अयोध्या श्री राम मंदिर निर्माण में चौथे चरण की चल रही है तयारी
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सदियों पश्चात भगवान राम लला अपने मंदिर में पुनः विराजमान होने वाले हैं और करोड़ों भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने वाली है।
जैसा की हम सभी जानते हैं कि वर्तमान समय में अयोध्याजी की पावन धरा पर भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य हो रहा है जोकी केवल अयोध्या ही नहीं अपितु समस्त भारतवर्ष तथा समस्त सनातनीयों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक विकासकार्य है।
यहाँ पर शुभ समाचार यह है कि मंदिर निर्माण कार्य नियोजित अवधि के अनुरूप चल रही है और तय योजना की गणना से न केवल प्लिंथ निर्माण मई-जून माह तक कर लिया जाएगा, अपितु अगले वर्ष दिसंबर 2023 तक गर्भगृह में रामलला को स्थापित भी कर लिया जाएगा।
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बता दें की वर्तमान समय में मंदिर निर्माण कार्य के लिए प्लिंथ में बेंगलुरू की ग्रेनाइट का प्रयोग किया जा रहा है। प्रस्तावित मंदिर के 360 गुणे 235 वर्ग फीट के फुट प्रिंट पर निर्मित हो रहे प्लिंथ में ग्रेनाइट के 17 हजार टुकड़े प्रयुक्त होने हैं। वर्तमान समय में, 20 से 25 ग्रेनाइट प्रतिदिन लगाए जा रहे हैं और शीघ्र ही प्लिंथ निर्माण में दो से तीन गुणा की तेजी लाई जाएगी।
यही नहीं राम मंदिर निर्माण मे पत्थरों का कार्य आरंभ होने के साथ अब निर्माण के अगले चरण की तैयारी भी साथ साथ चल रही है। इसमें पत्थरों के बीच लगने वाले तांबे के पीस की व्यवस्था के लिए ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण में कार्यरत कंपनियों को स्वीकृति दे दी है।
मंदिर ट्रस्ट के अनुसार ट्रस्ट की बैठक में मंदिर निर्माण समिति को इसकी सहमति दी थी, जिसमें निर्देशित किया गया है कि मंदिर निर्माण में सबसे शुद्ध तांबे का प्रयोग किया जाए।
इसपर अधिक जानकारी देने से पहले आपको बता दें की बीते सोमवार को संपन्न हुए राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक में मंदिर की प्रगति के साथ मंदिर के 70 एकड़ परिसर की हाईटेक अत्याधुनिक सुरक्षा प्लान पर चर्चा की गई। इस योजना के अंतर्गत मंदिर परिसर की सुरक्षा में मैन पावर का उपयोग कम होगा। पूरी सुरक्षा व्यवस्था फूल प्रूफ अत्याधुनिक हाईटेक तकनीक से जुड़ी रहेगी। तथा मॉडर्न कंट्रोल रूम से पूरे अयोध्या की निगरानी की जाएगी। क्योंकि मंदिर निर्माण पूरा होने के पश्चात लगभग दो लाख श्रद्धालुओं के प्रतिदिन अयोध्या पहुंचने का अनुमान है। उसी के अनुसार, सुरक्षा प्लान तैयार किया जा रहा है। मई और जून तक मंदिर के गर्भ गृह का निर्माण बंसी पहाड़पुर के पत्थर से आरंभ होने की आशा है।
इसके अतिरिक्त बैठक में यह तय किया गया कि मुख्य मंदिर के पत्थरों के काम में और तेज़ी लाई जाएगी। इस समय प्रतिदिन 20 से 25 पत्थर लगाए जा रहे हैं। आने वाले समय में 80 से 100 पत्थर कैसे लगाए जाए? इस पर मंथन हो रहा है। तथा बैठक में प्लिंथ के निर्माण कार्य व रिटेनिंग वॉल के निर्माण कार्य पर विस्तृत चर्चा हुई।
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आपको बता दें की अयोध्या राममंदिर के निर्माण कार्य में हिदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) की इकाई इंडियन कॉपर काम्प्लेक्स (आइसीसी) कंपनी में निर्मित तांबा का उपयोग होगा। राम मंदिर के निर्माण में मउभण्डार आईसीसी कंपनी की 70 हजार पीस छोटे-छोटे तांबे लगेगी। तांबे के पीस की लंबाई 256 एमएम, चौड़ाई 32 एमएम व मोटाई 5-6 सेंटीमीटर होगी। इसके लिए आईसीसी को डिमांड आर्डर मिलने के पश्चात आईसीसी ने निर्माण के अनुरूप यहां बने तांबे के पीस की कटिग हेतु टेंडर निकाला था। आइसीसी में बनने वाले तांबे के शीड को दूसरे मशीन से कटिग कर उसे मंदिर निर्माण के कार्य में लगने वाले आवश्यकता के अनुरूप आकार में काटा जाएगा। यहां बनने वाले तांबे के सीड की साइज लगभग 1 मीटर गुणा एक मीटर है। उसे अलग मशीन से कटिंग किया जाएगा।
