अयोध्या श्री राम मंदिर निर्माण के पहले चरण का कार्य हुआ पूर्ण, अब सभी 192 देशों के जल का होगा प्रयोग

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सभी राम भक्तों को बड़ी सुखद जानकारी देते हुए बता दें की वर्तमान समय में श्री राम मंदिर निर्माण के प्रथम चरण का कार्य पूर्ण हो चुका है अर्थात श्री राम मंदिर के नींव निर्माण के लिए इंजीनियरिंग फील्ड मटेरियल से 48 लेयर भरे जाने का कार्य पूर्ण हो गया है।

हम आपको श्री राम मंदिर निर्माण के लिए 400 फीट लंबी और 300 फीट चौड़ाई में खोदी गई मुख्य स्थल के दोनों दृश्य दिखाने का प्रयास कर रहे हैं जिसमें कि आप 48 लेयरों के भराई से पूर्व एवं पश्चात दोनों स्थितियों का अवलोकन कर सकते हैं तथा निर्माण कार्य की वास्तविकता को समझ सकते हैं।

जानकारी के लिए बता दें की लगभग 50 फीट की गहराई से लेकर ऊपरी सतह तक श्री राम मंदिर की नींव निर्माण के लिए इस भूमि को चट्टान की प्रकार से ठोस बना दिया गया है जिसके लिए कार्यदाई संस्था LnT ने परिसर में ही तैयारइंजीनियर्ड फील्ड मैटीरियल का प्रयोग किया है। तथा इस कंक्रीट बेस के ऊपर मिर्जापुर के बलुआ पत्थर के एक और परत लगाए जाएंगे।

वर्तमान समय में मंदिर निर्माण का काम 24 घंटे 12-12 घंटे की दो शिफ्ट में चल रहा है। तथा नींव की परतों को बनाने का कार्य अपने तय समय के पहले ही पूरा हुआ है एवं और अगले महीने से ढांचे का निर्माण आरंभ हो सकता है। तथा श्री राम मंदिर 36-40 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा।

जानकारी के लिए बता दें कि श्री राम मंदिर लगभग ढाई एकड़ में बनेगा और उसके चारों ओर एक दीवार बनाई जाएगी, जिसे परकोटा कहा जाता है। यह परकोटा 6.5 एकड़ में बनेगा। बाढ़ के प्रभाव को रोकने के लिए भूमि के भीतर रिटेनिंग वॉल बनाई जाएगी। यह कार्य भी तीन वर्ष में पूरा हो जाएगा।

श्री राम मंदिर के नींव निर्माण की अधिक जानकारी के लिए बता दें की इन 48 लेयर की कुल ऊँचाई है 12 मीटर जो कि मोटी चट्टान का रूप धारण कर चुका है एवं यह भूमि के नीचे ढाला गया है. इस चट्टान को ढालने में 6 महीने का समय लगा है। तथा 48 लेयर की ढलाई के ऊपर, डेढ़ मीटर मोटी एक दूसरी चट्टान आएगी जो पहले की तुलना में अधिक मजबूत होगी। जिसे की राफ़्ट कहते हैं एवं राफ्ट के पश्चात पत्थरों की फिटिंग आरंभ होगा और मंदिर का प्लिंथ तैयार होगा। प्लिंथ ग्रेनाइट और मिर्जापुर के पत्थरों से बनेगा। लगभग 30 हजार पत्थर एक के ऊपर एक रखकर प्लिंथ को 16 फीट की ऊंचाई दी जाएगी।

इसके अतिरिक्त आपको बता दें की जैसा की हमने अपनी पिछली वीडियो में आपको मंदिर निर्माण में 115 देशों के जल की जानकारी दिया था इसी क्रम में नवीन जानकारी के लिए बता दें की श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बीते शनिवार को बताया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में उपयोग के लिए सात महाद्वीपों के 115 देशों से पवित्र धाराओं, नदियों और समुद्रों के जल को प्राप्त कर लिया गया है।

बता दें की यह जल सभी धर्म के लोगों द्वारा एकत्र किया गया है। यही नहीं सात महाद्वीपों और 192 देशों में से 115 देशों से पानी तो एकत्र कर अयोध्या पहुंचा दिया गया है। परंतु अब विश्व को एक परिवार मानने वाले वसुधैव कुटुम्बकम के संदेश को चरितार्थ करने के लिए विश्व में शेष 77 देशों के जल को भी सम्मिलित करने की योजना बनाई गई है

