इस श्याम शिला से होगा अयोध्या भगवान राम लला का प्रतिमा निर्माण
Getting your Trinity Audio player ready...
|
राम मंदिर निर्माण (Ayodhya Ram Mandir Nirman) अब पूर्णता की ओर है। मंदिर के गर्भगृह व प्रदक्षिणा पथ पर बीम का कार्य पूरा हो चुका है। इसके अंतर्गत दीवारों पर बीम की गढ़ी शिलाओं को सज्जित किया जा चुका है। इसके पश्चात अब प्रदक्षिणा पथ की ओर से ही छत की शिलाओं के रखने का कार्य भी प्रारंभ हो गया।
Ayodhya : प्रदक्षिणा पथ की ओर बीम पर छत की आयताकार एक शिला को संयोजित की जा रही है और इस कार्य में अब तेजी आएगी। जून तक इस कार्य के पूरा करने का लक्ष्य तय है। साथ ही मंदिर के प्रथम तल का कार्य अगस्त तक पूरा किया जाएगा। दिसंबर तक प्रथल तल पूरी तरह से निर्मित हो जाएगा।
आपको हम बता दें कि बीम पर रखी जाने वाली छत की शिलाओं की पर्याप्त आपूर्ति भी हो चुकी है। कुछ दिन पूर्व छत की निर्माण की मैपिंग की गई थी। इससे यह पता चला छत की शिलाओं की कहां-कहां और किस ओर से संयोजित करने हैं।
वहीं आपको हम यह भी बता दें कि राम जन्मभूमि परिसर में निर्माणाधीन यात्री सुविधा केंद्र, विद्युत केंद्र, शौचालय आदि का निर्माण भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। यात्री सुविधा केंद्र सहित अन्य प्रखंडों की नींव तैयार हो चुकी। ऊपरी ढांचा पर कार्य आरंभ है। इस यात्री सुविधा केंद्र में 25 हजार यात्रियों के निवास की सुविधा होगी।
इसके अतिरिक्त आपको हम भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापना की जानकारी देने हेतु बता दें कि राम मंदिर में भगवान राम और उनके भाइयों की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त काशी के गणेश्वर निकालेंगे। राम मंदिर निर्माण के अगले चरण में अब प्रभु रामलला के विग्रह के अतिरिक्त मंदिर के 6 दर्जन खंभों पर भी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं उकेरी जाएंगी।
अयोध्या में बन रहे भव्य-दिव्य राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापना के लिए मुहूर्त निकालने का जिम्मा धर्म नगरी काशी के विद्वान आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को मिला है। इनके द्वारा निकाले गए मुहूर्त में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2020 में राम मंदिर की आधारशिला रखी थी। शुभ मुहूर्त नव वर्ष अर्थात 2024 के फरवरी महीने में मिलने की अधिक संभावना है। ऐसे में माना जा रहा है कि जनवरी की बजाए फरवरी महीने में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसपर आपके क्या विचार हैं वह कमेंट करके अवश्य बताएं।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने अगले वर्ष मकर संक्रांति के पश्चात शुभ मुहूर्त में मंदिर के गर्भगृह में प्रतिमा स्थापित किए जाने का निर्णय लिया है। इस बीच न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज ने मुहूर्त निकालने के लिए काशी के रामघाट स्थित वल्लभ राम शालिग्राम सांगवेद महाविद्यालय के आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ से संपर्क साधा है।
Read Also
अब कश्मीर में हुआ बड़ा खेला, 75 वर्षों बाद बदला इतिहास
बन रहा है माँ त्रिपुर सुंदरी का भव्य मंदिर कॉरिडोर
न्यास की ओर से 15 से 25 जनवरी के बीच तीन मुहूर्त बताने का आग्रह किया गया है। गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ मुहूर्त निकालने में जुट गए है। आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बताया कि न्यास की ओर से जिन तिथियों में मुहूर्त की मांग की गई है, उन तिथियों पर अच्छे मुहूर्त मिलना कठिन हो रहा है। फरवरी महीने में शुभ मुहूर्त मिलने की संभावना प्रबल है। ऐसे में फरवरी महीने में भगवान के बाल स्वरूप की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने की आशा है।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि कर्नाटक की श्याम शिलाओं से रामलला की प्रतिमा का निर्माण मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज करेंगे। मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि 28 मई से 3 जून के मध्य अयोध्या में मंदिर ट्रस्ट के सभी सदस्यों की बैठक बुलाई जाएगी। इसमें आगे के सभी कार्यक्रमों पर सदस्यों के बीच सहमति बनेगी। उन्होंने बताया कि मंदिर के 6 दर्जन खंभों पर क्रमश: 21 ,16 और 14 देवी देवताओं की प्रतिमाएं बननी हैं। ये प्रतिमाएं प्रमुख मूर्तिकार ही तराशेंगे। इसके लिए मूर्तिकारों के ठहरने व काम करने के लिए स्थान तय किया जा रहा है। रामलला की प्रतिमा का निर्माण स्थल ऐसे स्थान पर बनेगा जहां सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था भी रहेगी।
