अयोध्या श्री राम मंदिर का दिखा दिव्या अलौकिक दृश्य
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Ayodhya : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि देश के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर का निर्माण हो रहा है। जो भारत व हिंदुत्व के मान व सम्मान से भी जुड़ा है। इन्हीं महत्ता को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर रामलला के दिव्य भव्य मंदिर (Ayodhya Ram Mandir Nirman) का निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा है।
श्री राम मंदिर के निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी हेतु बता दें कि रामलला के मंदिर के गर्भ गृह का लगभग 75 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है और अब मंदिर का गर्भगृह भी आकार लेता हुआ दिखाई दे रहा है। इसी महापीठ पर भगवान की प्रतिष्ठा होनी है। अब रामलला के दर्शन को जाते समय बैरीकेडिंग से ही मंदिर की प्रगति देख भक्त अभिभूत हो रहे हैं।
बता दें कि अयोध्या में अब राम मंदिर का दिव्य भव्य स्वरूप दिखाई देने लगा है। मंदिर को आकार देने के लिए स्तंभों को लगाया जा रहा है। रामलला के मंदिर को तीन तलीय बनाया जाएगा और 1 तल की ऊंचाई 20 फीट होगी। रामलला के मंदिर की 255 फीट की चौड़ाई होगी और 350 फीट मंदिर की लंबाई होगी। और अब स्तंभों को आपस में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डा अनिल मिश्र के अनुसार, राम जन्मभूमि मंदिर अब आकार लेने लगा है। इसमें लगभग 55 स्तंभ लग चुके हैं और अब वे 16 फुट ऊंचाई तक पहुंच भी चुके हैं। यहां सभी 161 पिलर्स की ऊंचाई लगभग 20 फीट तक पहुंचने के पश्चात बीम सेटिंग का कार्य आरंभ होगा।
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बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि इन स्तंभों को आपस में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है, स्तंभ लगने के पश्चात मंदिर का आकार स्पष्ट दिखाई दे रहा है। वर्तमान समय में इन स्तंभों को आपस में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इसके पश्चात, एक-एक पत्थरों को जोड़कर हाथ बनाने की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी।
बता दें कि स्तंभों के निर्माण की प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात भूतल की छत का निर्माण कार्य आरंभ किया जाएगा। इसके लिए कार्य आरंभ कर दिया गया है। मंदिर के छत की बीम को तराशने का काम कार्यशालाओं में चल रहा है।
मंदिर निर्माण की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि बीम को तलाशने का काम कार्यशालाओं में चलने के साथ ही अगले चरण में परकोटा का निर्माण भी आरंभ हो गया है, जिसकी नींव की भराई तीन साइड में की गई है। तथा अब चौथे ओर भी भराई चल रही है।
यही नहीं अयोध्या में निर्माणाधीन रामलला के मंदिर में गर्भगृह की चौखट का निर्माण का शुभारंभ परम पवित्र माने जाने वाले माघ मास की पूर्णिमा पर पुष्य नक्षत्र में सर्वार्थ सिद्धि योग का मंगल मुहूर्त में हुआ है।
अब हम आपको परकोटा निर्माण की विशेष जानकारी देते हुए बता दें कि रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के निर्माणाधीन दिव्य मंदिर के साथ परकोटे में छह और दक्षिण दिशा में आठ मंदिर/ आश्रम बनेंगे। इसकी तैयारियां आरंभ हो गयी है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार परकोटे के चार कोनों पर भगवान सूर्य, देवी भगवती, भगवान गणपति व भगवान शिव के मध्य में मंदिर होगा तथा उत्तर दिशा में देवी अन्नपूर्णा व दक्षिण में हनुमानजी का मंदिर होगा। इसी प्रकार से दक्षिण कुबेर टीला के निकट आठ अन्य मंदिर बनेंगे।
