यूपी ने मरी बाज़ी, भारत की Fastest Metro in Meerut UttarPradesh
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Meerut Metro : आज हम बात करेंगे एक ऐसे प्रोजेक्ट की, जो बदलने वाला है भारत का भविष्य। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत में 1 ट्रिलियन डॉलर इकाॅनमी व एक्सप्रेसवे स्टेट बनते उत्तर प्रदेश में आए Fastest Metro Rail की।
मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विकास और गति का आपस में एक महत्वपूर्ण संबंध है। क्योंकि यदि विकास की गति मध्यम हो तो वह विकास देश को प्रगति पथ पर अग्रसर नहीं रख सकता।
और इसलिए वर्तमान सरकार देश की गति को प्रगति से जोड़ने के साथ ही देश में आधारभूत संरचनाओं का निर्माण व पुनरुद्धार तीव्र गति के साथ कर रही है। और इसके लिए देश में वंदे भारत ट्रेनों के माध्यम से भारतीय रेलवे को अधिक गति भी प्रदान करने पर कार्य संचालित है। परंतु राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अर्थात एनसीआर के महत्व को समझते हुए वर्तमान सरकार ने एक विशेष पहल की है।
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बता दें साधारण रेल और मेट्रो के बीच का भी एक विकल्प RRTS नमो भारत रेल के रूप में एनसीआर क्षेत्र को मिल चुका है। और इसी क्रम में अब भारत का सबसे तीव्र गति से चलने वाला मेट्रो भी मिलने वाला है।
मेरठ मेट्रो परियोजना के कालचक्र की जानकारी देने हेतु बता दें कि इस परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को आरआरटीएस के साथ ही रखी थी और जून 2019 में आरआरटीएस और मेट्रो दोनों परियोजनाओं पर निर्माण आरंभ हुआ था। इस परियोजना की अनुमानित लागत 11,540 करोड़ रुपये है। तथा एशियाई विकास बैंक (ADB), न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB), और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) ने भी इस परियोजना में निवेश किया है।
मेरठ मेट्रो परियोजना में 2 कॉरिडोर हैं, पहला है मेरठ साउथ से मोदीपुरम, 23किमी, और इसमें एलिवेटेड 14.8 किमी तथा अंडरग्राउंड 8.8 किमी ट्रैक है और इसका मोदीपुरम में डिपो स्टेशन के रूप में एक एट-ग्रेड स्टेशन है। इस लाइन पर 13 स्टेशन होंगे, जिनमें से नौ एलिवेटेड, तीन अंडरग्राउंड स्टेशन होगा। यह एक ही कॉरिडोर पर RRTS के समानांतर चलेगा। मेरठ मेट्रो के 23 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, डौरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम और मोदीपुरम डिपो स्टेशन सम्मिलित होंगे।
इसके अतिरिक्त दूसरा कॉरिडोर है श्रद्धापुरी फेज II से जागृति विहार तक का 15 किमी रूट होगा। इसमें एलिवेटेड 10.7 किमी और अंडरग्राउंड 4.3 किमी का ट्रैक होगा। इस लाइन पर 12 स्टेशन होंगे, जिनमें से सात एलिवेटेड और पांच अंडरग्राउंड होंगे।
मेरठ मेट्रो के कालचक्र तथा परियोजना विवरण देने के पश्चात अब हम आपको इसके वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि मेरठ सेक्शन में भूमिगत भाग में टनल निर्माण पूरा हो चुका है और एलिवेटेड भाग में वायडक्ट का निर्माण भी अंतिम चरण में चल रहा है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के आधारभूत संरचना पर ही मेरठ मेट्रो ट्रेनें संचालित होंगी।
देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक कॉरिडोर पर दो प्रकार की ट्रेनें चलने वाली हैं। मेरठ मेट्रो का यह कॉरिडोर 23 किमी लंबा बनाया जा रहा है। इसमें 18 किलोमीटर एलिवेटेड और पांच किलोमीटर भूमिगत भाग सम्मिलित है। मेरठ मेट्रो ट्रैक यात्रियों की सुविधा के लिए स्टेशनों को एक से दो किमी के अंतराल पर बनाया जा रहा है।
बता दें कि एनसीआरटीसी के साथ एल्सटॉम कंपनी का अनुबंध किया गया है। कंपनी 15 वर्षों तक ट्रेनसेटों का रखरखाव भी करेगी।
अब बात करते हैं मेरठ मेट्रो ट्रेन सेट के अनावरण की तो बता दें कि वर्ष 2025 में मेरठ में मेट्रो ट्रेन दौड़ाने के लिए आरआरटीएस ने काम तेज कर दिया है। 100% स्वदेशी तकनीक पर गुजरात के सांवली में तैयार किए गए मेट्रो कोच और इंजन दुहाई डिपो में पहुंचने लगे हैं। अभी तक पांच मेट्रो ट्रेन डिपो में पहुंच चुकी है। यहां इनकी टेस्टिंग भी आरंभ हो गई है।
