एशिया की पहली अर्बन ट्रांसपोर्ट Varanasi Ropeway Project गर्दा उड़ाने को तैयार
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Varanasi Ropeway Project : देश में हो रहे विभिन्न आधारभूत संरचना विकास कार्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी ने स्वयं को अग्रणी भूमिका में स्थापित किया है। तथा भारत का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे नगर बन रही है काशी।
Varanasi Ropeway Project : सबसे पहले हम बात करते हैं इस परियोजना के विशेषताओं की। वाराणसी रोपवे हमारे प्यारे नगर का और भी अधिक पर्यटकों में आकर्षण बढ़ाएगा। यहां पहले से ही बहुत सारे लोग वाराणसी को जीने तथा बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आते हैं। परंतु इस नगर की यातायात समस्या से उनकी यात्रा में बाधा आती है। जिसका निवारण यह बाराणसी रोपवे करने वाला है। 24 मार्च 2023 को पीएम मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी।
बता दें कि नगर में रोपवे (Varanasi ropeway) निर्माण कार्य को गति मिलने लगी है। रोपवे के लिए टावर खड़े किए जा रहे हैं। वहीं सीमेंट के बेस पर स्टील के बड़े-बड़े टावर खड़े हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त कैंट (Cant), काशी विद्यापीठ (kashi Vidyapeeth) और गोदौलिया (Godowlia) स्टेशन का काम भी चल रहा है।
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बता दें कि इस परियोजना का कार्य दो चरणों में हो रहा है और रोपवे के पहले चरण का कार्य 2025 तक पूरा करना है। यह देश का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट (Urben transport rope-way) रोपवे है।
सिगरा (Sigra) चौराहे से सिद्धगिरीबाग (siddhgiribag) जाने वाले मार्ग पर 25 मीटर की ऊंचाई पर सीमेंट के बेस पर स्टील के बड़े-बड़े टावर खड़े किए गए हैं।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इसी वर्ष में रोपवे का ट्रायल रन कराया जाना है। तथा रोपवे की टेस्टिंग स्विटजरलैंड के इंजीनियरों की देखरेख में होगी। निर्माण एजेंसी नेशनल हाईवे लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों ने निगरानी आरंभ कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि रोपवे का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है।
रोपवे का पहला स्टेशन कैंट और अंतिम स्टेशन गोदौलिया पर होगा। गोदौलिया स्टेशन पर चारों दिशाओं में निकास द्वार होंगे। सीमेंट के बेस पर रोपवे के स्टील के टावर खड़े किए जा रहे हैं। वर्तमान समय में रोपवे का काम युद्ध स्तर पर कराया जा रहा है। रोपवे निर्माण के पश्चात नगर में जाम की समस्या से काफी हद तक मुक्ति मिलेगी। वहीं लोगों के लिए आवागमन भी सुगम होगा।
कैंट, काशी विद्यापीठ और रथयात्रा में रोपवे स्टेशन के निर्माण कार्य कराया जा रहे हैं। पहले चरण का काम 2025 तक पूरा किया जाना है। इसके अंतर्गत कैंट से रथयात्रा के बीच ट्रायल रन सितंबर में करने की तैयारी है। तत्पश्चात देव दीपावली पर नवंबर से चालू करने की योजना है।
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एनएचएलएमएल के अधिकारियों के अनुसार, रोपवे का काम चल रहा है। बारिश के कारण कुछ व्यवधान आया है। यूटिलिटी शिफ्टिंग का काम बाकी है। इस कारण से ट्रायल पर प्रभाव पड़ सकता है।
परियोजना की निर्माण कार्य की प्रगति की जानकारी देने हेतु बता दें कि वाराणसी में देश का पहला अर्बन रोप-वे ट्रांसपोर्ट बन रहा है। और इसके पहले चरण का 75 प्रतिशत काम पूरा भी हो गया है।
यह भी बता दें कि पहले चरण में कैंट से रथयात्रा के बीच कुल 18 टावर लगाए जाने हैं। इनमें से अधिकांश टावर खड़े हो चुके हैं। दूसरे चरण में रथयात्रा से गोदौलिया के मध्य काम कार्य भी हो रहा है। इस पूरे प्रोजेक्ट में कुल 28 टावर खड़े होंगे। 4 स्टेशन बनेंगे और 807 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