ज्ञातव्य है कि जब नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आया और उसके पश्चात श्री राम मंदिर के निर्माण का कार्य आरंभ हुआ तो एक बड़ी कठिनाई सामने आ गई. बता दें की पहले मंदिर की नींव पिलर पर खड़ी की जानी थी. ये ठीक वैसी ही होती जैसे समुद्र या नदी में निर्माण कार्य के समय पिलर बोर किए जाते हैं. परंतु जब टेस्टिंग के समयावधि में 6 पिलर्स को बोर किया गया और उन पर मंदिर के बराबर का वजन रखा गया तो नीचे से पिलर्स न केवल हिल गए, अपितु अपनी स्थान से खिसक भी गए. इसका कारण था भूमि में बालू और भुरभुरी मिट्टी का होना। तत्पश्चात यह तय हुआ कि मंदिर के लिए विशेष नींव तैयार की जाएगा। इसके लिए पहले भूमि की खुदाई की गई. इसके पश्चात मजबूत पत्थर, सीमेंट और विशेष प्रकार के रसायन का प्रयोग कर एक मिक्स्चर तैयार किया गया. जिससे की अब तक 48 लेयर बनाई गईं. एक लेयर में 12 इंच तक मिक्स्चर डाला गया जिसे पश्चात कम्प्रेस कर 10 इंच तक किया गया. इस तरह 48 लेयर्स से राम मंदिर की नींव तैयार हुई. जो अब चट्टान जैसी कठोर है। तथा अब मंदिर की नींव तो तैयार हो गई है. अब इस पर पत्थर के फाउंडेशन का कार्य आरंभ होगा. 1.5 फीट भूमि के नीचे और 13.5 फीट सतह के ऊपर अर्थात कुल 15 फीट का ये पूरा फाउंडेशन होगा. तीन मंजिल के इस पूरे राम मंदिर के प्रथम तल का निर्माण होते ही पूजा-दर्शन मंदिर में आरंभ हो जाएगी. जिस स्थान पर गर्भगृह था, वहाँ एक केसरिया झंडा लगा दिया गया है, ताकि उसे चिन्हित रखा जाए.

उम्मीद है कि दिसंबर 2023 तक राम मंदिर को भक्तों के लिए आंशिक रूप से खोल दिया जाएगा. श्रद्धालु गर्भगृह में जाकर पूजा-अर्चना और दर्शन कर सकेंगे. वहीं, इस वर्ष के अंत तक दूसरे चरण का काम आरंभ होने की आशा है जो दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा। इसके पश्चात मंदिर को पूरी तरह से खोल दिया जाएगा।

इसके अतिरिक्त एक और जानकारी के लिए बता दें की राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला के सामने रखे दानपात्र में एक पखवाड़ा अर्थात 15 दिनों में ही 30 लाख से 40 लाख का समर्पण राशि आ रहा है. जो कि कार्यालय और श्री रामजन्म भूमि ट्रस्ट के खातों से भिन्न, केवल विराजमान रामलला के सामने रखे दानपात्र में ही आ रहा है।

यही नहीं एक महीने में रामलला अकेले अपने दानपात्र से 60 लाख से 80 लाख का समर्पण राशि प्राप्त कर रहे हैं। रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य श्रद्धालु राम झरोखे से अपनी आंखों से देख पा रहे हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं में अपने आराध्य के मंदिर निर्माण को लेकर उत्साहित हैं. संत समाज के साथ-साथ राम भक्त भी रामलला के निमित्त दिल खोलकर के दान दे रहे हैं. सूत्रों की मानें तो ट्रस्ट के कार्यालय पर भी हर माह 10 से 15 लाख की नकदी और 50 लाख के चेक आ रहे हैं।

तथा जानकारी के लिए बता दें की 15 दिन में आए धन के गिनती के लिए अगला 15 दिन का समय लग जाता है. अगस्त माह के द्वितीय पखवारे में 35 लाख रुपए रामलला के दानपात्र में आए थे, जिसमें डेढ़ लाख सिक्के के रूप में थे. 5 लोग बैठकर लगातार रामलला के दानपात्र में आए धन की गिनती करते हैं, जिसमें बैंक और ट्रस्ट के कर्मचारी सम्मिलित होते हैं।

ज्ञातव्य है कि रामलला के मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास प्रधानमंत्री के द्वारा किया गया था उस दिन से प्रतिदिन 2 से 5 हजार लोग रामलला के खातों में पैसा भेज रहे हैं. यदि एंट्री की बात की जाए तो एक दिन की एंट्री में एक मोटी किताब बन जाती है. भूमि पूजन के समयावधि में ऐसा कोई दिन नहीं था जिस दिन 5 से 10 करोड़ ना प्राप्त हुई हो।

अधिक जानकारी के लिए ये विडियो देखें-

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