PM मोदी की काशी को मिला नया स्वर्णिम महादेव धाम

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वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटित श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Dham Corridor) के पश्चात काशी के पौराणिक महत्व के एक और मंदिर का हुआ है कायाकल्प तथा श्रद्धालुओं को मिल गया है वाराणसी में एक और स्वर्ण मंदिर (Markandey Mahadev)।

Markandey Mahadev Mandir

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के द्वादश ज्योतिर्लिंग के समकक्ष वाराणसी का श्री मारकंडेश्वर महादेव धाम (Markandey Mahadev Dham) पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रमुख देवालयों में से एक है। तथा इस धाम कि चर्चा श्री मार्कंडेय पुराण में भी की गयी है। आर्थिक, राजनैतिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण यह स्थान, वाराणसी-गाजीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (Varanasi Ghazipur National Highway) के 28वें किलोमीटर पर गंगा व गोमती नदी के संगम पर कैथी गाँव में स्थित है। 

इन्हीं महत्ता को देखते हुए इस मार्कण्डेय महादेव परिक्षेत्र के विकास को प्रमुखता प्रदान किया गया है तथा तीर्थाटन विकास परियोजना के अंतर्गत मंदिर परिसर से लेकर गंगा गोमती नदी के संगम तट का समग्र विकास किया जा रहा है जिसके अंतर्गत नवीन घाट का निर्माण हो चुका है तथा पहुंच मार्गों के चौड़ीकरण का कार्य भी होना है। इसी क्रम में आपको बता दें की काशी में मार्कंडेय महादेव मंदिर वाराणसी का तीसरा स्वर्ण मंदिर बन चुका है।

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अधिक जानकारी के लिए बता दें वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और संत रविदास मंदिर के पश्चात मार्कंडेय महादेव वाराणसी का तीसरा मंदिर बन चुका है, जिसका शिखर स्वर्ण मंडित है।

बता दें की लगभग 1 वर्ष पूर्व चंदौली के सांसद और केन्द्रीय मंत्री डॉ महेन्द्रनाथ पांडेय ने श्री मार्कंडेय महादेव मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित कराने का शिलान्यास किया था। जिसका उद्घाटन बीते 1 अगस्त सावन के तीसरे सोमवार के शुभ अवसर पर हुआ है।

अधिक जानकारी के लिए बता दें की मार्कंडेय महादेव मंदिर के शिखर पर चंदौली के सांसद और केन्द्रीय मंत्री डॉ महेन्द्रनाथ पांडेय ने सावन के तीसरे सोमवार की शाम इसका विधिवत पूजन, रूद्राभिषेक कर अनावरण कर दिया।

आपको हम बता दें कि सोमवार को अनावरण के पश्चात मंगलवार को शिखर की आभा भगवान सूर्य की किरणों में दमकती रही। जैसा कि आपको हम दिखला रहे हैं।

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि मंदिर के शिखर पर 18 गेज मोटा 2000 किलो तांबे की परत पर सोलर गोल्ड की परत चढ़ा दी गई है। जिससे कि शिखर की स्वर्णिम चमक अगले 25 वर्ष से अधिक समय तक बनी रहेगी।

बता दें कि केन्द्रीय मंत्री डॉ महेन्द्रनाथ पांडेय की पहल पर यह कार्य एक वर्ष में कराया गया है। पूरे प्रोजेक्ट पर 50 लाख रुपये से अधिक का खर्च आया है। प्रशिक्षित काशी के कारीगरों ने शिखर को स्वर्णमंडित करने का कार्य किया।हस्तशिल्पी सोनू कुमार के नेतृत्व में ताम्रपत्रों पर महीन नक्काशी की गई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मंदिर के शिखर की शैली को यथावत रखते हुए परत चढ़ाई गई है।

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विशेष यह है कि श्री काशी विश्वनाथ धाम के समकक्ष कैथी स्थित मार्कण्डेय महादेव की मान्यता है। सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर में शिवभक्तों की गंगा उमड़ती है। लाखों लोग महादेव का जलाभिषेक करते हैं। वाराणसी जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर में पर्व पर हजारों नि:संतान दम्पति संतान की मंशा में भी जुटते हैं। मान्यता है कि धाम में ‘महाशिवरात्रि’ और उसके दूसरे दिन श्रीराम नाम लिखा बेल पत्र अर्पित करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।

