अयोध्या राम मंदिर निर्माण की बदली तारीख – Ayodhya Ram Mandir Nirman
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Ayodhya Ram Mandir Nirman : अयोध्या, श्री राम की जन्मभूमि। ये वो पवित्र स्थान है, जिसे ‘धर्म, संस्कृति और सभ्यता का आधार’ माना गया है। त्रेता युग में भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था। और इसी स्थान पर एक भव्य मंदिर बनने का सपना हर सनातनी के दिल में सदियों से रहा था। जो अब पूर्ण हो रहा है।

धर्मनगरी अयोध्या में राम लला के मंदिर निर्माण का काम अंतिम चरण में है, या कह सकते हैं कि मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है। मंदिर के प्रथम तल में राम दरबार की स्थापना की जाएगी, जिसके लिए स्वर्ण जड़ित दरवाजे लगाए जा रहे हैं। मंदिर निर्माण के साथ परकोटे के मंदिर का निर्माण भी तेजी से चल रहा है, जिसमें ध्वज दंड लगाए जाने और मूर्तियों को मंदिरों में स्थापित करने का काम पूरा हो चुका है।
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव के अनुसार परकोट के मंदिर में हनुमान मंदिर, सूर्य भगवान का मंदिर और मां भगवती अन्नपूर्णा के पांच मंदिर हैं, जिनकी प्रतिमाएं मंदिर में पहुंचाई जा चुकी हैं। इसी के साथ राम मंदिर के ईशान कोण पर भगवान शिव का भव्य मंदिर बनाया जा रहा है, जहां 30 मई को ध्वज दंड लगाया जाएगा और भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित किया जाएगा। राम मंदिर के शिखर पर लगाया गया ध्वज दंड 40 फीट ऊंचा है और उसका वजन 5 टन है। परंतु परकोटे में लगाए जा रहे मंदिरों के ध्वज दंड 20 फीट ऊंचे हैं और उनका वजन 6 कुंटल है।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार राम मंदिर के पूरे परिसर में एक मुख्य मंदिर है, जिसमें भूतल पर प्रभु राम विराजमान हैं। प्रथम तल पर राम दरबार की स्थापना होगी। और मई के चौथे सप्ताह में राम दरबार की प्रतिमा भी अयोध्या लाई जाएगी और उसके बाद स्थापित की जाएगी। वहीं मुख्य मंदिर का शिखर तैयार हो गया है और शिखर पर ध्वज दंड स्थापित कर दिया गया है। यह ध्वज दंड 40 फीट लंबा और 5 टन वजनी है, जिसे टावर क्रेन की सहायता से लगाया गया है।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि अक्षय तृतीया के अवसर पर परकोटे के 6 मंदिरों में सबसे पहले गणपति मंदिर में कलश की स्थापना की गई और भगवान गणेश की प्रतिमा गर्भगृह में रखी गई। फिर शिखर पर ध्वज दंड रखा गया, जो 20 फीट लंबा और 600 किलो वजनी है। इसके अतिरिक्त, हनुमान जी, भगवान सूर्य, माता भगवती और अन्नपूर्णा माता की प्रतिमाएं उनके मंदिरों में स्थापित कर दी गई हैं और ध्वज दंड भी लगा दिए गए हैं।

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि राम मंदिर के शिखर पर कलश के अतिरिक्त परकोटे के छह मंदिरों के शिखर के कलशों को स्वर्ण मंडित करने की योजना को साकार रूप देने की कार्रवाई आरंभ हो गयी है। कलशों को स्वर्ण मंडित करने के लिए स्वर्ण आवरण तैयार करा लिया गया है। इस आवरण को कलश के ऊपर वस्त्र की तरह पहना दिया जाएगा।
फिलहाल राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने एक-एक चरण निर्धारित कर योजना को पूरा करने की रणनीति तय की थी। उसी रणनीति के अंतर्गत मंदिर के अतिरिक्त परकोटे के सभी छह मंदिरों के पाषाण शिला से कलश तैयार कराया गया है।
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कब तक पूर्ण होगा मंदिर का निर्माण कार्य, यदि आप यह जानना चाहते हैं तो आपको हम बता दें कि राम मंदिर भवन निर्माण समिति की पहली बैठक में समीक्षा के समयावधि यह पाया गया कि निर्धारित समय सीमा से काम पीछे चल रहा है। 30 जून तक जो काम पूरा हो जाना चाहिए। उसके तय समय सीमा के अंदर पूरा होने की आशा नहीं दिखाई पड़ रही है। परंतु राम दरबार के प्राण प्रतिष्ठा की तिथि निर्धारित है। वह अपने निश्चित समय पर होगी। इसके लिए तीन दिवसीय अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा।
राम दरबार सहित मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा 5 जून को गंगा दशहरा के दिन अपने निर्धारित समय पर होगी। इसके लिए तीन दिवसीय अनुष्ठान का शुभारंभ 3 जून से होगा।

