दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन पर आई दोहरी खुशखबरी
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देश के विकास को गति प्रदान करने के उद्देश्य से भारत में वृहद High speed trains का जाल बिछ रहा है जिसमें कि काशी अर्थात भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Bullet Train Varanasi) से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन को लेकर दिल्ली और वाराणसी के मध्य प्रस्तावित हाई-स्पीड रेलवे कॉरिडोर में रुकावट आ गई है, क्योंकि रेलवे बोर्ड ने मार्ग के साथ कई वक्रों का हवाला देते हुए परियोजना पर व्यवहार्यता रिपोर्ट को निरस्त कर दिया है, जो 350 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली बुलेट ट्रेन के लिए उपयुक्त नहीं होगा। इसपर हम आपको सटीक व स्पष्ट उत्तर देने वाले हैं।
बता दें कि पिछले दिनों कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा गया की नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा प्रस्तुत की गई व्यवहार्यता रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित कॉरिडोर को राष्ट्रीय राजमार्ग -2 के साथ बनाया जाएगा। इसने कहा कि इससे सस्ती दरों पर भूमि के अधिग्रहण और निर्माण की लागत को कम करने में सहायता मिलेगी।
हालाँकि, तकनीकी समस्या जिसके कारण प्रस्ताव को सिरे से निरस्त कर दिया गया था कि NH-2 में दिल्ली और वाराणसी के बीच कई स्थानों पर घुमावदार खंड थे, जो एक ट्रेन के लिए 350 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने के लिए अत्यधिक खतरनाक हो जाएगा। और 350 किमी प्रति घंटे की गति से बुलेट ट्रेन चलाने के लिए हाई स्पीड कॉरिडोर का ट्रैक सीधा होना चाहिए।
तथा इसपर रेलवे बोर्ड ने सुझाव दिया है कि अभी के लिए 160- 200 किमी प्रति घंटे की गति से केवल सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनें चलाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए लगभग 400 ऐसी वंदे भारत ट्रेनें अगले तीन वर्षों में उपलब्ध होंगी और विभिन्न मार्गों पर प्रयोग की जा सकती हैं।
वहीं वंदे भारत ट्रेनकी बात करें तो देश में इन दिनों वंदे भारत ट्रेन की चर्चा जोरों पर है। ये ट्रेन बुलेट ट्रेन से भी अधिक गति प्रदान करेगी। वंदे भारत ट्रेन सौ किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली ट्रेन होगी। रेलवे बोर्ड के अधिकारी दावा करते हैं कि 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा तय करने में बुलेट ट्रेन को 55.4 सेकंड लगता है।
वहीं भारत में तैयार की गई वंदे भारत ट्रेन को ये दूरी को तय करने में मात्र 54 सेकंड लगेगी। ट्रेन पूर्ण रूप से स्वदेशी है। इसे देश में ही निर्मित किया गया है।
रेलवे अधिकारी कहते हैं कि वंदे भारत एक्सप्रेस काफी अपग्रेडेड है। इसके चलते इसकी गति काफी शानदार है। ये स्वचालित मोटर की सहायता से दौड़ती है। इसमें इंजन का कोई योगदान नहीं होता। यह ट्रेन 16 कोच वाली है। इसके 5 कोच में मोटर लगी हुई है। स्वचालित मोटरों की सहायता से इसकी गति अधिक होती है। अधिकारियों की मानें तो वंदे भारत में लगा 20 मोटर बुलेट ट्रेन के आगे लगे इंजन से अधिक कारगर सिद्ध होगा।
स्वदेशी वंदे भारत ट्रेन की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगा। वहीं नए वाले वर्जन 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति देगी। वहीं कहा जा रहा है कि वर्ष 2025 तक अपग्रेडेड वर्जन 260 किलोमीटर प्रति घंटा के गति से चलेगी। ऐसे में देखा जाए तो दिल्ली से पटना तक की दूरी काफी कम हो जाएगी। यह दूरी 4 से 5 घंटों में तय की जा सकेगी। इस दूरी को अभी तय करने में राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन को 12 घंटे से अधिक समय लग जाता है।
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परंतु यहां बात तो बुलेट ट्रेन की हो रही है तो हम आपको बता दें कि दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना को रद्द नहीं किया गया है। जिसका खण्डन स्वयं सरकार द्वारा किया गया है।
