देश के पहले अर्बन ट्रांसपोर्ट वाराणसी रोपवे का हुआ विस्तार
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वाराणसी में देश के पहले और विश्व के तीसरे पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिलान्यास कर दिया है। परंतु निर्माण आरंभ होने से पूर्व इस अति प्रतिक्षित वाराणसी रोपवे परियोजना (Varanasi Ropeway Project) में हो रहा है कई महत्वपूर्ण परिवर्तन।
Varanasi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 24 मार्च को शिलान्यास कर अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को विश्व का तीसरा और भारत का पहला अति प्रतिक्षित पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे का सौगात दे दिया है। परंतु इस परियोजना के धरातल पर दिखने में अभी समय है क्योंकि इसमें कुछ परिवर्तन भी हो रहे हैं। आइए आपको सभी जानकारी विस्तार से बताते हैं।
विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर काशी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के पश्चात नगर में पर्यटक व दर्शनार्थियों की संख्या मैं अपार वृद्धि हुई है। जिसके कारण से वाराणसी की सड़कें अब आवश्यकता के अनुरूप नहीं दिखती। इसी के त्वरित समाधान हेतु अब भारत का पहला व्यवसायिक नगरीय रोपवे परियोजना का शुभारंभ व शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों वाराणसी में हो चुका है।
वाराणसी रोपवे परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक रोपवे का संचालन किया जाएगा। पर्यटक और यात्रियों के लिए इस योजना से काशी विश्वनाथ मंदिर व दशाश्वमेध घाट जाना सरल हो जाएगा। वाराणसी में लगभग ₹645 करोड़ की लागत बनने वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोप-वे में 5 स्टेशनों का निर्माण होना है, जिसके लिए नगर में 30 टावर का निर्माण किया जाएगा। यह भी बता दें कि देश का पहला पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे काशी में पहले चरण में वाराणसी कैंट से गोदौलिया के बीच चलाया जाएगा। काशी के पुराने क्षेत्रों की सड़के सकरी होने और ट्रैफ़िक का दबाव निरंतर बढ़ने से अक़्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। जिससे देशी विदेशी पर्यटकों के अतिरिक्त स्थानीय लोगों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
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प्रोजेक्ट डायरेक्टर के अनुसार वाराणसी कैंट स्टेशन से आरंभ होकर गोदौलिया चौराहे तक कुल पांच स्टेशन होंगे। जिसमे कैंट रेलवे स्टेशन, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर और गोदौलिया चौराहे पर स्टेशन बनाया जाएगा। रोपवे की कुल दूरी 3.8 किलोमीटर है। जो लगभग 16 मिनट में तय होगी। लगभग 50 मीटर की ऊंचाई से 150 ट्रॉली कार चलेगी। एक ट्रॉली में 10 पैसेंजर सवार हो सकते है। हर देढ़ से दो मिनट के अंतराल में यात्रियों को ट्रॉली उपलब्ध रहेगी। एक दिशा में एक घंटे में 3000 लोग यात्रा कर सकेंगे। अर्थात 6000 लोग दोनों दिशा से एक घंटे में आ जा सकेंगे। रोप वे का संचालन 16 घंटे होगा। रोप वे 2 वर्ष के भीतर बन कर सज्ज हो जाएगा।
इस परियोजना की नोडल एजेंसी है नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड। बोलीविया देश के लापाज़ और मेक्सिको के पश्चात विश्व में भारत तीसरा देश और वाराणसी पहला नगर होगा जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोपवे का प्रयोग होगा। इस पायलट पायलट प्रोजेक्ट का निर्माण स्विट्जरलैंड आधारित कंपनी बर्थोलेट और भारत की विश्व समुद्र मिलकर करेंगी।
यह भी बता दें कि कि रोपवे के लिए बनने वाले सभी स्टेशन पर काशी की कला ,धर्म और संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। रोप वे की ट्रॉली पर भी काशी की थांती देखने को मिल सकती है। कैंट रेलवे स्टेशन के पास ही रोडवेज़ है। इसलिए कैंट स्टेशन पर रोप वे स्टेशन बनने से ट्रेन और बस से यात्रा करने वाले दोनों यात्रियों को काफी सुविधा मिलेगी।
