Exclusive Ground Report – देखें कैसे हो रहा है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण कार्य
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यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत आपने यहश्लोक तो अवश्य सुना अथवा पढ़ा होगा जिसका संक्षिप्त अर्थ है कि जब जब धरती पर धर्म कमजोर पड़ेगा तब तब भगवान स्वंय अवतार लेकर धर्म की रक्षा करेंगे और धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे। परंतु कलयुग के इस कालखंड में शायद ही किसी ने सोचा होगा की महारानी अहिल्या बाई होलकर के 240 वर्षों के पश्चात कोई विश्वनाथ धाम का पुनर्रोद्धार भी करेगा।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सांसद और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक काशी विश्वनाथ कॉरिडोर काशी के लोगों के लिए ही नहीं भोलेनाथ में आस्था रखने वाले करोड़ो लोगों के लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए आने वाले भक्त अभी से ही इस अद्भुत अद्वितीय परियोजना की भव्यता देखकर अचंभित हो रहे हैं।
जानकारी के लिए बता दें की पीएम मोदी ने वाराणसी में बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण का शिलान्यास 8 मार्च 2019 को किया था। अब तक कॉरिडोर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में 400 करोड़ रुपए और निर्माण कार्य में 339 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।
इस पूरे प्रोजेक्ट का पूरा क्षेत्रफल है 50,200 वर्ग मीटर से अधिक है जो कि गंगा नदी किनारे मणिकर्णिकि व ललिता घाट से लेकर ज्ञानवापी तक विस्तारित है जिसमें से लगभग 14,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण व समतलीकरण के पश्चात डेढ़ वर्ष से निर्माण कार्य संचालित है। इस समय भी हजारों श्रमिक कॉरिडोर की फिनिशिंग और इमारतों की मरम्मत आदि के कार्य में दिन-रात जुटे हुए हैं।
बता दें की काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में 24 भवन बनने हैं और इनमें से अधिकांश का सिविल कंस्ट्रक्शन का कार्य पूर्ण हो चुका है। कॉरिडोर का मूल स्वरूप अब दिव्य और भव्य तरीके से प्रदर्शित होने लगा है।
सबसे बड़ी बात यह है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का समग्र रूप से 75% से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है तथा वर्तमान समय में फिनिशिंग का कार्य तीव्र गति से संचालित है।
बता दें की मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार का कार्य अब पूर्ण ही होने को है। प्रवेश द्वार की ऊंचाई और उसकी भव्यता सबसे बड़े आकर्षण के केंद्र में से एक होगा। मैदागिन और गोदौलिया से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गोदौलिया गेट का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। चुनार के पत्थरों की डिजाइन से तैयार गेट को वहां से गुजरने वाला हर व्यक्ति निहारते हुए जाता है। जिसका की हम आपको क्लोज़अप व्यू भी दिखाने का प्रयास कर रहे हैं आप देख रहे हैं कि किस प्रकार से पत्थरों की जालीदार नक्काशी वाली पत्थर द्वार के ऊपरी भाग में लग चुके हैं। तथा प्रवेश द्वार के सामने लगे बिजली के खंबे और ट्रांसफाॉरमर को यहाँ से हटा दिया गया है। अब फिनिशिंग का काम निर्धारत समय सीमा से पहले पूरा होने की आशा है। तथा गेट से बाबा धाभ से मां गंगे की ओर कॉरिडोर में आवागमन होगा। इसके आसपास की गैलरी का भी निर्माण हो चुका है।
जानकारी के लिए बता दें की काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में कई भवनों का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है जिसमें कि यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, फूड कोर्ट, मुमुक्ष भवन आदि सम्मिलित हैं। तथा सबसे महत्वपूर्ण है इसके पूर्ण होने की तिथि तो आपको बता दें की काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग स्वयं सीएम योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। सितंबर महीने के पहले सप्ताह में सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्थल निरीक्षण किया था। सीएम ने कहा था कि 30 नवंबर तक काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण कार्य हर हाल में 30 नवंबर तक निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा इसका लोकार्पण दिसंबर महीने में पीएम मोदी करेंगे।
