बुलेट ट्रेन में मिली बड़ी सफलता – Mumbai Ahmedabad Bullet Train Project Update
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Mumbai Ahmedabad Bullet Train : भारत का पहला बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट एक सपना जो अब हकीकत बनने जा रहा है। मुंबई से अहमदाबाद तक की दूरी अब सिर्फ 2 घंटे में तय होगी। इस लेख में जानिए इस प्रोजेक्ट की पूरी कहानी इसकी तकनीक, रूट, फायदे और लेटेस्ट अपडेट।

Mumbai-Ahmedabad High-Speed Rail Corridor की घोषणा 2017 में हुई थी। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है भारत को एक तेज़, सुरक्षित और अत्याधुनिक परिवहन प्रणाली देना। इस ट्रेन की अधिकतम रफ्तार होगी 320 किलोमीटर प्रति घंटा। यह हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर लगभग 508 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें कुल 12 स्टेशन होंगे। जिनके नाम हैं Mumbai, Thane, Virar, Boisar, Vapi, Bilimora, Surat, Bharuch, Vadodara, Anand, Ahmedabad Sabarmati।
परियोजना की कुल लंबाई 508 किलोमीटर है, जिसमें से 352 किलोमीटर गुजरात और दादर एवं नगर हवेली में है और शेष 156 किलोमीटर महाराष्ट्र में है। यही नहीं इस रूट महाराष्ट्र में लगभग 21 किलोमीटर अंडरग्राउंड टनल होगी, जिसमें से 7 किलोमीटर थाणे क्रीक में समुद्र के नीचे है जहां पर भारत की पहली अंडरसी रेल टनल बन रही है।
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यह सभी तो हुई परियोजना की मूल जानकारी अब हम आपको बताते हैं परियोजना पर हुऐ और हो रहे निर्माण व वर्तमान स्थिति की जानकारी, गुजरात के पश्चात महाराष्ट्र में भी देश के पहले बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट ने गति पकड़ ली है। नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने बुलेट ट्रेन का मार्ग तैयार करने के लिए दहानू में पहला 40 मीटर लंबा फुल स्पैन प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट (पीएससी) बॉक्स गर्डर सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत महाराष्ट्र में 156 किमी लंबा ट्रैक तैयार होना है। इसमें 21 किमी मार्ग भूमिगत और 135 किमी का एलिवेटेड मार्ग होगा।
मुंबई से अहमदाबाद से बीच कुल 508 किमी लंबा ट्रैक तैयार किया जा रहा है। गुजरात में 352 किमी लंबे मार्ग में से 300 किमी के हिस्से में एलिवेटेड मार्ग तैयार करने का पूरा हो चुका है। महाराष्ट्र में भी बुलेट ट्रेन के लिए 50 किमी का एलिवेटेड मार्ग तैयार करने के लिए पिलर खड़ा करने का काम चल रहा है। वहीं, बीकेसी, विरार, बोईसर और ठाणे में स्टेशन तैयार करने का काम चल रहा है। विरार और बोईसर स्टेशन पर स्लैब तैयार करने का काम पूरा कर लिया गया है, जबकि ठाणे स्टेशन का फाउंडेशन वर्क चल रहा है। वहीं, उल्लास और वैतारण नदी पर ब्रिज तैयार करने का काम चल रहा है।

बता दें कि बुलेट ट्रेन के लिए बीकेसी में तैयार हो रहा पहला स्टेशन भूमिगत होगा। बीकेसी से ठाणे के शिलफाटा के बीच 21 किमी लंबा भूमिगत मार्ग होगा। शिलफाटा से गुजरात की सीमा के लगभग ज़ारोली गांव तक बुलेट ट्रेन का 135 किमी लंबा एलिवेटेड मार्ग होगा। 135 किमी लंबे मार्ग में से 103 किमी का मार्ग 2,575 FSLM गर्डर का प्रयोग कर तैयार किया जाएगा, जबकि 17 किमी का मार्ग सेगमेंटल गर्डर्स का उपयोग का तैयार होगा।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के निर्माण में अभी अभी बड़ी सफलता मिली है। इस प्रोजेक्ट के लिए बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) से शिलफाटा के बीच बन रही सुरंग में पहला ब्रेकथ्रू मिला है। यह सुरंग 21 किलोमीटर लंबी है। इसके अंतर्गत 2.7 किलोमीटर लंबी निरंतर सुरंग का निर्माण पूरा किया गया। बताया जाता है कि 9 जुलाई को महाराष्ट्र में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) और शिलफाटा के बीच बनाई जा रही 21 किलोमीटर लंबी सुरंग में पहला ब्रेकथ्रू प्राप्त किया गया। यह ब्रेकथ्रू 2.7 किलोमीटर लंबी निरंतर सुरंग खंड के सफल निर्माण का प्रतीक है।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि निर्माण शिलफाटा और घनसोली के बीच न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) का उपयोग करके किया जा रहा है। इसके साथ ही शेष 16 किलोमीटर का निर्माण टनल बोरिंग मशीनों (टीबीएम) का उपयोग करके किया जाएगा।
एनएचएसआरसीएल के अनुसार 21 किलोमीटर में से 2.7 किलोमीटर का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। इसके बाद टनल लाइनिंग का काम आरंभ होगा, फिर आरसी ट्रैक बेड बिछेगा और ट्रैक इंस्टॉलेशन का कार्य तुरंत प्रारंभ किया जाएगा। और मानसून के तुरंत बाद, महाराष्ट्र सेक्शन में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का कार्य और तेज गति से आगे बढ़ेगा और तय समयसीमा के अनुसार पूरा हो जाएगा।