वही दूसरे चरण में 920 करोड रुपए से तैयार अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे को कैंट रेलवे स्टेशन से सिटी स्टेशन होते हुए नमो घाट तक संचालन करने की योजना है। बताया जा रहा है कि दूसरे चरण में कैंट रेलवे स्टेशन से नमो घाट तक संचालित होने वाली अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे की दूरी लगभग 5.5 किलो मीटर होगा। यही नहीं वाराणसी विकास प्राधिकरण के द्वारा अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे को वाराणसी में तीसरे चरण के रूप में रथयात्रा से बीएचयू होते हुए रामनगर तक संचालित करवाने का योजना भी है।
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वाराणसी रोपवे परियोजना में भूमि अधिग्रहण की जानकारी हेतु बता दें कि रोपवे के पांच स्टेशन और 30 टॉवर के लिए चिन्हित भूमि के अधिग्रहण के बजाय आपसी सहमति से बैनामा कराया जाएगा। इसके लिए शासन ने 60 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।
यही नहीं वाराणसी विकास प्राधिकरण ने रोपवे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण हेतु काशी विश्वनाथ धाम के मॉडल को लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए कैंट से गोदौलिया के बीच आवश्यक 1.59 हेक्टेयर भूमि को आपसी सहमति से लेने के लिए प्राधिकरण ने टीम गठित कर दी है। यह टीम भूस्वामियों से सहमति बनाकर उनसे विकास प्राधिकरण के अधिकार में बैनामा कराएगी। बैनामे के लिए भूस्वामियों से वार्ता का क्रम लगभग पूरा हो गया है।
काशी विश्वनाथ धाम मॉडल की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि वाराणसी की सबसे बड़ी काशी विश्वनाथ परियोजना में 300 से अधिक संपत्तियों का निर्विवाद रूप से आपसी सहमति के आधार पर बैनामा कराया गया था। रोपवे रूट पर पड़ने वाली सरकारी भूमि निशुल्क ली जाएंगी। इसके लिए पंजीकृत समझौते के माध्यम से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाएगा। काशी विद्यापीठ सहित अन्य सरकारी संस्थाओं से भूमि के लिए इकरारानामा कराने की तैयारी है। रोपवे के टाॅवर और स्टेशन के लिए करीब 40 संपत्तियों की आवश्यकता है। इसमें 18 संपत्तियां निजी हैं। और इस परियोजना में निजी भूमि के लिए 60 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
वाराणसी स्थित भारत माता मंदिर पर चिंहित वाराणसी रोपवे परियोजना यहां पर 3600 वर्ग मीटर भूमि पर स्टेशन का निर्माण होगा। इसी प्रकार से बेसेंट थियोसॉफिकल सोसाइटी पर 4000 वर्ग मीटर तथा कैंट व गोदौलिया पर 3000 वर्गमीटर एवं प्रत्येक टाॅवर के लिए 36 वर्गमीटर भूमि की आवश्यकता होगी।
देश के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे के कैंट स्टेशन को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। यहां एयरपोर्ट की तरह सुविधाएं होंगी। रोपवे के नाम महापुरुषों व संस्थाओं के नाम पर रखे जाएंगे। कैंट से गोदौलिया के बीच बनने वाले पांच स्टेशनों से प्रतिदिन एक लाख यात्रियों की आवागमन क्षमता के अनुसार विकसित किया जा रहा है।
रोपवे स्टेशन पर बैगेज स्कैनर, लॉकर रूम, ऑटोमेटिक गेट क्लोजर, सॉविनियर शॉप, एटीएम, रेस्ट रूम की सुविधा होगी। वहीं स्टेशनों को 150 फीट की ऊंचाई पर बनाया जाएगा। एवं लगभग 153 फीट की ऊंचाई से रोपवे संचालित होंगे।
महत्वपूर्ण है कि मोदी सरकार (Modi Government) धर्मनगरियों का लगातार विकास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) बनने के पश्चात यहां पर्यटन में अत्यधिक विस्तार हुआ है। और काशी विश्वनाथ में दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को अब रेलवे स्टेशन से रोपवे के माध्यम से मंदिर पहुंचाने तैयारी है। जिससे दर्शनार्थियों के समय की बचत के साथ नगर को वायु और ध्वनि प्रदुषण से भी मुक्ति मिले। और वाराणसी का नाम व विकास विश्व स्तर पर प्रसिद्ध होगा।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको वाराणसी रोपवे परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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