अयोध्या श्री राम मंदिर निर्माण के द्वितीय चरण में आई सबसे बड़ी खुशखबरी

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सदियों पश्चात भगवान राम लला अपने मंदिर में पुनः विराजमान होने वाले हैं और करोड़ों भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने वाली है।

मित्रों जैसा की हम सभी जानते हैं कि देश के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल अर्थात अयोध्याजी की पावन धरा पर वर्तमान समय में भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर के नींव निर्माण का विशेष कार्य हो रहा है।

सर्व प्रथम आपको मंदिर निर्माण के द्वितीय चरण के अंतर्गत बन रहे राफ्टिंग की जानकारी के लिए बता दें की रामलला के मंदिर निर्माण में तेजी के साथ काम किया जा रहा है। रामलला के भव्य मंदिर का आधार बनकर तैयार हो गया है और उसके ऊपर राफ्ट बनाने का काम किया जा रहा है।

निर्माधीन मंदिर

बता दें कि राफ्ट के 9 मीटर चौड़े, डेढ़ मीटर ऊंचे और लगभग 9 मीटर लंबे 30 ब्लॉक बनना था। तथा सबसे महत्वपूर्ण शुभ समाचार यह है कि राममंदिर की नींव के दूसरे चरण के अंतर्गत 50 फीट गहरी नींव को मजबूती प्रदान करने के लिए 30 ब्लॉकों में रॉफ्ट की ढलाई पूरी हो चुकी है। अब लगभग एक माह पश्चात ब्लॉक की शटरिंग खोली जाएगी। इसके पश्चात फरवरी माह से प्लिंथ निर्माण का काम आरंभ होगा। इसके लिए ग्रेनाइट पत्थरों की आपूर्ति भी आरंभ हो गई है।

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बता दें की राममंदिर के नींव निर्माण के तीसरे चरण के अंतर्गत 14 मीटर की नींव पर प्लिंथ का निर्माण होना है। जो लगभग 16 फीट ऊंचा होगा। प्लिंथ में मिर्जापुर के ग्रेनाइट के 30 हजार घनफिट पत्थर लगेंगे। ग्रेनाइट पत्थर पानी को सोखने में अधिक प्रभावी होते हैं। इसलिए राममंदिर की नींव को रिसाव से बचाने के लिए प्लिंथ में ग्रेनाइट पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा।

यह भी बता दें की नींव की तरह ही प्लिंथ में भी कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इंजीनियरिंग फिल्ड प्रणाली से ही प्लिंथ के पत्थरों को भी जोड़ने का काम इंजीनियर करेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार राममंदिर के दूसरे चरण के अअन्तर्गत चल रहे रॉफ्ट का काम समाप्त हो चुका है।

30 ब्लॉकों में ढाली गई रॉफ्ट की शटरिंग अब लगभग एक माह पश्चात इंजीनियरों के दिशा-निर्देशन में ही खोली जाएगी। तथा संभावना है कि फरवरी माह से राममंदिर के 16 फिट ऊंचे प्लिंथ निर्माण का कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। राममंदिर की नींव में कुल चार प्रकार के पत्थरों का प्रयोग किया जाना है।

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प्लिंथ को ऊंचा करने में जहां कर्नाटक का ग्रेनाइट व मिर्जापुर का पत्थर प्रयोग किया जाएगा। तो वहीं राजस्थान के बंशीपहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों से मुख्य मंदिर तैयार होगा। इसी प्रकार से परकोटा में जोधपुर के पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा। मंदिर की चौखट मकराना के संगमरमर से बनाई जाएगी।

निर्माधीन मंदिर

इसके अतिरिक्त आपको बता दें की अयोध्या में बन रहे राममंदिर के लिए लाल पत्थरों की कोई कमी नहीं आएगी, साथ ही मंदिर के लिए वैध ढ़ग से खनन कर लाल पत्थर लाए जा सकेंगे। भारत सरकार ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के सहयोग से लाल पत्थरों के खनन के लिए संवेदनशील क्षेत्र बंशी पहाड़पुर के खदानों की नीलामी कर दी है। इन खदानों की नीलामी से सरकार को 17 गुना अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है। साथ ही इस क्षेत्र में दस हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से रोजगार भी उपलब्ध हो सकेगा।

