शुरू हुई काशी के गंगा में खुदाई, बदलेगा वाराणसी के घाट का स्वरुप

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वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक अस्सी घाट का नाम तो आपने अवश्य ही सुना होगा और इस घाट को भली भाँति पहचानते भी होंगे परंतु यह संभवतः आप नहीं पहचान पाएंगे क्योंकि इस अस्सी घाट का स्वरूप बदलने वाला है।

वाराणसी जिसको की घाटों का शहर व मंदिरों का शहर कहा जाता है जो इस शहर की पहचान भी है और विरासत भी।विश्व की इस प्राचीनतम जीवित शहर काशी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्मार्ट शहर बनाने का प्रयास धीरे-धीरे मूर्त रूप लेता दिख रहा है। वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिये विभिन्न प्रकार की हजारों करोड़ की परियोजनाएं नगर में चल रही हैं। जिनका की समय समय पर उद्घाटन व शिलान्यास स्वयं मोदी जी करते भी रहते हैं।इसी क्रम में आपको बता दें की धर्म अध्यात्म व कला-संगीत की नगरी काशी में पर्यटन का क्षेत्र अब बढ़ने जा रहा है। अब यह बात गंगा, उसके घाट, गलियां, सारनाथ और श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर समेत देवालयों की विशाल शृंखला से भी आगे बढ़ कर पुराने शहर के नींव के पत्थरों तक जा रही है।

जहाँ एक ओर काशी को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से खिड़कीया घाट को वाराणसी का पहला माॅडल घाट बनाया जा रहा है जोकी पूरे वाराणसी या पूरे पूर्वांचल का ही नहीं अपितु संभवतः देश का सबसे आधुनिक घाट होगा वहीं दूसरी ओर वाराणसी के पहचान में सम्मिलित काशी के अस्सी घाट का स्वरूप अब परिवर्तित होने वाला है।


बनारस के अस्सी और दशाश्वमेध घाट पर देश ही नहीं विदेश के लोग भी घूमने आते हैं। बनारस की सुबह पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और हो भी क्यों न, जहां गंगा नदी के किनारे सुबह की छटा अनोखी और निराली दिखती है। इसे देखने के लिए विदेशी यात्री खींचे चले आते हैं। बता दें की वाराणसी में ऐसे तो 80 से अधिक घाट हैं और सभी घाटों की अपना इतिहास एवं विशेषताएँ हैं जिनमें की संत रवि दास घाट से लेकर आदीकेशव तक के घाट आते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए अस्सी घाट का कायाकल्प किया जा रहा है।

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नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत कई सालों से अस्सी घाट (Assi Ghat) पर जमे सिल्ट को हटाने का कार्य आरंभ हो गया है। बता दें की नमामि गंगे (Namami Gange) की टीम बीते 5 दिनों से जेसीबी के माध्यम से घाटों पर जमे सिल्ट को हटा रही है। जिस प्रकार से ये काम चल रहा है उससे लगता है कि आने वाले 10 दिनों में अस्सी घाट अपने पुराने स्वरूप में वापस लौट आएगी। नए अस्सी घाट की 7 प्लेटफॉर्म और पुराने घाट के 9 प्लेटफॉर्म फिर से दिखाई देने लगेगा। बताते चले कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने नवम्बर 2014 में पहली बार इसी घाट पर फावड़ा चलाकर सफाई अअभियान का आरंभ किया था। पीएम मोदी लगभग 10 मिनट तक लगातार फावड़े से मिट्टी काटकर निकाला था उससे पश्चात स्थानीय प्रशासन के सहयोग से एक निजी संस्था ने घाट पर जमे सिल्ट को पूरी तरह साफ किया था। परंतु फिर धीरे धीरे यहाँ प्रत्येक वर्ष गंगा नदी के बाढ़ और जल के साथ यहाँ पर मिट्टी एकत्र होती चली गई। और देखते देखते तीन-चौथाई घाट पानी और मिट्‌टी से ढंक चुकी है, परंतु अब उसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। नमामि गंगे की टीम की 5 जेसीबी की सहायता से इस मिट्टी व गाद को हटाने का कार्य संचालित है। घाटों के निवासीयों के अनुसार इससे गंगा और अस्सी का पुराना वाला विहंगम रूप लौट सकेगा।
जानकारी के लिए बता दें की पुराने अस्सी घाट पर 9 प्लेटफार्म थे, वहीं नए अस्सी घाट पर 7 प्लेटफॉर्म थे। वर्तमान में दोनों घाटों पर केवल 3 प्लेटफॉर्म ही दिखाई दे रहे हैं। बाकी सब 10 साल से अधिक समय से मिट्टी में दबे हैं।

