भारत आ रहा है बुलेट ट्रेन का बाप Hyperloop Train in India
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Hyperloop Train in India : क्या आपने कभी सोचा है कि आप मुंबई से पुणे सिर्फ 30 मिनट में पहुँच सकते हैं? या दिल्ली से लखनऊ मात्र 45 मिनट में? ये कोई स्वप्न नहीं, अपितु सच्चाई बन सकती है हाइपरलूप की बदौलत, जिसपर भारत में अब कार्य आरंभ हो चुका है।

जहां एक और भारत में बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए मुंबई से अहमदाबाद के मध्य 508 किलोमीटर की दूरी पर संपूर्ण भूभाग में बुलेट ट्रेन को धरातल पर उतरने के लिए परियोजना पर तीव्र गति से निर्माण कार्य संचालित है जिसमें की मुंबई से अहमदाबाद के मध्य की दूरी लगभग 2 घंटे में ही तय की जा सकेगी परंतु अब उससे भी तीन गुना अधिक गति से चलने वाली हाइपरलूप ट्रेन पर भी कार्य चालू हो रहा है जिसकी हम आपको इस वीडियो में एक्सक्लूसिव अपडेट तथा वर्तमान परिस्थिति की विशेष जानकारी देने वाले हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान की भारत सरकार देश को विकसित बनाने के लिए भारत के संपूर्ण भूभाग पर आधारभूत संरचनाओं का अभूतपूर्व विकास कर रही है चाहे व रोड का चौड़ीकरण हो एक्सप्रेसवे का निर्माण हो फ्लाई ओवर व पुलों का निर्माण हो स्मार्ट सिटीज की परिकल्पना को साकार करना हो देश को स्वच्छ बनाना हो नगरों को मॉडर्न बनाना हो अथवा देश की गति को बढ़ाने में योगदान देने वाले जितनी भी परियोजनाएं हैं उनको तेजी से आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है जिसमें रेल व रोड के साथ एयरपोर्टों का निर्माण भी सम्मिलित है।
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बता दें कि हाइपरलूप एक क्रांतिकारी परिवहन तकनीक है जिसे एलन मस्क ने 2013 में प्रस्तावित किया था। यह एक वैक्यूम ट्यूब के भीतर चलने वाली ट्रेन होती है, जो अत्यंत कम घर्षण के कारण 1000 km/h से भी अधिक की गति पकड़ सकती है।
हाइपरलूप की विशेषता की जानकारी देने हेतु बता दें कि यह:
1. सुपर फास्ट स्पीड: 1000 से 1200 किमी/घंटा तक की यात्रा कर सकती हैं,
2. यह एनर्जी एफिशिएंट होती है क्योंकि यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तकनीक पर आधारित होती है।
3. इसके लागत भी कम होती है क्योंकि इसके रखरखाव और ऑपरेशन कॉस्ट कम होती है, तथा
4. यह पर्यावरण के अनुकूल भी होती है क्योंकि इसमें कार्बन उत्सर्जन शून्य होता है।

अब यदि बात करें भारत में हाइपरलूप के विकास की तो आपको हम बता दें कि भारत में हाइपरलूप ट्रेन का सपना साकार करने के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है। वर्जिन हाइपरलूप और एलन मस्क की कंपनी भारतीय सरकार के साथ इस टेक्नोलॉजी को लाने के लिए बातचीत कर रही हैं।
बता दें कि भारत में परिवहन प्रणाली को एक नई दिशा देने के लिए हाइपरलूप तकनीक पर काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीते दिनों देश के पहले हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का निरीक्षण किया है।

यह ट्रैक लगभग 410 मीटर लंबा है और इसमें 1000 किमी/घंटे की अविश्वसनीय गति से ट्रेन दौड़ सकती है। इस अत्याधुनिक तकनीक को आईआईटी मद्रास के युवा इंजीनियरों की टीम ने डिजाइन किया है।
रेल मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर भविष्य के ट्रांसपोर्ट में इनोवेशन कर रही है।आईआईटी मद्रास में हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पर काम जारी है, जिसमें वैक्यूम उत्पन्न कर ट्रेन को ट्रैक से ऊपर मैग्नेटिक लैविटेशन के माध्यम से चलाया जाएगा। इस तकनीक के सफल होने पर 300 किमी की दूरी मात्र 30 मिनट में पूरी की जा सकेगी।
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, “एशिया में सबसे लंबी हाइपरलूप ट्यूब जो कि 410 मीटर लंबी है और शीघ्र ही यह विश्व की सबसे लंबी हो जाएगी।
संवाददाताओं को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा कि वैक्यूम में चलने वाली हाई-स्पीड ट्रेन को स्वदेशी तकनीकों का उपयोग करके विकसित किया गया है।