इसपर अधिक जानकारी के लिए बता दें की इसके लिए टेंडर निकाला गया था तथा यह टेंडर 3 फरवरी को खोला गया। इस टेंडर प्रक्रिया में 6 लोगो ने भाग लिया था। एवं टेंडर खुलने के पश्चात अब उसकी जांच हो रही है। उसके पश्चात प्राइस बीट खुलेगी। फिर जो टेंडर की सारी अहर्ताओं को पूरा करेगा उसे इस काम के लिए चुना जाएगा।
बता दें की आइसीसी ने कटिंग के पश्चात तांबे के पैकिग का भी टेंडर निकाल दिया है। उसके पश्चात तांबे को भेजने के लिए ट्रांसपोटिंग का भी टेंडर निकाला गया। इन सभी प्रकिया के पश्चात यहां से तांबे को अयोध्या मंदिर निर्माण मे भेजा जाएगा। पूर्वी सिंहभूम के आइसीसी के तांबे का उपयोग अयोध्या के राम मंदिर में होना यह एक ऐतिहासिक बात है। इस पल का सभी को अत्यंत प्रतिक्षा है। अयोध्या राम मंदिर में लगने वाले तांबे के पीस की कीमत लगभग ढाई करोड़ रूपए अनुमानित हैं।
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बता दें की आईसीसी के तांबे का प्रयोग होने से यहां के तांबे की चमक दौगुनी बढ़ जाएगी। आईसीसी के तांबे की एक अलग पहचान बनेगी। इस तांबे के पीस का प्रयोग अयोध्या राममंदिर निर्माण में 2 पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए किया जाएगा। मंदिर निर्माण में कई धातुओं का प्रयोग हो रहा है।
जानकारी के लिए बता दें की मंदिर निर्माण से जुड़े सूत्रों के अनुसार झारखंड के घाटशिला में स्थित हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की यूनिट आईसीसी से तैयार तांबे की विशेष आकार की पट्टियों की लगभग 60 से 70 हजार पट्टियों के मंदिर में लगने का अनुमान है, जो 99.9 प्रतिशत शुद्ध तांबे की रहेंगी।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें की मंदिर के लिए पत्थरों के तराशने का काम भी अयोध्या की कार्यशाला के अतिरिक्त राजस्थान की और तीन कार्यशालाओं में चल रहा है। मुख्य मंदिर के निर्माण मे लगने वाले पत्थरों पर देवी देवताओं की प्रतिमाओं को तराशा जा रहा है।
अयोध्या के रामघाट स्थित कार्यशाला में लगभग डेढ़ दर्जन कारीगर पत्थरों को तराशने का कार्य कर रहे है। जानकारी के लिए बता दें की पूरे मंदिर में लगभग 16 लाख घनफुट पत्थर लगने हैं, जबकि पहले से तराश कर रखे गए 45 हजार घनफुट पत्थर ट्रस्ट के पास उपलब्ध हैं।
रामजन्मभूमि में राममंदिर निर्माण का कार्य जोरों पर चल रहा है। मंदिर निर्माण में तांबे का भी प्रयोग किया जाएगा। मंदिर निर्माण में लगने वाले तांबे की कीमत लगभग ढाई करोड़ का अनुमानित है।
इस तांबे के पीस का प्रयोग अयोध्या राममंदिर निर्माण में दो पत्थरों को जोड़ने में होना है। तांबे के रूप में दो पत्थरों को जोड़ने में अंग्रेजी के अक्षर यू आकार में इसका प्रयोग होगा। राममंदिर की प्लिंथ कुल सात लेयर में तैयार होगी। एक लेयर की मोटाई तीन फीट होगी। इस प्रकार से राममंदिर की प्लिंथ को 21 फीट ऊंचा बनाया जाएगा।
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प्लिंथ निर्माण कार्य पूरा होने में लगभग छह महिने का समय लगेगा। प्लिंथ का काम पूरा होने के पश्चात गर्भगृह को आकार देने का का कार्य आरंभ होगा। गर्भगृह को आकार देने के लिए पत्थरों को जोड़ा जाएगा। इसके लिए पत्थरों में होलफॉस भी बनाया जा रहा है। जिसमें पत्थरों को बैठाया जाएगा।
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अधिक जानकरी के लिए वीडियो देखें:
सच में हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने जो काम किया है, वह काबिले तारीफ है, साथ ही indian srj आपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने इन सारी परियोजनाओं को अपने वीडियो के माध्यम से हम सबके सामने रखा, सच बताऊं तो मुझे इसके बारे में इतनी ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन आपकी वीडियो देखकर मुझे इसके बारे में बहुत कुछ जानकारी हुई है।