CM योगी ने उत्तर प्रदेश को दिया भारत का पहला अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी की सौगात
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धान का कटोरा कहे जाने वाला चंदौली जिला अब मछली पालन के लिए भी देश में जाना जाएगा। दिल्ली-कोलकत्ता नेशनल हाई वे पर एक छत के निचे मिलेगी हर सुविधा यहाँ पर होलसेल, रिटेल और मछली पालन से संबंधित उपकरण सीड्स, दवाएं, चारा सभी कुछ एक छत के नीचे उपलब्ध होगा। एक्सक्लूसिव फिश रेस्टोरेंट, प्रशिक्षण के लिए कांफ्रेंस हॉल, प्रोसेसिंग यूनिट समेत कई तरह की सुविधाएं होंगी। इस बिल्डिंग में मछली पालन के तरीकों, मार्केटिंग, तकनीक, एक्सपोर्ट से लेकर मछली के कई प्रकार के डिशज़ पकाने और खाने तक की सुविधा होगी। नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड हैदराबाद से ग्रीन सिग्नल मिलते ही, पूर्वांचल की सबसे बड़ी इस आधुनिक मत्स्य मंडी के बिल्डिंग के निर्माण का कार्य आरंभ हो जाएगा। इस भवन की डिजाइन बन गई है जो कि आपके स्क्रीन पर उपलब्ध है.
मत्स्य विभाग के उपनिदेशक एनएस रहमानी के अनुसार वाराणसी मंडल में लगभग 200 करोड़ का व्यवसाय है। जिसे पांच वर्षों के भीतर दोगुना करने का लक्ष्य उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रखा है। उन्होंने बताया कि ये देश की अपने तरह की पहली मत्स्य सम्बंधित क़ारोबार की अल्ट्रा मॉडल बिल्डिंग होगी। जिसमें मछली का होलसेल और रिटेल मार्किट भी रहेगा। सीड्स, फीड्स, चारा, दवाएं और उपकरण सभी चीजें एक छत के नीचे उपलब्ध होगी।
बता दें कि इस अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी में मछली पालन को लेकर विश्व भर में चल रही नई तकनीक का प्रदर्शन भी यहाँ के आधुनिक एग्जिबिशन हाल में किया जाएगा। जिससे मछली पालक नई तकनीक को देखकर सीख सकें। बिल्डिंग में कॉन्फ्रेंस हाल का भी प्रावधान है। जहां मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, तथा सेमिनार आदि होगा।
यही नहीं इस अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी के तीसरी मंज़िल पर पीपीपी मॉडल पर एक एक्सक्लूसिव फिश रेस्टोरेंट होगा। जहाँ फिश के कई प्रकार के व्यंजनों का स्वाद कोई भी चख सकेगा। पीपीपी मॉडल पर ही भविष्य में प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाने की योजना है.
बता दें कि आने वाले समय में बड़े पैमानें पर मछली देश से निर्यात करने की भी योजना है। विदेशों में सबसे अधिक मांग वाली टेलिपिया किस्म की मछली का पैदावार करके, यहाँ से एक्सपोर्ट करने का प्लान है। नार्थ ईस्ट, कोलकत्ता, नेपाल समेत कई स्थानों पर यहां के मछलियों की खासी मांग है। इस क्षक्षेत्र में लगभग 30 से 35 किस्मों की मछलियों की खेती होती है। पहले लगभग 20 प्रतिशत मछलियां ख़राब हो जाया करती थी। परंतु परिवहन की सुविधा और विभिन्न आधुनिक सुविधाओं से अब मछलियों के मात्र पांच प्रतिशत से भी कम ख़राब होने की आशा है।
इस अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी के स्थान विशेष अर्थात लोकेशन की जानकारी दें तो आपको बता दें कि इसके लिए माधोपुर नवीन मंडी समिति परिसर में अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी बनाने के लिए भूमि चिह्नित हो चुकी है। जानकारी के लिए बता दें कि कनेक्टिविटी के दृष्टि से भी ये स्थान अच्छी है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन अत्यंत निकट है। वाराणसी मुख्यालय से 32 किलोमीटर और एयरपोर्ट से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर वाराणसी के राजातालाब में पेरिशेबल कोल्ड स्टोरेज भी उपलब्ध है। जहाँ पर मछलियों को कई दिनों तक ताज़ा और सुरक्षित रखा जा सकता है। जिसका सीधा लाभ मछली पलकों को मिलेगा। वहीं नौगढ़ इलाके के बांधों में भी मत्स्य पालन होता है। ऐसे में अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी के संचालन के बाद कारेबार को बल मिलेगा। वहीं मछली कारोबार को विदेशों में पहचान दिलाने के लिए निर्यात जैसी व्यवस्था को सुचारु बनाने की योजना है।
अब यदि इस अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी की विशेषता की जानकारी दें तो आपको बता दें कि यह पूरा भवन सेंट्रली एसी युक्त होगा. मत्स्य विभाग के उपनिदेशक ने बताया कि अल्ट्रा मॉडल मत्स्य बिल्डिंग देश की पहली ऐसी आधुनिक इमारत होगी जहां एक छत के नीचे सभी सुविधाएं होंगी। पूरी बिल्डिंग सेंट्रली वातानुकूलित होगी। तथा ऊर्जा बचाने के लिए 400 किलोवाट का सोलर पावर भी लगाया जाएगा। आने जाने के मार्ग अलग अलग होंगे। मछलियों की दुर्गन्ध न फ़ैले इसके लिए भी विशेष प्रबंध होगा। इसके अतिरिक्त सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
बता दें कि इस अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय ने पहल की थी तथा उनके पहल पर ही जिले में एक अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी बनाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। जिसके बन जाने के पश्चात विश्व में धान के कटोरा के रूप में विख्यात चंदौली अब मछली पालन के लिए पहचाना जाएगा।
इस अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी से मिलने वाले लाभ की अधिक जानकारी दें तो आपको बता दें कि यहाँ पर व्यापारियों के लिए और ट्रक ड्राइवरो के लिए गेस्ट हाउस भी बनाया जाएगा। वाराणसी, चंदौली, गाज़ीपुर जौनपुर में अभी लगभग 1500 मछली पालक है। जो बड़े स्तर पर काम कर रहे है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 3 हज़ार से अधिक परिवार इस व्यवसाय से जुड़ा है। मंडी में 100 दुकानें भी होंगी। इस अल्ट्रा मॉडल बिल्डिंग के बन जाने से पूर्वांचल में बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे। मत्स्य कारोबार के साथ ही किसानों की आर्थिक आय बढ़ाने के लिए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) भी बनाए जाएंगे।
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