राम दरबार की मूर्तियां 23 जून तक अयोध्या पहुंचेगी। राजस्थान के जयपुर में श्वेत संगमरमर से राम दरबार की मूर्तियों का निर्माण हुआ है। इसे 23 मई को अयोध्या लाया जाएगा। निर्धारित स्थान पर यह मूर्ति स्थापित की जाएगी।इसी प्रकार से शेषावतार मंदिर जिसका निर्माण सबसे पीछे है। इसमें भी लक्ष्मण जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा पांच जून को ही हो जाएगी। अर्थात लक्ष्मण जी की मूर्ति यहां 30 मई तक आ जाएगी।
यह भी बता दें कि राम मंदिर में 5 जून को सभी मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात प्रतिदिन प्रथम तल पर निशुल्क ऑनलाइन पास के माध्यम से ही 750 लोग राम मंदिर के प्रथम तल पर दर्शन कर सकेंगे। यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है। प्रथम तल पर आने-जाने की दो सीढ़ियों पर किसी प्रकार की भगदड़ जैसी स्थिति न उत्पन्न हो। इसके अतिरिक्त भार का भी मामला है। बता दें कि राम मंदिर में पत्थरों की हलचल की जांच के लिए दस सेंसर लगाए गये है। हालांकि इनका विशेष उपयोग भूकंप की तीव्रता के मापने के दृष्टिगत होगा। फिलहाल इस बारे में तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट विस्तृत कार्ययोजना तय कर सार्वजनिक सूचना देगा।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि राम मंदिर के प्रथम तल पर दर्शन के लिए 1 घंटे में 50 पास निर्गत किए जाएंगे। यह पास पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर दिया जाएगा। श्रद्धालुओं के आवागमन के समयावधि में लोड का अध्ययन तीन माह तक सेंसर के माध्यम से किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र व सीवर ट्रीटमेंट प्लांट को कार्यदाई संस्था की ओर से तीर्थ क्षेत्र को हैंडओवर कर दिया गया है। मुख्य मंदिर के भाग का कार्य अगस्त के अंत तक पूरा होगा। जबकि अन्य कार्य दिसंबर 2025 तक पूरे हो जाएंगे।

राम मंदिर परिसर के 60 प्रतिशत स्थान पर उद्यान,फल-पौधों की व्यवस्था रहेगी। परिसर में 8 एकड़ में पंचवटी बनेगी जहां नियमित ढंग से फल-पौधे और रामकथा के प्रसंग दर्शाए जाऐंगे। जेएमआर कंपनी के लोग जो आंध्र प्रदेश के व्यापारी हैं, 5 साल के लिए इस उद्यान की पूरी दायित्व लेने को तैयार हैं।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि अब परकोटे को मंदिर से जोड़ना मुख्य चुनौती है। इसके लिए मंदिर के पश्चिमी दिशा में एक लिफ्ट और एक ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। जो श्रद्धालुओं की यातायात को सरल बनाएगा। काम तेजी से चल रहा है।

यह भी बता दें कि राम मंदिर के शिखर पर दो प्रकार की विशेष लाइटें लगाई जा रही हैं। पहली एविएशन सिग्नल लाइट होगी, जो हवाई जहाजों को मंदिर की ऊंचाई का संकेत देगी। वहीं, दूसरी ‘अरेस्टर लाइट’ होगी, जो बिजली से मंदिर की सुरक्षा करेगी। शिखर पर केवल ध्वजा लगाने का काम शेष रह गया है, जो अगले तीन से चार महीने में पूरा किया जाएगा। राम मंदिर के शिखर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इसे आगामी 30 जून 2025 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है।
बता दें कि राम मंदिर के प्रथम तल पर कुल 6 द्वार लगाए जा रहे हैं। इसे महाराष्ट्र के चंद्रपुर से लाई गई सागौन की लकड़ी से बनाया गया है। इस पर पहले तांबे की परत चढ़ाई गई। तत्पश्चात उसपर सोने की परत लगाई गई है। इन द्वारों पर दो हाथी कमल के पुष्प पर जल की वर्षा करते दिख रहे हैं। द्वार के दोनों ओर जय विजय के प्रतीक बने हुए हैं।
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महत्वपूर्ण है कि राम मंदिर का निर्माण 2020 में आरंभ हुआ था। गर्भगृह का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है, जहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दर्शन आरंभ हो चुके थे। अब मुख्य शिखर पर ध्वज दंड की स्थापना के साथ गर्भगृह का ऊपरी भाग भी पूरा हो गया है।
इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में सप्त ऋषियों के सात मंदिर और परकोटा के छह देवी-देवताओं के मंदिरों का निर्माण कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है। सप्त ऋषि मंदिरों में मूर्तियां स्थापित की जा चुकी हैं। जबकि परकोटा के मंदिरों में चार शिखर कलश लग चुके हैं। 15 मई 2025 तक पूरे मंदिर परिसर का निर्माण कार्य और मूर्तियों की स्थापना पूरी कर ली जाएगी।

मित्रों यदि दी हुई श्री राम मंदिर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री राम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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