इस दिन नहीं होगी अयोध्या में राम लला के दर्शन Ayodhya Ram Mandir
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Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण हो रहा है और 500 वर्षों के संघर्षों का फल स्वरूप रामलला अब अपने भव्य महल में विराजित होंगे।
Ayodhya Ram Mandir : राम मंदिर के सुपर स्ट्रक्चर के भूतल के ऊपर प्रथम तल का निर्माण चल रहा है और इसके छत ढ़ालने की तैयारी की जा रही है। सबसे पहले आपको हम मंदिर निर्माण कार्य की विकास की स्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि भूतल पर जहां रामलला विराजित होंगे। पांच अगस्त 2020 को जिस भूमि तल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूमि पूजन किया था, शिखर के नाभि दंड का निर्माण उसी स्थल से हो रहा है। भू तल के ऊपर 12 फिट ग्रेनाइट की प्लिंथ का निर्माण हो चुका है। इसी तरह से प्लिंथ के ऊपर 20 फिट ऊंचे गर्भगृह का निर्माण हुआ। इसके 20-20 फिट ऊपर प्रथम व द्वितीय तल होगा।
प्रथम तल में शटरिंग लगाकर पत्थरों को सज्ज किय जा रहा है। इन्हीं के निर्माण के पश्चात छत की ढ़लाई शुरू हो जाएगी। भूतल के ऊपरी भाग में रंग मंडप व नृत्य मंडप तो दिखाई देगा परंतु गूढ़ी मंडप की ऊंचाई अधिक होने के कारण यह प्रथम तल के ऊपर तक जाएगा। तथा प्रथम तल के निर्माण के समानांतर द्वितीय तल के भी कालम किनारे-किनारे खड़े भी किए जा रहे हैं।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि रामजन्मभूमि परिसर में दिव्य-भव्य मंदिर तीव्रता से आकार ले रहा है। यहां मंदिर समेत दस परियोजनाओं पर एक साथ काम चल रहा है। राम मंदिर निर्माण का 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। 3500 श्रमिक व कारीगर दिन-रात राम मंदिर को आकार देने में जुटे हुए हैं। तथा राम मंदिर के भूतल के 70 खंभों पर मूर्तिकारी का काम चल रहा है।
इसके अतिरिक्त यह भी बता दें कि मंदिर के गर्भगृह में अब अधिक कार्य शेष नहीं है। यहां सोने के सिंहाघन पर रामलला विराजमान होंगे। पीएम मोदी अस्थाई मंदिर से रामलला को हाथ में लेकर मुख्य मंदिर में स्थापित करेंगे।
बता दें कि 161 फीट ऊंचे तीन मंजिला राममंदिर का भूतल लगभग तैयार है, अब केवल अंतिम स्पर्श का कार्य संचालित है। जबकि प्रथम तल लगभग 60 प्रतिशत तैयार हो चुका है। इन योजनाओं के निर्माण में अब तक लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। मंदिर सहित अन्य प्रकल्पों के निर्माण में कुल 1800 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। जबकि काशी विश्वनाथ धाम के सुंदरीकरण में लगभग 900 करोड़ व महाकाल कॉरीडोर को विकसित करने में लगभग 850 करोड़ खर्च हुए थे। राम मंदिर भव्यता व तकनीक के मामले में भी विश्व के प्रमुख मंदिरों में से एक होगा।
ट्रस्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसमें अकेले मंदिर निर्माण की ही लागत 575 करोड़ आंकी गई है। इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, पब्लिक यूटिलिटी, परकोटा, रिटेनिंग वॉल, सीता कूप, कुबेर टीला, शेषावतार मंदिर का सुंदरीकरण, बिजली व पानी का प्लांट, सड़कों के निर्माण का कार्य संचालित है।
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इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि नवीन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली रामलला की अचल मूर्ति का भी निर्माण हो रहा है। कर्नाटक व राजस्थान के मूर्तिकार तीन अचल मूर्ति बना रहे हैं, जो लगभग बनकर तैयार हो चुकी है। जिसमें रामलला की बाल सुलभ कोमलता झलकेगी उसे मंदिर में स्थापित किया जाएगा। 17 जनवरी को रामलला की भव्य शोभायात्रा अयोध्या धाम में निकाली जाएगी।
बता दें कि राम मंदिर में लगने वाले दरवाजों को स्वर्ण जड़ित करने का काम चल रहा है। द्वारों पर पहले 20 गेज के तांबे का चद्दर लगाया जा रहा है, जिसकी केमिकल और तेजाब से सफाई की जाएगी। तत्पश्चात इस पर पांच लेयर सोने का वर्क लगाया जाएगा और इस कार्य को पांच जनवरी तक पूरा करने का समय दिया गया है। राममंदिर के सिंहासन व पांचों गुंबद पर भी सोने की परत चढ़ाई जाएगी।
संख्या में बताएं तो विभिन्न निर्माण कार्यों की प्रगति कुछ इस प्रकार से है। जो आपके स्क्रीन पर उपलब्ध है:-
1. राम मंदिर निर्माण-85 प्रतिशत
2. तीर्थयात्री सुविधा केंद्र-75 प्रतिशत
3. कुबेर टीला सुंदरीकरण-85 प्रतिशत
4. सीता कूप सुंदरीकरण-95 प्रतिशत
5. सड़कों का निर्माण-95 प्रतिशत
6. परकोटा-75 प्रतिशत
7. रिटेनिंग वॉल-75 प्रतिशत
8. पावर प्लांट-95 प्रतिशत
9. मूर्ति निर्माण-95 प्रतिशत