आपको बता दें कि मार्कण्डेय महादेव मंदिर परिसर गर्ग, पराशर, श्रृंगी आदि ऋषियों की तपोस्थली रही है। कथाओं में भी इसका वर्णन है कि इसी स्थान पर राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ती के लिए श्रृंगी ऋषि ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था, जिसके परिणाम स्वरूप राजा दशरथ को चार पुत्र प्राप्त हुए थे। इसी स्थान पर राजा रघु ने ग्यारह बार ‘हरिवंशपुराण’ का परायण किया था। तब उन्हें उत्तराधिकारी प्राप्त हुआ था। अर्थात पुत्र कामना के लिए यह स्थल अत्यंत दुर्लभ है।

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आपको बता दें कि तांबे की परत की आयु एक हजार वर्ष तक होती है। इसीलिए इसे इस कार्य के लिए प्रयुक्त किया गया है। इसके अतिरिक्त इस ऐतिहासिक कार्य को करने के लिए कुछ संस्थाएं तथा समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने भी सहयोग किया था। स्वर्णिम आभा के शिखर बन जाने के पश्चात मंदिर का स्वरूप और भव्य हो गया है।

महत्वपूर्ण है कि मार्कंडेय महादेव धाम को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक संख्या में दर्शनार्थी पहुंच सकें। वहां दर्शन करने आए लोग जलयान के माध्यम से श्रीकाशी विश्वनाथ धाम दर्शन-पूजन करने भी जा सकते हैं। इससे उन्हें जाम से नहीं जूझना पड़ेगा। जलयान संचालित करने के लिए गंगा घाट पर जेटी बनाए जाएंगे जिससे दर्शनार्थियों को चढ़ने-उतरने में सरलता हो।

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वहीं, मार्कंडेय महादेव धाम में डाक बंगला बनने का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है। पीडब्ल्यूडी की ओर से 3.9 करोड़ रुपए के भेजे गए प्रस्ताव पर मुख्यालय (लखनऊ) ने टेक्निकल परीक्षण कर फाइल शासन को भेजी थी जिसे शासन ने सैद्धांतिक स्वीकृति भी दे दी है।

इसके अतिरिक्त हाईवे से जोड़ने के लिए प्रस्तावित नई सड़क बननी है जिसकी चौड़ाई सात मीटर होगी। सड़क के दोनों ओर डेढ़-डेढ़ मीटर इंटरलाकिंग होगी। इसमें भूमि की लागत-16 करोड़ है तथा सड़क निर्माण की लागत 6.1 करोड़ रुपए है। इसके अंतर्गत 20 हजार वर्ग मीटर भूमि का अधिग्रहण होगा जिसमें से 303 वर्ग मीटर भूमि सिंचाई विभाग की है।

महत्वपूर्ण है कि इस मंदिर की स्थापना तो मारकंडेय ऋषि ने युगों पहले ही किया था। परंतु केन्द्र और प्रदेश की सरकार धाम के विकास के लिए लगातार कार्य कर रही है। धाम को हरिद्वार की प्रकार से स्वरूप देने का एक प्रयास भी चल रहा है।

केन्द्रीय मंत्री डा.महेन्द्रनाथ पांडेय लगातार धाम स्थल के सौन्दर्यीकरण के लिए कार्य कर रहे हैं। मंदिर के स्वर्णिम शिखर का अनावरण कर केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि यह पवित्र तीर्थ स्थल आने वाले समय में भारतीय पर्यटन के नक्शे पर स्थापित होने जा रहा है। यह स्थल गंगा पर्यटन का बहुत बड़ा केंद्र बन रहा है।

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यहां गंगा गोमती नदी के संगम तट पर करोड़ों रुपये की लागत से राजस्थान के गुलाबी पत्थरों से नवीन घाट का निर्माण भी हो चुका है। जिसकी छटा अलग ही दिखती है।
पर्यटकों की संख्या बढ़ने से रोजगार भी बढ़ रहा है। यहां पर्यटकों के लिए मोटर बोट चलाने जाने की पहल जारी हो गई है। लाइटिंग, शौचालय, रैन बसेरा, पर्यटन गेस्ट हाउस, धर्मशालाओं का निर्माण भी किया गया है।

महत्वपूर्ण है कि धर्म संस्कृति रोजगार राजस्व का समावेशी विकास कर देश व प्रदेश की सरकार एक नव्य कीर्तिमान स्थापित कर रही है। यह कार्य अवश्य ही देश की वास्तविक इतिहास की गौरवशाली छवि को नवीन ऊंचाई पर स्थापित कर देश के मान सम्मान में वृद्धि करेगी।

मित्रों यदि आपको उपरोक्त दी हुई वाराणसी के तीसरे स्वर्ण मंदिर की जानकारी पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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