वाराणसी के गंगा नदी में हुआ रिवर रैन्चिंग

नदियों की निर्मलता बढ़ाने और नाइट्रोजन युक्त प्रदूषण को कम करने के पहले चरण में शुक्रवार को गंगा में अस्सी घाट पर भारत सरकार की संस्था राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद द्वारा प्रदेश सरकारों के साथ मिलकर गंगा में 75 हज़ार मछलियाँ छोड़ी गयीं. मत्स्य विभाग जनपद वाराणसी में अस्सी घाट पर अपरान्ह 3. 00 बजे मुख्य अतिथि निदेशक, समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण कोच्ची, केरल श्री एम० कार्तिकेयन के द्वारा मत्स्य अंगुलिकाओं को नदी की मुख्य धारा में प्रवाहित किया गया.

नदियों में बढ़ते प्रदूषण के जैव नियन्त्रण हेतु मछलियों की अति महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुये उप निदेशक मत्स्य श्री एन०एस०रहमानी ने बताया कि नाइट्रोजन आधारित प्रदूषण को सर्वोच्च गुणवत्ता की प्रोटीन में बदलने की मछलियों की क्षमता के कारण ही रिवर रेंचिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. श्री रहमानी द्वारा यह भी बताया गया कि भविष्य में जल्द ही पुनः रिवर रैचिंग के कार्य को कराया जायेगा.श्री अनिल सिंह ने सभी को जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण तथा गंगा जी को स्वच्छ रखने के लिए शपथ दिलायी.

उक्त अवसर पर प्रभागीय वनाधिकारी, भूतपूर्व निदेशक मत्स्य, उ०प्र० श्री एस0के0 सिंह, उप निदेशक मत्स्य, एन०एस०रहमानी, उ0प्र0 के पर्यावरण एवं वन विभाग के ब्रांड एम्बेसेडर अनिल सिंह, श्री सुरेंद्र चौधरी (उप महानिरीक्षक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल रेंज चंदौली), 95 बटालियन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के श्री महेंद्र मिश्रा (उप कमांडेंट) व 95 बटालियन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की पूरी टीम द्वारा मछली को गंगा जी में छोड़ने में बढ़ चढ़ कर भाग लिया.

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एन०डी०आर०एफ० श्री सुनील कुमार सिंह, बुल फिश फार्म प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक श्री पवन सिंह, समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के उप निदेशक श्री लहरी व श्री रवीन्द्र प्रसाद मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मत्स्य व मत्स्य विभाग के समस्त कार्मिक उपस्थित रहे. इस अवसर पर 75000 मत्स्य अँगुलिका (मछली के बड़े आकार के बच्चे) जो गंगा नदी से ही पकड़ी गयी मछलियों से अण्डे दिलाकर हैचरी पर तैयार किये गये हैं.

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