प्रधानमंत्री बनने के पश्चात नरेंद्र मोदी ने यहां पर पहली बार फावड़ा चलाकर साफ-सफाई का आरंभ किया था। उसके बाद 2016 में शांति लाल जैन और सनबीम भगवानपुर ने इस सफाई अभियान को चलाया था। परंतु, घाटों का पुराना स्वरूप नहीं लौट सका था। अब लोगों को आशा है कि कुछ दिन पश्चात अस्सी घाट अपने विराट रूप में सामने आ जाएगा।

इसी क्रम में फिलहाल, जेसीबी से मिट्टी काटकर उसका घोल गंगा में बहाया जा रहा है। इस पर गंगा विज्ञानियों ने आपत्ति जताई तो फिर वाराणसी के डीएम ने इस मिट्टी को किसानों तक पहुंचाने का निर्देश दिया है। बता दें की लगभग 2 हजार ट्रक उपजाऊ मिट्टी यहां पर जमा होगी, जिसे किसानों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी खनन विभाग को देने की तैयारी चल रही है। परंतु तब तक मिट्टी को गंगा में बहाने का कार्य निरंतर जारी है।

बता दें की जब से माननीय नरेंद्र मोदी जी वाराणसी के सांसद बन भारत के प्रधानमंत्री बने हैं तब से वाराणसी के गंगा घाटों का कायाकल्प हो गया है, और यह हमें बताने की आवश्यकता नहीं है यह आप अपने आँखों से स्वयं देख सकते हैं की साफ सफाई हो अथवा पर्यटन सुविधाओं में विकास यह सभी को मोह लेता है यही नहीं काशी के ऐतिहासिक व पौराणिक महत्ता का ध्यान रखा जाता है और इसके लिए भी वाराणसी के सभी घाटों पर हर घाट से जुड़े इतिहास व महत्व को बताने वाले शिलापट व साईनबोर्ड आदि भी लगाने का विशेष कार्य किया गया है।

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अधिक जानकारी के लिए बता दें की अस्सी घाट के पुनर्विकास के लिए लिए जो मिट्टी गंगा नदी किनारे से हटाया जा रहा है वह अस्सी घाट ही नहीं इसके आगे रीवा घाट से लेकर गंगा महल घाट अस्सी घाट व नगवां घाट तक होना है और जिस स्थान पर मिट्टी व गाद की मोटी सतह जमी है वहाँ पर JCB की सहायता से इस कार्य को किया जा रहा है।

आप सोच रहे होंगे की बाढ़ के पश्चात तो हर स्थान पर जमी मिट्टी व गाद तो हटाया ही जाता है तो फिर इसमें विशेष क्या है तो हम आपको बता दें की ऐसे तो वाराणसी के गंगा नदी में बाढ़ के तुरंत पश्चात ही लगभग सभी घाटों पर यह कार्य होता है परंतु अस्सी घाट व इसके आसपास के क्षेत्र में यह नहीं हो पाता इसका कारण है यहाँ पर मिट्टी अधिक मात्रा में एकत्र होना और यह प्रत्येक वर्ष होती रहती है इस कारण से इस बार इस कार्य के लिए JCB लगी है और घाट किनारे ऐसे JCB का खुदाई कार्य में लगना यहाँ आने वाले पर्यटकों के साथ साथ स्थानीय निवासीयों के लिए भी कौतूहल का विषय है।

महत्वपूर्ण है कि अस्सी घाट का पुराना स्वरूप अगर कुछ ही दिनों में लौट आता है तो यह इतिहास ही होगा। नमामि गंगे ने इस घाट के ससाफ-सफाई का दायित्व विशाल प्रोटेक्शन कंपनी को दी है। जो गंगा के पानी और घाट के मध्य की दूरी को समाप्त करने का कार्य कर रही है। और लगभग 30 फीट से भी अधिक  खोदाई करने के पश्चात घाटों का स्वरूप उभर कर वापस आएगा जिसकी झलक अभी से दिखने लगी है।

यह भी महत्वपूर्ण है कि वाराणसी के इस अस्सी घाट से लगभग 5.5 किलोमीटर दूरी पर खिड़कीया घाट के निर्माण कार्य के पहले चरण का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है और 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री के आगमन पर वाराणसी के सबसे महत्वपूर्ण परियोजना व प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन होना तथा इसके साथ और भी कई परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण होगा जिसमें की खिड़कीया घाट का लोकार्पण संभाविता है।

कुल मिलाकर कर कहें तो काशी के ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व के साथ नगर व पर्यटन के विभिन्न सुविधाओं का विकास वर्तमान सरकार के कार्यकाल में भलीभाँति होता दिख रहा है और इसी परिणाम है कि लागातार दूसरे वर्ष वाराणसी को गंगा नदी किनारे बसे नगरों की सूची में सर्वश्रेष्ठ पायदान पर होने का पुरस्कार मिला है।


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