बन रहा है भारत का पहला मंदिर वाला पुल – Rishikesh Glass Bridge

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Rishikesh Glass Bridge : जब बात आती है पर्यटन स्थलों की तो भारत में कई ऐसे स्थल हैं जो हमारी आंतरिक शांति और प्रकृति से मिलते हैं। ऐसा ही एक पर्यटन स्थल है ऋषिकेश, जहां योग की विद्या को गंगा की धारा से ऋषि मुनियों ने सींचा है।

Rishikesh Glass Bridge
Rishikesh Glass Bridge

ऋषिकेश को आश्रम व गंगा के साथ ही साथ गंगा नदी पर बने ऐतिहासिक लक्ष्मण झूला पुल के लिए भी जाना जाता है जो की ऋषिकेश की पहचान भी है परंतु अंग्रेज़ी शासनकाल में 1929 से सेवा प्रदान कर रहे लक्ष्मण झूला पुल जो कि समय के साथ बूढ़े हो चुका था, उसे 5 नवंबर 2020 को सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है। फिर भी यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र आज भी है। किंतु लक्ष्मण झूला पुल का विकल्प भी तो आवश्यक था।

जी हां हम बात कर रहे हैं लक्ष्मण झूला पुल के विकल्प स्वरूप निर्माणाधीन बजरंग सेतु की। जिसे की भारत का पहला अत्याधुनिक कांच का पुल अथवा ग्लास ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। आपको हमने एक वर्ष पूर्व भी इस पुल की एक्सक्लूसिव ग्राउंड रिपोर्ट दर्शाई थी, और हम पुनः इस परियोजना की वर्तमान परिस्थिति आपतक लेकर आए हैं।

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ऋषिकेश ग्लास ब्रिज परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस पुल की लंबाई 132 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर है। जी हां जहां पुराना लक्ष्मण झूला पुल केवल 6 फिट चौड़ा था तो नवीन बजरंग सेतु को 8 मीटर चौड़ा बनाया जा रहा है। जिसमें की वाहनों के लिए 5 मिटर व मुख्य कैरेजवे के अतिरिक्त दोनों ओर 1.5-1.5 मिटर का भाग पैदल चलने वालों के लिए रहेगा।

अब हम यदि आपको ऋषिकेश ग्लास ब्रिज परियोजना के निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी दें तो आपको बता दें कि पुल निर्माण का कार्य वर्तमान में 75 प्रतिशत से अधिक पूर्ण हो चूका है। वर्तमान अनुमानों के आधार पर, यह अनुमान लगाया गया है कि कार्य वर्ष 2025 तक पूरा हो जाएगा, और पुल पर्यटकों के आनंद लेने के लिए तैयार हो जाएगा।

Rishikesh Glass Bridge
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ऋषिकेश ग्लास ब्रिज परियोजना के लागत की जानकारी देने हेतु बता दें कि इस परियोजना की लागत है 69.30 करोड़ रुपए।

दूसरी ओर इस ग्लास ब्रिज परियोजना की विशेषताओं की जानकारी देने हेतु आपको हम बता दें कि यह ग्लास ब्रिज 2 टॉवर पर टिका होगा लक्ष्मण झूला पुल की ही प्रकार से और इस कांच के पुल के ऊपर में टॉवर पर दो मंदिरों का भी निर्माण किया जाएगा जो कि केदारनाथ और बद्रीनाथ के नाम से होंगे। जहां जाकर आपको केदारनाथ के भव्य आकार को देखने का अवसर मिलेगा। यह लुभावना दृश्य उन पर्यटकों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है जो पहाड़ों को बहादुरी से देखते हैं, और अब कांच के पुल से सरलता से पहुँचा जा सकता है।

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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस लंबाई 132 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर है, और वाहनों के लिए सुलभ है। साथ ही तीन लेन के दोनों तरफ 65 एमएम का फुटपाथ बनाया जाना है और दो और चार पहिया वाहनों की सुविधा के लिए पुल के बीच में ढाई मीटर की एक डबल लेन जोड़ी गई है। इसके अतिरिक्त, इस कांच के पुल का टॉवर लगभग 27 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा होगा।

यह रोमांचक नया जोड़ नदी तल से 57 मीटर की ऊंचाई से मां गंगा के लुभावने दृश्य प्रदान करेगा, और आगंतुकों के लिए एक शानदार अनुभव होगा।