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इसपर अधिक जानकारी के लिए बता दें की अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर की आपूर्ति करने वाले बंशी पहाड़पुर में खदानों की नीलामी में आरक्षित मूल्य से 17 गुना अधिक नीलामी मूल्य प्राप्त हुआ है। 38 खदानों की नीलामी से राज्य को 245 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि मिली है। व इनमें से दो खदानों के तो आरक्षित मूल्य से 42% अधिक पैसा राज्य को मिला है। यही कारण है कि श्री राम मंदिर निर्माण से कांग्रेस शासित राज्य को भी लाभ हुआ है।

मंदिर नक्शा

इसके अतिरिक्त बता दें की राममंदिर के गर्भगृह के लिए अब नए सिरे से पत्थरों की तराशी का कार्य किया जा रहा है। इससे पूर्व गर्भगृह के लिए तराशे गए लगभग 40 हजार घनफुट पत्थरों का प्रयोग अब दूसरी मंजिल के लिए किया जाएगा।

बता दें की सुप्रीम कोर्ट से राममंदिर के पक्ष में निर्णय आने के पश्चात संतों की मांग पर ट्रस्ट ने राममंदिर के मॉडल में भी परिवर्तन किया था। इसके अंतर्गत राममंदिर 161 फीट ऊंचा होगा, तथा इसमें तीन तल होंगे जो पहले 2 तल के साथ 128 फीट का ही था।

राममंदिर के मॉडल में परिवर्तन के पश्चात अब गर्भगृृह के लिए नए सिरे से पत्थरों की तराशी की जा रही है। पुराने मॉडल के आधार पर विहिप की रामघाट स्थित कार्यशाला में लगभग 30 वर्षों तक पत्थरों की तराशी कराई गई थी। इस तराशी में राममंदिर के गर्भगृह के लिए लगभग 75 हजार घनफुट पत्थर व 112 स्तंभों की तराशी व नक्काशी की जा चुकी थी। परंतु लंबे समय से खुले आसमान में होने के कारण लगभग 35 हजार घनफुट पत्थर अनुपयोगी हो गए थे। शेष 40 हजार पत्थरों की सफाई कराकर उन्हें सुरक्षित करा दिया गया है।

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उधर मंदिर मॉडल में परिवर्तन होने व मंदिर की ऊंचाई बढ़ने के पश्चात गर्भगृह के स्तंभों की डिजाइन में भी परिवर्तन कर दिया गया है। जो अब पहली मंजिल में 160 स्तंभ होंगे। मंदिर भवन के भार को देखते हुए इन स्तंभों की डिजाइन में परिवर्तन किया गया है। नए डिजाइन के पत्थरों की तराशी व नक्काशी राजस्थान में की जा रही है।

राममंदिर की शिखर सहित ऊंचाई कुल 161 फीट होगी। मंदिर में तीन तल होंगे। प्रत्येक तल की ऊंचाई 20 फीट होगी। मंदिर के भूतल में 160 स्तंभ, प्रथम तल में 132 स्तंभ व दूसरे तल में 74 स्तंभ होंगे।

निर्माधीन मंदिर

जो पुराने पत्थरों व स्तंभों की तराशी की गई थी वह दो तल के हिसाब से थी। चूंकि मंदिर अब तीन तल का हो गया है इसलिए पुराने स्तंभ मंदिर का भार उठाने में सक्षम नहीं होंगे।
सीबीआरआई रुड़की की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार गर्भगृह के लिए नए सिरे से पत्थरों की तराशी की जा रही है। इनके स्तंभों की मोटाई लगभग तीन इंच बढ़ा दी गई है। इसलिए राजस्थान में गर्भगृह के लिए नय सिरे से एक लाख घनफुट पत्थरों की तराशी का काम किया जा रहा है।

