PM मोदी की वाराणसी को मिला नव वर्ष का ज़बरदस्त उपहार

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कोई नगर अपने इतिहास व विरासत के साथ आधुनिकता को कैसे धारण कर सकता है यह विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर काशी से सीखा जा सकता है। तथा शीघ्र ही काशी भारत को Solid Waste Management के अंतर्गत कचरे का श्रेष्ठछम उपयोग करना भी सिखाएगी।

गलियों का शहर, घाटों का शहर, मंदिरों का शहर आदी के रूप में विश्व विख्यात काशी अथवा वाराणसी उत्तर प्रदेश की ही नहीं अपितु संपूर्ण भारतवर्ष की धर्म नगरी मानी जाती है। इसी शहर में भगवान शिव का द्वादश ज्योतिर्लिंग व भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली भी है। तथा इस शहर के अल्हणपन जीवन का अनुभव करने प्रतिदिन हजारों से लेकर लिखों यात्री व श्रद्धालु वाराणसी आते हैं।

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इसी को ध्यान में रखते हुए आध्यात्मिक नगरी काशी को आधुनिक भारत में मुख्य स्थान प्रदान करने के लिए वाराणसी नगर में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सैकड़ों विकास कार्यों पर निर्माण कार्य तीव्र गति से क्रियांवित है, जिनकी जानकारी हमारे चैनल पर उपलब्ध हैं।

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बता दें की वाराणसी में रिंग रोड, अस्पताल, विद्यालय, मल्टीलेवल पार्किंग, अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, ROB व फ़्लाइओवर के निर्माण के अतिरिक्त शहर के सड़कों का कायाकल्प भी किया जा रहा है।

पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी यूं तो धर्म और संस्कृति के लिए विख्यात है. परंतु काशी अब देश-दुनिया को कचरे से कोयला बनाने का मंत्र भी देगा।

जी हाँ, कचरे से कोयला बनाने का देश का पहला प्लांट अब बनारस के रमना में बनने जा रहा है। अति शीघ्र ही कचरे से कोयला बनाने का प्लांट यहाँ पर लगाया जाएगा।

इस परियोजना की अधिक जानकारी के लिए आपको बता दें की वाराणसी नगर निगम के सहयोग से एनटीपीसी (NTPC), वाराणसी के रमना में इस वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को लगाएगी। बात इस प्लांट की करे तो इसकी क्षमता 800 एमटी कूड़ा निस्तारण की होगी। इसके अतिरिक्त ये प्लांट हर प्रकार से इको फैंडली होगी अर्थात जिससे आस पास रहने वाले लोगो अथवा पर्यावरण को किसी प्रकार की हानि न हो। जैसा की हमने आपको इस विषय पर अक्टूबर माह में सबसे पहले जानकारी दी की सब कुछ ठीक रहा तो नवम्बर महीनें से इस प्लांट के निर्माण का काम आरंभ हो जाएगा। तो आपको इसपर वर्तमान समय की जानकारी के लिए बता दें की इस परियोजना पर कंपनी का चमन भी NTPC कि ओर से कर लिया गया है जिसने इस स्थान पर अपना एक छोटा कार्यालय भी स्थापित कर रखा है जिसे की हम आपको दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। तथा सबसे महत्वपूर्ण की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपने नव वर्ष के अगामी 8 जनवरी के आगमन में इसका शिलान्यास करने वाले हैं तथा शिलान्यास के पश्चात 1.5 वर्ष में यह प्लांट तैयार हो जाएगा.

अधिक जानकारी के लिए बता दें की इस प्लांट के निर्माण में लगभग 150 से 200 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

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इसपर और अधिक जानकारी के लिए बता दें की सतत विकास की दिशा के प्रयास में, एनटीपीसी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम (एनवीवीएन) लिमिटेड ने अपशिष्ट से ऊर्जा (डब्ल्यूटीई) स्थापित करने के लिए वाराणसी नगर निगम के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह संयंत्र ठोस कचरे के कारण होने वाले पर्यावरणीय खतरों को कम करने में सहायता करेगा और स्वच्छ भारत के हमारे माननीय प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण में योगदान करते हुए स्वच्छ परिवेश लाएगा। एनवीवीएन ने परियोजना के तेजी से निष्पादन के लिए 12 नवंबर को संयंत्र के ईपीसी अनुबंध कार्य का आदेश दिया है। यह संयंत्र देश में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नवीनतम स्वदेशी मेक इन इंडिया तकनीक का उपयोग करते हुए हिंदूओं के पवित्र नगर वाराणसी के लिए आत्मानिर्भर भारत की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा। वाराणसी नगर निगम ने संयंत्र की स्थापना के लिए रमना में लगभग 20 एकड़ भूमि आवंटित की है जो कि रमना में स्थापित सीवेज ट्रीटमें प्लांट के ठिक सामने है आपको हम यह दोनों स्थानों के दृश्य अच्छे से दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।

