भारत के सबसे बड़े मंदिर महाकाल कॉरिडोर का PM मोदी करेंगे उद्घाटन, मिलेगा रोजगार भी
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महादेव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में महत्वपूर्ण महाकाल धाम की अब बढ़ने वाली है भव्यता तथा महादेव के अनन्य भक्ति श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा काशी विश्वनाथ धाम कॉरीडोर के पश्चात अब महाकाल कॉरीडोर (Mahakal Corridor Ujjain) की मिली है बड़ी सौगात।
शिप्रा नदी के उत्तरी छोर पर बसा उज्जैन जिसे महाकाल की नगरी व चक्रवर्ती राजा विक्रमादित्य की नगरी कहा जाता है। जहां पर तीन गणेश और दो शक्तिपीठ व भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है तथा जहाँ पर 12 वर्षों में एक बार होने वाला कुंभ स्नान भी सिंहस्थ बन जाता हो तथा जहाँ की काल गणना विश्व मानक हो, उसकी महत्ता को आप समझ ही सकते हैं। इतिहास के अनुसार सन् 1235 ई में मुस्लिम आक्रांता इल्तुत्मिश के द्वारा माहाकालेश्वर के प्राचीन भव्य मंदिर का विध्वंस किए जाने के पश्चात मराठाओं तथा राजा भोज द्वारा इस मंदिर का पुनर्उद्धार व विस्तार किया गया था।
हिंदू धर्म के इस प्रमुख पवित्र नगर उज्जैन में भगवान शिव के महाकालेश्वर धाम का वर्तमान समय में नवीनीकरण व विस्तार कार्य संचालित है। बता दें की लगभग 800 करोड़ की लागत से महाकाल मंदिर परिसर का क्षेत्रफल वर्तमान क्षेत्रफल से लगभग आठ गुना अधिक विस्तारित होगा।
बता दें कि, वर्तमान समय में मंदिर परिसर 2.82 हेक्टेयर में विस्तारित है, जबकि परियोजना पूर्ण होने के पश्चात मंदिर का क्षेत्रफल बढ़कर के 20.23 हेेक्टेयर हो जाएगा।
परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि मंदिर विस्तारीकरण प्रोजेक्ट लगभग 800 करोड़ रुपये की लागत की है। इसके अंतर्गत पहले चरण में महाकाल पथ, रूद्र सागर का सौंदर्यीकरण, विश्राम धाम आदि का कार्य अब पूर्ण हो चुका हैं।
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इस नव निर्मित महाकाल कॉरीडोर (Mahakal Corridor) की नवीनतम एक्सक्लूसिव चलचित्र दिखाते हुए हम आपको परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि त्रिवेणी संग्रहालय के पास महाकाल पथ का बड़ा द्वार बना है। महाकालेश्वर मंदिर परिसर में 9 अलग अलग द्वार रहेंगे। अभी तक मंदिर पहुंचने के लिए चारों ओर से गलियों से होकर पहुंचना पड़ता था। परंतु अब महाकाल मंदिर के सामने का मार्ग 70 मीटर चौड़ा किया गया है। महाकाल मंदिर चौराहे तक का मार्ग 24 मीटर चौड़ा किया गया है।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि वाराणसी (Varanasi) स्थित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) 300 मीटर में बना है, जबकि महाकाल कॉरिडोर 900 मीटर क्षेत्र में बनाया जा रहा है। अर्थात महाकाल कॉरिडोर काशी से भव्य बनेगा। दो चरणों में हो रहे निर्माण मे यात्रियों के लिए दर्शनीय क्षेत्र और सुविधाएं विकसित करने पर लगभग 800 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
पहले चरण के 350 करोड़ रुपए के महाकाल कॉरिडोर के कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं। अब मंदिर परिसर में ही रुद्रसागर भी सम्मलित हो चुका है। इसके बन जाने से यात्रियों को भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन सुरक्षित और सरल होंगे। प्रशासन को भी भीड़ नियंत्रण और प्रबंधन में सुविधा होगी।
नए प्रोजेक्ट के पूरा होने पर श्रद्धालु चौड़ी सड़कों से होकर महाकाल कॉरिडोर तक पहुंच जाएंगे। इस मंदिर में पर्यावरण को ध्यान मे रखकर पूरे मंदिर परिसर मे छायादार पेड़ लगाए जा रहे हैं। महाकाल कॉरिडोर तक पहुंचने के लिए दो पैदल मार्ग भी होंगे। ई-रिक्शा के लिए भी अलग से लेन तैयार हो रही है। इसके माध्यम से बुजुर्ग श्रद्धालुओ को मंदिर तक पहुंचने में सरलता हो जाएगी।
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कॉरिडोर में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी देने हेतु आपको बता दें कि महाकाल कॉरिडोर के अंतर्गत फैसिलिटी सेंटर बन रहा है, जिसमें लोगों के लिए जूता स्टैंड, वेटिंग रूम, रेस्टोरेंट्स, पेयजल, टिकट घर, रुकने के आश्रम की भी व्यवस्था की जा रही है। पूरे कोरिडोर मे शिवगाथा नजर आएगी। यहां तक की कॉरिडोर की दुकानों में भारतीय कला और संस्कृति की झलक दिखेगी।