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राममंदिर की प्लिंथ की डिजाइन में भी थोड़ा परिवर्तन किया गया है। अब राममंदिर की प्लिंथ में बीच में ग्रेनाइट के पत्थरों को लगाया जाएगा जबकि प्लिंथ के किनारे-किनारे मिर्जापुर के बलुआ पत्थर लगाए जाएंगे।
मंदिर को पानी के रिसाव से बचाने कि लिए कुल 30 हजार घनफुट पत्थर लगेंगे। जिसमें 22 हजार ग्रेनाइट व 8 हजार मिर्जापुर के पत्थर होंगे। तदा वर्तमान समय में ग्रेनाइट के आपूर्ति तेजी से हो रही है। अब तक लगभग तीन हजार घनफुट ग्रेनाइट पत्थर परिसर पहुंच भी चुके हैं।

इसके अतिरिक्त आपको बता दें कि राम नगरी अयोध्या का स्वरूप निखरने लगा है। एक तरफ सड़कों और मूलभूत सुविधाओं की समस्याओं को दूर करने का प्रयास हो रहा है तो दूसरी ओर राम की पैड़ी पर पवित्र सरयू का अविरल प्रवाह धर्म की नगरी के रूप में जानी जाने वाली अयोध्या के वैभव को और बढ़ा रही है। अयोध्या के विकास का खाका कुछ इस तरह खींचा जा रहा है जिससे अध्यात्म और आधुनिकता का समावेशि संगम प्रदर्शित हो।

इसी अनुरूप श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए पंचकोशी और 14 कोसी परिक्रमा मार्ग का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। राम जन्मभूमि मंदिर तक जाने के लिए अयोध्या की गरिमा के अनुरूप मार्ग बनाए जा रहे हैं। बाहर से आने वाले दर्शनार्थियों के वाहन पार्किंग के लिए विभिन्न स्थानों पर मल्टी लेवल पार्किंग बनाई जा रही है। अयोध्या को आधुनिक बस स्टेशन की सौगात मिल चुकी है, जिससे धार्मिक स्थानों की कनेक्टिविटी की जा रही है। सड़क मार्ग से धार्मिक यात्राएं करने में सुगमता हो इसके लिए भोले की नगरी काशी के तर्ज पर सड़कों के चौड़ीकरण की योजना पर भी अमल जारी है।

राम मंदिर

सभी का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के पश्चात अयोध्या को प्राचीन गौरव वापस दिलाने का अभियान आरंभ हुआ है जो अब अपना रंग दिखाने लगा है। अयोध्या का भव्य दीपोत्सव हो, मंदिरों का जीर्णोद्धार हो या फिर गुप्तार घाट से ब्रह्म कुंड गुरुद्वारे तक सरयू नदी के किनारे पूरे क्षेत्र को आधुनिकता, वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता के संगम के रूप में विकसित करने की योजना हो, सभी कुछ इस प्रकार से हो रहा है कि अयोध्या की पुरानी भव्यता की झलक भी मिलेगी और श्रद्धालुओं को आधुनिक सुविधाओं से युक्त वातावरण भी मिल सकेगा।

महत्वपूर्ण है कि तेजी से हो रहे निर्माण कार्य को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर निर्माण का कार्य अपने तय समय से काफी पहले ही पूरा हो जाएगा। जिस गति से मंदिर निर्माण का कार्य आकार ले रहा है, उसे देख कर कहा जा सकता है कि अति शीघ्र ही भक्त राम लला के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर निर्माण का पहले चरण का काम लगभग पूरा होने को तैयार है। अर्थात राम मंदिर निर्माण की नींव बनकर लगभग तैयार है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ परिसर में

मित्रों यदि आपको उपरोक्त अयोध्या श्री राम मंदिर निर्माण की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो जय श्री राम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।

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