य मंदिर में देश के कोने-कोने से चुन-चुनकर ऐसी-ऐसी दुर्लभ चीजों का प्रयोग हो रहा है जिसकी संभवतः किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। सूचना है कि राम मंदिर की मजबूती के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट गर्भ ग्रह के निर्माण में पत्थर के मैटेरियल से बनने वाली विशेष ईंट प्रयोग कर रही है।
इस ईंट की विशेषता ये है कि मजबूत तो है ही साथ ही इसे जो केमिकल मिलाकर बनाया जा रहा है उससे ईंट की तपिश भी कम रहेगी अर्थात मंदिर का गर्भ गृह ठंडा रहेगा। ये विशेष प्रकार की ईंटें चंडीगढ़ से मंगवाई जा रही है। जिन्हें विशेष ऑर्डर पर तैयार किया गया है। मंदिर की दीवारों के बीच-बीच में भी इन ईंटों का प्रयोग किया जाएगा। इसे एलमुनियम की पत्ती से जोड़ा जाएगा जिससे इसकी पकड़ मजबूत बनी रहेगी।
राम मंदिर का निर्माण कार्य बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोन से किया गया है। बंसी पहाड़पुर के पत्थरों की विशेषता ये है कि ये धूप की तपिश के पश्चात भी यह ठंडे रहते हैं और इस कारण से मंदिर का भीतरी भाग भी ठंडा रहेगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर के निर्माण में वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग कर रहा है ताकि मंदिर कम से कम 1000 वर्षों तक सुरक्षित रहे। इसके लिए समय-समय पर देश के बड़े वैज्ञानिकों का भी सुझाव लिया जा रहा है। मंदिर निर्माण कर रही दो बड़ी कंपनियां लार्सन एंड टूब्रो और टाटा कंसल्टेंसी के इंजीनियर समय- समय पर मंदिर निर्माण की समीक्षा करते रहते हैं और तय समय के अनुसार काम पूरा करने के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि अयोध्या सर्वश्रेष्ठ नगरी बने इसका विजन डाक्यूमेंट बनकर तैयार हो गया है। विजन के अनुसार जब स्वतंत्रता का 100वां वर्ष मनाया जाए तो तब अयोध्या देश की सर्वश्रेष्ठ नगरी बनकर उभरे, देश की अध्यात्मिक नगर बने, भौतिक और सांस्कृतिक नगर बने। इसलिए 12 सौ एकड़ में नव्य अयोध्या बनाने का जो स्वप्न माननीय मुख्यमंत्री योगी जी ने देखा है उसमें भूमी अधिग्रहण का 80 प्रतिशत कार्य लगभग पूरा हो गया है। शीघ्र ही अयोध्या नव्य अयोध्या बन कर उभरेगी।
जहां मंदिर निर्माण के साथ ही विभिन्न राज्यों के अतिथि गृह भी बनाए जाएंगे। श्रद्धालुओं के आस्था को ध्यान में रखते हुए देशभर के लोगों को धर्मशाला बनाने के लिए भी भूमि ली जाएगी। नव्य अयोध्या के विकास कार्य जब पूरे हों तो यहां पर पौराणिक अयोध्या की जैसी भव्यता दिखाई दे ऐसा सरकार का प्रयास है।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री राम मंदिर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री राम अवश्य लिखें।
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