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के पैकेज C3 अर्थात मुंबई परिक्षेत्र की जानकारी देने हेतु बता दें कि इसमें जो 3 स्टेशन हैं, ठाणे, विरार और बोईसर। और उनमें सबसे पहला स्टेशन ठाणे आता है। इस स्टेशन का स्ट्रक्चर पूरी तरह से अलग है। अगला स्टेशन विरार है, जो हर तरफ से पहाड़ों से घिरा है। यह तैयार होने के बाद एक हिल स्टेशन की तरह दिखेगा। यहां पर ठाणे के मुकाबले डबल से भी अधिक काम किया जा चुका है। यहां ट्रैक पर काम किया जा रहा है, जिसमें पहले स्लैब का काम पूरा किया जा चुका है। अभी इसके आसपास लूप लाइन का काम किया जाएगा। वहीं, बोईसर में भी ट्रैक तक काम पहुंच गया है। यहां पर भी पहले स्लैब की कास्टिंग पूरी हो चुकी है। आने वाले समय में इसमें ऐसे ही 9 स्लैब और बनाए जाने हैं। तीनों स्टेशनों के मुकाबले इसका काम सबसे अधिक हुआ है।
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बता दें कि अहमदाबाद से मुंबई तक पूरे कॉरिडोर पर 25 नदी पुलों का निर्माण किया जाना है। इनमें से गुजरात में कुल 21 पुलों का निर्माण किया जाना है। दमन गंगा नदी पर पुल का निर्माण अभी अभी पूरा किया गया है। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए पूरा होने वाला यह सोलहवां नदी पुल है। यह पुल गुजरात के वलसाड जिले में दमन गंगा नदी बनाया गया है। NHSRCL ने अबतक कुल सोलह नदी के पुल तैयार कर लिए हैं।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि सिग्नल प्रणाली का ठेका भी दिया जा चुका है। यह ठेका अत्याधुनिक सिग्नल प्रणाली और दूरसंचार प्रौद्योगिकियों को तैयार करने, उसकी स्थापना और दीर्घकालिक रखरखाव के लिए है। परियोजना के 54 महीने में पूरा होने का अनुमान है। सीमेंस इसके लिए 15 वर्ष तक रखरखाव सेवाएं प्रदान करेगा। लगभग 4,100 करोड़ रुपये मूल्य के इस ठेके में सीमेंस लिमिटेड का भाग 1,230 करोड़ रुपये है।

इसके अतिरिक्त आपको हम यह भी बता दें कि मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का ट्रायल जापान में आरंभ हो चुका है। जी हां, इस महत्वाकांक्षी परियोजना के अंतर्गत चलने वाली बुलेट ट्रेन का परीक्षण जापान में आरंभ हो चुका है। जापान भारत को रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत 2 शिंकान्सेन ट्रेन सेट E5 और E3 सीरीज उपहार में देगा, जिनकी डिलीवरी 2026 की आरंभ में होगी। ये ट्रेनें 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम हैं। भारत पहुंचने के पश्चात इन ट्रेनों को देश की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार परीक्षणों से गुजरना होगा।

इन ट्रेनों में अत्याधुनिक निरीक्षण प्रणाली मौजूद है, जो ट्रैक की स्थिति, तापमान सहनशीलता और धूल प्रतिरोध जैसी जानकारियां रिकॉर्ड करेगी। इन आंकड़ों का उपयोग भविष्य में मेक इन इंडिया के अंतर्गत अगली पीढ़ी की E10 सीरीज बुलेट ट्रेनों के निर्माण में किया जाएगा।
महत्वपूर्ण है कि जुलाई 2025 तक इस प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है। लगभग 70% सिविल वर्क पूरा हो चुका है। गुजरात में कई सेक्शन में पिलर्स, ट्रैक्स और स्टेशन स्ट्रक्चर तैयार हो चुके हैं। मुंबई में अंडरग्राउंड टनल का कार्य तेजी से हो रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि इसका पहला चरण 2026 तक आरंभ कर दिया जाए। क्या आप तैयार हैं भारत की पहली बुलेट ट्रेन में सफर करने के लिए?

मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में अपने गांव अथवा जिला का नाम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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