PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम की ऐसी जानकारी जो आपको जानना है जरूरी
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संकरी गलियों से लोगों की धक्का-मुक्की कर आगे निकलने की होड़ तथा तंग गलियों से होकर मंदिर पहुँचकर बाबा भोलेनाथ की बस एक झलक मिल पाना अब एक अतीत होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम जिसका शिलान्यास मार्च 2019 में तथा जनवरी 2020 से कॉरिडोर का निर्माण आरंभ है अब इस धाम की अलौकिकता की झलक दिखने लगी है, जिसमें कि काशी के गंगा नदी किनारे ललिता घाट व मणिकर्णिका घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर एकाकार हो रहा है।
बता दें की विश्वनाथ कॉरीडोर लगभग 50000 वर्ग मीटर से अधिक में बनकर तैयार हो रहा है। जिसमें कि निर्माण क्षेत्र 14000 वर्ग मी. का है। इस परियोजना को वास्तुकार बिमल पटेल द्वारा डिजाइन किया गया है. और ये वही हैं जो नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के भी प्रभारी हैं।
प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट व वाराणसी के इस सबसे महत्वपूर्ण परियोजना के निर्माण कार्य पूर्ण होने की निर्धारित तिथि 30 नवंबर 2021 है। जिसमें कि विश्वनाथ धाम को पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। अब तक 23 भवनों का निर्माण स्वीकृत हैं जिनका काम इस अवधि में पूरा कर लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त अभी मणिकर्णिका गेट, रैंप, कैफेटेरिया, समेत चार कार्यों का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने पर इसका भी कार्य आरंभ होगा। इसके लिए अतिरिक्त समय और बजट दिया जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है के निर्माण लागत 400 करोड़ से ऊपर हो जाएगी। फिलहाल इसके लिए 431 करोड़ का आंकलन किया गया है। माना जा रहा है कि इस वर्ष की देव दीपावली के दिन ही बाबा दरबार विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण परियोजना का प्रधानमंत्री लोकार्पण कर सकते हैं। जिसके लिए लगभग 1500 श्रमिकों द्वारा 24 घंटे कार्य संचालित है।
जानकारी के लिए बता दें की पहले मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को समय बिताने और बैढने का अवहर नहीं मिल पाता था इसी को ध्यान में रखकर कॉरिडोर में एक बहुत बड़ा मंदिर चौक बन रहा है, जो लगभग 40 मीटर गुणे 70 मीटर के आकर का है, जहां लोग बैठ सकते हैं, विश्राम कर सकते हैं और ध्यान लगा सकते हैं। साथ ही वे यहां अपने परिवार और मित्रों के साथ अविस्मरणीय समय भी व्यतीत कर सकते हैं। विश्वनाथ धाम को सड़क मार्ग और जलमार्ग से जोड़ने के साथ प्रतिदिन औसतन दो लाख श्रद्धालुओं के आगमन को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
अधिक जानकारी के लिए बता दें की कारिडोर में मुख्य परिसर व मंदिर चौक समेत वर्तमान में कुल स्वीकृत 23 भवनों में से 15 के स्ट्रक्चर खड़े हो गए हैं और पांच अंतिम काल में है। इसे इसी पखवारे भर में पूरा कर लिया जाएगा।
इसमें पूरे प्रोजेक्ट का शोकेस गोदौलिया गेट के साथ ही सबसे बड़ा व ऊंचा क्षेत्र मंदिर चौक सम्मिलित है तो भोगशाला, शाप नंबर एक और यात्री सुविधा केंद्र एक व दो भी सम्मिलित हैं। महत्वपूर्ण यह कि मुख्य परिसर में भी परिक्रमा गैलरी व एक गेट तैयार कर लिया गया है। चुनार पत्थर का कार्य 25 सितंबर तक पूरा हो जाएगा और मार्वल लगाया जाने लगेगा। फिलहाल सामान व मशीन उपकरण लाने के लिए तीन भवनों का केवल प्लेटफार्म तैयार किया गया है।
वर्तमान में पूर्व से स्वीकृत 23 भवनों को 30 नवंबर तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है ताकि इनका लोकार्पण कराया जा सके।