बीते दिनों स्वयं रेल मंत्रालय ने उन समाचार का खंडन किया कि दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना की व्यवहार्यता रिपोर्ट को निरस्त कर दिया गया है और कहा कि इसकी डीपीआर अभी विचाराधीन है।
आगे मंत्रालय ने कहा कि “दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल की डीपीआर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। तथ्य यह है कि रेल मंत्रालय को परियोजना की डीपीआर के साथ कोई समस्या नहीं है”।
इसके अतिरिक्त यह भी कहा कि नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अंतिम रूप दे दिया है और इसे रेलवे बोर्ड को सौंप दिया है। जिसका की अनुमोदन देने की प्रक्रिया के अंतर्गत यह (डीपीआर) जांच के अधीन है।”
आपको हम बता दें कि देश में लोगों को काफी लंबे समय से बुलेट ट्रेन की प्रतीक्षा है। रेलवे की योजना के अनुसार अहमदाबाद से मुंबई के मध्य बुलेट ट्रेन पर बहुत तेजी से कार्य संचालित है। वहीं दिल्ली से वाराणसी के मध्य भी एक बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
बता दें कि नई दिल्ली से वाराणसी और कोलकाता तक बुलेट ट्रेन का संचालन अधूरा है तो वहीं दूसरी ओर सेमी हाईस्पीड ट्रेन की प्राइमरी मेंटेनेंस के लिए नया वाशिंग लाईन विकसित करने की प्रक्रिया तेज हो गई है साथ ही वाराणसी और कोलकाता के मध्य सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाने की योजना में तेजी आई है। अब काशी से कोलकाता तक की यात्रा यात्री वंदेभारत एक्सप्रेस से करेगें। रेलवे की ओर से इसके लिए तैयारियां पिछले कुछ दिनों से ही चल रही हैं। यह संभावना लगाए जा रहें है कि अक्टूबर या नवंबर माहीने के आसपास पीएम नरेन्द्र मोदी इस ट्रेन को अपने वाराणसी दौरे पर हरी झंड़ी दिखाएगें।
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इसके लिए एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित बनारस स्टेशन से वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की प्रक्रिया तेज हुई है। यहां सेमी हाईस्पीड ट्रेन की प्राइमरी मेंटेनेंस के लिए नया वाशिंग लाइन तैयार हो रही । संसाधन विकसित करने के साथ ही वाराणसी और कोलकाता के मध्य प्रस्तावित सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाने की योजना में तेजी आई है। साथ ही रेल मंत्रालय की ओर से ट्रेन को हरी झंडी की प्रतीक्षा है।
वैसे आपको हम बता दें कि दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना में क्या होगा क्या नहीं होगा यह तो स्पष्ट नहीं है क्योंकि कई महीनों से इस परियोजना की DPR रेल मंत्रालय को सौंपने के पश्चात भी निर्णय नहीं लिया गया है तथा इस बात में भी संदेह नहीं है की बुलेट ट्रेन परियोजना को मूर्त रूप देने में लाखों करोड़ रुपए खर्च होंगे। तथा इसके किराए भी अधिक होंगे। इसके अतिरिक्त वंदे भारत ट्रेन यदि 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही है और निकट भविष्य में इसकी गति 260 किलोमीटर प्रति घंटे की हो सकती है तो उस प्रकार से तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो वंदे भारत ट्रेन ही उत्तम है।
और यदि सरकार इससे अधिक गति की ट्रेनों का संचालन करना चाहती ही है तो जापान की दशकों पुरानी बुलेट ट्रेन को भारत में लाने के बजाए मैग्लेव ट्रेन अथवा हाईपरलूप जैसी नवीनतम तकनीक पर अध्ययन कर उसपर निवेश करना चाहिए ताकि विश्व के विकसित देशों से कम से कम हम बराबरी कर सकें। क्योंकि गति तो आवश्यक है ही चाहे वो इन्टरनेट की गति हो अथवा ट्रेन की या विकास की। क्यों कि भारत ने पहले ही अत्याधिक समय व्यतीत कर दिए हैं अब विकास को उच्चतम गति से दौड़ाना ही होगा।
आपके इस विषय पर क्या राय व सुझाव हैं वह हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताएं।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें।
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