यही नहीं अयोध्या आई सभी शिलाओं का होगा उपयोग। जी हां विभिन्न प्रांतों से जो शिलाएं अयोध्या लाई गई हैं उन सबका उपयोग मंदिर में बनने वाली मूर्तियों में किया जाएगा। रामलला की बाल्यावस्था वाली मूर्ति कर्नाटक की श्यामशिला से ही बनेगी। जब गर्भगृह में राम लला का दर्शन आरंभ होगा तो देश के विभिन्न प्रांतों से लाखों श्रद्धालुओं अयोध्या आएंगे। इनमें विभिन्न भाषाओं के जानकार होंगे। उनको व्यवस्था की जानकारी व दर्शन करवाने के लिए देश भर से विभिन्न भाषाओं के जानकार कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की जा रही है, जो कार्यक्रम की व्यवस्था देखेंगे।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि अब श्री राम जन्मभूमि (Shri Ram Janmabhoomi) मंदिर में स्थापित होने वाली मूर्तियां बनाई जानी हैं, इनमें गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति भी सम्मिलित है। कर्नाटक से आई शिलाखंड रामलला (Ramlala) की मूर्ति के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया है, इसलिए जैसे ही इसकी चर्चा बाहर आई बड़ी संख्या में भक्त अयोध्या आकार उन शिलाखंडों के दर्शन पूजन कर हर्ष जता रहे हैं।
यह भी बता दें कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला की जिस मूर्ति की स्थापना होनी है उसकी ऊंचाई 52 इंच होगी, जबकि संरचना 5 वर्षीय बालक की होगी, जिसके बाएं कंधे पर धनुष होगा। बालस्वरूप की यह मूर्ति खड़े हुए रामलला की होगी। कर्नाटक से आए शिलाखंड रामलला की मूर्ति बनाने के लिए सबसे उपयुक्त पाए गए हैं, जबकि कर्नाटक के ही रहने वाले और देश के जाने-माने मूर्तिकला विशेषज्ञ अरुण योगीराज रामलला की मूर्ति का निर्माण करेंगे।
शिला की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि संतों, भूवैज्ञानिकों, मूर्तिकारों, हिंदू शास्त्रों के विशेषज्ञों और ट्रस्ट पदाधिकारियों के परामर्श के पश्चात ‘कृष्ण शिला’ का चयन किया गया। देश के 5 चित्रकार मूर्तिकारों की कमेटी ने पुणे के प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत के चित्र पर सहमति जताई है। इसी चित्र के आधार पर मूर्ति को आकार दिया जाएगा।
पिछले 5 महीनों में कर्नाटक से 5, राजस्थान से 4, ओडिशा से 1, नेपाल से 2 शिलाएं लाई गईं।वहीं मूर्तिकार की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 37 वर्षीय अरुण योगीराज मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। वे पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए किया, फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। फिर इस पेशे में आए। हालांकि मूर्तियां बनाने की ओर उनका झुकाव बचपन से था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके काम की प्रशंसा कर चुके हैं।
Read Also
देश के पहले अर्बन ट्रांसपोर्ट वाराणसी रोपवे का हुआ विस्तार
बन रही है काशी की नई पहचान, PM मोदी द्वारा उद्घाटित
योगीराज की बनाई आदि शंकराचार्य की 12 फुट ऊंची प्रतिमा केदारनाथ में और दिल्ली के कर्तव्य पथ पर 28 फीट ऊंची नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा और महाराजा जयचामराजेंद्र वाडियार की 14.5 फुट की प्रतिमा मैसूर में स्थापित है।
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को अगले 1 हजार साल के लिहाज से तैयार किया जा रहा है। डिजाइन से लेकर मटीरियल तक में इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। मंदिर की खिड़की और दरवाजों के लिए चंद्रपुर की सागौन लकड़ी को चुना गया है।
राम मंदिर निर्माण की अवधि जैसे-जैसे पूरी हो रही है, अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। प्रतिदिन रामलला के दर्शन के लिए पूरे देश से श्रद्धालु धर्म नगरी अयोध्या पहुंच रहे हैं और अपने आराध्य के दर्शन पूजन कर रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दर्शन मार्ग पर अस्थाई त्रिपाल की व्यवस्था की है ताकि श्रद्धालु जब चेकप्वाइंट पर पहुंचे तो उनको चिलचिलाती धूप और गर्मी से राहत मिल सके।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री राम मंदिर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री राम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें