Varanasi को पहले Expressway का PM Narendra Modi की बड़ी सौगात
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Varanasi Kolkata Expressway : उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लेकर पश्चिम बंगाल के कोलकाता तक एक नवीन एक्सप्रेसवे (Varanasi Kolkata Expressway) का निर्माण किया जा रहा है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी को कनेक्टीविटी की बड़ी सौगात देने वाली है।
Varanasi Kolkata Expressway : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा निर्देशन में उत्तर प्रदेश एक एक्सप्रेस प्रदेश बन करके समस्त भारत को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
इसी क्रम में हम आपको बता दें की वाराणसी को भी एक्सप्रेसवे की सौगात मिली है और वाराणसी अब बिहार होते हुए सीधा कोलकाता से जा मिलेगी।
बता दें कि यह वाराणसी-रांची-कोलकाता सिक्सलेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना के द्वितीय चरण का भाग है। और इसके अंतर्गत देश के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में उच्च गति कनेक्टिविटी प्रदान करने की योजना बनाई गई है। देश में सड़कों और एक्सप्रेसवे का जाल तेजी के साथ बिछाया जा रहा है। अब इन एक्सप्रेसवे की सौगात बिहार- बंगाल और झारखंड के लोगों को भी मिलने वाली है। अब वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे से जुड़ा नया अपडेट सामने आया है।
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वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 7 पैकेज में इसका निर्माण किया जाएगा। इसमें से 5 पैकेज में बिहार के कई भागों को जोड़ते हुए एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जाएगा। इस नए एक्सप्रेस वे की अनुमानित लागत 28,500 करोड़ बताई गई है। यह 610 किमी लंबाई के साथ चार राज्यों को कवर करेगा। एक्सप्रेसवे 4 राज्यों से होकर गुजरेगा, जिसका 159 किमी लंबा हिस्सा बिहार के भाग आएगा। इस ग्रीनफील्ड सिक्सलेन एक्सप्रेस वे के लिए बिहार में 136.7 किमी भूमी चिन्हित कर ली गई है।
एक्सप्रेसवे सड़क का आरंभिक बिंदु वाराणसी रिंग रोड के चंदौली स्थित बरहुली गांव से होगी। फिर यह बिहार में प्रवेश के साथ ही कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जिले से होते हुए आगे बढ़ जाएगा। इसके बाद बिहार के चार जिलों को पार करते हुए यह झारखंड में प्रवेश करेगा। यहां के पांच जिले चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, पीटरबार और बोकारो से होते हुए एक्सप्रेसवे पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगा। बंगाल के पुरुलिया, बांकुरा और आरामबाग से होकर एक्सप्रेसवे उलुबेरिया में राष्ट्रीय राजमार्ग 19 पर समाप्त होगा। झारखंड में इसकी लंबाई 187 किमी रहने की बात कही जा रही है। वहीं, पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 242 किमी लंबाई तय करेगा।
वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस के पहले पैकेज में यूपी के वाराणसी से आरंभ होकर बिहार के कुछ भाग में समाप्त होगा, जो कि लगभग 22 किमी लंबा होगा। इसके अतिरिक्त लगभग 1317 करोड़ रुपये की लागत से पहले पैकेज के कुल 27 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाएगा। वहीं, दूसरे पैकेज में भी 27 किमी सड़क का ही निर्माण किया जाएगा, जो कि 851 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस सड़क के पहले पैकेज में उत्तर प्रदेश में केवल 22 किमी लंबाई में निर्माण होगा। इसी पैकेज में बिहार में लगभग पांच किमी लंबाई में सड़क का भाग सम्मिलित है। अर्थात पहले पैकेज में करीब 1317 करोड़ रुपए की लागत से लगभग 27 किमी सड़क का निर्माण होना है। वहीं, दूसरे पैकेज में 851 करोड़ की लागत से करीब 27 किमी लंबाई में सड़क बनेगी। तीसरे पैकेज में करीब 1113.43 करोड़ की लागत से लगभग 36 किमी लंबाई में सड़क बनेगी। वहीं छठे पैकेज में लगभग 1035 करोड़ की लागत से लगभग 35.20 किमी लंबाई में सड़क का निर्माण होगा। वहीं सातवें पैकेज में लगभग 1248.37 करोड़ की लागत से लगभग 33.50 किमी की लंबाई में सड़क बनेगी।
