PM Modi का सपना हो रहा साकार, Kedarnath Dham Redevelopment Project
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Kedarnath: समुद्र तल से 11,657 फीट की ऊँचाई पर स्थित श्री केदारनाथ हिंदुओं के तीर्थस्थलों में सबसे सुंदर और स्वर्गीय है। गाथाओं और अध्यात्म में गहराई वाले इस स्थल के रिकॉर्ड छठी शताब्दी से पाए जाते हैं और तभी से यहाँ श्री केदारनाथ की पूजा लगभग निरंतर ही हो रही है।
जैसा की हम सभी जानते हैं कि वर्ष 2013 में आए बाढ़ के प्रलय ने उत्तराखंड केदारनाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र व केदारपुरी ग्राम को लगभग पूर्णतः नष्ट कर दिया था। 2013 की बाढ़ के विध्वंस के पश्चात किसी भी हृदयवान व्यक्ति के लिए यह अनिवार्य था कि महादेव के इस विशेष निवास की भव्यता और गौरव वापस लौटे। और मोदी यही कर रहे हैं। श्री केदारनाथ धाम को पुनर्विकसित करने के लिए मोदी जी ने एक परियोजना आरंभ की जिसका नाम है श्री केदारनाथ धाम पुनर्विकास व पुनर्स्थापन परियोजना जो इस क्षेत्र के लाभों और सुरक्षाओं को भी सुनिश्चित करती है। तथा यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी निगरानी में ही हो रही है।
बता दें की श्री केदारनाथ धाम दो नदियां मंदाकिनी और सरस्वती नदी के किनारों पर स्थित है। तथा श्री केदारनाथ धाम पुनर्विकास परियोजना का मुख्य उद्देश्य ही है कि केदारपुरी ग्राम को बाढ़-रोधक बनाया जाए जो कि वर्ष 2013 के प्रलय के पश्चात नष्ट हो गए थे।
अब हम आपको यहाँ पर हो रहे विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी देते हैं। बता दें की यहाँ श्री केदारनाथ धाम पुनर्विकास परियोजना में पहाड़ के आधार स्थल पर स्मारक, सड़क निर्माण एवं चौड़ीकरण, घाट निर्माण और सरस्वती नदी के किनारे रिटेनिंग दीवार तथा ध्यान गुफाओं का निर्माण हो रहा है जिसमें की अधिकांश कार्य पूर्ण हो चुका है।
इनके अतिरिक्त इस परियोजना में केदारपुरी की मध्य सड़क का चौड़ीकरण, आदिगुरु शंकराचार्य समाधि और वर्चुअल संग्रहालय, विश्राम गृह, केदारपुरी में तीर्थ पुरोहित के लिए गृह, और प्रवेश प्लाज़ा पर एक भवन का निर्माण किया जाना है।
यहां पर कुछ विश्राम गृह भी बनाए जा रहे हैं। ये विश्राम गृह योजनाबद्ध तरीके से बनाए जा रहे हैं, पुराने भवनों की तरह अव्यवस्थित नहीं। आपको हम समझने में सरलता हो इसलिए इस परिक्षेत्र की ड्रोन व्यू भी दर्शाते हैं।
बता दें कि इन विश्राम गृहों का उद्देश्य पर्यटन का प्रोत्साहन नहीं है। अपितु जो भी लोग यहाँ गए हैं, उन्हें अनुमान है कि मौसम की कितनी भूमिका है। आवश्यक है कि श्रद्धालुओं को बुरे मौसम से बचाया जाए। जो श्रद्धालु कई किलोमीटर चढ़कर पहुँचते हैं, उन्हें विश्राम की भी आवश्यकता होती है और श्री केदारनाथ के दर्शन से पूर्व स्नान करना चाहते हैं। ये विश्राम गृह उनकी सुविधा के लिए हैं। विश्राम गृहों का वास्तु उत्तराखंड के पारंपरिक निर्माण सिद्धांतों पर आधारित है, साथ ही भूकंप के प्रति इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को भी ध्यान में रखा गया है।
यहाँ पर भीड़ से बचाने के लिए मंदिर के निकट के अतिक्रमणों को हटाया गया है। प्रवेश पर एक बड़ा वृत्तिकार प्लाज़ा है जहाँ तीर्थयात्री बैठ सकते हैं और अपनी बारी की प्रतीक्षा कर सकते हैं। यह प्लाज़ा और चौड़ा मार्ग श्रद्धालुओं के दर्शन को सुगम बनाता है।
बता दें की मंदिर जाने का मार्ग दुकानों और होटलों से बाधित था, इनमें से अधिकांशतः 2013 में बह गए थे। इन भवनों के कारण दूर से मंदिर को देखा नहीं जा सकता था। परंतु अब यह परियोजना सुनिश्चित कर रही है कि मंदिर दूर से ही दृष्टिगोचर हो सके।
बता दें की विश्राम गृह, निवास भवन और घाट थोड़ी ऊँचाई पर नदी के मार्ग को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं। रिटेनिंग दीवार की अधिक जानकारी दें तो बता दें की गेबियन तकनीकी से जाली के भीतर पत्थरों को करीने से रखकर दीवार संरचना को सहारा देने के लिए कॉन्क्रीट की दीवार भी बनाई गई हैं जो केदारपुरी में मलबे को आने से रोकेंगे।
ये दीवार भारी मात्रा के बहाव और मलबे का मार्ग भी मोड़कर नदी के मार्ग में जोड़ सकेगी। नदी की किसी धारा को केदारपुरी में आने से भी इस दीवार के माध्यम से रोका जा सकेगा।