बता दें कि इस ट्रेन के डिब्बे गुजरात से बड़े ट्रॉले में लाए जा रहे हैं। डिपो में डिब्बों को जोड़ा जा रहा है। इसके लिए डिपो में 700 मीटर लंबा ट्रैक बनाया है। शताब्दीनगर में विद्युत आपूर्ति के लिए पावर सबस्टेशन बनकर तैयार हो गया है, जबकि मोदीपुरम में दूसरे सब स्टेशन का काम चल रहा है। मेरठ में कुल 12 मेट्रो चलेंगी। एक ट्रेन में तीन डिब्बे होंगे।
सबसे बड़ी बात है कि इस ट्रेन की स्पीड दिल्ली मेट्रो से अधिक होगी। ट्रेन 135 किलोमीटर की गति से मेरठ में दौड़ेगी। तीन कोच की मेट्रो ट्रेन नगर में 13 स्टेशनों के बीच चलेगी। एक ट्रेन में 700 से अधिक यात्री यात्रा कर सकेंगे। अब तक दुहाई डिपो में मेट्रो के 10 कोच पहुंच चुके हैं। रैपिड की अधिकतम गति जहां 180 किलोमीटर प्रतिघंटा है, वहीं मेट्रो की अधिकतम परिचालन गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है। इसकी टेस्टिंग लगातार हो रही है।
यूपी के मेरठ में चलने वाली मेट्रो ट्रेन के डिब्बे दुहाई पहुंच चुके हैं। बीते शनिवार को इन डिब्बों का अनावरण किया गया। इन डिब्बों के अंदर का इंटीरियर में देखा जा सकता है कि कोच में लाल रंग की गद्देदार सीटें लगी हैं। कोच में दोनों तरफ लंबी सीट है। साथ ही दो-दो सीटों की भी पंक्तियां लगाई गई हैं।
आपको बता दें कि मेरठ में 12 मेट्रो ट्रेन के कोच लाए जाने हैं। यहां 13 स्टेशनों के बीच मेट्रो संचालन होगा। मेरठ दक्षिण स्टेशन से लेकर मोदीपुरम के बीच ट्रेन चलेगी। इसके लिए 23 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनाया जा रहा है। अगले वर्ष अप्रैल तक यह कॉरिडोर बनकर तैयार हो जाएगा। मेट्रो की अधिकतम परिचालन गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है। इसकी लगातार टेस्टिंग चल रही है।
इसका निर्माण गुजरात के सावली में किया जा रहा है। देश में ऐसा पहली बार है, जब नमो भारत ट्रेनें और मेरठ मेट्रो दोनों ही दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS के इंफ्रास्ट्रक्चर पर चलेंगी। इस ऑपरेशन को सफल बनाने लिए NCRTC ने यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ETCS) लेवल 2 को हाइब्रिड लेवल 3 के साथ लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन में लागू किया है।
मेरठ मेट्रो में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी देने हेतु बता दें कि इस ट्रेन में यात्रियों की सुविधा के लिए एसी, आरामदायक सीटों की सुविधा है। सामान रखने के लिए रैक, ग्रैब हैंडल, यूएसबी मोबाइल डिवाइस चार्जिंग सुविधा, सीसीटीवी कैमरे, डायनामिक रूट मैप्स, इंफोटेनमेंट सिस्टम, ऑटोमेटिक लाइट्स की सुविधा मिलेगी।
मेरठ मेट्रो में 3 कोच होंगे। इसमें एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गई 2×2 ट्रांसवर्स और लोंगिट्यूडनल बैठने की व्यवस्था होगी। जिसमें प्रत्येक ट्रेन में यात्रियों के बैठने के लिए 173 सीट होंगे और एक साथ 700 लोग यात्रा कर सकते हैं।
इस मेट्रो ट्रेन के स्टेशनों पर भी यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखा जाएगा। इसके स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन वाले द्वार होंगे जिससे भीड़ को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।
ट्रेन के दरवाजों में पुश बटन रहेगा। अगर आप पुश बटन को दबाते हैं तभी दरवाजे खुलेंगे। इसके साथ इस मेट्रो में इमरजेंसी हेल्थ सर्विसेज, स्ट्रेचर, व्हील चेयर की भी सुविधा होगी. इसके साथ ही इमरजेंसी एग्जिट इक्विपमेंट, फायर सेफ्टी, इमरजेंसी अलार्म, टॉक-बैक सिस्टम भी होगा।
इसके अलावा मेट्रो में आपातकालीन स्थिति में मेडिकल स्ट्रेचर ले जाने के लिए स्थान का प्रावधान और व्हील चेयर के लिए स्थान भी दी गई है।
ये ट्रेन सेट मॉडर्न डिजाइन के साथ, कम ऊर्जा खपत वाले, लाइटवेट, रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम, स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी), स्वचालित ट्रेन नियंत्रण (एटीसी), और स्वचालित ट्रेन संचालन (एटीओ) की तकनीक पर आधारित हैं।
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