मुगलकाल में विलुप्त हुए विग्रहें भी बाबा धाम में होंगे स्थापित, PM मोदी शीघ्र करने वाले हैं उद्घाटन
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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के चारों द्वारों का होगा नामकरण, 352 विग्रहों को पुनर्स्थाना व कॉरिडोर के उद्घाटन का शुभसमाचार की जानकारी
काशी विश्वनाथ धाम हिंदूओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। तथा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर वाराणसी के सांसद व भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टस में से एक है।
जैसा की हम जानते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी दीपावली के पहले काशी की जनता और उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल को 5,000 हजार करोड़ रुपये से अधिक का सौगात देकर गए हैं। परंतु अब, पीएम का अगला दौरा भी अति शीघ्र होने वाला है वो भी नवंबर के द्वितीय पखवारे में अथवा दिसंबर के प्रथम सप्ताह में। जिसके लिए पुनः वाराणसी में पूरी हो रही परियोजनाओं के लिए प्रशासन ने समीक्षा आरंभ कर दी है। जिसमें कि सबसे महत्वपूर्ण है काशी विश्वनाथ धाम जिसकी की नए वर्ष के पहले सौगात पीएम अगले दौरे में देंगे।
बता दें की यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने फोन से प्रशासनिक अधिकारियों को लोकार्पित परियोजनाओं के सफल संचालन और अगले प्रोजेक्ट का काम शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। इसके पश्चात परियोजना के कार्यों में और भी तेजी आई है।
जानकारी के लिए बता दें की काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के पूरा होने का समय 15 दिसंबर तक का है। परंतु 15 दिसंबर से खरमास लग जाता है। और खरमास में शुभ कार्य नहीं होता। इस कारण 15 दिसंबर से पहले पीएम प्रत्येक अवस्था में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे।
उद्घाटन के अतिरिक्त आपको बता दें की काशी विश्वनाथ धाम प्राचीनता के साथ नवीन स्वरूप में सनातनीयों के सामक्ष होगा। 352 वर्षों पश्चात विलुप्त हो चुके देवविग्रह भी बाबा के साथ काशी विश्वनाथ धाम में विराजेंगे। वाराणसी में बाबा के दरबार आने वाले श्रद्धालुओं को शिव कचहरी, देव गैलरी, काशी खंडोक्त मंदिरों के साथ 178 विग्रहों के दर्शन का पुण्यलाभ मिलेगा।
अखिल भारतीय संत समिति और काशी विद्वत परिषद की इस पहल पर शासन ने भी अपनी मुहर लगा दी है। तथा श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश के लिए जो चार भव्य प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। इन चारों द्वार के नाम चारों वेदों के नाम पर रखने पर विचार किया जा रहा है।
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बता दें की धाम में प्रवेश करने वालों को चारों वेदों की ऋचाओं के मंत्र भी धाम में सुनाई देंगे। इसके साथ ही द्वारों के ऊपर देवताओं के विग्रह स्थापित होंगे। काशी विश्वनाथ धाम का काम 15 नवंबर तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है और इसके पश्चात धाम में मंदिरों की मणिमाला व विग्रहों को स्थापित करने का कार्य आरंभ हो जाएगा। धाम परिसर में निर्माण के समयावधि में 139 विग्रह, 39 काशी खंडोक्त विग्रह और 27 प्राचीन देवालय मिले हैं। कॉरिडोर क्षेत्र में मिले विग्रहों को शिव कचहरी और देव गैलरी में दर्शन पूजन के लिए स्थापित किया जाएगा।
वहीं, मणिमाला में सम्मिलित 27 प्राचीन देवालयों के पुनर्निर्माण का कार्य भी किया जाएगा। इसका आरंभ सरस्वती फाटक से माता सरस्वती के भव्य मंदिर के निर्माण से होगा। सरस्वती फाटक पर बनने वाले माता सरस्वती के मंदिर निर्माण में दो करोड़ रुपये की लागत खर्च होगी। इसके साथ ही अन्य सभी देवालयों का निर्माण व जीर्णोद्धार का काम किया जाएगा।
वहीं, बाबा के दरबार से 352 साल पहले मुगलों के आक्रमण के दौरान विलुप्त नौ विग्रहों को भी काशी विश्वनाथ धाम में स्थापित करने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। अखिल भारतीय संत समिति नौ विग्रहों को उपलब्ध कराएगी और काशी विद्वत परिषद इन विग्रहों को काशी विश्वनाथ धाम में शास्त्रोक्त विधि से स्थापित कराएगी।