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यह भी बता दें कि अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तिथि 22 जनवरी भले तय हो गयी है। परंतु नवीन मंदिर में विराजित होने वाले रामलला के नवीन विग्रह के चयन पर संशय अभी बना हुआ है। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकृत सूत्रों की मानें तो निर्णय हो चुका है। निर्णय को सार्वजनिक किया जाना शेष है। इसके कारण प्रथम तल के गर्भगृह में प्रतिष्ठित होने वाले राम दरबार अथवा परिवार के विग्रहों का निर्माण भी रुका है। वैसे जयपुर के मूर्तिकार का दावा है कि उन्होंने राम दरबार के विग्रहों का निर्माण भी आरंभ कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 22 जनवरी, 2024 को दोपहर में 12.45 मिनट पर राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला को विराजमान करने का निर्णय लिया है। ट्रस्ट ने समारोह के लिए सभी संप्रदायों के 4,000 संतों को आमंत्रित किया है। वाराणसी के वैदिक पुजारी लक्ष्मी कांत दीक्षित अभिषेक समारोह का मुख्य अनुष्ठान करेंगे।
14 जनवरी से 22 जनवरी तक अयोध्या में अमृत महाउत्सव मनाया जाएगा। 1008 हुंडी महायज्ञ का भी आयोजन किया जाएगा जिसमें हजारों श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में सम्मिलित होंगे। तथा राम मंदिर निर्माण में जुटे श्रमिकों को भी 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया जा रहा है।
परंतु समस्त राम भक्तों के लिए एक और महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले तीन दिनों तक दर्शन की नहीं होगी अनुमति।
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जी हां, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने वाली है। श्रद्धालुओं को भगवान का दर्शन चार पंक्तियों में कराया जाएगा। सुरक्षा को देखते हुए कड़े व्यवस्था किए गए हैं। परंतु अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले तीन दिनों तक भक्त आराध्य के दर्शन नहीं कर सकेंगे।
मकर संक्रांति के पश्चात 22 जनवरी को रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। 20 और 21 जनवरी को भगवान राम का दर्शन करने की अनुमति नहीं होगी। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित लोगों को ही रामलला के दर्शन करने का अवसर मिलेगा। 23 जनवरी से आम श्रद्धालु भव्य राम मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात दोगुनी संख्या में श्रद्धालु पहंचने वाले हैं।
माना जा रहा है कि एक दिन में डेढ़ से ढाई लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन करने पहुंचेंगे। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आमंत्रित सदस्य के तौर पर रामलला के दर्शन करेंगे। दर्शन की अवधि पूर्व की तरह रहेगी। श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए भव्य मंदिर में वर्तमान की दो कतारों के बजाय चार कतारों का प्रबंधन किया जाएगा। श्रद्धालुओं को चार पंक्तियों में दर्शन कराया जाएगा। संख्या बढ़ने पर श्रद्धालुओं को प्रतिक्षा भी करनी पड़ सकती है।
अभी परिक्रमा के पश्चात केवल दो पंक्तियों में दर्शन हो रहा है। श्रद्धालुओं की जांच और मंदिर की सुरक्षा में 23 जनवरी से काफी बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे। जांच में फिजिकल चेकिंग के बजाय तकनीक और आधुनिक यंत्रों का प्रयोग किया जाएगा। और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। राम मंदिर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और ट्रस्ट मिल कर कार्य कर रहे हैं।
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यह भी बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि परिसर में स्थित कुबेर टीला पर गिद्धराज जटायू की प्रतिमा लगा दी गई है। कांस्य की विशाल प्रतिमा को क्रेन से उठा कर रखा गया है। पीएम मोदी 22 जनवरी को इसका अनावरण करेगे। कुबेर टीला मंदिर परिसर मे ही है जहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार और सौदर्यीकरण मंदिर ट्रस्ट करवा रहा है।
कुबेर टीला पर शिव मंदिर तक जाने के सड़क का निर्माण हो चुका है। सड़क किनारे सुविधा और सुरक्षा को लेकर रेलिंग भी लग रही है। कुवेश्वर महादेव के मंदिर के सौदर्यीकरण योजना मे वृक्ष भी लगाए गये हैं। राम मंदिर मे दर्शन करने के पश्चात श्रद्धालु कुबेर टीला पर स्थित शिव मंदिर का भी दर्शन कर सकेंगे। साथ में राम भक्त गिद्धराज जटायू को भी प्रणाम कर सकेंगे। हालांकि कुबेर टीला जाने के लिए श्रद्धालुओं को मंदिर ट्रस्ट का अनुमति पत्र लेना पड़ेगा।
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