Rishikesh Glass Bridge
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इस परियोजना के निर्माणकर्ताओं की जानकारी देने हेतु बता दें कि इसकी डिजाइन m/s design tech structural consultant देहरादून द्वारा बनाई गई है और इसका निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग द्वारा संचालित है।

बता दें कि इंजीनियरों ने इस पुल को बनाने के लिए उन्नत तकनीक का प्रयोग किया है। यह भी बता दें कि भले ही नवीन ग्लास ब्रिज का निर्माण शीघ्र ही पूर्ण होने वाला है परंतु पुराने लक्ष्मण झूला पुल को तोड़ा नहीं जाएगा अपितु इसे हेरिटेज प्रॉपर्टी के रूप में संरक्षित किया जाएगा।

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यहां पर यह भी ध्यान देने वाली बात है कि भले ही यह निर्माणाधीन बजरंग सेतु कांच का पुल होगा परंतु यह इतना अत्याधुनिक तकनीक से बन रहा है की इसपर पैदल के अतिरिक्त दो पहिया समेत चार पहिया वाहन भी सरलता पूर्वक चल सकेंगे। यही नहीं इसके कांच की फिटिंग अटूट होगी, भारी बारिश और ओलों का सामना करने में सक्षम होगी और अत्यधिक परिस्थितियों में नहीं टूटेगी क्योंकि उपयोग की जा रही सभी निर्माण सामग्री को स्थापना से पहले पूरी तरह से जांचा जा रहा है। और 65 मिलीमीटर मोटे कांच से बनाया जाएगा।

निर्माण कार्य की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि लोक निर्माण विभाग के अनुसार अत्याधुनिक हाइड्रोलिक पाइलिंग रिग मशीन से पुल की पाइल फाउंडेशन तैयार की गई है। पुल पर 42 जगह पर पाइलिंग होनी थी। इसमें से 21 पाइल प्वाइंट तपोवन और 21 प्वाइंट स्वर्गाश्रम क्षेत्र की ओर बनाए गए हैं। इनमें से सभी प्वाइंट पर पाइलिंग हो चुकी है। पाइलिंग के पश्चात कॉलम खड़े किए गए। एक बार आधारभूत संरचना का कार्य पूर्ण होने के पश्चात विभाग द्वारा अगले कुछ महीनों में पुल के ऊपर का ढांचा तैयार कर लिया जाएगा।

Glass Bridge Rishikesh
Glass Bridge Rishikesh

बता दें कि पर्यटन को किसी देश या क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के सबसे कुशल तरीकों में से एक माना जाता है। यह विश्व भर की सरकारों द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है कि लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देना आवश्यक है।

ऋषिकेश उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह विश्व प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटन स्थलों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, देवी-देवताओं के मंदिर और तीर्थ स्थलों का आकर्षण यात्रियों को खींचता है। इसके अतिरिक्त, ऋषिकेश का कांच का पुल भी इस क्षेत्र का एक प्रमुख आकर्षण होने वाला है। और यात्री अपनी नग्न आंखों से पुल पर खड़े होकर नीचे मां गंगा और ऊपर नील अंबर को एक साथ देख सकेंगे।

Glass Bridge Rishikesh
Glass Bridge Rishikesh

यह देखा गया है कि बहुत से लोग कांच के पुल की छवियों और फुटेज से चकित हो जाते हैं। मां गंगा की नगरी विशेषतः ऋषिकेश में भी इसी प्रकार के कांच के पुल का निर्माण संचालित है।

ऋषिकेश का कांच का पुल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां एक प्राचीन देवी मंदिर है जिसका नाम वीरभद्र मंदिर है। इसका अत्यंत महत्व है और लोग इसे धार्मिक महत्वपूर्णता का सबूत मानते हैं। यहां के आस-पास वाले क्षेत्रों में भी अनेक मंदिर और आश्रम हैं जिन्हें आप इस पुल से आसानी से पहुंच सकते हैं।

Glass Bridge Rishikesh
Glass Bridge Rishikesh

महत्वपूर्ण है कि यह ऋषिकेश ग्लास ब्रिज अर्थात बजरंग सेतु न केवल भारत की अत्याधुनिक छवि को निखारेगा अपितु योग नगरी ऋषिकेश को आधुनिकता के साथ साथ उत्तर भारत के पहले ग्लास ब्रिज के होने का गौरव भी प्रदान करेगा।

मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको ऋषिकेश ग्लास ब्रिज परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।

अधिक जानकारी के लिए विडियो देखें :-

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