अखिल भारतीय संत समिति महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि अखिल भारतीय संत समिति काशी से विलुप्त हो चुके नौ विग्रहों को काशी विश्वनाथ धाम में स्थापित कराएगी। स्कंदपुराण और पं. कुबेरनाथ शुक्ल के शोध के अनुसार विलुप्त विग्रहों को उनके प्राचीन स्वरूप के अनुसार ही तैयार कराया जाएगा।
काशी विद्वत परिषद ने विलुप्त नौ विग्रह को स्थापित करने के लिए शासन से आग्रह किया था। सीएम की सहमति के पश्चात विद्वत परिषद ने इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है। शास्त्रोक्त विधि से सभी 178 विग्रह व मंदिर धाम में स्थापित होंगे।
तथा काशी विश्वनाथ धाम को भव्य स्वरूप देने के साथ ही हटाए गए विग्रहों को भी उनके स्थान पर स्थापित किया जाएगा। श्रद्धालुओं को मंदिरों की मणिमाला के नए स्वरूप के दर्शन होंगे। काशीपुराधिपति के भव्यतम दरबार में महादेव के साथ उनके विग्रह भी अब नए सिरे से स्थापित किए जाएंगे। मोद, प्रमोद, आमोद विनायक के साथ ही शिवालयों की अपनी अलग शृंखला होगी।
महत्वपूर्ण है कि मंदिरों की मणिमाला में सभी विग्रहों के अपने स्थान होंगे। विनायक एक ही परिसर में भक्तों को दर्शन देंगे, वहीं नीलकंठ महादेव का मंदिर भी अपने प्राचीन वैभव के साथ स्थापित होगा। ललिता घाट से बाबा दरबार आने वाले भक्तों को मणिमाला की परिक्रमा और दर्शन का लाभ मिलेगा। सरस्वती फाटक से इसका श्रीगणेश होगा और बाबा दरबार तक के सभी विग्रह अपने स्थान पर पुनर्प्रतिष्ठित होंगे जो काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए ध्वस्तीकरण के समयावधि में मंदिर निकले थे। इसमें विनायक, शिवगण, राम दरबार, सत्यनारायण, मां अन्नपूर्णा, शनिदेव, हनुमान यक्ष, भैरव और भगवान शिव के प्रतिष्ठित मंदिर सम्मिलित हैं। बता दें की मणिमाला की डिजाइन तैयार हो चुकी है। एवं निर्माण कार्य भी शीघ्र आरंभ हो जाएगा।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें की मणिमाला के मंदिर अपनी कहानी स्वयं श्रद्धालुओं को सुनाएंगे। पुरातन मंदिरों का इतिहास बताने के लिए एप्लीकेशन तैयार किया गया है। इसके माध्यम से कॉरिडोर में बने मंदिरों के समीप आते ही उस मंदिर का इतिहास ऑडियो के माध्यम से सुनाई देगा। डिजिटली जागरूक नहीं रहने वाले श्रद्धालुओं के लिए मैनुअल सिस्टम भी रखा जाएगा। काशी विश्वनाथ धाम परियोजना के शुभारंभ के साथ ही यह एप्लीकेशन भी लांच कर दिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें की उत्तराखंड के ऋषिकेश की तर्ज पर वाराणसी में बनने वाला लक्ष्मण झूला के प्रस्ताव को शासन ने अस्वीकृत कर दिया है। गंगा के अर्द्धचंद्राकार छवि में बाधा बनने, रामनगर में बंदरगाह बनने और मालवाहक जलपोत के आवागमन में झूला बाधक बन सकता था इस कारण से अब लक्ष्मण झूला के प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया है।
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बता दें की काशीपुराधिपति का भव्य दरबार में सबसे पहले मंदिर चौक तैयार होगा। चुनार के गुलाबी पत्थरों की सुरमयी आभा और मकराना के सफेद पत्थरों की चमक धाम परिक्षेत्र में दिखने लगी है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में मंदिर चौक सबसे पहले बनकर तैयार होगा। सी शेप में निर्मित हो रहे चौक से जहां धाम और गंगा का नजारा श्रद्धालुओं को नजर आएगा। चौक पर पत्थर लगाने और फिनिशिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। तथा आदि विश्श्वेश्वर महादेव और पतित पावनी गंगा के एक साथ दर्शन का स्वपन साकार होने वाला है। मंदिर चौक पर बनने वाली गंगा व्यू गैलरी पर खडे़ होकर बाबा विश्वनाथ के भक्त अपने आराध्य की अर्चना के साथ माँ गंगा को भी निहार सकेंगे।
वहीं 50000 वर्ग मीटर में निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में सावन, शिवरात्रि, रंगभरी एकादशी या किसी पर्व विशेष पर भीड़ बढ़ने पर तंग गलियों के बजाए श्रद्धालुओं की कतार भी चौक पर ही लगाई जा सकेगी। जिससे की गलियों से सड़क तक लगने वाली कतार भी अब समाप्त हो जाएगी।
काशी नगरी के धार्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप के दर्शन कराने वाले इस अनूठे विश्वनाथ धाम कॉरीडोर से आशा है कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात यह कॉरिडोर देश के सबसे भव्य स्थलों में गिना जाएगा।
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Jitni acchi jankari aapne diya hai utna to bade bade news channel wale bhi nahi de pate.
Dhnyavaad