महत्वपूर्ण यह है कि इस भव्य कारिडोर का संचालन करने के लिए एक हजार लोगों की भी आवश्यकता पड़ेगी। अर्थात इसके माध्यम से एक हजार लोगों को रोजगार देने की भी तैयारी की जा रही है। ये लोग समिति की तरफ से मैनेजर, रिसेप्शन, टिकट काउंटर, रेस्टोरेंट, दुकानें, वाहन, लिफ्ट, साफ-सफाई, सुरक्षा गार्ड्स आदि के लिए नियुक्त किए जाएंगे।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें कि महाकाल कॉरिडोर में देश का पहला नाइट गार्डन भी बनाया गया है। यहां भगवान शिव, शक्ति और अन्य धार्मिक घटनाओं से जुड़ी लगभग 200 मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इसके साथ ही कॉरिडोर में दूसरे भगवानों की प्रतिमा भी स्थापित की गई हैं। यहां श्रद्धालु भगवान शिव से जुड़ीं कथाओं के बारे में जान सकेंगे। यहां सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, कमल ताल में भगवान शिव की मूर्ति, शिव तांडव की विभिन्न भाग-भंगिमाओं की प्रतिमाएं और नंदी की विशाल प्रतिमा यहां दिखाई देंगी। मूर्तियों में क्यूआर कोड स्कैन करके उनके बारे में भी जान सकेंगे।
बता दें कि इस कॉरिडोर के भीतर रुद्रसागर की ओर 920 मीटर लंबा कॉरिडोर है इसके साथ ही 108 भव्य पिलर हैं। एक ओर भगवान की शिव की प्रतिमा हैं और दूसरी ओर भव्य अलंकृत पिलर। पिलर में खूबसूरत लाइट लगाए गए हैं।
परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि महाकाल मंदिर कॉरिडोर के विकास में कुल 793 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इनमें से 421 करोड़ मध्य प्रदेश सरकार और 271 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने दिए हैं। जिसके पश्चात मंदिर का क्षेत्रफल 2 हेक्टेयर से बढ़कर 20 हेक्टेयर हो गया है।
महाकाल पथ से सटे ऐतिहासिक रुद्रसागर तालाब की साफ-सफाई कर इसे विकसित किया गया है। साथ ही रुद्रसागर तालाब में गिरने वाली गंदगी को रोक दिया गया है।
अब यदि हम आपको महाकाल कॉरीडोर की उद्घाटन की विशेष जानकारी दें तो बता दें कि 11 अक्टूबर को पीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे, तथा उस समय उज्जैन में देव दीपावली जैसा वातावरण होगा।
लोकार्पण के समयावधि में उज्जैन के लगभग 5 लाख घरों में प्रसाद के साथ पुस्तिका भी पहुंचाई जाएगी और इसके अतिरिक्त लेजर शो और आतिशबाजी भी होगी।
निर्माण से जुड़ी जानकारी हेतु बता दें कि इसका निर्माण 7 मार्च 2019 को आरंभ हुआ था। गुजरात की एक फर्म इस काम को करवा रही है। महाकाल कॉरिडोर के विकास के लिए 150 से अधिक भवनों का अधिग्रहण किया गया और मंदिर को क्षिप्रा नदी से जोड़ा गया है। अब परिसर इतना विशाल है कि पूरा मंदिर परिसर मे घूमने और सूक्ष्मता से दर्शन करने के लिए 5 से 6 घंटे का समय लगेगा।
इस विशाल क्षेत्र में भगवान शिव के विभिन्न रूप के दर्शन महाकाल कॉरिडोर मे होंगे। इसके अतिरिक्त शिव तांडव स्त्रोत से लेकर शिव विवाह और अन्य प्रसंगों को भी बड़ी खूबसूरती से तराशा गया है। इसमें महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सुविधाओं का विकास हो रहा है।
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इस मंदिर को चारों ओर से खुला बनाया जा रहा है। इसके आसपास के भवन को हटाया जा रहा है। ताकि श्रद्धालु लोग दूर से मंदिर के दर्शन कर सके। इसी के साथ रूद्रसागर के किनारे 2 नए द्वार नंदी द्वार व पिनाकी द्वार मध्य मे विकसित किया जा रहा है। इससे अब 20 हजार यात्री का आवागमन एक साथ हो सकेगा। 400 से अधिक वाहनो का पार्किंग क्षेत्र और धर्मशाला से यात्री सीधे नंदी द्वार में प्रवेश करेंगे।
प्रोजेक्ट पूरा होने पर हर घंटे एक लाख श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। एक लाख लोगों की भीड़ होने पर भी श्रद्धालुओ को 45 से 60 मिनट में दर्शन हो जाएंगे। महाकाल कॉरिडोर का काम लगभग समाप्ति पर है। कई स्थानों पर फिनिशिंग का काम चल रहा है। 11 अक्टूबर को महाकाल कॉरिडोर श्रद्धालुओ के लिए खोल दिया जाएगा।
बता दें कि त्रिवेणी संग्रहालय के पास ही महाकाल पथ का बड़ा द्वार बना है और यहीं मध्य में फाउन्टेन, लाइट एंड साउंड सिस्टम भी होगा। इसके सामने पवेलियन जैसी व्यवस्था श्रद्धालुओ के लिए की जाएगी। जहां रात के समय श्रद्धालु लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से महाकाल के बारे मे और अधिक जानकारी पा सकेंगे।
महत्वपूर्ण है कि यह एक ऐसा कार्य है जिससे धर्म संस्कृति व आस्था का समावेश तो होगा ही तथा नगर व नगरवासियों के आय का स्रोत भी बनेगा। इसके अतिरिक्त सनातन आस्था का यह केंद्र अपनी नवीन ऊर्जा व भव्यता से देश की छवि को और सुदृढ़ करेगा।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई महाकाल कॉरिडोर की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बॉक्स में जय महाकाल अवश्य लिखें।
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