परियोजना पर हो रहे निर्माण कार्यों की एक्सक्लूसिव ड्रोन व्यू दर्शाते हुए बता दें कि पहले फेज के ट्रायल के पश्चात शीघ्र ही यात्रियों के लिए यह सुविधा आरंभ होगी। इस सुविधा के अंतर्गत 750 यात्री 15 मिनट में कैंट से गोदौलिया पहुंचकर बाबा विश्वनाथ और मां गंगा का दर्शन कर सकेंगे। एक घंटे में एक साथ 6000 लोग यात्रा करेंगे। घरों के ऊपर से केबल कार गुजरेगी। सिटी का एरियल व्यू दिखेगा।
रोप-वे की कुल दूरी 3.85 किलोमीटर होगी, जो लगभग 15 मिनट में तय हो पाएगी। इस प्रोजेक्ट को कुल 807 करोड़ रुपए की लागत से पूरा काम पूरा किया जाना है। रोप-वे में टोटल 148 रोप-वे कार का संचालन होना है। 10 से अधिक रोप-वे कार वाराणसी आ भी चुकी हैं।
यही नहीं रोपवे के गंडोला की क्षमता भी निर्धारित होती है। इसके अनुसार 10 सीटर गंडोला की क्षमता 600 से 800 किलो वजन उठाने की है। रोपवे काशी की यातायात की समस्या को सुगम बनाने के साथ ही कम समय में प्रदूषण रहित यात्रा कराएगा।
यह भी बता दें कि रोप-वे की कुल लंबाई 3.85 किमी होगी। इसमें 5 स्टेशन बनाए जाएंगे, परंतु चढ़ने उतरने के लिए चार स्टेशन ही होंगे। पांचवां स्टेशन तकनीकी कारणों से बनाया जाएगा। इन चार स्टेशनों में पहला कैंट रेलवे स्टेशन होगा, जहां से रोपवे शुरू हो रहा है, दूसरा विद्यापीठ, तीसरा रथयात्रा, चौथा और अंतिम स्टेशन गोदौलिया होगा।
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रोप-वे की केबल कार पर प्रति घंटे 3000 यात्री यात्रा कर सकेंगे। लोगों की संख्या बढ़ाने के साथ केबल कारों की संख्या बढ़ाई जाएगी। आरंभिक काल में 300 यात्री प्रति घंटे सफर कर सकेंगे। इस रोप-वे में 10 सीटों वाली केबल कार चलाने की तैयारी है। आरंभ में कुल 18 केबल कार रोप-वे में चलेंगी। हालांकि, रोप-वे की डिजाइन ऐसी है कि आवश्यकतानुसार से केबल कार की संख्या बढ़ाई जा सकेगी।
परियोजना की सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी देने हेतु बता दें:-
• रोप-वे में 148 केबल कारें हैं।
• हर केबल कार पर 10 लोग का सीटिंग अरेंजमेंट होगा।
• हर डेढ़ मिनट पर एक केबल कार गुजरेगी।
• 150 फीट ऊंचाई से गुजरेगा रोप-वे का गोंडोला।
• 148 गोंडोला कैंट से गोदौलिया तक चलेंगे।
• 15 मिनट में कैंट से गोदौलिया तक का रूट तय होगा।
• कुल पांच रोप-वे स्टेशन बनाए जाने हैं, जिनमें कैंट, विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरिजाघर और गोदौलिया सम्मिलित हैं।
• हर एक स्टेशन काशी के स्थानीय थीम और संस्कृति पर आधारित होगा।
• जाम के झंझट से मुक्ति मिलने के साथ में काशी का एरियल व्यू से देखा जा सकेगा।
• 24 मार्च 2023 को पीएम मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी। तीन वर्ष में पूरी तरह संचालित किया जाएगा।
यह भी बता दें कि देश के पहले अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे स्टेशन (ropeway station) की डिजाइन में बाहरी आकार तय कर दिया गया है। बाहरी माडल में शिव और काशी की झलक दिखाई पड़ेगी। कैंट स्टेशन (Cantt Station) पर एल्युमिनियम कंपोजिट पैनल से डमरू, नंदी और त्रिशूल बनाए जाएंगे, जबकि काशी विद्यापीठ स्टेशन (Kashi Vidyapeeth Station) पर भोलेनाथ का बड़ा चित्र होगा। इसमें खास प्रकार के मेटल का प्रयोग होगा। तथा पहले फेज में कैंट, विद्यापीठ व रथयात्रा स्टेशन का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। और टावर स्थापित किए जा रहे हैं।
महत्वपूर्ण है कि काशी विश्वनाथ में दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को अब रेलवे स्टेशन से रोपवे के माध्यम से मंदिर पहुंचाने तैयारी है। जिससे दर्शनार्थियों के समय की बचत के साथ नगर को वायु और ध्वनि प्रदुषण से भी मुक्ति मिले। और वाराणसी का नाम व विकास विश्व स्तर पर प्रसिद्ध होगा।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको वाराणसी रोपवे परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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