यही नहीं रेल मंत्रालय को परियोजना के लिए धन और तकनीकी सहायता प्रदान की गई है, और हाइपरलूप के लिए इलेक्ट्रॉनिक तकनीक आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) चेन्नई में विकसित की जाएगी। बता दें कि आईसीएफ ने ही वंदे भारत हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम भी सफलतापूर्वक विकसित किया है।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि आईआईटी मद्रास के हाइपरलूप प्रोजेक्ट से जुड़े एक छात्र ने बताया कि वर्तमान में जो पॉड डिजाइन किया जा रहा है, उसकी परिवहन क्षमता 1000 किलो है। इसका अर्थ है कि यह 11 व्यक्तियों या 1000 किलो भार के सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकता है। यह भविष्य की परिवहन प्रणाली को अधिक तेज़ और कुशल बनाएगा।
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बता दें कि हाइपरलूप एक क्रांतिकारी परिवहन प्रणाली है, जिसमें ट्रेन चुंबकीय तकनीक से लैस पॉड पर चलती है। और इस तकनीक के अंतर्गत खंभों के ऊपर (एलिवेटेड) ट्रांसपेरेंट ट्यूब बिछाई जाती है। और इसके अंदर एक लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है। तथा इसमें घर्षण ना होने के कारण इसकी गति 1100 से 1200 किमी/घंटे तक हो सकती है। सबसे बड़ी बात की यह प्रणाली कम ऊर्जा खपत करती है और यह पर्यावरण के लिए अनुकूल भी है।
आपको हम बता दें कि हाइपरलूप की तेज़ गति के माध्यम से दिल्ली से जयपुर की दूरी मात्र 30 मिनट में तय हो सकेगी। एक और महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि वैक्यूम ट्यूब में चलने के कारण बाहरी मौसम और हादसों का खतरा कम रहेगा। जिससे भारत में परिवहन के क्षेत्र में हाइपरलूप एक क्रांतिकारी कदम सिद्ध हो सकता है। आईआईटी मद्रास के छात्रों द्वारा किया जा रहा यह इनोवेशन देश के भविष्य के ट्रांसपोर्ट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

भारत में हाइपरलूप कब तक आएगा? यदि आप यह सोच रहे हैं तो आपको हम बता दें कि अभी इसकी टेस्टिंग कुछ छोटे स्केल पर हो रही है। पायलट प्रोजेक्ट 2027 तक मुंबई-पुणे रूट पर हाइपरलूप के पहले सफल ट्रायल की संभावना है, और यदि वह सफल रहा तो तक जनता के लिए पहला हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट 2030 तक उपलब्ध हो सकता है।
वहीं हाइपरलूप से भारत को क्या लाभ होंगे? इसकी जानकारी हेतु बता दें कि यदि हाइपरलूप भारत में आ जाता है, तो इससे
1. यात्रा में समय की बचत होगी, क्यों कि ट्रेनों और फ्लाइट्स की तुलना में कई गुना यह तेज़ होगा
2. अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और नई नौकरियों के अवसर और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास भी होगा।
3. भारत में लॉजिस्टिक्स में सुधार भी होगा क्योंकि सामान की डिलीवरी सुपरफास्ट हो सकेगी।
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परंतु भारत में हाइपरलूप की चुनौतियाँ भी हैं, जैसे
1. उच्च निवेश लागत क्योंकि इस तकनीक को विकसित करने के लिए लाखों करोड़ों रुपये की आवश्यकता होगी।
2. सुरक्षा और विश्वसनीयता क्योंकि भारत जैसे घनी जनसंख्या वाले देश में इतनी तेज़ स्पीड पर ट्रेन को चलाना एक बड़ी चुनौती होगी।
3. नियामक बाधाएँ, सरकार और रेलवे बोर्ड से कई प्रकार की स्वीकृतियाँ लेनी होंगी।
4. तकनीकी सीमाएँ: इस सिस्टम के लिए अत्यंत उन्नत तकनीक और रिसर्च की आवश्यकता होगी।
आपका क्या विचार है? क्या भारत में हाइपरलूप सफल हो सकता है? अभी तक आपने अधिकतम कितनी गति की ट्रेन में यात्रा किया है? आप हमें कमेंट करके अवश्य बताएं।

मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको हाइपरलूप ट्रेन परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में अपने गांव अथवा जिला का नाम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए विडियो देखें:-