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सूत्रों के अनुसार यह सड़क उत्तर प्रदेश से बिहार की सीमा में प्रवेश के बाद भभुआ अधौर रोड होकर कैमूर – अभयारण्य में प्रवेश करेगी। वहां पहाड़ी में टनल बनाना है। इसे लेकर एनएचएआइ के द्वारा सर्वे किया जाना है। और वर्तमान में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की स्वीकृति की प्रतीक्षा है। इसके आगे यह सड़क तिलौथू के पास से गुजरेगी।वहां सोन नदी में पुल बनना है। तत्पश्चात यह सड़क औरंगाबाद और गया जिला से होकर झारखंड में प्रवेश करेगी।
निर्माण कार्य की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि एनकेएस प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड गुड़गांव और पीएनसी इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड आगरा को निर्माण एजेंसी नियुक्त किया गया है। दोनों कंपनियों से अनुबंध प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि अधिकांश भूमी का अधिग्रहण पूरा हो चुका है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सर्वे रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया है। निर्माण एजेंसियों को चंदौली, कैमूर और रोहतास में 90 किलोमीटर सिक्स लेन कार्य करना होगा। जिसमें 4 बड़े व 28 छोटे पुल बनाए जाएंगे। 6 फ्लाईओवर, 44 अंडरपास व माइनर ब्रिज, 6 इंटरचेंज और 3 टोल प्लाजा बनाने के लिए स्थान चिह्नित किया गया है।
3 पैकेज में लगभग 2998 करोड़ लागत से परियोजना दो वर्ष में पूरी करनी होगी। चंदौली से प्रोजेक्ट आरंभ होगा, जो रोहतास के कोनकी गांव में समाप्त होगा। इसपर बजट स्वीकृत हो चुका है। और 3 जिलों के 89 गांवों में लगभग 338 करोड़ रुपये से भूमी अधिग्रहण हुआ है।
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बता दें कि एक्सप्रेसवे पर वाहनों की औसत गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी। जिससे लगभग 6 घंटे में बनारस से कोलकाता तक दूरी तय की जा सकेगी। यह एक्सप्रेसवे पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग दो के समानांतर बनेगा। और इसमें कैमूर में 5 किलोमीटर लंबा टनल भी बनेगा।
परियोजना से मिलने वाले लाभ की जानकारी देने हेतु बता दें इस एक्सप्रेसवे से ट्रैफिक में कमी आएगी। विभिन्न नगरों के मध्य यात्रा का समय कम होगा, इससे उन नगरों के संपर्क में सुधार होगा जिससे होकर यह गुजरेगा। पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार व झारखंड में समुद्री व्यापार के लिए कोलकाता और हल्दिया बंदरगाहों का प्रयोग होता है। एक्सप्रेसवे से माल की यातायात का समय कम होगा। इससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। उद्योगों का विकास होगा और रोजगार का भी सृजन होगा।
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यह भी बता दें कि इस परियोजना में विलंब होने का कारण वनभूमि के बदले भूमी उपलब्ध नहीं होना था। जिसके कारण से वाराणसी-रांची- कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे का काम अटक रहा है। 610 किमी लंबे इस हाइवे के झारखंड सेक्शन में 210 किलोमीटर लंबाई में निर्माण होना है। रामगढ़ जिला छोड़कर बोकारो, हजारीबाग व चतरा जिला में भूमी उपलब्धता की स्थिति खराब है। पहले वनभूमि के बदले एनएचएआई डबल राशि क्षतिपूर्ति के रूप में वन भूमि को देता था, जिससे अन्यत्र स्थानों पर वनीकरण होता था, परंतु भारत सरकार के वन पर्यावरण मंत्रालय के नये नियम के कारण से अब भूमी के बदले दूसरे स्थान पर भूमी उपलब्ध कराना है। वह भी वैसी भूमी पहले से वनभूमि के रूप में अधिसूचित न हो अर्थात जीएम लैंड इत्यादि हो।
वहीं आपको हम इस वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे के शिलान्यास की जानकारी देने हेतु बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 फरवरी को अपने वाराणसी आगमन के अवसर पर इस बहुप्रतीक्षित परियोजना के प्रथम चरण का शिलान्यास कर रहे हैं जो कि 1317 करोड़ रुपए के मूल्य का होगा।
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