इस रमना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की अधिक जानकारी के लिए बता दें की रमना वाराणसी में 50 एमएलडी क्षमता के इस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य वाराणसी नगर के अन्तर्गत 5 वार्डो – नगवां, नरिया, सुन्दरपुर, नेवादा, सरायसुर्जन के नालों का पानी सीधे गंगा नदी में जाने से रोकने के लिए इस STP का निर्माण करवाया गया है जिसमें की 160 करोड़ रुपये की लागत आई है, जिसका निर्माण आरंभ हुआ था 19 फरवरी 2018 को तथा इसका उद्घाटन पिछले सप्ताह ही माननीय नरेंद्र मोदी जी ने किया है जिसके प्रमाण स्वरूप अभी भी यहाँ के भवनों पर फूल मालाएं देखने को मिल रही हैं।

Garbage

बता दें की इस प्रकार के घरेलू सीवेज को गंगा नदी में जाने से रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत कई नालों को टैप कर एसटीपॉ के माध्यम से शोधित करने के उपरान्त गंगा नदी में प्रवाहित करने के लिए बनाया गया है। परियोजना के अन्तर्गत मुख्यतः अस्सी नदी एवं 2 अन्य नालो के इन्टरसेप्शन और डायवर्जन कार्य, नगवा में पूर्व से निर्मित 50 एमएलडी क्षमता के मुख्य सीवेज पम्पिंग स्टेशन एवं राइजिंग मेन के जीर्णोद्धार कार्य, रमना में 50 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लान्ट, स्टाफ क्वार्टर एवं एफ्लूएन्ट लाइन के निर्माण कार्य एवं उनका 15 वर्षो तक संचालन एवं रख-रखाव का कार्य सम्मिलित है। 

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अब यदि आपको पुनः कचरे से कोयला बनाने वाली प्लांट की जानकारी दें तो बता दें की परियोजना के अंतर्गत नगर निगम ठोस अपशिष्ट के 600-800 टन प्रतिदिन की अपशिष्ट पृथक्करण सुविधा वाला संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, इस कचरे को संसाधित भी किया जाएगा और रिएक्टर में टॉरफाइड चारकोल का उत्पादन करने के लिए फीड किया जाएगा।

जानकारी के लिए बता दें की प्राकृतिक कोयले के समान टॉरफाइड चारकोल को भी बिजली उत्पादन के लिए थर्मल पावर प्लांट में ईंधन के साथ सफलतापूर्वक मिश्रित किया जा सकता है। यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि तापमान अन्य तकनीकों की तुलना में कम है, जिसके कारण कोई जहरीला उत्सर्जन नहीं होता है, जो कि महत्वपूर्ण है।

जैसा की आपने सुना होगा की आजकल देश विदेश के कई स्थानों पर कोयले की कमी से विद्धुत का संकट उत्पन्न होने की सूचना समाचार में मिलती रहती हैं। जिसके कारण से कोयले के विकल्प की खोज हो रही है तथा इन दिनों बिजली उत्‍पादन इकाइयों में कोयला संकट को देखते हुए कूड़े से कोयला बनाने का यह प्रोजेक्ट देश में नई ऊर्जा क्रांति ला सकता है। तथा यह प्रयास सफल रहा तो इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

महत्वपूर्ण है कि कूड़े व कचरे से कोयला बनने से न केवल कूड़े कचरे के निस्तारण में सुविधा मिलेगी अपितु प्राकृतिक संसाधनों की क्षति को भी ठोड़ा ही सही परंतु कम किया जा सकता है।

मित्रों यदि उपरोक्त वाराणसी के कचरे से कोयला बनाने वाली विशेष परियोजना की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बॉक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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One thought on “PM मोदी की वाराणसी को मिला नव वर्ष का ज़बरदस्त उपहार

  • January 1, 2022 at 2:38 pm
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    हर हर महादेव

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