यही नहीं इस परियोजना में कभी अस्तित्व में न रही उन सेवाओं का भी निर्माण हो रहा है जो मानव बसाहट के लिए आवश्यक हैं- कुछ ऐसी मूलभूत आवश्यकताओं के निर्माण हो रहा है जिसको अब स्मार्ट कहा जाने लगा है। ये सभी मौसमों के उपयुक्त उच्च क्षमता वाली सुविधाएँ हैं जो घनी सर्दी में भी सहायक बनेंगी।
बता दें की यहाँ पर अब तक केवल दो लो-रेटेड सब-स्टेशन थे, परंतु नवीन परियोजना में अब यहाँ पाँच 63 और 100 केवीए के सब-स्टेशन जोड़े जा रहे हैं। तथा सभी बिजली केबल भूमिगत हो गए हैं। यही नहीं एक सुनियोजित सीवेज नेटवर्क भी बना है।
वर्षा के पानी के प्रबंधन के लिए एक अतिरिक्त नेटवर्क लाया जा रहा है। देश में कई स्थानों पर सीवेज और वर्षाजल का नेटवर्क एक ही होता है परंतु वैसा केदारपुरी में नहीं होगा। केवल वर्षा का जल ही सीधे नदीं में मिलेगा। पीने के जल के लिए भी भूमिगत पाइपलाइन डाली गई है। जन संबोधन प्रणाली और मुख्य स्थानों में सीसीटीवी नेटवर्क भी लगाये जा रहे हैं।
बता दें की आदि शंकराचार्य की समाधि जो 2013 में बह गई थी, वह उसी स्थान पर पुनर्निर्मित किया गया है।
जानकारी के लिए बता दें की भारत-तिब्बत सीमा के निकट इस ऊँचाई पर स्थित यह एकमात्र स्थान है जहाँ बस्ती है इसलिए नीतिगत दृष्टि से यहाँ ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता है जो सीमा पर सुरक्षाबलों के त्वरित परिवहन को सहायता प्रदान कर सके। साथ ही प्रकृति के कारण किसी आपातकालीन स्थिति में भी तीर्थयात्रियों को बाहर निकालने के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता है। इसलिए हेलीपैडों का सुधार किया गया है।
आपको सुरक्षा दीवार की दृश्य दर्शाते हुए बता दें कि चूंकि 2013 की बाढ़ सरस्वती और मंदाकिनी नदियों के अतिप्रवाह के कारण हुई थी, जो नगर के साथ बहती हैं, सरस्वती नदी के किनारे 850 फीट लंबी तीन स्तरीय रिटेनिंग वॉल और मंदाकिनी नदी के किनारे 350 फीट सुरक्षा कवच का निर्माण भी किया गया है।
आपदा प्रबंधन की योजनाओं से लैस मोदी जी की यह परियोजना प्रभावशाली है और यह गाँव व मंदिर के निकट अधिक खुले स्थान रखने पर ध्यान दे रही है जिससे मंदाकिनी और सरस्वती के प्राकृतिक मार्ग हेतु आवश्यक स्थान रहे। साथ ही तीर्थयात्रियों को बेहतर दर्शन अनुभव प्रदान करने पर भी कार्य किया जा रहा है।
केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) गंभीर हैं. पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण प्रोजेक्ट का निरिक्षण भी समय समय पर करते रहते हैं। प्रधानमंत्री की मंशा है कि यहाँ पर विकास ऐसा हो अगले 100 वर्षों तक की परिस्थियों का सामना कर सकें।
जानकारी के लिए बता दें की श्री केदारनाथ धाम पुनर्विकास परियोजना पाँच वर्षों की परियोजना है जिसे की पूरा करने की समय सीमा वर्ष 2022 रखी गई थी परंतु विषम परिस्थितियों के बीच यह परियोजना अभी भी अग्रसर है।
बता दें कि श्री केदारनाथ धाम पुनर्विकास परियोजना का लक्ष्य अब दिसंबर 2023 तक का हो गया है। और इस पुनर्निर्माण कार्य के लिए पहले ही लगभग 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त बद्रीनाथ के लिए भी एक मास्टरप्लान पर कार्य संचालित है।
चार धामों में सबसे ऊँचाई पर स्थित केदारनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर को पांडवों ने बनाया था और इसका पुनर्निर्माण आदिगुरु शंकराचार्य जी ने किया था। तथा आज इस हिंदू आस्था के प्रमुख केंद्र का पुनर्विकास श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में संचालित है। परियोजना के पूर्ण होने के पश्चात यह हिंदू तीर्थस्थलों के विकास के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करेगा जिसमें परंपराओं, पवित्रता और प्रकृति का ध्यान रखा गया होगा।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री केदारनाथ धाम के पुनर्विकास परियोजना की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री केदार अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं, इसके अतिरिक्त यदि आप नए दर्शक हैं अथवा अभी आपने चैनल सब्सक्राइब नहीं किया है तो हमारे मनोबल में वृद्धि करने के लिए चैनल को सब्सक्राइब अवश्य करें।
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