महत्वपूर्ण है कि श्री काशी विश्वनाथ धाम में मिले मंदिरों का जीर्णोद्धार और संरक्षण की पहल की जा रही है। संरक्षण के कार्य में काशी हिंदू विश्वविद्यालय और संस्कृति मंत्रालय की टीम को दायित्व दिया गया है। बाबा धाम परिसर से ललिता एवं मणिकर्णिका घाट तक बनने वाला काशी विश्वनाथ धाम वास्तविक रूप से धर्म नगरी काशी का अनुभव कराएगा। वहीं दूसरी ओर यहां आनंद कानन और रुद्र वन की परिकल्पना भी साकार होगी। रुद्र वन में रुद्राक्ष के 350 से अधिक पौधे लगाए जाएंगे। परियोजना में मिले प्राचीन मंदिरों का इतिहास, इसके साथ उनकी प्राचीनता, उनकी विशेषता के अतिरिक्त मंदिरों के निर्माता की जानकारियां जुटाई जा रही हैं। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए खरीदे गए तीन सौ भवनों में 60 से अधिक छोटे व बड़े मंदिर मिले हैं। जोकी कॉरिडोर के मणिमाला में रहेंगे।
एक और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए बता दें की विश्वनाथ कॉरिडोर परिक्षेत्र के भवनों के साथ मंदिर परिसर की चारों दिशा में निर्माणाधीन प्रवेश द्वारों के भी नामकरण होंगे। अभी ये प्रवेश द्वार संख्याओं के आधार पर पहचाने जाते हैं। बता दें की विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह तक जाने के लिए पहले भी चार प्रवेश द्वार थे। जिनहें, छत्ताद्वार, ढुंढिराज प्रवेश द्वार, सरस्वती द्वार, और नीलकंठ गेट के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में नीलकंठ व सरस्वती गेट का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
तथा कॉरिडोर के निर्माण के पश्चात केवल दो मुख्य प्रवेश द्वार रहेंगे। इनमें एक गेट गोदौलिया और दूसरा ललिता घाट के पास प्रस्तावित है। इनके अतिरिक्त मंदिर परिसर के चारों ओर चार प्रवेश द्वार होंगे। अभी किस प्रवेश द्वार से कौन श्रद्धालु आएगा और जाएगा, इस पर निर्णय होना शेष है। इन चारों प्रवेश द्वारों के नामाकरण का निर्णय लिया गया है।
इसी के साथ ही काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) में बनने वाले हर भवनों को भी अपने एक विशिष्ट नाम से जाना जाएगा। उनका शीघ्र ही नामकरण होगा। ये नाम काशी की संस्कृति, साहित्य, जीवनशैली आदि से जुड़े होंगे। इसके लिए मंदिर प्रशासन नगरवासियों के मध्य एक प्रतियोगिता कराएगा। प्रतियोगिता में अधिक लोगों की पसंद के नाम भवन से जोड़े जाएंगे।
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी दें तो आपको बता दें की आरंभ से ही काॅरिडोर के मंदिर चौक बनने को लेकर सभी की जिज्ञासा थी कि बनकर कैसा दिखेगा मंदिर चौक, और अब वो प्रतिक्षा समाप्त होने को है। मंदिर चौक का मूल स्वरूप सामने आ गया है।
नक्काशीदार भवनों और खंभों के बीच में गर्भगृह और स्वर्ण शिखर दिखाई दे रहा है। यही नहीं, चुनार के गुलाबी पत्थरों से गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा मार्ग बनकर तैयार है। पूर्वी गेट भी लगभग बनकर तैयार है। गंगा के रास्ते गंगा जल लेकर भक्त इसी पूर्वी गेट से मंदिर चौक में प्रवेश करते हुए बाबा के गर्भगृह तक पहुंचेंगे।
महत्वपूर्ण बात यह है कि गंगा व्यू गैलरी का भवन भी खड़ा हो गया है। गंगा व्यू गैलरी बनने के पश्चात काशी से जुड़ी वो पौराणिक मान्यता भी अब वास्तविकता के रूप में प्रदर्शित होने लगी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि प्राचीन समय में गंगा से ही बाबा विश्वनाथ धाम दिखता था। गंगा व्यू गैलरी में खड़े होकर पर्यटक एक साथ मां गंगा और बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर सकेंगे।
लगभा 50000 वर्ग मीटर से अधिक में बनकर तैयार हो रहे विश्वनाथ कॉरिडोर में मंदिर चौक के बाहर की सभी 23 भवनें खड़ी हो गई हैं। अब फिनिशिंग का काम जारी है। इन भवनों में भोगशाला, कॉफी शॉप, म्यूजियम, मुमुक्षु भवन, यात्री सुविधा केंद्र, टूरिस्ट केंद्र, नीलकंठ भवन, ऑफिस आदि भी बन रहे हैं।
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