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इन मंदिरों / आश्रमों में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, गोस्वामी तुलसीदास, माता शबरी, निषादराज व जटायुराज का स्थान सुनिश्चित किया गया है। परंतु बीते दिनों हुई बैठक में इस बात का निर्णय भी लिया गया है कि भगवान राम के मंदिर में वानर राज सुग्रीव को भी स्थान दिया जाए या यूं कहा जाए कि अब श्रीराम जन्मभूमि परिसर में वानर राज सुग्रीव के भी दर्शन श्रद्धालु करेंगे।
यही नहीं मंदिर में लगने वाले स्तम्भों व दीवारों में सात हजार से अधिक प्रतिमा विज्ञान के आधार पर उत्कीर्ण की जाएंगी। इस कार्य के लिए सिद्धहस्त शिल्पियों को दायित्व सौंपा जाएगा जिससे कोई गलती न हो सके। इसी तरह से लोअर प्लिंथ में रामायण के एक सौ प्रसंगों को भी अध्याय रूप में उकेरा जाएगा। इसके लिए मॉडल निर्माण का कार्य आरंभ हो गया है। इस निर्माण के लिए बनी विशेषज्ञों की टोली में अयोध्या राजपरिवार के सदस्य व युवा साहित्यकार एवं अध्येता यतीन्द्र मोहन प्रताप मिश्र भी सम्मिलित हैं।
मुख्य मंदिर के अतिरिक्त आपको हम बता दें कि अन्य कई और भी निर्माण कार्य चल रहा है तथा कहें तो परिसर में प्रस्तावित सभी कार्यों पर एक साथ निर्माण आरंभ हो चुका है। राम मंदिर के साथ-साथ परकोटा का निर्माण रोलर कम्पैक्शन के माध्यम से किया जा रहा है। इसके लिए लगभग 15 फीट गहरी नींव की खुदाई कर उसके फाउंडेशन का निर्माण हो रहा है।
परकोटा पर ही 800 मी लंबा और 14 फीट चौड़ा मंदिर का परिक्रमा मार्ग भी सैंड स्टोन का बनेगा। इसी प्रकार से यात्री सुविधा केंद्र का निर्माण करने के लिए उत्खनन कराया जा रहा है। इसी प्रकार से परिसर में विद्युत आपूर्ति के लिए पावर सब स्टेशन का भी निर्माण आरंभ हो चुका है। परिसर में प्रस्तावित दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में से एक प्लांट का निर्माण आरंभ हो चुका है।
रामजन्मभूमि परिसर में तीन अलग-अलग परिक्रमा पथ होंगे। इनमें एक अंतरग्रही परिक्रमा पथ जो कि अपर प्लिंथ की बाहरी दीवार से सटकर गर्भगृह की परिधि में होगा। इसी प्रकार से दूसरा परिक्रमा पथ लोअर प्लिंथ की बाहरी दीवार की परिधि व परकोटे के आंतरिक भाग में भी होगा। इसके अतिरिक्त तीसरा परिक्रमा पथ परकोटे के बाहर होगा जिसकी परिधि में रामलला के अतिरिक्त पंचदेव उपासना के अन्तर्गत परकोटे के चारो कोने व मध्य में प्रस्तावित मंदिरों को सम्मिलित करते हुए होगा।
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इस बीच नेपाल से लाई गई शालिग्राम शिलाओं को श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट परीक्षण करा रहा है। इस पत्थर को नेपाल के पोखरा से 50 किलोमीटर दूर गंडकी नदी से लाया गया है।
इसपर बीते दिनों तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगदगुरु आचार्य ने विरोध शुरू कर दिया था। कि शालिग्राम शिला पर छेनी-हथौड़ी नहीं चलाई जा सकती है। क्योंकि शालिग्राम शिला साक्षात श्री हरि विष्णु जी का स्वारूप है। परंतु अब उन्होंने कहा है कि उन्हें हनुमान जी ने दर्शन देते हुए कहा कि बेटा यह जो शिला है, यह शालिग्राम नहीं देव शिला है, इससे मूर्ति बनने दो। तथा प्रभु श्रीराम के कुल गुरु श्री वशिष्ठ ने भी उन्हें कहा कि जो शिला आई है उससे रामलला की प्रतिमा बननी चाहिए। यह शालिग्राम नहीं देव शिला है। इसके पश्चात आचार्य ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से आग्रह है कि इस पत्थर से रामलला की भव्य प्रतिमा बनाकर राम मंदिर में विराजमान करें।
भगवान रामलला के मंदिर को इस तरह बनाया जा रहा है कि रामनवमी के दिन भगवान रामलला के मस्तक को सूर्य की किरण ललाटित करेगी। इस कारण से भगवान राम लाला की प्रतिमा को बनाने के लिए विशेषज्ञों की टीम लगाई गई है।
रामलला की प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित होने के बाद रामभक्त अपने आराध्य प्रभु श्री राम का दिव्य भव्य मंदिर में दर्शन पूजन कर सकेंगे हालांकि अभी भी प्रतिदिन लाखों की संख्या में राम भक्त रामलला का दर्शन पूजन करने अयोध्या आ रहे हैं और मंदिर के निर्माण कार्य को भी देख रहे हैं।
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