काशी विश्वनाथ धाम की अधिक जानकारी के लिए बता दें की यहाँ कॉरिडोर की इमारत में सात विशेष पत्थरों को लगाया जा रहा है. इनमें बालेश्वर स्टोन, मकराना मार्बल, कोटा ग्रेनाइट और मैडोना स्टोन मुख्य रूप सेसम्मिलित हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट के पूरा होने के पश्चात महादेव की नगरी का अलौकिक दृश्य दिखेगा. बताया जाता है कि चुनार पत्थर लगाने के पश्चात मार्बल लगाया जाएगा। परियोजना में कॉरिडोर में 24 भवनों का निर्माण प्रस्तावित था परंतु कई संशोधनों के पश्चात अब कुल 27 भवन बनने हैं। इनमें से 21 भवनों पर निर्माण कार्य जारी है। जिनमें से घाट किनारे प्रस्तावित कल्चरल सेंटर की स्थान पर कैफेटेरिया बनेगा तथा गोयनका लाइब्रेरी के स्थान पर ब्लॉक-4 का निर्माण होगा। इसके अतिरिक्त रैम्प बिल्डिंग और मणिकर्णिका गेट का भी नया प्रस्ताव बना है। जनरल एरिया डेवलपमेंट के अतिरिक्त अन्य चीजें भी हैं तथा उनमें से 5 का निर्माण कार्य समाप्त होने वाला है। वहीं, 15 का ढांचा पूरी तरह खड़ा हो गया है और फिनिशिंग जारी है।
इसके अतिरिक्त आपको प्रोजेक्ट में घाट किनारे की जानकारी दें तो बता दें की करोड़ों शिवभक्तों की आस्था के केंद्र काशी विश्वनाथ धाम से जुड़े ललिता और जलासेन घाट के साथ ही अब मणिकर्णिका घाट की भी सूरत बदलेगी। जलासेन और ललिता घाट पर गंगा व्यू गैलरी और भव्य द्वार का काम आरंभ कर दिया गया है। महाश्मशान मणिकर्णिका की छत तक पहुंचने के लिए 100 मीटर के रैंप पर भी सहमति बन गई है।
काशी विश्वनाथ धाम से सटे मणिकर्णिका घाट को संवारने की तैयारी है। बाढ़ के समयावधि में भी घाट की छत तक पहुंचने के लिए एक 100 मीटर के रैंप के लिए सर्वे आरंभ भी हो चुका है। इसके साथ ही घाट पर शवदाह आदि की व्यवस्था को और सुदृढ किया जाएगा।
बता दें की जलासेन और ललिता घाट की भव्यता के साथ ही मणिकर्णिका के मूल स्वरुप को संरक्षित करते हुए यहां सौंदर्यीकरण कराया जाएगा। तथा यहाँ पर काशी विश्वनाथ धाम परिसर में नक्काशीदार इमारतों के बीच चमक रहे स्वर्ण शिखर के गंगा घाट से दर्शन के लिए बनने वाली गंगा व्यू गैलरी की साइट पर कार्य भी आरंभ कर दिया गया है।
जलासेन घाट के पंपिंग स्टेशन को अंडरग्राउंड करने के पश्चात अब वहां गंगा व्यू गैलरी के 12 वर्गमीटर हिस्से के प्लींथ को तैयार किया जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें की 7541 वर्गमीटर में फैले मंदिर चौक का निर्माण करीब 90 प्रतिशत हो गया है। मंदिर चौक के आसपास स्थित भवनों का निर्माण हो चुका है। अब केवल पत्थरों की क्लेडिंग और मार्बल लगाने का कार्य संचालित है। चौक कॉरिडोर का सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला स्थान है। इसमें एक साथ 10 हजार श्रद्धालु एकत्र हो सकते हैं।
तथा इसके अतिरिक्त बाबा धाम के आसपास का क्षेत्र मंदिर परिसर के रूप में जाना जाता है। तथा इस 3052 वर्ग मीटर वाले परिसर में कुल चार द्वार खुल रहे हैं, जिसमें तीन द्वार बन चुके हैं। यहां भी 85 प्रतिशत से अधिक काम हो गया है। श्रद्धालु इसी परिसर में पहुंचकर बाबा का दर्शन-पूजन करेंगे। यह शीघ्र ही बाबा के भक्तों के लिए तैयार हो जाएगा।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें की काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के पूरा होने के पश्चात वाराणसी और चुनार के बीच संचालित बोट सेवा को विंध्याचल तक बढ़ा दिया जाएगा।
धार्मिक पर्यटन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए गंगा में रो रो बोट सेवा के माध्यम से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक और महत्वाकांक्षी परियोजना विंध्याचल कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा। जिनकी दूरी आपस में लगभग 70 किमी है।
सरल शब्दों में कहें तो काशी के धार्मिक व ऐतिहासिक संदर्भों का जीवंत चित्रण लिखने जा रहा काशी विश्वनाथ धाम अब निर्माण के अंतिम पड़ाव पर है। 75 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वयं दिसम्बर में लोकार्पण का समय भी नियत कर दिया है। अब धाम के अलौकिक स्वरूप के दर्शन की प्रतीक्षा है। धाम के स्वरूप की वह झलक भी दिखने लगी है, जो पीएम के ईंट रखते समय तैयार हुई थी।
काशी नगरी के धार्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप के दर्शन कराने वाले इस अनूठे विश्वनाथ धाम कॉरीडोर से आशा है कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात यह कॉरिडोर देश के सबसे भव्य स्थलों में गिना जाएगा।
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