काशी विश्वेनाथ व ज्ञानवापी पर आया कोर्ट का बड़ा फैसला, क्या अब होगा समाधान?

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काशी विश्वेश्वर के ज्ञानवापी (Kashi vishwanath Mandir Vs Gyanvapi Masjid) परिसर को लेकर यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह हमने आपको कुछ दिनों पहले ही बताया था। तथा इस विवाद पर हाईकोर्ट का जो नया निर्णय आया है वो कुछ लोगों की चिंता अवश्य ही बढ़ा देगा।

काशी विश्वनाथ धाम से जुड़ा एक विवाद है जो कि देश में तथाकथित हिन्दू मुस्लिम भाईचारा को जमिंदोज करता है और सबसे बड़ी बात यह है कि अपने आप को सेक्युलर व लिबरल कहने वाले बुद्धिजीवी भी आपसी सौहार्द का झंडा लेकर नहीं निकलते। क्योंकि यह मुद्दा उन्हें सूट नहीं करता।

जानकारी हेतु बता दें कि ज्ञानवापी विवादित ढांचे को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि इस विवादित ढांचे के नीचे ज्योतिर्लिंग है। यही नहीं ढांचे की दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र भी हैं। दावा किया जाता है कि औरंगजेब ने 1664 में काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट किया था। और फिर उसके अवशेषों से ही एक विवादित ढांचे का निर्माण करवाया गया। जिसे मंदिर की भूमि के भाग पर ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।

हालांकि इसके एक नहीं अनेक ऐसे साक्ष्य उपलब्ध हैं जो एक बच्चा भी देखकर बता सकता है कि उस स्थान की वास्तविकता क्या है।

बता दें कि इस मामले में 1991 में वाराणसी कोर्ट (Varanasi Court) में मुकदमा दाखिल हुआ। याचिका के माध्यम वहां पूजा की अनुमति मांगी गई। हालांकि बाद में मस्जिद कमेटी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने 1993 में स्टे लगा कर मौके पर यथास्थिति को विद्दमान रखा। हालांकि स्टे ऑर्डर की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। निर्णय के पश्चात 2019 में वाराणसी की कोर्ट में फिर से इस मामले पर सुनवाई आरंभ हुई। यही नहीं कई अदालतों में इस विवाद को लेकर कई केस दाखिल हैं। उन केस पर सुनवाई चल रही है।

Gyanvapi

इस विवाद में उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट में अब प्रतिदिन सुनवाई हो रही है। तथा अब काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद केस को लेकर कोर्ट ने कमिश्नर नियुक्त करने का एक बड़ा निर्णय लिया है। इसके पश्चात नियुक्त कमिश्नर द्वारा अब 19 अप्रैल को मंदिर और विवादित ढांचे परिसर का दौरा किया जाएगा।

इसी के साथ वहां की वीडियोग्राफी भी करवाई जाएगी। कोर्ट ने इस मामले में सुरक्षाबल को तैनात करने का भी निर्णय लिया है। कोर्ट की ओर से इस समयावधि में सुरक्षाबलों की तैनाती का आदेश भी दिया है।

ज्ञात हो कि काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी विवाद को लेकर प्रयागराज स्थित हाईकोर्ट में मामला चल रहा है। दोनों पक्षों की ओर से दलीलों को कोर्ट के द्वारा सुना गया। जिसके पश्चात कोर्ट ने कमिश्नर को नियुक्त करने का निर्णय लिया है।

सुनवाई के समयावधि में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने कहा था मंदिर को क्षति पहुंचाने से संपत्ति का धार्मिक स्वरूप परिवर्तित नहीं होता। भगवान के विवादित मंदिर का अस्तित्व सतयुग से ही चला आ रहा है। भगवान विश्वेश्वर विवादित ढांचे में विद्यमान हैं। यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और 15वीं सदी के पहले का है।

इस पूरे मामले में को लेकर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया के सामने अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि वक्फ एक्ट में संपत्ति का पंजीकरण होने मात्र से गैर मुस्लिम लोगों को उस संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसी संपत्तियों में गैर मुस्लिम लोगों का संपत्ति के अधिकार समाप्त नहीं हो जाता है। तथा इस स्थान पर प्लेसेज आॅफ वरशिप एक्ट लागू भी नहीं होता।

इसपर आपके क्या विचार हैं वह हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताएं।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें https://youtu.be/EeMyZKHAjmU

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